राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
पुनरीक्षण संख्या-80/2017
(जिला उपभोक्ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-297/2011 में पारित आदेश दिनांक 17.3.2017 के विरूद्ध)
1- M/s Hero Honda Motors (Now M/s Hero Motorcorp since July 2011) Vasant Lok Vasant Vihar New Delhi-110057
2- M/s Tirupati Motors 7/17/2- Tilak Nagar, Kanpur.
.................Revisionists/Opp. Parties
Versus
Sujit Kumar Rajput, S/o Sri Ram Pal Rajput, R/o House No.69, Daheli Sujanpur, Saigawan Kanpur.
.............. Respondent/Complainant
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री आर0एन0 सिंह
विपक्षी की ओर से उपस्थित : श्री ए0के0 श्रीवास्तव
दिनांक:- 14.9.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-297/2011 सुजीत कुमार राजपूत बनाम मेसर्स हीरो होण्डा मोटर्स लिमिटेड आदि में पारित आदेश दिनांक 17.3.2017 के द्वारा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर ने परिवाद में परिवादी द्वारा प्रस्तुत संशोधन प्रार्थना पत्र 200.00 रू0 हर्जे पर स्वीकार किया है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी ने यह पुनरीक्षण याचिका प्रस्तुत धारा-17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री आर0एन0 सिंह तथा विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री ए0के0 श्रीवास्तव उपस्थित आए।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
आक्षेपित आदेश के द्वारा जो संशोधन प्रार्थना पत्र जिला फोरम ने स्वीकार किया है, वह इस पुनरीक्षण पत्रावली का संलग्नक-4 है। इस संशोधन के द्वारा परिवाद में परिवादी ने धारा-13 के अन्त में निम्न संशोधन चाहा है:-
“That during the pendency of the petition and passage of time of more than 2 years, the Complainant, since was facing acute hardslip of Conveyance and his work was suffering a lot, he ultimately got the said defective vehicle repaired from the market paying the cost of repairs there of by himself and got its problems cured and the same is now being used by him. Hence, the complainant now does not want to press Relief (A) and wants the same to be deleted.”
उक्त संशोधन के आधार पर मूल परिवाद पत्र में याचित अनुतोष ‘ए’ को निरशित कर दिया है। परिवादी याचित अनुतोष को परिवाद में अंतिम निर्णय पारित किए जाने के पूर्व किसी भी स्तर पर त्याग सकता है अथवा उसे छोड़ सकता है। परिवाद पत्र की धारा-13 में जो संशोधन चाहा गया है, उसमें परिवादी ने यह सुस्पष्ट अंकित किया है कि रिपेयरिंग के पश्चात अब मोटर साइकिल उसके द्वारा प्रयोग की जा रही है अत: वह मोटर साइकिल के त्रुटि निवारण अथवा उसके बदलने के सम्बन्ध में जो अनुतोष ‘ए’ मॉगा है उसे निरशित किया जाता है। परिवादी द्वारा याचित संशोधन कदापि परिवाद पत्र के मूल कथन के विपरीत अथवा विरोधाभाषी नहीं है और न ही उसके द्वारा प्रस्तावित इस संशोधन का कोई प्रतिकूल प्रभाव विपक्षी पर पड़ सकता है। परिवादी प्रस्तावित
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संशोधन के बाद शेष याचित अनुतोष पाने का अधिकारी है या नहीं इस सम्बन्ध में उभय पक्ष को सुनने के पश्चात ही जिला फोरम निर्णय पारित कर सकता है।
सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो आक्षेपित आदेश के द्वारा संशोधन प्रार्थना पत्र स्वीकार किया है, उसमें हस्ताक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है, परन्तु जिला फोरम ने जो संशोधन स्वीकार किया है, उसके संदर्भ में पुनरीक्षणकर्ता/विपक्षी को अतिरिक्त कथन प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना और तदोपरांत उभय पक्ष को इस संदर्भ में अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना न्याय और विधि की दृष्टि से आवश्यक है। अत: वर्तमान पुनरीक्षण याचिका जिला फोरम को इस निर्देश के साथ निरस्त की जाती है कि जिला फोरम प्रस्तावित संशोधन के संदर्भ में पुनरीक्षकर्ता विपक्षी को अपना अतिरिक्त लिखित प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करेगा और उभय पक्ष को संशोधन के सम्बन्ध में साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर विधि के अनुसार प्रदान करेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1