Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/42/2014

Shri Khachedu Singh - Complainant(s)

Versus

TATA A.I.G Life Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)

03 Nov 2017

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/42/2014
 
1. Shri Khachedu Singh
R/o Village Yusufpur, Post Gajsthal, Distt. Amroaha
...........Complainant(s)
Versus
1. TATA A.I.G Life Insurance Company Ltd.
Parsavnath Plaza Delhi Road Thana Majhola Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. P.K Jain PRESIDENT
 HON'BLE MR. Satyaveer Singh MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 03 Nov 2017
Final Order / Judgement

                                                   परिवाद प्रस्‍तुतिकरण की तिथि : 07.03.2014

                                                   निर्णय का दिनांक: 03.11.2017

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-।।, मुरादाबाद।

 उपस्थित:-

  1. श्री पवन कुमार जैन             ....... ­­­­­अध्‍यक्ष।
  2. श्री सत्‍यवीर सिंह                 ...... सदस्‍य।

परिवाद संख्‍या- 42/2014

खचेडू सिंह पुत्र श्री टेक चन्‍द्र निवासी ग्राम युसुफपुर, पोस्‍ट गजस्‍थल जिला अमरोहा उ0प्र0।                           .......परिवादी।              

बनाम

  1. टाटा ए.आई.जी. लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0 पंजीकृत एवं  कारपोरेट आफिस डेलफी-बी विंग, दितीय तल, ओरचर्ड अवेन्‍यू,  हीरानन्‍दनी बिसनेस पार्क, पोवई, मुम्‍बई-400076 द्वारा उसके  अधिकृत प्राधिकारी।
  2. टाटा ए.आई.जी. लाइफ इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि., दिल्‍ली रोड, पार्श्‍वनाथ प्‍लाजा, थाना मझोला, तहसील व जिला मुरादाबाद द्वारा शाखा प्रबन्‍धक।                             .......विपक्षीगण।

निर्णय

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह उपशम मांगा है कि  उसे उसके पुत्र की मृत्‍यु के फलस्‍वरूप बीमित राशि 1,01,000/-रूपया 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में  50,000/-रूपया और परिवाद व्‍यय की मद में 10,000/- रूपया परिवादी  ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपने पुत्र  कुलदीप कुमार के नाम से एक बीमा पालिसी महा लाइफ गोल्‍ड प्‍लान  के नाम से दिनांक 26/9/2007 को विपक्षी सं0-2 से ली थी पालिसी सं0-100058376 है। पालिसी का प्रीमियम अर्द्धवार्षिक था पालिसी में परिवादी नोमिनी था। परिवादी का पुत्र नियमित रूप से पालिसी की किश्‍तें जमा करता रहा। माह अप्रैल, 2010 तक का प्रीमियम परिवादी ने  दिनांक 30/7/2010 को जमा  कर दिया। अक्‍टूबर, 2011 की किश्‍त जमा करने के लिए जब परिवादी का पुत्र विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में गया तो उसकी किश्‍त जमा नहीं की गई और उसे बताया गया कि उसकी दिनांक 30/7/2010 को जमा किश्‍त विपक्षीगण द्वारा स्‍वीकार नहीं की गई इसलिए आगे की किश्‍तें जमा नहीं की जा सकती। परिवादी के .अनुसार परिवादी के पुत्र को किश्‍तें अस्‍वीकार किऐ जाने के सम्‍बन्‍ध में बताया नहीं किया उसके द्वारा दिनांक 30/7/2010 को जो किश्‍त जमा की गई थी उसे भी वापिस नहीं किया गया। परिवादी के अनुसार जो भी किश्‍तें लैप्‍स हुई हैं वह विपक्षीगण के कारण हुई। दिनांक 12/8/2012 को अचानक परिवादी के पुत्र का देहान्‍त हो गया। परिवादी ने बतौर नामिनी विपक्षीगण के समक्ष क्‍लेम प्रस्‍तुत किया। सभी आवश्‍यक औपचारिकताऐं पूर्ण की, किन्‍तु पत्र दिनांकित 16/1/2013 द्वारा परिवादी का क्‍लेम अस्‍वीकृत कर दिया गया, कारण यह बताया गया कि पालिसी लैप्‍स हो चुकी है। परिवादी के अनुसार विपक्षीगण के उक्‍त कृत्‍य सेवा में कमी हैं, उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष स्‍वीकार किऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के समर्थन में परिवादी ने दिनांक 26/9/2007 को   विपक्षीगण के कार्यालय में जमा किऐ गऐ 4920/- रूपये की रसीद दिनांक 30-7-2010 को जमा किऐ गऐ 4950/- रूपया की रसीद तथा   परिवादी का क्‍लेम अस्‍वीकृत किऐ जाने विषयक विपक्षीगण के पत्र  दिनांकित 16/1/2013 की नकलों को दाखिल किया गया यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/5 लगायत 3/7 हैं।
  4.   विपक्षीगण की ओर से शपथ पत्र से समर्थित प्रतिवाद पत्र कागज  सं0-7/1 लगायत 7/10 दाखिल हुआ जिसमें प्रारम्भिक आ‍पत्तियों के  रूप में यह कहा गया कि परिवाद कथन असत्‍य, आधारहीन एवं  दुर्भावनापूर्ण हैं, परिवादी को कोई वाद हेतुक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ तथा  वह स्‍वच्‍छ हाथों से फोरम के समक्ष नहीं आया। अग्रेत्‍तर कहा गया   कि परिवादी के पुत्र ने पालिसी की शर्तों को सुन समझकर स्‍वेच्‍छा से  प्रश्‍नगत पालिसी ली थी। पालिसी का प्रीमियम अद्धवार्षिक था। दिनांक 4 अप्रैल, 2010 को देय प्रीमियम की रसीद का भुगतान ग्रेस पीरिएड में भी नहीं किया गया जिस कारण दिनांक 5/5/2010 को प्रश्‍नगत   पालिसी लैप्‍स हो गई। दिनांक 30/7/2010 को जब परिवादी के पुत्र  द्वारा प्रीमियम राशि का भुगतान करना बताया जाता है उस समय  तक पालिसी लैप्‍स हो चुकी थी और वह अस्तित्‍व में नहीं थी। विधि अनुसार पालिसी लैप्‍स हो जाने की दशा में पालिसी होल्‍डर द्वारा पालिसी लैप्‍स होने से पूर्व जमा की गई राशि का भुगतान करने के लिए  विपक्षीगण उत्‍तरदाई नहीं हैं। अग्रेत्‍तर यह भी कहा गया कि परिवादी  ने विपक्षीगण पर धोखाधड़ी करने के आरोप लगाऐ हैं ऐसी दशा में  फोरम के समक्ष परिवाद पोषणीय नहीं है क्‍योंकि फोरम के समक्ष  कार्यवाहियां समरी प्रकृति की होती हैं। वर्तमान मामले में विधि और   तथ्‍यों के गूढ़ प्रश्‍न अन्‍तरनिहित है अत: फोरम को परिवाद की सुनवाई  का क्षेत्राधिकार नहीं है। उक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को खारिज  किऐ जाने की प्रार्थना की।
  5.   प्रतिवाद पत्र के साथ बतौर संलग्‍नक पालिसी लेने हेतु मृतक  कुलदीप कुमार द्वारा भरे गऐ एप्‍लीकेशन फार्म, पालिसी की शर्तों, पालिसी लैप्‍स हो जाने सम्‍बन्‍धी अभिकथित रूप से मृतक को भेजी गई   सूचना दिनांक 5/5/2010, मृतक कुलदीप कुमार को उसके जीवनकाल   में माह अक्‍टूबर, 2010 को डयू होने वाली प्रीमियम राशि जमा करने  हेतु भेजे गऐ पत्र दिनांकित 5/3/2010 तथा बीमा दावा अस्‍वीकृत करने  सम्‍बन्‍धी परिवादी को भेजे गऐ पत्र दिनांक 16/1/2013 की नकलों को  बतौर संलग्‍नक दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0- 7/12 लगायत 7/40 हैं।
  6.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/3   दाखिल किया जिसके साथ उसने परिवाद के साथ दाखिल प्रपत्रों के  अतिरिक्‍त अपने पुत्र कुलदीप कुमार के डेथ सर्टिफिकेट और विपक्षीगण  को भेजे गऐ डेथ क्‍लेम की नकलों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया गया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-9/4 लगायत 9/9 हैं।
  7.   विपक्षीगण की ओर से उनके लीगल मैनेजर श्री राहुल धनौटिया  ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/4 दाखिल  किया।
  8.   किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  9.   हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना  और पत्रावली का अवलोकन किया।
  10.   पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी  ने अपने पुत्र स्‍व0 कुलदीप कुमार के नाम से उसके जीवनकाल में   दिनांक26/9/2007 को एक बीमा पालिसी ‘’ महा लाइफ गोल्‍ड प्‍लान ‘’ के नाम से ली थी। इस पालिसी की दिनांक 4 अप्रैल, 2010 को डयू हुई प्रीमियम निर्धारित तिथि पर जमा नहीं हुई दुर्भाग्‍य से दिनांक 12/8/2012 को कुलदीप कुमार की मृत्‍यु हो गई जिसका बीमा दावा बहैसियत नामिनी परिवादी ने विपक्षीगण के समक्ष प्रेषित किया। विपक्षीगण ने बीमा दावा अस्‍वीकृत कर दिया जिसकी सूचना उन्‍होंने परिवादी को रिप्‍यूडिऐशन लेटर दिनांकित16/1/2013 के माध्‍यम से   प्रेषित की। क्‍लेम अस्‍वीकृत करने का आधार यह लिया गया कि   पालिसी का प्रीमियम अदायगी की निर्धारित तिथि दिनांकित 4 अप्रैल, 2010 को बीमा कम्‍पनी को प्राप्‍त नहीं हुआ परिणामस्‍वरूप पालिसी लैप्‍स हो गई और बीमित की मृत्‍यु की तिथि पर चॅूंकि पालिसी अस्तित्‍व   में नहीं थी अत: उसके सापेक्ष बीमित धनराशि की अदायगी का कोई  उत्‍तरदायित्‍व बीमा कम्‍पनी पर नहीं बनता। रिप्‍यूडिऐशन लेटर की  नकल पत्रावली का कागज सं0-3/7 है।
  11.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उन्‍हें पालिसी लैप्‍स   होने की कोई सूचना विपक्षीगण ने नहीं दी। उनका यह भी कथन है  कि दिनांक 4 अप्रैल, 2010 को डयू हुऐ प्रीमियम की ब्‍याज सहित अदायगी दिनांक 30/7/2010 को परिवादी ने विपक्षीगण को कर दी थी। का ब्‍याज सहित विपक्षीगण को भुगतान किया। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता अग्रेत्‍तर तर्क है कि दिनांक 30/7/2010 का भुगतान विपक्षीगण ने स्‍वीकार कर लिया था और इसे कभी भी उन्‍होंने वापिस नहीं किया ऐसी दशा में विपक्षीगण का यह कथन स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है कि प्रश्‍नगत पालिसी का प्रीमियम निर्धारित तिथि अर्थात 4 अप्रैल, 2010  को  जमा  न  होने  की वजह से पालिसी दिनांक 5-5-2010 को लैप्‍स हो गई थी। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता के अनुसार अक्‍टूबर, 2011 की किश्‍त जमा करने के लिए  जब परिवादी का पुत्र विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में गया तो वहां उपस्थित कर्मचारियों ने परिवादी की किश्‍त जमा नहीं की अत: अग्रेत्‍तर प्रीमियम जमा होने में परिवादी का दोष नहीं है। उन्‍होंने परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत उक्‍त तर्कों के आधार पर रिप्‍यूडिऐशन लेटर दिनांक 16/1/2013 को विधि विरूद्ध बताते हुऐ परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  12.   विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया कि पालिसी का  प्रीमियम दिनांक 4 अप्रैल, 2010 को डयू था एक माह के ग्रेस पीरिएड  में भी जब पालिसी का प्रीमियम परिवादी की ओर से जमा नहीं हुआ   तो दिनांक 5-5-2010 को पालिसी लैप्‍स हो गई। परिवादी ने पालिसी  रिवाइव नहीं कराई ऐसी दशा में कुलदीप कुमार की मृत्‍यु की तिथि पर  जब पालिसी अस्तित्‍व में ही नहीं थी तो बीमित राशि अदा करने का  विपक्षीगण का कोई उत्‍तरदायित्‍व नहीं बनता। विपक्षीगण के विद्वान  अधिवक्‍ता ने पत्रावली में अवस्थित कागज सं0-7/34 लगायत 7/37 की  ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ यह भी कहा कि दिनांक 4 अप्रैल, 2010 को प्रीमियम डयू होने तथा प्रीमियम की अदायगी न किऐ जाने  की वजह से दिनांक 5-5-2010 को पालिसी लैप्‍स हो जाने की सूचना बीमित कुलदीप कुमार को डाक से भेजी गई थी ऐसी दशा में परिवादी  का यह कथन स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं है कि पालिसी लैप्‍स होने  की बीमित अथवा परिवादी को कोई सूचना विपक्षीगण को नहीं दी थी।   उन्‍होंने रिप्‍यूडिऐशन लेटर दिनांकित 16/1/2013 को विधि अनुकूल बताते हुऐ परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। हम   विपक्षीगण की ओर से प्रस्‍तुत तर्कों से सहमत नहीं हैं।
  13.   यह सही है कि प्रश्‍नगत पालिसी का प्रीमियम दिनांक 4 अप्रैल, 2010 को डयू था। यह प्रीमियम डयू डेट के पश्‍चात् एक माह के ग्रेस   पीरिएड में भी परिवादी की ओर से जमा नहीं किया गया परिणामस्‍वरूप   दिनांक 5-5-2010 को पालिसी लैप्‍स हो गई। पालिसी लैप्‍स होने की   सूचना विपक्षीगण द्वारा बीमित कुलदीप कुमार को पत्र कागज सं0-7/34 द्वारा भेजा जाना बताया गया यह पत्र दिनांक 5-5-2010 का  है। परिवादी की ओर से यधपि यह कहा गया है कि पालिसी लैप्‍स   होने की उसे कोई सूचना नहीं मिली, किन्‍तु पत्रावली में अवस्थित पत्र  कागज सं0-7/35 के अवलोकन से प्रकट है कि उसे यह सूचना डाक से भेजी गई थी और बीमित की ओर से चॅूंकि रसीद कागज सं0-3/6 के  माध्‍यम से दिनांक 3/7/2010 को ब्‍याज सहित प्रीमियम राशि  विपक्षीगण के कार्यालय में परिवादी की ओर से जमा की गई थी अत: यह माने जाने का कारण है कि परिवादी को पालिसी दिनांक 5-5-2010  को लैप्‍स हो जाने की जानकारी पत्र दिनांकित 5-5-2010 द्वारा मिल  गई थी।
  14.   विपक्षीगण की ओर से बीमित को अभिकथित रूप से भेजा गया  लैप्‍स नोटिस दिनांकित 5-5-2010 महत्‍वपूर्ण है। इस लैप्‍स नोटिस में  अन्‍य के अतिरिक्‍त निम्‍न उल्‍लेख है:-

    “ We write to inform you that since we have not received your outstanding premium all benefits under your policy stand forfeited. However, we would like to continue our relationship with you & urge you to reinstate your policy

     To reinstate your policy, please remit;

  • All outstanding premium + interest (as applicable)
  • Beyond 180 days after premium due date , kindly also provide us with a duly filled health certificate, in the format as specified by tata-AIG life. “      
  1.      इस लैप्‍स नोटिस में प्रीमियम की राशि 4816/- रूपया दर्शाई   गई है, इस पर 50/-रूपया सेवाकर भी देय था, इस प्रकार कुल राशि 4816/- रूपया + 50/- रूपया = 4866/- रूपया होती है। रसीद दिनांकित   30/7/2010 के माध्‍यम से बीमित की ओर से 4950/-रूपया जमा  किऐ  गऐ हैं। इस रसीद दिनांकित 30/7/2010 के माध्‍यम से 84/- रूपया की जो अधिक धनराशि बीमित ने विपक्षीगण को अदा की थी वह परिवादी से किस मद में विपक्षीगण द्वारा ली गई, यह विपक्षीगण ने स्‍पष्‍ट नहीं किया है। कदाचित 84/- रूपये की यह धनराशि देरी से  प्रीमियम जमा किऐ जाने के कारण प्रीमियम पर लगने वाले ब्‍याज की रही होगी। इस प्रकार जब दिनांक 30/7/2010 को बीमित की ओर से डयू डेट पर जमा न किऐ गऐ प्रीमियम की धनराशि ब्‍याज सहित विपक्षीगण के कार्यालय में जमा कर दी गई थी और उक्‍त राशि की कम्‍प्‍यूटरीकृत रसीद विपक्षीगण ने दिनांक 30/7/2010 को ही जारी कर दी थी तब लैप्‍स नोटिस में उल्लिखित शर्त जिसका उल्‍लेख हमने ऊपर किया है, के अनुसार प्रश्‍नगत पालिसी रिवाइव हो गई थी। यहां हम यह भी उल्‍लेख करना समीचीन समझते हैं कि दिनांक 30/7/2010 को विपक्षीगण ने जो 4950/-रूपये की धनराशि प्राप्‍त की थी उसे आज तक भी परिवादी को उन्‍होंने वापिस नहीं किया। यदि पालिसी दिनांक 5-5-2010 को लैप्‍स हो गई थी तो दिनांक 30/7/2010 को बीमित की ओर से जमा 4950/- रूपया की धनराशि विपक्षीगण को वापिस कर  देनी चाहिऐ थी जो उन्‍होंने वा‍पिस नहीं की। यह धनराशि विपक्षीगण द्वारा वापिस न किया जाना भी परिवादी पक्ष के इस कथन को बल प्रदान करता है कि कदाचित दिनांक 30/7/2010 को उसकी ओर से यह धनराशि जमा किऐ जाने पर पालिसी रिवाइव हो गई थी। उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में परिवादी के इस कथन में बल है कि माह अक्‍टूबर, 2011 में जब उसका पुत्र प्रीमियम की किश्‍त विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में जमा करने गया तो वहां उपस्थित कर्मचारियों ने पालिसी की किश्‍त जमा करने से इन्‍कार कर दिया था।
  2.   उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर  पहुँचे हैं कि प्रश्‍नगत पालिसी दिनांक 30/7/2010 को बीमित की ओर   से 4950/-रूपया विपक्षी सं0-2 के कार्यालय में जमा कर दिऐ जाने के  उपरान्‍त रिवाइव हो गई थी और जब पालिसी रिवाइब हो चुकी थी तो रिवाइवल के बाद की किश्‍तें जमा करने से विपक्षीगण को इन्‍कार नहीं करना चाहिए था। रिवाइवल के बाद किश्‍तें जमा न हो पाने में बीमित अथवा परिवादी की कोई गलती प्रकट नहीं है। रिप्‍यूडिऐशन लेटर दिनांक 16/1/2013 द्वारा परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकृत करके विपक्षीगण ने त्रुटि की है। दिनांक 30/7/2010 से कुलदीप कुमार की मृत्‍यु होने की तिथि तक की अवधि के दौरान पालिसी प्रीमियम की जो भी किश्‍तें  बीमित की ओर से जमा की जानी थी उस धनराशि को समायोजित करते हुऐ बीमा की अवशेष राशि ब्‍याज सहित परिवादी को विपक्षीगण से दिलाया जाना न्‍यायोचित दिखाई देता है। परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति की मद में विपक्षीगण से 5000/-(पाँच हजार रूपया) और परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त दिलाया जाना भी हम आवश्‍यक समझते हैं। तदानुसार  परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।
  3.  

  परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिनांक 30/7/2010 से 12/8/2012 तक की अवधि के मध्‍य प्रश्‍नगत पालिसी के सापेक्ष बीमित द्वारा देय प्रीमियम की राशि को समायोजित करते हुऐ परिवाद के पैरा सं0-2 में उल्लिखित पालिसी की अवशेष बीमा राशि की अदायगी हेतु यह परिवाद परिवादी पक्ष में विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। परिवादी विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति की मद में 5000/- (पाँच हजार रूपया) और परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) अतिरिक्‍त पाने का भी अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार समस्‍त धनराशि का भुगतान 2 माह में किया जाय।

 

 

                                                            (सत्‍यवीर सिंह)                          (पवन कुमार जैन)

                                                                    सदस्‍य                                 अध्‍यक्ष

          हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 03.11.2017 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

 

                                                          (सत्‍यवीर सिंह )                        (पवन कुमार जैन)

                                                                    सदस्‍य                                अध्‍यक्ष

                                                                                 दिनांक: 03-11-2017

 
 
[HON'BLE MR. P.K Jain]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Satyaveer Singh]
MEMBER

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