राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
पुनरीक्षण संख्या-166/1999
1.विशम्भर सिंह-अध्यक्ष
2.कमला प्रसाद-सचिव
केन यूनियन, हाटा जिला कुशीनगर। ........पुनरीक्षणकर्ता
बनाम्
1.रमेश प्रताप सिंह पुत्र हरिबंश सिंह सा. रामपुर सोहरौना तहसील हाटा
जिला कुशीनगर।
2. अध्यक्ष सुगर फैक्ट्री-सरदार नगर जिला गोरखपुर द्वारा एस0के0गुप्ता।
........प्रत्यर्थी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित :श्री आर0के0 गुप्ता, विद्वान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 22.07.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण जिला उपभोक्ता फोरम कुशीनगर द्वारा इजराय केस संख्या 109/99 में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 19.10.99 के विरूद्ध पेश किया गया है। जिला मंच द्वारा अपने निर्णय में विपक्षीगण/अपीलार्थीगण को एक-एक सौ रूपये जुर्माने का आदेश किया गया।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता श्री आर0के0 गुप्ता उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पुनरीक्षणकर्ता की बहस को सुना गया। पुनरीक्षणकर्ता के अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि उनको कारावास की सजा देने के लिए उनको सुनने का मौका नहीं दिया गया।
इस आयोग ने (2013) CPJ 46 (U P) लखनऊ गाजियाबाद डेव्लपमेंट अथारिटी बनाम श्रीपाल दीक्षित में यह निर्णय दिया है कि:-
Consumer Protection Act, 1986 – Section 27- Criminal Procedure Code,1973—Section 190—Summary Trial—Procedure when convicted—Consumer Fora first of all have to take cognizance of offence against person who have committed offence under section 27 of CP Act, as per provisions of Section 190, Cr. P.C. being empowered as Judicial Magistrate under Section 27 (2) C.P. Act—Presence of the person who may be called accused shall be procured before Consumer Fora thereby invoking provision of
-2-
Chapter VI, Cr.P.C. pertaining to processes to compel appearance if required – District Forum not complied with provisions of section 27, Consumer Protection Act correctly nor provided to be applied to convict any defaulter under Consumer Protectiion Act committing offence wherein all offences under Consumer Protection Act have to be tried summarily by Disst. Forum-Conviction Set aside.
इस संबंध में भी जिला मंच ने विहित प्रक्रिया को नहीं अपनाया है।
केस तथ्य एवं परिस्थिति के आधार पर हम यह पाते हैं कि इस केस में सजा देने से पहले सुनने का मौका नहीं दिया गया है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि. 29.10.1999 निरस्त किए जाने योग्य है और पुनरीक्षण स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
पुनरीक्षणकर्ता की पुनरीक्षण स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा इजराय वाद संख्या 109/99 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 29.10.99 निरस्त किया जाता है।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता) पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5