राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-202/2017
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, चन्दौली द्वारा परिवाद/प्रकीर्ण वाद संख्या 37/2016 में पारित आदेश दिनांक 31.12.2016 के विरूद्ध)
Babu Ram, son of Late Santu Ram, resident of Village – Gauraiya, Paragna Ralhupur, Tehsil & District Chandauli.
................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. Executive Engineer, Vidyut Vitaran Khand-I, Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd. Chandauli.
2. Sub Divisional Officer, Electricity Distribution Division-III, Sub Division, Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd. Chandasi, District Chandauli.
.................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एच0के0 श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 27.08.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद/प्रकीर्ण वाद संख्या-37/2016 बाबूराम बनाम अधि0 अभि0 विद्युत में पारित आदेश दिनांक 31.12.2016 के द्वारा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली ने परिवाद प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब को क्षमा करने हेतु प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-24क(II) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 निरस्त करते हुए कालबाधा के आधार पर परिवाद निरस्त कर दिया है,
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जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी ने यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एच0के0 श्रीवास्तव उपस्थित आए हैं। प्रत्यर्थी की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने विद्युत विभाग से साढ़े पांच हार्सपावर का कनेक्शन सिंचाई हेतु लिया था, जिसका कनेक्शन संख्या-003430 है। दिनांक 30.12.2011 को प्रत्यर्थी/विपक्षी के कर्मचारीगण उसके इस कनेक्शन के पोल से केबिल तार काटकर ले गए और उसके कनेक्शन को विच्छेदित कर दिया तथा उसके साथ अभद्र व्यवहार भी किया, जिसके सम्बन्ध में दिनांक 02.01.2012 को उसने वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अपीलार्थी/परिवादी ने दिनांक 30.12.2011 से दिनांक 12.03.2016 तक कई बार प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया एवं विच्छेदित विद्युत कनेक्शन को चालू करने तथा उपयोग की अवधि का बकाया बिल जमा करने का निवेदन किया, लेकिन विपक्षीगण ने कोई कार्यवाही नहीं की। तब विवश होकर उसने परिवाद जिला
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फोरम के समक्ष दाखिल किया और धारा-24क(II) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विलम्ब क्षमा कर परिवाद ग्रहण किए जाने का निवेदन किया।
जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/विपक्षी ने प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-24क(II) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के विरूद्ध आपत्ति प्रस्तुत की और कहा कि अपीलार्थी/परिवादी दिनांक 14.03.2011 को ओ0टी0एस0 योजना के तहत 1000/-रू0 जमा किया था और नियमानुसार ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत शेष धनराशि यथाशीघ्र जमा करना था, परन्तु अपीलार्थी/परिवादी ने उक्त धनराशि जमा नहीं किया। अत: उसका विद्युत कनेक्शन वर्ष 2011 में काटा गया है, जबकि उसने परिवाद वर्ष 2016 में दाखिल किया है, अत: परिवाद कालबाधित है। उसके द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा-24क(II) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 पोषणीय नहीं है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष को सुनने के उपरान्त यह माना है कि अपीलार्थी/परिवादी ने परिवाद निर्धारित समय-सीमा के अन्दर प्रस्तुत न करने का संतोषजनक कारण दर्शित नहीं किया है। अत: धारा-24क(II) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 का लाभ उसे नहीं दिया जा सकता है। जिला फोरम ने अपने आदेश में उल्लेख किया है कि अपीलार्थी/परिवादी ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत दिए गए प्रार्थना पत्र में जो कनेक्शन संख्या-003430 लिखा है, वह सही नहीं है। सही कनेक्शन संख्या उपलब्ध कराने पर
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सूचना दी जा सकती है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि मार्च 2012 में सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने का एक प्रार्थना पत्र देने के बाद 04 वर्ष तक अपीलार्थी/परिवादी की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गयी है और पुन: मार्च 2016 में सूचना प्राप्त करने हेतु जो प्रार्थना पत्र दिया गया है वह भी गलत दिया गया है। जिला फोरम ने अपने आदेश में आगे उल्लेख किया है कि इन 04 वर्षों में अपीलार्थी/परिवादी ने किसी प्रकार की कोई कार्यवाही की इसका कोई साक्ष्य नहीं है। अत: वाद कारण के 04 वर्ष बाद जो परिवाद दाखिल किया गया है उसका सम्यक कारण अपीलार्थी/परिवादी की ओर से नहीं बताया गया है।
परिवाद पत्र के कथन से यह स्पष्ट है कि अपीलार्थी/परिवादी का विद्युत कनेक्शन दिनांक 30.12.2011 को विद्युत विभाग द्वारा काटा गया है, जबकि परिवाद वर्ष 2016 में प्रस्तुत किया गया है और अपीलार्थी/परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब का जो कारण बताया गया है वह संतोषजनक नहीं है क्योंकि उसका विद्युत कनेक्शन विद्युत देय के बकाए में काटे जाने की उपरोक्त तिथि के बाद जोड़ा नहीं गया है। अत: विद्युत कनेक्शन काटे जाने के सम्बन्ध में वाद हेतुक दिनांक 30.12.2011 को उत्पन्न हुआ है और इतनी लम्बी अवधि के बाद सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सूचना प्राप्त करने हेतु मात्र एक आवेदन पत्र देने से वाद हेतुक उत्पन्न नहीं होता है।
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सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त जिला फोरम ने जो परिवाद प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब को क्षमा करने हेतु उचित आधार नहीं माना है, वह अनुचित और विधि विरूद्ध नहीं कहा जा सकता है। हमारी राय में जिला फोरम के निष्कर्ष और आदेश में कोई हस्तक्षेप उचित नहीं है। अत: अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपील में अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1