जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत ।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि - 23.04.2015
मूल परिवाद संख्या:- 15/2015
मैसर्स रमेष एण्ड कम्पनी भागीदारी फर्म जरिये भागीदार दीनदयाल कल्ला पुत्र श्री विरधीचन्द कल्ला जाति ब्राहमण निवासी -रमेष टाॅकिज के सामने, जैसलमेर तहसील व जिला जैसलमेर राजस्थान। ............परिवादी
बनाम
1. शाखा प्रबन्धक, यूनाइटेड इण्डिया इष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड शाखा -षिव रोड़, जैसलमेर राजस्थान।
2. मण्डलीय प्रबन्धक, यूनाइटेड इण्डिया इष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, मण्डलीय कार्यालय- स्टेषन रोड़ बाड़मेर जिला-बाड़मेर राजस्थान।
.............अप्रार्थीगण
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री महेष कुमार माहेष्वरी, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. श्री उम्मेदसिह नरावत, अधिवक्ता अप्रार्थीगण की ओर से ।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 27.08.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी के फर्म के नाम पर पंजीकृत सुदा वाहन टिप्पर ट्रक रजिस्र्टड नम्बर आर.जे. 15 जीए 2154 अप्रार्थी के यहा नियमानुसार प्रिमियम जमा कराने के पश्चात् दिनांक 22.11.2013 से 21.11.2014 तक बीमित था उक्त वाहन का उपयोग परिवादी द्वारा अपने जीविकोपार्जन के लिए किया जाता था। उक्त बीमित अवधि मे परिवादी का उक्त ट्रक दिनांक 28.12.2013 को रात्रि मे जैन भवन के पास पार्किग मे चोरी हो गया जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस थाना जैसलमेर मे 29.12.2013 को दर्ज कराई गयी तथा दिनांक 30.12.2013 को उक्त वाहन का बीमा क्लैम आवेदन पत्र अप्रार्थीगण के कार्यालय मे पेष किया गया अप्रार्थीगण द्वारा वाहन की चाबिया मागे जाने पर उन्हे दोना चाबिया सुपुर्द की गयी तथा परिवादी द्वारा बीमा क्लैम पेष करने पर अप्रार्थीगण के सर्वेयर ने अपनी इन्वीस्टीगेसन रिपोर्ट दिनांक 25.05.2014 को तैयार कर अप्रार्थीगण को दी जिसमे नुकसान का कुल आंकलन 10,50000 रू अंकित किया गया। परिवादी का उक्त वाहन फाईनेष था जिस पर परिवादी द्वारा पूर्ण राषि फाईनेष कम्पनी मे जमा कराकर एनओसी ली गयी। अप्रार्थीगण द्वारा 7,86000/- रू की सहमति पत्र भेजकर बीमा क्लैम फूल एण्ड फाईनल भुगतान हैतु चाही। जिसकी परिवादी द्वारा सहमति नही दी गयी। तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमित मूल्य 10,50000/- भुगतान न कर सेवाओं मे के भारी कमी है अतः परिवाद पेष कर परिवादी ने बीमित मूल्य मय 12 प्रतिषत वार्षिक ब्याज व आर्थिक व मानसिक नुकसान पेटें 50,000 रू व परिवाद व्यय 25,000 दिलाने की प्रार्थना की ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपना जबाब पेष कर वाहन के बीमित होने का कथन स्वीकार किया एवं कथन किया कि परिवादी ने अपना ट्रक रात्रि मे बीना किसी निगरानी के सार्वजनिक परिसर मे छोड़ दिया जिस कारण वाहन परिवादी की खुद की लापरवाही से चोरी हुआ है। फिर भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादी के प्रति नरम रूख अपनाते हुए वक्त घटना वाहन चोरी वाहन का फिटनेष प्रभावी न होने के बावजूद नोन स्टेन्डर्ड आधार पर दावा 7,86,000 रू स्वीकृत किया है। तथा परिवादी द्वारा इस 75 प्रतिषत राषि की सहमति न देने पर मजबूरन क्लैम पत्रावली बन्द कर दी गयी है। इसमे बीमा कम्पनी का कोई दूराषय व सेवा दोष नही कारित किया है। अतः परिवाद खारीज करने की प्रार्थना की एवं वाद व्यय रू 11000 दिलाने की प्रार्थना की।
3. हमने विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षीगण का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आते है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आते हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादी फर्म द्वारा अपने वाहन ट्रक का प्रीमियम राषि रू 26,888 रू जमा कराकर बीमा करवाया था तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पाॅलिसी नम्बर 1411033113पी105246281 जारी किये थे तथा उक्त ट्रक दिनांक 22.11.2013 से 21.11.2014 तक बीमित था। तथा विद्वान अप्रार्थी अभिभाषक ने दौराने बहस कथन किया कि वाहन ट्रक का वाणिज्यिक उपयोग हैतु काम मे लिया जा रहा था इसलिए परिवादी उपभोक्ता नही है। लेकिन परिवादी ने अपने परिवाद के पेरा सं. 1 मे परिवाद पेष करने के समय कथन किया है कि उक्त वाहन का उपयोग प्रार्थी द्वारा अपने जीविकोपार्जन के लिए लिया जाता था। तथा अप्रार्थी ने अपने जवाब मे भी इस प्रकार की कोई बात नही बताई है कि उक्त वाहन वाणिज्यिक कार्यो के लिए उपयोग मे लिया जाता हो। तथा न ही इस प्रकार की कोई साक्ष्य पेष की है कि उक्त वाहन को वाणिज्यिक उपयोग के लिए काम मे लिया जा रहा हो परिवादी द्वारा ट्रक का उपयोग अपने स्वरोजगार के लिये किया जा रहा था। इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6. बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? परिवादी के विद्वान अभिभाषक की दलील है कि परिवादी का वाहन टिप्पर ट्रक सख्या आर जे 15 जीए 2154 अप्रार्थीगण बीमा कम्पनी के यहा बीमित है। जिसकी पाॅलिसी सख्या 1411033113पी105246281 है। जो दिनांक 22.11.2013 से 21.11.2014 तक अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा बीमित है। उनकी यह भी दलील है कि बीमा अवधि मे उक्त वाहन दिनांक 28.12.2013 को रात्रि मे जैन भवन पाॅकिग से चोरी हो गया उक्त वाहन को डाªईवर ने लाॅक लगाकर खड़ा किया जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट तुरंत दिनांक 29.12.2013 को दर्ज करा दी गयी तथा अप्रार्थी बीमा कम्पनी को भी तुरंत सूचना दे दी थी। तथा बीमा कम्पनी के इन्वेस्टीगेसन रिपोर्ट दिनांक 25.05.2014 को 10,50,000 रू का भुगतान असिसमेंट किया था जो वाहन की बीमित राषि हैै जबकि अप्रार्थीगण ने उसके विपरित 7,86,000 रूपये का फूल एण्ड फाईनल भुगतान करना स्वीकार किया जो अप्रार्थीगण की सेवा दोष की कमी मे आता है। बीमा क्लैम की राषि 10,50,000 व मानसिक हर्जाना 50,000 रू व परिवाद व्यय 25,000 दिलाये जाने का निवेदन किया। इनकी यह भी दलील है कि बीमा पाॅलिसी की किसी भी शर्त का उल्लधन नही हुआ है। फिटनेष के बाबत् जो आपति बीमा कम्पनी ने ली है व किसी प्रकार से विधि सम्मत् नही है क्योकि वक्त वाहन चोरी वाहन पाॅकिग मे खड़ा था न कि सड़क पर चल रहा था अतः खड़े वाहन के लिए फिटनेष की आवष्यक शर्ते नही है। अतः बीमा शर्तो का कोई उल्लधन नही है।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए विद्वान बीमा कम्पनी अभिभाषक की दलील है कि वक्त वाहन चोरी उक्त वाहन का फिटनेष प्रमाण पत्र नही था जो बीमा पाॅलिसी की शर्तो का उल्लघन है लेकिन नरमी का रूख अपनाते हुए फिटनेष न होने पर नोन स्टेन्डर्ड के आधार पर दावा 7,86,000 रू का स्वीकार किया गया है। जो किसी प्रकार से दोषपूर्ण नही है। उनकी यह भी दलील है कि चोरी गये वाहन को असावधानी से बीमा किसी निगरानी के सार्वजनिक परिसर मे छोड दिया गया इस पर परिवादी के लापरवाही के कारण यह वाहन चोरी हुआ जिसके लिये बीमा कम्पनी किसी भी प्रकार से उतरदायी नही है। अपने तर्को के समर्थन मे राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्ली 2014 डीएनजे सीसी 111 परमजीत कौर बनाम मैसर्स आॅरियन्टल इष्योरेंस कम्पनी लि0 का विनिष्चय पेष किया। उनकी यह भी दलील है कि वाहन परिवादी द्वारा दिनांक 27.12.2013 को चलाया गया था। क्योकि उक्त वाहन मे दिनांक 27.12.2013 को डीजल 9,276 रू का भरवाया गया था अतः उक्त वाहन को बिना फिटनेष के कार्य मे लिया अतः परिवादी का परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया।
8. उभयपक्षों की तर्को की रोषनी मे पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य पर हमारी राय इस प्रकार है कि यह स्वीकृत तथ्य है कि वाहन टिप्पर ट्रक सं. आर जे 15 जीए 2154 अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहा दिनांक 22.11.2013 से 21.11.2014 तक बीमित था जिसकी पाॅलिसी नम्बर 1411033113पी105246281 है यह भी स्वीकृत तथ्य है कि उक्त वाहन दिनांक 28.12.2013 को रात्रि मे चोरी हो गया जो बीमा अवधि के दौरान चोरी हुआ है उक्त वाहन का प्रीमियम 26,888 रू अदा किया गया था जिसमे उक्त वाहन की बीमित राषि 10,50,000 रू निर्धारित की गयी थी। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने उक्त वाहन के चोरी हो जाने के तुरंत पश्चात् प्रथम सूचना रिपोट पुलिस थाने मे दर्ज करा दी थी जिसकी एफआईआर नम्बर 477 पीएस कोतवाली जैसलमेर है। तथा यह भी स्वीकृत तथ्य है कि उक्त वाहन की चोरी की सूचना दिनांक 30.12.2013 को निर्धारित समयावधि मे अप्रार्थी बीमा कम्पनी को दे दी थी।
9. अप्रार्थी बीमा कम्पनी की मुख्य रूप से दलील है कि वक्त घटना वाहन का फिटनेष प्रभावी नही होने के कारण नौन स्टेन्डर्ड बेसिस पर दावा 7,86,000 रू स्वीकृत किया गया था। अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने कोई सेवा दोष कारित नही किया है। अप्रार्थी के इस तर्क पर हमने मनन किया। परिवादी ने अपने परिवाद व साक्ष्य मे यह बताया है कि दिनांक 28.12.2013 को वाहन सं. आर जे 15 जीए 2154 पाॅकिग से चोरी हो गया जिसकी सूचना पर बीमा कम्पनी के सर्वेयर श्री कमलेष बाड़मेरा ने मौके पर गया ओर उसने भी अपने निष्कर्ष मे भी यह माना कि उक्त वाहन पाॅकिग मे से चोरी हुआ है तथा परिवादी की तरफ से पेष ड्राईवर तेजप्रकाष ने भी अपने साक्ष्य मे बताया है कि उसने दिनांक 28.12.2013 को 8 बजे पाॅकिग मे वाहन को खड़ा किया था। उक्त साक्ष्य से यह साबित है कि वाहन जब चोरी हुआ था तब वह पाॅकिग मे खड़ा हुआ था ऐसी अप्रार्थीगण की कोई साक्ष्य नही है कि वक्त चोरी उक्त वाहन सड़क पर खड़ा था तथा वाहन का सचालन वक्त चोरी सड़क पर किया जा रहा हो अतः वाहन की फिटनेष को उस समय देखा जाएगा जब वाहन का संचालन बिना फिटनेस के सड़क पर किया जा रहा हो खड़े वाहन के लिए फिटनेस एक आवष्यक शर्ते नही है। तथा परिवादी ने अपने पत्र दिनांक 06.01.2015 मे अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचित किया कि फिटनेस नही होने के कारण गाड़ी को खड़ा किया था। अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की यह दलील कि दिनांक 27.12.2013 को उक्त वाहन में 9,276 रू का डीजल भरवाया गया था। इस कारण वाहन परिवादी ने बिना फिटनेस के चलाया लेकिन विद्वान अप्रार्थी अभिभाषक की इस दलील मे हम बल नही पाते क्योंकि वक्त वाहन चोरी वाहन पाॅकिग मे खड़ा था सडक पर उसका कोई संचालन नही था। स्वय परिवादी ने बताया है कि हमारी गाड़ी का डाªईवर दिनांक 19.12.2013 से 26.12.2013 तक छूटटी पर था वह दिनांक 27.12.2013 को डीजल टंकी फूल करके फिटनेष के लिये आरटीओ आॅफिस गाडी लेकर गया तब साहब छुटटी पर थे ओर गाडी को पुनः पाॅकिग मे खड़ा कर दिया ओर गाड़ी चोरी हो गयी। अतः केवल फिटनेष के लिये आरटीओ आॅफिस मे ले जाने की बात आई है। गाडी को अन्य किसी प्रयोग मे काम मे लिया हो ओर बिना फिटनेस के चलाया हो ऐसा प्रमाणित नही है।अतः हमारी राय मे खड़ी गाड़ी के लिये फिटनेस की आवष्यकता हो ऐसा नही है। गाड़ी के परिवहन के समय ही फिटनेस की आवष्यकता रहती है अतः फिटनेस नही होने के आधार पर जो 25 प्रतिषत राषि की कटौती अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा की गयी है वह किसी प्रकार से उचित नही है।
10. विद्वान अप्रार्थी अभिभाषक की यह भी दलील है कि परिवादी की गलती से वाहन चोरी हुई थी। क्योकि गाड़ी को बिना सुरक्षित जगह पर बिना देखभाल के गाड़ी को खड़ा किया गया था ओर वाहन की सुरक्षा की कोई सावधानी नही रखी थी। इस कारण परिवादी की स्वंय की लापरवाही के कारण उक्त वाहन चोरी हुआ है। अतः परिवादी कोई क्लैम प्राप्त करने का अधिकारी नही है। अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की इस दलील पर मनन किया गया इस सम्बंध मे परिवादी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य ड्राईवर तेजप्रकाष की साक्ष्य का अवलोकरन करे तो उसने अपनी साक्ष्य मे यह बताया है कि दिनांक 28.12.2014 को परिवादी दिनदयाल द्वारा मुझे कहा गया कि वाहन को जैन भवन पाॅकिग मे खड़ा करना है तो उसी दिन 8 बजे नगर पालिका की आॅथराईज्ड पाॅकिग मे खड़ा किया जिसमे दिन रात मे ओर भी वाहन खड़े रहते है। उक्त वाहन को अच्छी तरह से लाॅक किया गया तथा वाहन का दरवाजा बन्द किया गया था। परिवादी दिनदयाल ने अपनी साक्ष्य मे बताया है कि उक्त वाहन को ड्राईवर द्वारा पाॅकिग मे खड़ा किया गया था ओर दरवाजा अच्छी तरह से बन्द करके गाड़ी लाॅक करके ड्राईवर ने वाहन की चाॅबी उसको दे दी थी इस पर पुलिस ने भी नक्सा मौका बनाया है। जिसमे चोरी किये गये वाहन को पाॅकिग स्थल पर खड़ा होना बताया है तथा पाॅकिग के चारो तरफ दीवार खड़ी होना बताया गया है। बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने अपनी सर्वे रिपोर्ट दिनांक 25.05.2014 मे यह माना है कि जीमतम ूंे जीमजि व िजीम अमीपबसम ूीपसम पज ूंे चंतामक पद ं तमहनसंत चंतापदह ंतमंण् परिवादी द्वारा पाॅकिग स्थल पर अन्य रोजाना खड़े होने वाले वाहनो की भी फोटो पेष की गयी जिससे यह प्रकट है कि यह वाहनों को खड़ा करने का पाॅकिग स्थल है अतः परिवादी ने वाहन को खड़ा करने के लिये सुरक्षा के सभी उपाय किये गये नगर परिषद् की आॅथराइज्ड पाॅकिग मे वाहन को खड़ा किया गया तथा उसको लाॅक किया गया तथा सुरक्षा के सभी उपाय उसने किये अतः ऐसी स्थिति मे ड्राईवर की कोई लापरवाही नही थी। उक्त विवेचन से अप्रार्थी की इस दलील मे हम बल नही पाते है।
उपरोक्त समस्त साक्ष्य विवेचन से हम इस मत पर एक राय है कि उक्त वाहन बीमित अवधि मे चोरी हुआ तथा बीमा शर्तो का किसी प्रकार से उल्लघन नही है। परिवादी वाहन की बीमित राषि पाने का अधिकारी है। अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को बीमित राषि 10,50,000 रू का भुगतान न कर जो क्लैम खारिज किया गया है वो सेवा दोष की त्रुटी में आता है । फलतः बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
11. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 प्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है । जहां तक क्लेम की राषि का प्रष्न है परिवादी वाहन की बीमित राषि अप्रार्थीगण से प्र्राप्त करने का अधिकारी है। अतः परिवादी को चोरी हुए वाहन की क्षतिपूर्ति के रूप मे बीमित राषि 10,50,000 रू अखरे दस लाख पचास हजार रूपये दिलाया जाना न्यायोचित समझते है । उक्त राषि पर परिवादी परिवाद दायर करने की तिथि 23.04.2015 से 9 प्रतिषत वार्षिक दर से वसूली तक ब्याज पाने के हकदार है साथ ही परिवादी को मानसिक वेदना के लिए 5000/- रूपये अक्षरे रू. पाॅच हजार तथा परिवाद व्यय के 3000 रू अक्षरे रू तीन हजार मात्र दिलाया जाना उचित है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थीगण के विरूद्व स्वीकार किया जाकर अप्रार्थीगण को आदेषित किया जाता है कि वे आज से 2 माह के भीतर भीतर परिवादी को चोरी हुए वाहन की क्षतिपूर्ति पेटे बीमित मूल्य 10,50,000 रू. अक्षरे रू दस लाख पचास हजार, परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 23.04.2015 से उक्त राषि पर 9 प्रतिषत वार्षिक दर से वसूली तक ब्याज तथा मानसिक वेदना के 5000 रूपये अक्षरे रू पाॅच हजार मात्र व परिवाद व्यय के 3000 रू अक्षरे रू तीन हजार मात्र अदा करे ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 27.08.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।