राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-825/2014
(जिला उपभोक्ता फोरम, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या-153/2001 में पारित निर्णय दिनांक 25.03.2014 के विरूद्ध)
कृष्ण कुमार गुप्ता पुत्र श्री रामकिशोर गुप्ता निवासी सदर
बाजार निकट मैजेस्टिक सिनेमा, शाहजहांपुर। ......अपीलार्थी@परिवादी
बनाम
टेलीकाम डिस्ट्रिक मैनेजर भारत संचार निगम लि0 शाहजहांपुर
एवं दो अन्य। .......प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 गुप्ता, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 11.04.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 153/01 कृष्ण कुमार बनाम दूरसंचार विभाग में पारित निर्णय व आदेश दि. 25.03.2014 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने टेलीफोन बिल का विवाद मानते हुए उपभोक्ता परिवाद को संधारणीय नहीं माना, तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।
2. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी द्वारा नियमित रूप से बिल का भुगतान किया गया। विपक्षी द्वारा रसीदें भी जारी की गईं। यदि उनके कंप्यूटर में दर्ज नहीं है तो इसका
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उत्तरदायित्व परिवादी पर नहीं है। प्रस्तुत केस में टेलीफोन का विवाद नहीं था, अपितु एक बार भुगतान किए जाने के बाद विपक्षी के रिकार्ड
में जमा न होने तथा परिवादी को जारी रसीदों के फर्जी होने के कथन के आधार पर उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया, अत: इस आधार पर परिवाद संधारणीय है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों के आलोक में इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के प्रावधानों का अवलोकन किया गया। इस अधिनियम की धारा 7(बी) के अनुसार टेलीग्राफ प्राधिकरण तथा टेलीफोन उपभोक्ता के मध्य विवाद उत्पन्न होने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा अपने निर्णय में इसी प्रकार का आदेश पारित किया गया है। यह विवाद चाहे बिल की राशि के संबंध में हो या अदा कर देने के पश्चात रसीद जारी करने के संबंध में हो या फर्जी रसीद जारी करने के संबंध में हो, परन्तु बिल की अदायगी के संबंध में सभी विवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आते, अत: जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश विधिसम्मत है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
3. अपील खारिज की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2