राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-742/2011
भगवन्त इंस्टीट्यूट आफ टैक्नोलाजी, भगवन्तपुरम जिला मुजफ्फरनगर,
हेड आफिस 50, आवास विकास बिजनौर यू0पी0 द्वारा चेयरमैन/रजिस्ट्रार।
.....अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
तरूण कुमार पुत्र श्री मनोज कुमार शर्मा निवासी नुरपुर रोड एचटीएयूपी
तहसील धामपुर जिला बिजनौर। .......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री नितिन खन्ना, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 02.12.2021
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 25/10 तरूण कुमार शर्मा बनाम चेयरमैन/रजिस्ट्रार भगवन्त इंस्टीट्यूट आफ टैक्नालाजी में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 27.01.2011 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया परिवाद स्वीकार करते हुए परिवादी द्वारा जमा की गई अंकन रू. 20000/- वापस करने का आदेश दिया गया है।
2. परिवाद के तथ्य के अनुसार बी.टैक(ई0सी0) प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिए अंकन रू. 20000/- दि. 26.06.09 को विपक्षी के कार्यालय में जमा कराए। इस मध्य परिवादी को अन्य प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश मिल गया, जिसकी सूचना विपक्षी को दे दी गई और रूपये की मांग की गई, परन्तु परिवादी द्वारा जमा धन वापस नहीं किया गया। तदनुसार जमा धन वापस करने का आदेश दिया गया।
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3. इस निर्णय व आदेश के विरूद्ध इन आधारों पर अपील प्रस्तुत की गई है कि दाखिला लेते समय ही परिवादी द्वारा यह लिखकर दिया था कि एक बार जमा की गई फीस वापस या समायोजित नहीं होगी, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा जमा फीस वापस करने का आदेश देकर त्रुटि कारित की है।
4. जिला उपभोक्ता मंच ने अपने निर्णय में नजीर कौमेड के बनाम श्रीमती नागमनि 2009(2) सीपीआर पेज 380 का उल्लेख किया है, जिसमें निष्कर्ष दिया गया है कि जब कोई विद्यार्थी एक भी क्लास में शामिल हुए बिना दूसरे विद्यालय में दाखिला प्राप्त कर लेता है तब कालेज का कोई नुकसान नहीं होता क्योंकि वह उस सीट को दूसरे अन्य व्यक्ति को प्रदान कर सकते हैं। जब्ती की अवधि को सेवा में कमी माना गया, तदनुसार जमा फीस वापस करने का आदेश दिया गया।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा नजीर पी.टी. कोसे एवं अन्य बनाम एलेन चैरिटेबल ट्रस्ट एवं अन्य 2012(3) सीपीसी सुप्रीम कोर्ट प्रस्तुत की गई है, जिसमें व्यवस्था दी गई है कि दाखिला फीस एक स्ट्रेचुरी फंक्शन है जो सेवा की श्रेणी में नहीं आती और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत परिवाद संधारणीय नहीं है।
6. उपरोक्त वर्णित नजीर में भी फीस वापस लौटाने के बिन्दु पर ही निष्कर्ष दिया गया है। प्रस्तुत केस में भी फीस से संबंधित व्यवस्था को ही प्रस्तुत किया गया है और चूंकि अपीलार्थी की ओर से प्रस्तुत नजीर मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्था है जो मा0 एनसीडीआरसी की व्यवस्था पर प्रभावी होगी और मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए मानी जा सकती है। दाखिले के लिए
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विद्यालय में जमा फीस से संबंधित परिवाद जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष संधारणीय नहीं है। यद्यपि परिवादी इस फीस को प्राप्त करने के लिए सक्षम न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करने के लिए अधिकृत रहेगा। तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस आधार पर अपास्त किया जाता है, परिवाद संधारणीय नहीं है, तदनुसार परिवाद खारिज किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (विकास सक्सेना) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2