राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-35/2019
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय, आगरा द्वारा परिवाद संख्या 49/2013 में पारित आदेश दिनांक 05.12.2018 के विरूद्ध)
श्री राहुल कुमार शर्मा, पुत्र श्री यू0के0 शर्मा, निवासी-20, माल रोड, आगरा
........................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. मै0 टाटा मोटर्स मार्केटिंग एण्ड कस्टमर सपोर्ट, पैसेंजर कार बिजनेस यूनिट, आठवां तल, सेन्टर 4, वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर, कफे परेड, मुम्बई-400005 (महाराष्ट्र), द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर
2. मै0 श्री मोटर्स (ऑथराइज्ड सर्विस सेन्टर आफ टाटा मोटर्स), ग्वालियर रोड, इटोरा, पी0एस0 मालपुरा, जिला आगरा
...................प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विवेक गुप्ता,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 29.11.2022
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी श्री राहुल कुमार शर्मा द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, द्वितीय, आगरा द्वारा परिवाद संख्या-49/2013 श्री राहुल कुमार शर्मा बनाम मै0 टाटा मोटर्स व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.12.2018 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
प्रश्नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग ने उपरोक्त परिवाद निरस्त किया है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री विवेक गुप्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
-2-
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए एक कार टैक्सी के रूप में चलाने हेतु मैसर्स सियाराम मोटर्स से दिनांक 29.10.2009 को क्रय किया, जिसका पंजीकरण नं0 यू0पी080 बी0के0 9141 था। उक्त वाहन की गारण्टी/वारण्टी 02 वर्ष थी1 उक्त वाहन 08 माह चलाने के पश्चात् वाहन का फ्यूल इंजेक्शन पम्प जून 2010 में खराब हो गया। परिवादी द्वारा काफी प्रयत्न के बाद विपक्षी संख्या-2 द्वारा उसे रिप्लेस किया गया। तत्पश्चात् जुलाई 2010 में वाहन की बैटरी खराब हो गयी, जिसे विपक्षी संख्या-2 द्वारा मेसर्स एक्साइड इण्डस्ट्रीज लि0 से बनवाया। जुलाई 2010 में पुन: वाहन का इंजन फेल हो गया, जिसे विपक्षी संख्या-2 द्वारा रिकंडीशन्ड इंजन से रिप्लेस करा दिया। दिसम्बर 2010 में इंजन पुन: फेल हो गया क्योंकि रिप्लेस किया गया इंजन पुराना था। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-2 से इंजन को बदलने का आग्रह करने पर उसने इंजन की मरम्मत करा दी। जनवरी 2012 में रिकंडीशन्ड इंजन पूरी तरह से फेल हो गया, जो एक्सटेंडेड गारण्टी/वारण्टी के अन्दर था, इसलिए परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या-2 से इंजन को बदलने के लिए कहा, परन्तु विपक्षी संख्या-2 द्वारा इंजन बदलकर नहीं दिया गया तथा तब से उक्त वाहन विपक्षी संख्या-2 के पास खड़ा है। उक्त इंजन के निरीक्षण से यह स्पष्ट हुआ कि नया इंजन व रिकन्डीशन्ड इंजन दोनों में निर्माण सम्बन्धी दोष था। इसी कारण उसमें बार-बार कठिनाई आ रही थी।
परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण का यह उत्तरदायित्व था कि वह इंजन को बदलकर देते अथवा वाहन को बदलकर देते, जिस हेतु परिवादी द्वारा दिनांक 17.11.2012 को नोटिस दिया गया, जिसका गलत उत्तर विपक्षी संख्या-1 द्वारा दिनांक 07.01.2013 को दिया गया, जबकि परिवादी द्वारा समस्त प्रपत्र विपक्षी की मांग के अनुसार उसे भेज दिये थे। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा
-3-
विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विपक्षी संख्या-1 द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया तथा कथन किया कि विपक्षी संख्या-1 द्वारा अपने अधिकृत डीलर्स के पास वाहन को भेजने के पहले उसे कन्ट्रोल सिस्टम, गुणवत्ता की जांच तथा सड़क पर टेस्ट ड्राईव की कठिन परीक्षण के बाद भेजा जाता है। विपक्षी संख्या-1 के पास पूरे देश में उत्कृष्ट डीलर तथा अधिकृत सर्विस सेन्टर का नेटवर्क है तथा बेहतरीन वर्कशाप है, जिसमें योग्य, अनुभवी तथा प्रशिक्षित व्यक्ति काम करते हैं। परिवाद मिथ्या एवं बेबुनियाद तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है, जिसमें किसी प्रकार के निर्माण सम्बन्धी दोष अथवा सेवा में कमी की बात सिद्ध नहीं होती है।
विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि एक्सटेंडेड वारण्टी विपक्षी संख्या-1 द्वारा नहीं दी गयी, बल्कि यह ग्लोबल एडमिनिस्ट्रेशन सर्विसेज द्वारा दी गयी थी, परन्तु परिवादी द्वारा उसे पक्षकार नहीं बनाया गया, इसलिए परिवाद संधारणीय नहीं है। परिवादी द्वारा वाहन का प्रयोग टैक्सी के रूप में किया गया है, इसलिए व्यवसायिक प्रयोग के कारण फोरम को क्षेत्राधिकार नहीं है। परिवादी द्वारा स्वरोजगार का कोई कथन नहीं किया गया है।
विपक्षी संख्या-1 द्वारा वारण्टी की शर्त सं0 04 के सम्बन्ध में कथन किया गया कि वाहन के सभी पार्ट टाटा मोटर्स लि0 द्वारा नहीं बनाये जाते हैं, अन्य पार्ट अन्य मैन्यूफेक्चरर सप्लायर द्वारा सप्लाई किये जाते हैं, जिसके लिए सम्बन्धित निर्माता कम्पनी की जिम्मेदारी होती है, अत: यह लोग परिवाद में आवश्यक पक्षकार हैं।
विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि वाहन को दिनांक 13.10.2009 को परिवादी द्वारा क्रय किया गया तथा जनवरी 2013 में लगभग 38 माह पश्चात् परिवाद प्रस्तुत किया गया, जो परिसीमा से बाधित है।
-4-
विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि परिवादी द्वारा किसी प्रयोगशाला का कोई प्रमाण पत्र दाखिल नहीं किया गया तथा न ही कोई तकनीकी जांच करायी गयी। विशेषज्ञ साक्ष्य के अभाव में परिवाद संधारणीय नहीं है, अत: निरस्त होने योग्य है।
विपक्षी संख्या-2 द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया तथा कथन किया कि परिवादी द्वारा परिवाद गलत कथन के आधार पर प्रस्तुत किया गया। प्रश्नगत वाहन कई बार विपक्षी संख्या-2 के पास सर्विस के लिए आया, जिसे ठीक कर दिया गया तथा वाहन के पूर्णत: ठीक होने के पश्चात् भी सर्विस सेन्टर से परिवादी वाहन लेकर नहीं गया तथा नये वाहन हेतु अनुचित मांग करने लगा। परिवादी जब काफी समय तक वाहन लेने नहीं आया तब विपक्षी संख्या-2 द्वारा दिनांक 11.12.2012 को पंजीकृत डाक से पत्र परिवादी को अपने वाहन को ले जाने हेतु प्रेषित किया तथा वाहन न ले जाने पर 60/-रू0 प्रतिदिन गाड़ी के खड़े रहने का शुल्क की मांग की।
विपक्षी संख्या-2 का कथन है कि वाहन में कोई निर्माण सम्बन्धी दोष नहीं है। परिवादी द्वारा जानबूझकर बिना किसी उचित कारण के वाहन सर्विस सेन्टर से नहीं ले जाया गया। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त यह पाया गया कि परिवादी द्वारा अपने सम्पूर्ण परिवाद में अथवा शपथ पत्र में इस तथ्य का कोई उल्लेख नहीं किया कि प्रश्नगत वाहन कितने किलोमीटर चलने के बाद उसमें खराबियॉं आईं। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों का अवलोकन करने पर यह पाया गया कि दिनांक 04.05.2010 को जब वाहन की पेड सर्विस हुई तब तक वह 30,145 किलोमीटर तक चल चुका था, जो कि वाहन खरीदने के बाद लगभग साढ़े छह माह का समय है। इसके पश्चात् दिनांक 27.06.2010 को अर्थात् 01 माह 23 दिन
-5-
की अवधि में वाहन की माइलेज 35,144 किलोमीटर थी अर्थात् उक्त अवधि में वाहन 5,000 किलोमीटर चला। इसके पश्चात् दिनांक 13.12.2010 को वाहन की माइलेज 49,480 किलोमीटर थी। परिवाद पत्र के अनुसार दिसम्बर 2010 में इंजन फेल होने के बाद विपक्षी द्वारा इसे ठीक किया गया, जिसके बाद जनवरी 2012 तक उक्त वाहन सही प्रकार से चलता रहा तथा जनवरी 2012 में इसका रिकन्डीशन्ड इंजन कथित रूप से फेल हुआ अर्थात् दिसम्बर 2010 के बाद 13 माह वाहन ठीक प्रकार से चलता रहा। जनवरी 2012 में वाहन की माइलेज क्या थी, यह तथ्य परिवादी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख स्पष्ट नहीं किया गया, जिसे परिवादी द्वारा जानबूझकर छिपाया गया। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह पाया गया कि परिवादी द्वारा वाहन का प्रयोग असामान्य रूप से किया गया क्योंकि वह अपना वाहन टैक्सी के रूप में चलाता था। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवादी प्रश्नगत वाहन में कोई निर्माण सम्बन्धी दोष को सिद्ध करने में असफल रहा, अत: परिवाद निरस्त किया गया।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया, जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं हैं, न ही अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा पीठ के सम्मुख किसी प्रकार के साक्ष्य अथवा अपने कथन के समर्थन में कोई ऐसी बात अथवा तथ्य बताये जा सके, जिससे जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय में किसी प्रकार की कोई कमी अथवा त्रुटि दृष्टिगत होती हो, अतएव, प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
-6-
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1