न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 81 सन् 2010ई0
डा0 ओमप्रकाश लाल पुत्र श्री शिवप्रकाश लाल निवासी म0न0 डी.59/73-ए महमूरगंज वाराणसी।
...........परिवादी बनाम
1- स्टेशन मास्टर मुगलसराय रेलवे स्टेशन मुगलसराय जिला चन्दौली।
2- रेलवे बोर्ड रेल भवन नई दिल्ली बजरिये चेयरमैन।
3-चीफ कामर्शियल मैनेजर बडोदरा हाउस नई दिल्ली।
4-सीनियर डिवीजन कामर्शियल मैनेजर उत्तर रेलवे इलाहाबाद मण्डल इलाहाबाद।
5-श्री वी.डी. गौतम टी0टी0ई0 आन ड्यूटी कोच नं0 बी-2 ए.सी. थर्ड टीयर पूर्वा एक्सप्रेस ट्रेन नं0 2381 आन 12/13-4-09
6-श्री पंचानन मल्लिक कोच अटेन्डेन्ट आन ड्यूटी कोच नं0 बी-2 ए.सी.थर्ड टीयर पूर्वा एक्सप्रेस ट्रेन नं0 2381 आन 12/13-4-09
7-श्री जमील अहमद टी.टी.ई.आन ड्यूटी फ्राम टुण्डला अनवर्डस कोच नं0 बी-2 ए.सी. थर्ड टीयर पूर्वा एक्सप्रेस ट्रेन नं0 2381 आन 13-4-09
.............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीया श्रीमती मुन्नी देवी मौर्या सदस्या
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1- परिवादी डा0 ओमप्रकाश लाल ने यह परिवाद रेल यात्रा के दौरान हुई असुविधा के फलस्वरूप शारीरिक,मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति कुल मु0 3,05000/- दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2- परिवाद में संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी वाराणसी तथा अन्य स्थानों में प्रतिष्ठित डाक्टर है। परिवादी दिनांक 12-4-09 को आरक्षित टिकट नं0 26237450 पी.एन.आर. नं. 612-62-98224 डेहरी आनसोन से मुगलसराय स्टेशन होते हुए टुण्डला के लिए गाडी संख्या 2381,कोच नं0 बी.-2 बर्थ नं. 64 ए.सी. थर्ड टायर पूर्वा एक्सप्रेस से यात्रा प्रारम्भ किया। परिवादी के निर्धारित कार्यक्रम के तहत दिनांक 13-4-09 को रात्रि 3 बजकर 35 मिनट पर टुण्डला जक्शन पर पहुंचना था जहाॅं से उसे अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आगरा जाकर अल्ट्रासाउण्ड ट्रेनिंग में सम्मिलित होना था। उपरोक्त कोच में टी.टी.ई. आन ड्यूटी श्री वी0डी0 गौतम तथा कोच अटेन्डेन्ट श्री पंचानन मल्लिक उपस्थित रहे। परिवादी ने टी.टी.ई. एवं कोच अटेन्डेन्ट को स्पष्ट रूप से हिदायत दिया था कि समय करीब 3.35 बजे जब गाडी टुण्डला जक्शन पर पहुंचे तो अवश्य जगा दें, लेकिन परिवादी के हिदायत देने के बावजूद कोच अटेन्डेन्ट पंचानन मल्लिक एवं टी.
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टी.ई. आन ड्यूटी जमील अहमद ने परिवादी को टुण्डला स्टेशन पर नहीं जगाया जिससे उन लोगों ने विभागीय नियमों का उल्लंघन किया। परिवादी की जब यात्रा के दौरान नीद खुली तो वह अपने को अलीगढ़ के पास पाया जैसा कि उसे बताया गया, और परिवादी नई दिल्ली स्टेशन पर पहुंच गया जिससे दिनांक 13-4-09 को आगरा में निर्धारित अल्ट्रासाउण्ड ट्रेनिंग में उपस्थित नहीं हो सका। परिवादी ने नई दिल्ली स्टेशन पर पहुंचकर दिनांक 13-4-09 को रेलवे बोर्ड के समक्ष शिकायती प्रार्थना पत्र दिया। रेलवे बोर्ड द्वारा परिवादी को आश्वासन देने के बावजूद विपक्षी संख्या 5 व 6 के विरूद्ध किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गयी। इस आधार पर परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्तुत करते हुए विपक्षीगण से उपरोक्त क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रार्थना किया है।
3- विपक्षीगण द्वारा जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी ने उपरोक्त परिवाद झूठे कथनों के आधार पर दाखिल किया है जो निरस्त किये जाने योग्य है। परिवादी ने टुण्डला जाने के लिए गया स्टेशन से गाडी संख्या 2381 अप पूर्वा एक्सप्रेस में बी-2 बर्थ संख्या 64 अपने नाम से टुण्डला के लिए आरक्षित कराया था। उनकी यात्रा सकुशल सम्पन्न हुई। टुण्डला पहुंचने के 20 मिनट पूर्व ही मुगलसराय से टुण्डला तक ड्यूटीरत उप मुख्य टिकट निरीक्षक श्री बी.डी. गौतम कोच संख्या बी-1 बी-2,बी-3 में यात्रा कर रहे परिवादी सहित सभी यात्रियों को उतरने हेतु जगाया था। परिवादी को छोडकर शेष सभी यात्री टुण्डला में उतर गये। परिवादी क्यों नहीं उतरा यह उसकी जिम्मेदारी है। परिवादी को चाहिए था कि वह अलीगढ उतरकर सड़क मार्ग से लगभग 70 किमी की यात्रा करके अपने गन्तब्य स्थान पर समय से पहुंच सकता था किन्तु परिवादी अनाधिकृत ढंग से वगैर टिकट के टुण्डला से नई दिल्ली तक की यात्रा किया जो गैरकानूनी कृत्य है तथा कण्डक्टर द्वारा किराया मांगने पर भुगतान नहीं किया। परिवादी ने मात्र रेलवे को परेशान करने एवं अवैध वसूली हेतु झूठी शिकायत, शिकायत पुस्तिका पर अंकित किया है। उक्त कोच में टुण्डला से नई दिल्ली तक कार्यरत श्री जमील अहमद उप मुख्य टिकट निरीक्षक उ0म0 रेलवे ने परिवादी को अलीगढ के पूर्व बताया कि अलीगढ स्टेशन आने वाला है। अलीगढ से आगरा जा सकते है किन्तु परिवादी अलीगढ में नहीं उतरे तथा नई दिल्ली तक यात्रा किये जिसके कारण परिवादी से नई दिल्ली तक का टिकट बनवाने का आग्रह किया गया लेकिन परिवादी ने न तो टिकट बनवाया एवं न ही किराया का टिकट मु0 351/- अदा किये। परिवादी ने मुकदमे में फंसाने की धमकी देने के कारण उप मुख्य टिकट निरीक्षक द्वारा अपने पास से मु0 351/- जमा कर दिया। परिवादी के शिकायत पर विपक्षीगण द्वारा जांच कराया गया तथा जांच के उपरान्त परिवादी को पत्र संख्या ब0प्र02/पी0सी02381/09 दिनांक 15-5-2010 द्वारा उत्तर प्रेषित कर दिया गया है। परिवादी की यात्रा पूर्वा एक्सप्रेस से टुण्डला स्टेशन जनपद फिरोजाबाद तक रही है। परिवादी को अगर कोई वाद कारण पैदा हुआ है तो टुण्डला में हुआ मुगलसराय रेलवे स्टेशन स्थित जनपद चन्दौली में वाद का कोई कारण उत्पन्न नहीं
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हुआ है। ऐसी स्थिति में फोरम को इस परिवाद के सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है। इस याचना के साथ परिवादी के परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
4- परिवादी की ओर से साक्ष्य के रूप में पूर्वा एक्सप्रेस का दिनांक 12-4-2009 का टिकट कागज संख्या 4/1 रेलवे विभाग का कण्डक्टर गार्ड/सवारी डिब्बा परिचारक के पास उपलब्ध शिकायत पुस्तक 4/2ता 4/3,चेयरमैन रेलवे बोर्ड,नई दिल्ली को दिये गये प्रार्थना पत्र की प्रति कागज संख्या 4/4 दाखिल किया गया है। विपक्षीगण की ओर से फेहरिस्त के साथ साक्ष्य के रूप में पूर्वा एक्सप्रेस का दिनांक 12-4-2009 का रिजर्वेशन चार्ट बी-1 से बी-3 कागज संख्या 25/2ता 25/11,सहायक वाणिज्य प्रबन्धक उ.म.रेलवे टूण्डला का पत्र कागज संख्या 25/12 दाखिल किया गया है। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस के साथ साक्ष्य के रूप में जमील अहमद टी.टी.ई. का बयान कागज संख्या 33/1,श्री बी.डी.गौतम टी.टी.ई. का बयान 33/2 ता 33/3,मुख्य टिकट निरीक्षक लाइन टुण्डला जं0 का पत्र 33/5ता 33/6, श्री जमील अहमद का सहायक वाणिज्य प्रबंधक को दिये गये बयान कागज संख्या 33/7, मुख्य टिकट निरीक्षक को श्री बी.डी. गौतम द्वारा दिये गये बयान की छायाप्रति 33/8, पी.पी.2 पर डी.सी.एम. के आदेश के सम्बन्ध में वरिष्ठ निरीक्षक द्वारा दिये गये निष्कर्ष की छायाप्रति कागज संख्या 33/9 दाखिल किया गया है।
5- हम लोगों ने परिवादी एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के बहस को सुना तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का भलीभांति परिशीलन किया है।
6- उभय पक्षों के कथनों से इस प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी द्वारा दिनांक 12-4-09 को डेहरी आनसोन से मुगलसराय होते हुए टुण्डला तक ए.सी.3 टायर कोच नम्बर बी-2 में बर्थ नं0 64 पर यात्रा करने हेतु आरक्षित कराया गया था जिसका टिकट नं026237450 व पी.एन.आर. नं. 612-62-98224 था। परिवादी का कथन है कि उक्त गाडी में मुगलसराय से चल रहे ए.सी 3 टायर के टी.टी.ई. श्री बी0डी0गौतम तथा कोच अटेन्डेन्ट श्री पंचानन मल्लिक को स्पष्ट रूप से हिदायत दिया था कि रात्रि 3.35 बजे टुण्डला जक्शन पर जब गाडी पहुंचे तो उसको अवश्य जगा दे लेकिन उपरोक्त दोनों कर्मचारियों द्वारा उसे नहीं जगाया तथा अपने कर्तव्य पालन में लापरवाही किया जिसके परिणामस्वरूप परिवादी सोया रह गया और जब उसकी नीद खुली तो गाडी अलीगढ स्टेशन के पास पहुंच चुकी थी। उपरोक्त आधार पर रेलवे के उक्त दोनों कर्मचारियों द्वारा सेवा में कमी का कथन है। इस बिन्दु पर हम लोगों द्वारा विचार किया गया।
7- परिवादी द्वारा हम लोगों के कहने के बावजूद रेलवे का कोई ऐसा नियम अथवा कर्मचारियों को जारी किया गया दिशा-निर्देश संज्ञान में नहीं लाया गया है कि ए.टी 3 टायर में यात्रा कर रहे यात्रियोें को रात्रि में गन्तब्य स्टेशन पर जगाने
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की कोई जिम्मेदारी कोच के कण्डक्टर/टी.टी.ई. अथवा कोच अटेन्डेन्ट के ऊपर है। परिवादी की ओर से गुजरात स्टेट कमीशन द्वारा अपील संख्या 410/96 में पारित निर्णय के विरूद्ध प्रस्तुत निगरानी यूनियन आफ इण्डिया व अन्य बनाम संजीव दिलसुखारी दवे और अन्य के मामले में दिनांक 23-10-2002 में पारित निर्णय की छायाप्रति दाखिल की गयी है जिसमे यह अवधारित किया गया है कि ट्रेन के आरक्षित कोच में कार्यरत कर्मचारी की क्या-क्या जिम्मेदारियां है। मूल रूप से यह दिशा-निर्देश दिया गया है कि आरक्षित कोच का टी.टी.ई. यह सुनिश्चित करेगा कि कोच में कोई अनाधिकृत पैसेजर प्रवेश न करे। किसी स्टेशन से गाडी जब चल देती है तो कोच का दरवाजा बन्द करे। रात्रि में 10 बजे से 6 बजे के बीच कोच का दरवाजा बन्द रखे, ताकि कोई बाहरी व्यक्ति उसमे प्रवेश न कर सके। रात में वह सावधान रहेगा कि कोई अनाधिकृत पैसेजर,सामान बेचने वाला,अथवा भिखारी कोच में घुसने न पाये। इसमे ऐसा कोई दिशा-निर्देश आरक्षित कोच के टी.टी.ई. अथवा कोच अटेन्डेन्ट को नहीं दिया गया है कि रात्रि में यात्री के गन्तब्य स्टेशन पर पहुंचने पर वह यात्री को जगा देगा। इस प्रकार इस प्रकरण में दिये गये निर्णय से वर्तमान प्रकरण में परिवादी को कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत दूसरी विधि व्यवस्था 2001(2)सी.पी.आर. 55इण्डियन रेलवे थ्रु सीनियर सुपरीटेन्टेण्ड कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन बनाम डा0 आर0सी. शर्मा में माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ द्वारा यह विधि व्यवस्था दी गयी है कि रेलवे क्लेम्स ट्यूबनल एक्ट 1987 की धारा 13 व 15 के प्राविधान उपभोक्ता फोरम को सेवा में कमी के प्रश्न को निर्णित करने से नहीं रोकते है। इस प्रकार यह विधि व्यवस्था भी इस प्रकरण में सुसंगत नहीं है।
8- भारतीय रेल सम्मेलन कोचिंग दर सूची संख्या 26भाग-1 जो जनवरी 2007 से प्रवृत्त हुआ है इसे विपक्षी रेलवे विभाग की ओर से दाखिल किया गया है जिसमे क्रमांक 218पर रात्रि में यात्रियों के जगाने के सम्बन्ध में दिशा-निर्देश का उल्लेख है इसमे स्पष्ट रूप से यह इंगित है कि वातानुकूल प्रथम श्रेणी,ए.सी.2 टायर,प्रथम श्रेणी,ए.सी.3 टायर के यात्री जो कोच में चल रहे है रेलवे के सुरक्षा गार्ड,कर्मचारी से रात्रि में गन्तब्य स्थान पर गाडी पहुंचने पर जगाने के लिए कहा है तो उस कर्मचारियों को ऐसा करना चाहिए लेकिन यदि कर्मचारी द्वारा ऐसा नहीं किया गया है तो इस संदर्भ में रेलवे की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। इस प्रकार स्पष्ट है कि गाडी के गन्तब्य स्टेशन पर पहुंचने पर यदि उपरोक्त श्रेणी के टी.टी.ई. अथवा कोच अटेन्डेण्ट द्वारा उतरने वाले यात्री को नहीं जगाया तो इसके लिए रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। तद्नुसार यह पाया जाता है कि ए.सी. कोच में यात्रा कर रहे टी.टी.ई. अथवा कोच अटेन्डेण्ट ने रात्रि में गन्तब्य स्टेशन पर गाडी के पहंुचने पर वहाॅं उतरने वाले यात्री को नहींे जगाया तो इसके लिए कोई उत्तरदायित्व रेलवे की नहीं है क्योकि ऐसे यात्री के जगाने का कोई वैधानिक जिम्मेदारी टी.टी.ई. अथवा कोच अटेन्डेण्ट के ऊपर नहीं है इससे स्पष्ट है कि यात्री
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को यदि टी.टी.ई. अथवा कोच अटेन्डेण्ट द्वारा नहीं जगाया गया तो इससे सेवा में कमी नहीं माना जा सकता है।
9- विपक्षी रेलवे विभाग की ओर से प्रश्नगत यात्रा की तिथि 12-4-2009 पूर्वा एक्सप्रेस का ए.सी.3 टायर का चार्ट दाखिल किया गया है जो पत्रावली में कागज संख्या 25/2 ता 25/11 है इसके परिशीलन से पाया जाता है कि ए.सी.3 टायर के कोच में कुल 9 यात्री टुण्डला स्टेशन के थे। परिवादी का कथन है कि टी.टी.ई. एवं कोच अटेन्डेण्ट के कहने के बावजूद गाडी जब टुण्डला स्टेशन पर पहुंची तो उसे टी.टी.ई. अथवा कोच अटेन्टेण्ड द्वारा नहीं जगाया गया इसका खण्डन करते हुए रेलवे की ओर से प्रस्तुत जबाबदावा में कहा गया है कि परिवादी समेत टुण्डला स्टेशन पर उतरने वाले सभी यात्रियों को 20 मिनट पूर्व टी.टी.ई. एवं कोच अटेन्टेण्ड द्वारा जगा दिया गया था। टुण्डला स्टेशन के सभी यात्री उतर गये लेकिन परिवादी को जगाने के बावजूद गाडी में सोता रहा और गाडी टुण्डला से आगे चली गयी जब अलीगढ के पास गाडी पहुंची तो टुण्डला में आने वाले टी.टी.ई.ने पाया कि परिवादी टुण्डला में न उतरकर आगे चला आया है तब उसने अलीगढ स्टेशन पर परिवादी को उतर जाने के लिए कहा लेकिन वहाॅं न उतरकर परिवादी जबरदस्ती दिल्ली तक बिना टिकट के गया। जब टी.टी.ई. ने टुण्डला से दिल्ली तक का किराया मु0 351/- मांगा तो परिवादी ने मुकदमा दाखिल करने की धमकी देते हुए कोई किराया नहीं दिया जिसके परिणामस्वरूप टी.टी.ई. को उपरोक्त धनराशि अपने पास से जमा करना पडा। इस तथ्य का कोई खण्डन परिवादी की ओर से नहीं किया गया है इससे भी निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी स्वयं सोता रहा और अगले स्टेशन पर भी जानबूझकर नहीं उतरा तथा दिल्ली तक अनाधिकृत रूप से यात्रा किया।
10- इस प्रकरण में यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि परिवादी ने बिहार में स्थित स्टेशन डेहरी आनसोन से अपना टुण्डला के लिए आरक्षण कराया था। अतः टुण्डला में न जगाने के फलस्वरूप कोई वाद कारण उत्पन्न हुआ तो वह टुण्डला रेलवे स्टेशन पर उत्पन्न हुआ।जनपद चन्दौली के किसी रेलवे स्टेशन पर परिवादी का कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ है इसलिए जिला उपभोक्ता फोरम चन्दौली को यह परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है। उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि प्रस्तुत परिवाद में कोई बल नहीं है इसलिए खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है।
(मारकण्डेय सिंह) (मुन्नी देबी मौर्या) (जगदीश्वर सिंह)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
दिनांक 17-4-2015