राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 2141 सन 2010
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 199 सन 2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.09.2010 के विरूद्ध)
श्याम यो-बाइक्स, शाहमीना रोड, अपोजिट साइण्टिफिक कान्वेंशन सेण्टर, चौक, लखनऊ ।
.............अपीलार्थी
बनाम
ताबिस बाबू पुत्रश्री मनी उल्लाह निवासी सी-17/3, आरडीएसओ कालोनी, मानकनगर, लखनऊ ।
.................प्रत्यर्थी
समक्ष:-
1 मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री संजय कुमार , सदस्य।
विद्वान अधिवक्ता अपीलार्थी : कोई नहीं ।
विद्वान अधिवक्ता प्रत्यर्थी : कोई नहीं ।
दिनांक: 09.10.2014
माननीय श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या 199 सन 2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.09.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है जिसके द्वारा जिला फोरम ने परिवादी के परिवाद को स्वीकार करते हुए विपक्षी को यह आदेश दिया है कि वह 30 दिन के भीतर परिवादी की स्मार्ट स्कूटी वाइक को पूर्ण रूप से ठीक करके चालू हालत में परिवादी को दे साथ ही साथ मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु 3000.00 रू0 प्रतिकर एवं 2000.00 रू0 वाद व्यय भी अदा करने का निर्देश दिया है।
संक्षेप में, इस प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी ताविश बाबू ने विपक्षी शिवम् यो-वाइक्स के यहां से दिनांक 07.11.07 को एक यो-वाइक स्मार्ट स्कूटी क्रय की थी। वाहन का मूल्य 30,000.00 रू0 था जिसमें से 26000.00 रू0 भुगतान किया गया था । परिवादी द्वारा 4000.00 रू0 का भुगतान बाद में किया गया किन्तु वाहन में जो त्रुटियां थी उसे दूर करके विपक्षी द्वारा वाहन की डिलीवरी नहीं दी गयी। जिला फोरम के समक्ष विपक्षी द्वारा यह दलील ली गयी है कि परिवादी 4000.00 रू0 की धनराशि नहीं देना चाहता था और गाड़ी में कोई खराबी न होते हुए भी उसकी डिलीवरी न लेते हुए नया वाहन मांग रहा था, इसी कारण झूंठा परिवाद दाखिल किया है। जिला फोरम ने समस्त तथ्यों को विवेचित करते हुए परिवाद को स्वीकार किया जिससे विक्षुब्ध होकर यह अपील संस्थित की गयी है। अपील के आधारों में भी मुख्यत: यही आधार लिया गया है कि परिवादी 4000.00 रू0 अदा नहीं करना चाहता था इसीलिए झूंठा परिवाद दाखिल किया है।
अपील के स्तर पर बहस हेतु कोई भी पक्ष उपस्थित नहीं हुआ। हमने स्वत: अभिलेख्ा का अनुशीलन किया। अभिलेख के अनुशीलन से स्पष्ट है कि प्रस्तुत प्रकरण में निर्णय दिनांक 27.9.2010 को दिया गया है जिसकी सत्यापित प्रतिलिपि 13.10.10 को अपीलार्थी द्वारा ली गयी है। अपीलार्थी ने यह अपील अत्यंत विलम्ब से दिनांक 23.12.2010 को दाखिल की है। अपीलार्थी द्वारा विलम्ब क्षमा आवेदन दिया गया है, उसमें यह आधार लिया गया है कि चूंकि अपीलार्थी के वकील बीमार थे, अत: अपील समय पर दाखिल नहीं की जा की। आवेदन के साथ जो शपथपत्र दिया गया है उसमें एडवोकेट शब्द बाद में बढ़ाया गया है। अपीलार्थी के आवेदन एवं शपथपत्र से यह स्पष्ट नहीं होता कि उक्त शपथपत्र में किस अधिवक्ता की बीमारी का जिक्र किया गया है और कब से कब तक वह बीमार रहे। संबंधित अधिवक्ता द्वारा भी इस संबंध में न तो प्रमाण दाखिल किया गया है ओर न ही किसी अन्य प्रकार का अभिकथन किया गया है, अत: हमारे विचार से विलम्ब क्षमा किए जाने का कोई आधार नहीं है और यह अपील विलम्ब से दाखिल करने के कारण कालबाधित है एवं इस आधार पर ही अस्वीकार किए जाने योग्य है।
जहां तक प्रकरण के गुण-दोष का प्रश्न है, जिला फोरम ने परिवादी द्वारा क्रय की गयी स्मार्ट स्कूटी वाइक को पूर्ण रूप से ठीक करके चालू हालत में परिवादी को देने का निर्देश दिया है। साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि स्कूटी का पूर्ण मूल्य शिवम् यो-वाइक्स को अदा किया जा चुका है। स्कूटी 07.11.2007 को खरीदी गयी थी, जिला फोरम द्वारा निर्णय 27.9.2010 को दिया गया है, इस प्रकार लगभग 3 वर्षो तक स्कूटी दुकान में ही रही है, ऐसी स्थिति में जिला फोरम द्वारा 3000.00 रू0 क्षतिपूर्ति स्वीकार किया जाना भी उचित प्रतीत होता है। यह भी उल्लेखनीय है कि अभिलेख पर किसी विशेषज्ञ का साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिससे यह स्पष्ट हो कि कि स्कूटी में किसी प्रकार की निर्माणात्मक त्रुटि है और न ही इस संबंध में किसी विशेषज्ञ का साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है, ऐसी स्थिति में इस स्कूटी, जिसका मूल्य अदा किया जा चुका है, उसकी डिलीवरी के संबंध में निर्देश दिया जाना न्यायोचित है। इस प्रकार गुण-दोष के आधार पर भी हम इस अपील में कोई बल नहीं पाते है।
उपर्युक्त कारणों से प्रस्तुत अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील तदनुसार निरस्त करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम लखनऊ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.9.2010 सम्पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (संजय कुमार)
पीठा0 सदस्य (न्यायिक) सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA-2)