राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2551/2014
(जिला उपभोक्ता फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या-157/2009 में पारित निर्णय दिनांक 13.10.2014 के विरूद्ध)
टाटा मोटर्स लि0 26 फ्लोर, सेनटर 1,वर्ड ट्रेड सेन्टर कफे परेड, मुम्बई
400005 देवा रोड चिनहट लखनऊ द्वारा मैनेजर। ....अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
1.सुमन सिंह पत्नी श्री आर.ए.सिंह, सी-26/10 बी-1 रामकटोरा जगतगंज,
वाराणसी-22114
2.पुनीत आटोमोबाइल्स जी.टी.रोड मरहिया पड़ाव, वाराणसी।
......प्रत्यर्थीगण/परिवादिनी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चडढा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित : श्री अतुल कीर्ति, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0 2 की ओर से उपस्थित: मिस अनीता तिवारी, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक 12.01.2014
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 157/2009 सुमन सिंह बनाम टाटा मोटर्स लि0 व एक अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 13.10.2014 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। परिवाद स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को निर्देशित किया गया है कि परिवादिनी को रू. 353522/- बीमा राशि अदा की जाए। मानसिक, शारीरिक प्रताड़ना के मद में रू. 5000/- एवं दावा खर्च के लिए रू. 2000/- अदा करने का आदेश दिया गया है।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादिनी द्वारा वाणिज्यिक उद्देश्य से वाहन क्रय किया गया और त्रूटिपूर्ण वाहन परिवादिनी को दे दिया गया, परन्तु विपक्षी
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बराबर चार्ज बढ़ाते रहे और एकाउन्ट भी उड़ाते रहे। दि. 24.10.08 को लीगल नोटिस दिया गया, इसके बाद किश्त देना बंद कर दिया गया, क्योंकि वाहन चल नहीं रहा था और आमदनी नहीं हो रही थी। विपक्षी द्वारा गाड़ी को भी घर से उठा लिया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. लिखित कथन में उल्लेख किया गया है कि परिवादिनी ने फाइनेन्स का पूरा रूपया जमा नहीं किया। वाहन में कमी नहीं बताई गई। वाहन खराब होने की तिथि का भी उल्लेख नहीं किया गया था। व्यावसायिक उद्देश्य के लिए वाहन क्रय किया गया, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच को सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। वाहन 10000 किलोमीटर तक चला है, इसलिए वाहन में कोई कमी नहीं है, दावा खारिज होने योग्य है।
4. जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि अपनी जीविकोपार्जन के लिए वाहन क्रय किया गया है, इसलिए परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में आती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह भी निष्कर्ष दिया गया कि गाड़ी में आंतरिक खराबी थी, जिसे परिवादिनी द्वारा लगातार ठीक करवाया जाता रहा और अंत में वाहन को विपक्षीगण द्वारा कब्जे में ले लिया गया। तदनुसार उपरोक्त वर्णित आदेश पारित किया गया।
5. इस निर्णय व आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय विधि विरूद्ध है। वाहन में कमी से संबंधित कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। परिवादिनी द्वारा लोन का भुगतान नहीं किया गया। परिवादिनी द्वारा रू. 779845.34 पैसे देय हैं। जिला उपभोक्ता मंच ने बगैर किसी साक्ष्य के केवल परिवाद में वर्णित तथ्यों पर विश्वास करते हुए निर्णय पारित किया है, जो अपास्त होने योग्य है। व्हीकिल में शर्त के संबंध में कोई विशेषज्ञ
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साक्ष्य प्राप्त नहीं की गई। वाणिज्यिक वाहन क्रय करने के कारण जिला उपभोक्ता मंच को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय अपास्त होने योग्य है।
6. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. सर्वप्रथम इस बिन्दु पर विचार किया जाता है कि प्रश्नगत वाहन वाणिज्य उद्देश्य के लिए क्रय किया गया और तदनुसार जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष परिवाद संधारणीय नहीं है। परिवाद पत्र में विपक्षीगण से वाहन क्रय करने का उल्लेख है, ऋण प्राप्त करने का उल्लेख है, अप्रैल 2006 से फरवरी 2010 तक किश्तों में ऋण की अदायगी का उल्लेख है, परन्तु यह उल्लेख नहीं है कि यह वाहन जीविकोपार्जन के लिए क्रय किया गया। पैरा नं0 16 में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि प्रश्नगत वाहन वाणिज्यिक वाहन है जो आमदनी करने की स्थिति में नहीं रहा और चूंकि वाहन से आमदनी नहीं हो रही है, इसलिए परिवादिनी किश्त देने के लिए अधिकृत नहीं है, अत: स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए क्रय किया गया है। यदि यह वाहन अपने जीविकोपार्जन के लिए क्रय किया जाता तब परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में आती, परन्तु जीविकोपार्जन के लिए क्रय करने का कोई उल्लेख परिवाद पत्र में नहीं है। इसके विपरीत पैरा नं0 16 में वाणिज्यिक वाहन होने का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। चूंकि स्वयं परिवादिनी ने परिवाद पत्र में जीविकोपार्जन के लिए इस वाहन को चलाने का कोई कथन नहीं किया, इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि अपने जीविकोपार्जन के लिए कामार्शियल वाहन क्रय
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किया गया है, अत: इस बिन्दु पर जिला उपभोक्ता मंच द्वारा दिया गया निष्कर्ष तथ्य एवं विधि के विरूद्ध है।
8. चूंकि परिवादिनी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती, अत: जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करने का वैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है, अत: यह परिवाद संधारणीय नहीं है, जिला उपभोक्ता मंच ने क्षेत्राधिकार विहीन परिवाद पर निर्णय पारित किया है, जो अपास्त होने योगय है। तदनुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
9. अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त किया जाता है। प्रश्नगत वाहन वाणिज्यिक होने के कारण परिवाद संधारणीय नहीं है, अत: परिवाद खारिज किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3