जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 11.06.2015
मूल परिवाद संख्या:- 24/2015
1. श्री दिनेष कुमार भूतडा पुत्र श्री गोविन्दलाल भूतडा, जाति- माहेष्वरी,
निवासी- धाटी कालोनी जैसलमेर तह.व जिला जैसलमेर
............परिवादी।
बनाम
युनाईटेड इण्डिया इंश्योरेस कंपनी लिमिटेड,
जरिये शाखा प्रबन्धक, युनाईटेड इण्डिया इंश्योरेस कंपनी लिमिटेड,
ढिब्बा पाडा, जैसलमेर राजस्थान
.............अप्रार्थी।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री विमलेष कुमार पुरोहित, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री उम्मेदसिंह नरावत, अधिवक्ता अप्रार्थी की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 05.04.2016
1. परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी का एक वाहन सं. आर.जे.15 यूए.0733 अप्राथी बीमा कम्पनी के यहा प्राईवेट पैकेज पालिसी के तहत दिनांक 12.01.2013 से 11.01.2014 तक बीमित था जिसकी पालिसी सं. 1411033112च्301749063 थी। उक्त वाहन दिनांक 22.07.2013 को दिन के करीब 4.30 बजे बाडमेर जैसलमेर हाईवे पर सरहद ग्राम गूगा जिला बाडमेर में दूघटना ग्रस्त हो गया वाहन दूर्घटनाग्रस्त होने पर परिवादी ने अप्रार्थी कम्पनी को सूचित किया जिस पर सर्वेयर ने स्पोर्ट चेक किया व कम्पनी के निर्देषानुसार वाहन को टोचिग कर अधिकृत डीलर ओ.एस.मोटर्स प्राईवेट लिमिटेड जोधपुर के यहा ले गये जहा पर भी अप्रार्थी के सर्वेयर ने सर्वे किया तथा अप्रार्थी कम्पनी के निर्देषानुसार पूर्ण रूप से रिपेयर करवाया गया जिसका कुल बिल 7,26,846 रू दिया गया तत्पष्चात परिवादी ने उक्त राषि का भुगतान ओ.एस.मोटर्स प्राईवेट लिमिटेड जोधपुर को किया गया। अप्रार्थी कम्पनी के द्वारा भुगतान की कोई कार्यवाही नही करने व परिवादी द्वारा बार-बार कम्पनी आफिस मे क्लैम हेतु चक्कर लगाने के बाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लैम खारिज कर दिया जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी का सेवा दोष है तथा परिवादी को मूल राषि 7,26,846 रू का भुगतान नही करने के कारण परिवादी को आर्थिक मानसिक परेषानी झेलनी पड़ी।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की तरफ से जवाब पेष कर प्रकट किया कि वाहन संख्या आर.जे.15 यूए.0733 अप्राथी बीमा कम्पनी के यहा प्राईवेट पैकेज पालिसी के तहत दिनांक 12.01.2013 से 11.01.2014 तक बीमित होना स्वीकार है परिवादी द्वारा वाहन की दूर्धटना होने की सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दिये जाने की तुरंत सूचना दिये जाने पर सर्वेयर द्वारा आॅकलन किया गया व फाईनल सर्वे रिपोर्ट में भुगतान योग्य क्षर्ति 5,90,636 रू पायी गई तथा परिवादी के वाहन में वक्त दूर्घटना में पुलिस मे दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट अनुसार कुल 11 सवारिया होना लिखा है। जो वाहन की क्षमता से अधिक होने के कारण मोटर अधिनियम व बीमा पाॅलिसी की शर्तो के उल्लघन होने के कारण परिवादी क्लैम राषि प्राप्त करने का अधिकारी नही होने के कारण क्लैम दावा निरस्त कर अप्रार्थी ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है। परिवाद सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादीगण एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादीगण पर है जिसके तहत कि क्या परिवादीगण उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादीगण एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादीगण ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा वाहन का बीमा करवाया जिसे अप्रार्थी द्वारा भी माना गया है इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादीगण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादीगण के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादी अभिभाषक की दलील है कि परिवादी का जो क्लैम अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने खारिज किया है। वह गलत खारिज किया गया है जबकि दूर्घटनाग्रस्त वाहन में केवल 7 सवारिया ही थी और वाहन के रजिस्टेªषन प्रमाण पत्र के अनुसार 7 सवारियां डाईवर सहित बैठने की क्षमता थी।
उनकी यह भी दलील है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट मे जो सवारियों के नाम अंकित किये है उनमे टीना,मनीष,गुनगुन,छोटे-छोटे बच्चे है जिनकी उम्र डेढ़ से ढ़ाई वर्ष के थें जो बच्चे अन्य के गोद मे बैठे थें अतः ये छोटे बच्चे सवारी की तारीफ मे नही आतें अतः इस प्रकार केवल 7 सवारियां उक्त वाहन के डाईवर सहित दूर्घटना के समय यात्रा कर रही थी जो परमीट के अनुसार ही थी।
उनकी यह भी दलील है कि सवारियांे की अधिक क्षमता के कारण ही दूर्घटना कारित हुई हो ऐसी भी अप्रार्थी की साक्ष्य नही है तथा अपने तर्कों के समर्थन मे 2016 (1) त्ण्।ण्त्ण् 19;ैब्द्ध स्ंाीउप ब्ींदक टमतेने त्मसपंदबम ळमदमतंस प्देनतंदबम क्मबपकमक वद 7 श्रंद 2016 का विनिष्चय पेष किया। तथा अप्रार्थी से 7,26,846/- वाहन की रिपेयरिग राषि मय ब्याज व मानसिक व शारीरिक परेषानी पेटें 1 लाख रू व परिवाद व्यय 20,000 रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि अप्रार्थी द्वारा जो क्लैम खारिज किया गया है वह सही खारिज किया है क्योंकि वक्त दूर्घटना वाहन मे चालक सहित 10-11 सवारियां थी जो वाहन के रजिस्टेªषन प्रमाण पत्र के अनुसार सवारियों की क्षमता से अधिक सवारियां होने के कारण पाॅलिसी की शर्तो का उल्लघन हुआ है जिस कारण क्लैम खारिज किया गया है। उनकी यह भी दलील है कि पुलिस थाना षिव मे दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 22.07.2013 से स्वतः ही स्पष्ट है कि प्रत्येक सवारियों का उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट मे नाम अंकित है। इस प्रकार डाईवर सहित 10 सवारियों का नाम उक्त प्रथम सूचना रिपोर्ट मे अंकित है टीना, मनीष व गुनगुन भी सवारी की तारीफ में आते है इस प्रकार वाहन के रजिस्टेªषन में वर्णित क्षमता से अधिक क्षमता में सवारिया बैठी पाई गई जिसके कारण दूर्घटना कारित हुई अपने तर्को के समर्थन में छंजपवदंस ब्वदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवद छमू क्मसीपए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 4197 व ि2008 छमू प्दकपं प्देनतंदबम ब्वण् स्जकण् टे प्ेीूंत ैपदही त्ंजीवतम क्मबपकमक व्द 15 श्रंद 2015 का विनिष्चय पेष किया तथा परिवादी का परिवाद मय हर्जो खर्चो के खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
8. उभयपक्षों के तर्को पर मनन किया गया तथा पत्रावली का ध्यानपूर्वक परिषिलन किया गया अब विचारणीय बिन्दू यह है कि हमें यह देखना है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लैम दिनांक 31.03.2005 को जिस आधार पर खारिज किया गया है वह सेवा दोष की श्रेणी में आता है या नही ? परिवादी द्वारा प्रस्तुत पत्र दिनांक 31.03.2015 जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा क्लैम खारिज करने से सम्बधित है का अवलोकन करे तो उसमें खारिज का यह आधार बताया गया है कि वाहन में करीब चालक सहित 10-11 सवारियां थी जो वाहन के रजिस्टेªषन के अनुसार सवारियांे के बैठने की क्षमता से अधिक थी इस प्रकार क्षमता से अधिक सवारियां होने से बीमा पाॅलिसी की शर्तो के विरूद्व होने के कारण क्लैम खारिज किया गया है।
9. इस सम्बध मे परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद व साक्ष्य का अवलोकरन करे तो परिवादी दिनेष कुमार ने अपनी साक्ष्य मे बताया है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार केवल 10 व्यक्ति वाहन में सवार थें जिनमें से टीना, मनीष, गुनगुन छोटे-छोटे बच्चे है जिनकी उम्र डेढ़ से डाई वर्ष है जो गोदी मे बैठे थें जो बच्चे सवारी की तारीफ मे नही आते है। गवाह रमन कुमार जो वक्त दूर्घटना वाहन मे ही था उसने भी अपनी साक्ष्य मे यह बताया है कि वक्त दूर्घटना सवारिया क्षमता से अधिक नही थी मैरे संहित कुल 7 सवारियां की वाहन में यात्रा कर रही थी। 3 छोटे-छोटे बच्चे टीना, मनीष व गुनगुन थें जिनकी उम्र डेढ़ से ढ़ाई वर्ष थी जो बच्चे अन्य सवारियांे की गोदी मंे बैठे थे जो बच्चे सवारी की तारीफ मे नही आतें है। मैने मोटरयान अधिनियम किसी नियम या कानूनी प्रावधानांे की अवहैलना नही की है। अतः उक्त गवाहों के अनुसार वक्त दूर्घटनाग्रस्त वाहन में सात सवारियां होना बताया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट जो भैराराम ने दर्ज कराई उसमें प्रत्येक सवारी का नाम बताया गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट के मुताबिक 10 सवारियो का बैठना बताया गया है जिनमें टीना, मनीष व गुनगुन छोटे बच्चे थें जिनकी उम्र डेढ़ से ढ़ाई वर्ष बतायी है जैसा कि साक्ष्य मे आया है साक्ष्य में प्रकट है कि केवल 7 सवारियां ही 3 बच्चों के अलावा वाहन मे यात्रा कर रही थी तीनों बच्चे छोटी उम्र के है जिनकी उम्र डेढ़ से डाई वर्ष के आस-पास थी जिसकों परिवादी ने साक्ष्य से साबित किया है तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के द्वारा भी बच्चों के उम्र का खण्डन नही किया गया है। अतः हमारे विनम्र मत मे यही माना जायेगा कि वक्त दूर्घटनाग्रस्त वाहन में 7 सवारियां ही वाहन पंजीयन प्रमाण पत्र मंे उल्लेखित क्षमता के अनुसार यात्रा कर रही थी छोटे बच्चे उनकी उम्र को देखते हुए सवारियों की श्रेणी में नही आते है। यदि अप्रार्थी बीमा कम्पनी के इस तर्के को मान भी लिया जावें कि वक्त दूर्घटना वाहन मे क्षमता से अधिक 3 सवारियां बैठी हुई थी तो भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी को यह साबित करना होगा कि दूर्घटना अधिक सवारियों की वजह से हुई हो क्योकि मान्य उच्चतम न्यायालय ने विनिष्चय 2016 ;1द्ध त्ण्।ण्त्ण् 19;ैब्द्ध स्ंाीउप ब्ींदक टमतेने त्मसपंदबम ळमदमतंस प्देनतंदबम क्मबपकमक वद 7 श्रंद 2016 में यह अभिनिर्धारित किया है कि भ्मसक ंबबपकमदज बंनेमक वद ंबबवनदज व ितंेी ंदक दमहसपहमदबम व िवििमदकपदह टमीपबसम छवण् न्च्.75.र.9860. थ्प्त् तमहपेजमतमक ंहंपदेज वििमदकपदह अमीपबसम बवउचंदल ंिपसमक जव चतवकनबम मअपकमदबम जींज ंबबपकमदज वबबनततमक वत ंबबवनदज व िवअमतसवंकपदह व िचंेेमदहमत.ब्ींससंद पिसमक ंहंपदेज वििमदकपदह अमीपबसम. ैजंजम ब्वउउपेेपवद ंदक छंजपवदंस ब्वउउपेेपवद दवज बवदेपकमतमक जीमेम ंिबजे. व्तकमत व िैजंजम ब्वउउपेेपवद ंदक छंजपवदंस ब्वउउपेेपवद ेमज.ंेपकम ंदक वतकमत व िकपेजतपबज थ्वतनउ तमेजवतमक ूपजी बवेज व ित्ेण् 25000ध्. प्रष्नगत मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट मे केवल चालक का तेज गति व लापरवाहीपूर्वक चलाना ओर उससे गाडी पलटी खा जाने का तथ्य आया है न कि अधिक सवारियों की वजह से दूर्घटना हुई हो। अप्रार्थी की तरफ से जवाब व साक्ष्य मे इस प्रकार की कोई बात भी नही बताई गई है कि अधिक सवारियो के बैठने के कारण यह दूर्घटना कारित हुई हो। अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का क्लेम इस आधार पर खारिज किया गया वो सेवादोष की त्रुटी में आता है। फलतः बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
10. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है । जहां तक क्लेम की राषि का प्रष्न है परिवादी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि उसको वाहन रिपेयरिग पेटे कुल खर्च 7,26,846 रू मय 18 प्रतिषत दर से ब्याज दिलाया जावें तथा साथ ही मानसिक व आर्थिक परेषानी पेटे हर्जोना व परिवाद व्यय दिलाया जावें इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक का कथन है कि वाहन के दूर्घटनाग्रस्त होने की सूचना पाकर अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा तुरंत कार्यवाही करते हुए सक्ष्म व योग्य सर्वेयर भेजकर स्पोर्ट सर्वें करवाया व फाईनल सर्वे रिपोर्ट सर्वेयर श्री अषोक कुमार सोनी अपनी सर्वे रिपोर्ट में भुगतान योग्य क्षति मेटल, रबर, ग्लास की अलग-अलग पैरा मे अंकन कर नियमानुसार डेप्रिषिएषन काटकर व वैट जोड़कर पार्टस की 5,42,102/- रू की क्षति होना बताया व लेबरचार्ज के रूप में सर्विस टेक्स सहित कुल 73,034/- रूपये की क्षति पाई जो दोनो को जोडने पर 6,15,136 रू होते थे जिनमें 2,000 रू पाॅलिसी क्लोज शर्त अनुसार कम किये व 22,500 साॅलवेज के कम करने पर शेष शुद्व क्षति 5,90,636 रू पायी गई। इस सम्बंध मे सर्वेयर अषोक कुमार सोनी की सर्वे रिपोर्ट मे असेसमेंट रिपोर्ट का अवलोकन करे तो उसमें डेप्रिषिएषन, वेट, साॅलवेज, लेबर आदि चार्जेज काटने के उपरान्त भी 5,90,636.04 रू माना है इस सर्वेयर की सर्वे रिपोर्ट को नही मानने का कोई कारण हमारे समक्ष नही है। अतः दुर्घटनाग्रस्त वाहन की रिपेयरिग पेटे 5,90,636/- रू अक्षरे रू पाॅच लाख नब्बें हजार छः सौ छतीस दिलाया जाना न्यायोचित समझते है । उक्त राषि पर परिवादी को क्लेम खारीज करने की दिनांक 31.03.2015 से 9 प्रतिषत वार्षिक दर से वसूली तक ब्याज पाने के हकदार है साथ ही परिवादी को मानसिक वेदना के लिए 5000/- रूपये अक्षरे रू. पाॅच हजार तथा परिवाद व्यय के 2000 रू अक्षरे रू दो हजार मात्र दिलाया जाना उचित है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी को आदेषित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के भीतर भीतर परिवादी को दुर्घटनाग्रस्त वाहन की रिपेयरिग पेटे 5,90,636 रू. अक्षरे रू पाॅच लाख नब्बें हजार छः सौ छतीस क्लेम खारीज करने की दिनांक 31.03.2015 से उक्त राषि पर 9 प्रतिषत वार्षिक दर से वसूली तक ब्याज तथा मानसिक वेदना के 5000 रूपये अक्षरे रू पाॅच हजार मात्र व परिवाद व्यय के 2000 रू अक्षरे रू दो हजार मात्र अदा करे ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 05.04.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।