मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 1193 सन 2009
योगेन्द्र पाल सिंह पुत्र श्री विजेन्द्र पाल सिंह निवासी गंगचौली, जिला महामायानगर ।
...................अपीलार्थी
-बनाम-
अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय हाथरस जिला महामायानगर ।
....................प्रत्यर्थी
समक्ष
मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता- श्री ओम प्रकाश दुवेल ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता – कोई नहीं ।
दिनांक - 23.11.2023
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग, हाथरस, जिला महामायानगर द्वारा परिवाद संख्या 68 सन 2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.04.2009 के विरुद योजित की गयी है।
संक्षेप में, वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी के बाबा श्री गेंदपाल सिंह के नाम विपक्षी से एक विद्युत नलकूल कनैक्शन संख्या.625/1340 7.50 हासर्पॉवर लिया गया था। परिवादी के बाबा ने अपने जीवनकाल में उपरोक्त नलकूल तथा भूमि की बसीयत परिवादी के हक में कर दी थी। परिवादी के बाबा का स्वर्गवास 1994 में हो गया था। परिवादी उक्त कनेक्शन का लाभार्थी उपभोक्ता हैं। परिवादी द्वारा विपक्षी से उक्त विद्युत का भार और बिल कम करने की भी प्रार्थना की गयी, लेकिन विपक्षी द्वारा परिवादी की भी समस्या का समाधान नहीं किया गया।
विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करके विभाग द्वारा सयोजन संख्या .625/1340 श्री गैंदपाल सिंह के नाम जारी किये जाने की बात कही गयी है। विपक्षी का कथन है कि दिनांक 30.09.1986 को श्री गैंदपाल सिंह की ओर से स्वीकृत भार 7.5 हा0पावर में से 2.5 हा0पॉवर लोड कम करने हेतु प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया था। तद्नुसार उक्त भार कम करने की स्वीकृति प्रदान की गयी थी। विभागीय नियमानुसार किसी भी उपभोक्ता द्वारा भार कम कराये जाने की दशा में भार में कमी करके विभाग को कनेक्टेड भार के अनुरूप बी०एण्ड एल० फार्म प्रस्तुत करना होता है, लेकिन श्री गैंदपाल सिंह की ओर से उक्त औपचारिकता पूर्ण न किये जाने की दशा में भार में कोई कमी नहीं की गयी थी। परिवादी द्वारा उत्तराधिकारी होने का कोई भी विधिक प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसलिए परिवादी विभाग का कोई भी वैधानिक उपभोक्ता नहीं है। उक्त कनेक्शन पर विभाग का रूपये 76,402.00 रू0 बकाया है। परिवादी कोई भी प्रतिकार पाने का अधिकारी नहीं है। परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त होने
विद्वान जिला आयोग ने यह अवधारित करते हुए कि स्वीकृत तौर पर उक्त कनेक्शन श्री गैंदपाल सिंह के नाम से 7.5 हा0पावर का था, जिनकी मृत्यु होना बताया जाता है और उनके द्वारा अपनी आराजी की बसीयत परिवादी के पक्ष में होना बताया जाता है। विपक्षी का इस सम्बन्ध में यह तर्क है कि परिवादी न तो उनका उपभोक्ता है और न ही मंच को इस वाद को सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। विपक्षी द्वारा अपने तर्क की पुष्टि में III(2005) CPJ 189 में दी गयी विधि व्यवस्था के अनुसार परिवादी का परिवाद खारिज कर दिया जिससे क्षुब्ध होकर अपील प्रस्तुत की गयी हैं।
मेरे द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों का परिशीलन किया तथा उपस्थित विद्धान अधिवक्ता अपीलार्थी के तर्को को सुना गया ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवकतागण की बहस सुनने के हमारे अभिमत से जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय सुसंगत साक्ष्यों पर आधारित है तथा जिला आयोग ने समस्त तथ्यों के सम्यक विश्लेषण के उपरांत प्रश्नगत निर्णय पारित किया है जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
परिणामत, प्रस्तुत अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त करते हुए जिला उपभोक्ता आयोग, हाथरस, जिला महामायानगर द्वारा परिवाद संख्या 68 सन 2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.04.2009 की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
सुबोल श्रीवास्तव
पी0ए0(कोर्ट नं0-1)