राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
परिवाद संख्या-200/2019
1. विनीता गुप्ता पत्नी श्री दीपक कुमार गुप्ता, निवासी सी-25, अरावली
मार्ग इंदिरा नगर, लखनऊ।
2. दीपक कुमार गुप्ता, निवासी सी-25, इंदिरा नगर, अरावली मार्ग,
लखनऊ। ......... परिवादीगण
बनाम्
ट्रीडेन्ट इन्फ्रा होम्स प्रा0लि0, कारपोरेट आफिस एच-58, सेक्टर 63
नोएडा-201301 द्वारा एम.डी ....... विपक्षी
समक्ष:-
1. मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
परिवादीगण की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा एवं नंद कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री मनोज कुमार एवं श्री हरीश निगम,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 22.07.2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के सम्मुख परिवादी द्वारा निम्न प्रार्थना पत्र के साथ योजित किया गया है:-
Most respectfully the complainants pray for the following reliefs:
- To direct the opposite party to refund the amount of Rs. 24,40,371/- along with 18% interest from the date of respective deposits of instalments to the date of actual payment.
- To direct the opposite party to make the payment of appropriate towards compensation for physical harassment and mental agony.
- To direct the respondent to pay Rs. 35,000/- for cost of the case.
- Any other relief which this Hon’ble Court deems fit and proper in the interest of justice.
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विपक्षी कंपनी की ओर से श्री मनोज कुमार एवं श्री हरीश निगम विद्वान अधिवक्ता द्वय उपस्थित हुए। परिवादी की ओर से श्री सुशील कुमार शर्मा एवं नंद कुमार विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हैं। विपक्षी द्वारा प्रस्तुत परिवाद का अतिरिक्त शपथपत्र पत्रावली पर उपलब्ध है। विपक्षी कंपनी के विद्वान अधिवक्ता द्वय द्वारा इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि परिवादी को विपक्षी कंपनी द्वारा प्रस्तावित के-1403 भूखंड संख्या जीएच-05बी, सेक्टर 1, ग्रेटर नोएडा एसेससिरीन में आवंटित किया गया था, तदनुसार पक्षकारों के मध्य एक एग्रीमेन्ट सम्पादित हुआ, जिसके अनुसार उपरोक्त फ्लैट आवंटित फ्लैट का कुल मूल्य रू. 2499000/- आंकलित किया गया था, जिसके विरूद्ध परिवादी द्वारा दि. 10.02.2015 तक विपक्षी को कुल धनराशि रू. 2440371/- पर प्राप्त कराई, जो कि वर्ष 2010 से जनवरी 2015 के मध्य प्राप्त कराई गई।
नियत समयावधि में उपरोक्त आवंटित फ्लैट का कब्जा विपक्षी कंपनी द्वारा निर्विवाद रूप से परिवादी को प्राप्त नहीं कराया जा सका, क्योंकि उपरोक्त फ्लैट का निर्माण नियत समयावधि अर्थात वर्ष 2014 तक पूर्ण नहीं किया जा सका, तदनुसार प्रस्तुत परिवाद इस न्यायालय के समक्ष ऊपर लिखित प्रार्थना पत्र के साथ परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया।
दौरान बहस उभय पक्ष के अधिवक्तागण को सुनने के उपरांत विपक्षी के अधिवक्ता द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख यह कथन किया गया कि प्रस्तुत परिवाद में जो तथ्य/बिन्दु निहित हैं, लगभग उसी तरह के बिन्दु पर मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा वादों को अंतिम रूप से निस्तारित किया गया है, जिसमें परिवादी/आवंटी द्वारा संपूर्ण जमा
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धनराशि पर जमा धनराशि की तिथि से देयता की तिथि तक 09 प्रतिशत ब्याज प्राप्त कराए जाने हेतु आदेशित किया है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि इस न्यायालय द्वारा अनेकों वादों में पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता/पक्षकारों की सहमति से जमा धनराशि पर ब्याज की देयता 10 प्रतिशत सुनिश्चित की गई है, अतएव प्रस्तुत परिवाद में भी विपक्षीगण को आदेशित किया जावे कि वे परिवादी को परिवादी द्वारा जमा की गई संपूर्ण धनराशि जमा की तिथि से देयता की तिथि तक 10 प्रतिशत ब्याज की गणना करते हुए प्राप्त कराया जाए, साथ ही विपक्षी को आदेशित किया जावे कि मानसिक, शारीरिक व आर्थिक कष्ट व परिवाद व्यय के मद में रू. 200000/- प्राप्त कराया जावे।
विपक्षी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वय द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के उपरोक्त कथन के उत्तर में इस तथ्य को नकारा नहीं जा सका कि इस न्यायालय द्वारा अनेकों वादों में धनराशि जमा की तिथि से देयता की तिथि तक 10 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की देयता आदेशित की गई है, जिसके अनुपालन में विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा गणना विवरण चार्ट प्रस्तुत करते हुए कुल जमा धनराशि पर ब्याज की देयता 10 प्रतिशत आंकलित करते हुए दि. 30.06.2022 तक धनराशि कुल रू. 4619844/- की गणना की है।
उपरोक्त गणना दि. 30.06.2022 तक की है, जिसे पुनर्गणना करते हुए विपक्षी कंपनी द्वारा परिवादी के द्वारा मूल जमा धनराशि व 10 प्रतिशत ब्याज की गणना दि. 05.08.2022 तक करते हुए देय धनराशि का डिमांड ड्राफ्ट दि. 08.08.2022 को कराया जावेगा।
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जहां तक हर्जाने की देयता का प्रश्न है समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता की सहमति से यह न्यायालय हर्जाने के रूप में विपक्षी कंपनी को आदेशित करती है कि वे परिवादी को समस्त हर्जाने के मद में एक लाख रूपये की धनराशि उपरोक्त डिमांड ड्राफ्ट में जोड़ते हुए प्राप्त कराए। उभय पक्ष के अधिवक्तागण की सहमति से प्रस्तुत परिवाद अंतिम रूप से निस्तारित किया जाता है।
यहां पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता के द्वारा प्रस्तुत परिवाद में जो न्यायालय की सहायता की गई है उस हेतु उन्हें साधुवाद किया जाता है। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार) अध्यक्ष सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-1