राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-१८४४/१९९८
(जिला मंच, बिजनौर द्वारा परिवाद सं0-९४/१९९७ में पारित निर्णय/आदेश दिनांक १२-०६-१९९८ के विरूद्ध)
डॉ0 अतुल कौशिक, साहूवान स्ट्रीट, नगीना, जिला बिजनौर।
..................... अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम्
१. श्री राम हौण्डा पॉवर इक्विपमेण्ट लि0, जी-१/२, ग्राउण्ड फ्लोर, रतन ज्योति, १८, राजेन्द्र पैलेस, नई दिल्ली।
२. मै0 बी0बी0पी0 एण्ड कम्पनी, वेस्टर्न कचहरी रोड, मेरठ, उ0प्र0।
.................... प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
१- मा0 उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : १६-११-२०१५.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
आज यह पत्रावली प्रस्तुत हुई। अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है और न ही उनकी ओर से स्थगन हेतु कोई प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता भी अनुपस्थित हैं।
पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि प्रत्यर्थी पर नोटिस की तामीला नहीं है। प्रत्यर्थी को नोटिस भेजे जाने हेतु पैरवी किए जाने के लिए आदेश दिनांक २८-०८-२०१५ द्वारा अपीलार्थी को निर्देशित किया गया था, परन्तु अपीलार्थी द्वारा पैरवी नहीं की जा रही है, जबकि इस प्रयोजन हेतु अपीलार्थी को कई अवसर दिये जा चुके हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अपीलार्थी को इस अपील के संचालन में कोई रूचि नहीं है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा - ३० की उपधारा (२) के अन्तर्गत निर्मित उत्तर प्रदेश उपभोक्ता संरक्षण नियमावली १९८७ के नियम ८ के उप नियम (६) में निम्नवत् प्राविधान है कि :-
नियम - ८(६) : सुनवाई के दिनांक को या किसी अन्य दिनांक को जब तक के लिये सुनवायी स्थगित की जाये, पक्षकारों या उनके प्राधिकृत अभिकर्त्ताओं को राज्य आयोग के समक्ष उपस्थित होना बाध्यकर होगा। यदि अपीलार्थी या उसका प्राधिकृत अभिकर्ता ऐसे दिनांक को उपस्थित होने में असफल रहता है तो राज्य आयोग, स्व विवेकानुसार या तो अपील को खारिज कर सकता है या मामले के गुणावगुण के
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आधार पर उसे विनिश्चित कर सकता है। यदि प्रत्यर्थी या उसका प्राधिकृत अभिकर्ता ऐसे दिनांक को उपस्थित होने में असफल रहता है तो राज्य आयोग एक पक्षीय कार्यवाही करेगा और मामले के गुणावगुण के आधार पर अपील का एक पक्षीय विनिश्चय करेगा।‘
उपरोक्त विधिक प्राविधान के अनुसार अपीलार्थी का यह दायित्व था कि वह अपील दायर करने के उपरान्त प्रत्येक नियत तिथि पर स्वयं अथवा उनके द्वारा प्राधिकृत अभिकर्त्ता उपस्थित होते, परन्तु उनके द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया गया। ऐसी परिस्थिति में यह अपील अपीलार्थी की अनुपस्थिति एवं पैरवी के अभाव में निरस्त होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी की अनुपस्थिति एवं पैरवी के अभाव में निरस्त की जाती है।
इस अपील के व्यय-भार के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है। पक्षकारों को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(संजय कुमार)
सदस्य
दिनांक : १६-११-२०१५.
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.