राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या :2132/2002
(जिला मंच, अलीगढ़ द्धारा परिवाद सं0-362/2000 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16.7.2002 के विरूद्ध)
Maruti Udyog Limited 11th Floor, Jeevan Prakash Building 25 Kasturba Gandhi Marg New Delhi-110001
........... Appellant/Opp. Party
Versus
- Shri Rajesh Babu C/o Shri Ramdeve, Dy. Commissioner (Commercial Tax) 17/239, Anand Bhawan Lodhipuram (Near Vivek Vihar Colony) Aligarh.
..........Respondent/Complainant
- M/s Tanya Automobiles Limited Meerut Road, Muzaffarnagar U.P.
- M/s Dev Motors Pvt. Ltd. G T Road (Near Banna Devi Thana) Aligarh-202001
..........Respondents/ Opp. Parties
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री एस0पी0 पाण्डेय
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक : 23.8.2016
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0-362/2000 राजेश बाबू बनाम क्षेत्रीय प्रबन्धक, मारूति उद्योग लिमिटेड व अन्य में जिला मंच, अलीगढ़ द्वारा दिनांक 16.7.2002 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया कि,
"प्रार्थना पत्र आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थी की मारूति कार की जॉच सर्विस इंजीनियर से प्रार्थी की उपस्थिति में करायेंगे और इंजीनियर क्षति का निर्धारण करेंगे प्रार्थी की कार में यदि क्षति पायी जाती है तो प्रार्थी की कार की मरम्मत प्रार्थी की उपस्थिति में करायेंगे और प्रार्थी से सर्विस सन्तुष्टि का प्रमाण-पत्र विपक्षीगण प्राप्त करेंगे। इस सेवा के बदले प्रार्थी से कोई धनराशि वसूल नहीं की जायेगी। प्रार्थी की संतुष्टि पर 3 दिन में कार सही करके दी जायेगी। प्रार्थी यदि संतुष्ट नहीं होते हैं तो कार को फोरम में लाया जायेगा और उचित आदेश पारित किया जायेगा। केस की विशेष परिस्थितियों में कोई क्षतिपूर्ति व वाद व्यय का भुगतान नहीं किया जायेगा।"
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उपरोक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 पाण्डेय उपस्थित आये। प्रत्यर्थी की ओर से सूचना के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं है। यह अपील वर्ष-2002 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है परिवादी ने दिनांक 27.9.1998 को अधिकृत विक्रेता विपक्षी सं0-2 से एक मारूति कार 800 रू0 2,07,040.00 में क्रय की थी और उसने रू0 2,10,000.00 का ऋण लिया था एवं परिवादी को ऐसा लगा कि उसे पुरानी गाड़ी विक्रय की गई है एवं जब गाडी की तीसरी सर्विस कराने गया तो इंजीनियत ने कार चलाकर देखी तो उसका एक्सल खराब पाया गया। विपक्षी सं0-2 के अभियंता ने स्कूटर में प्रश्नगत कार टक्कर मार दी जिससे कार क्षतिग्रस्त हो गई और विपक्षी सं0-2 द्वारा पेड सर्विस में खराब के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया, जिसके फलस्वरूप परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध सेवा में कमी के दृष्टिगत एवं प्रश्नगत कार की कमियों को दूर किये जाने हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है।
विपक्षीगण की ओर से परिवाद का विरोध किया गया और परिवाद पत्र के अभिवचनों का खण्डन किया गया एवं परिवाद को विपक्षी के संदर्भ में अपोषणीय होना बताया गया एवं यह भी अभिवचित किया गया है कि गारण्टी की अवधि समाप्त होने के पश्चात जो खर्च आयेगा उसकी अदायगी की जिम्मेदारी परिवादी की है। इस प्रकार परिवाद खण्डित किये जाने योग्य है। स्पष्ट रूप से यह भी अभिवचित किया गया है कि पंजीकरण विलम्ब से होने की कोई जिम्मेदारी विपक्षी की नहीं है एवं विपक्षी के कारखाने में कोई दुर्घटना नहीं हुई एवं प्रश्नगत कार्य को दिये जाते समय परिवादी कार के संदर्भ में संतुष्ठ थे एवं प्रश्नगत परिवाद कालबाधित भी है एवं जिला फोरम के क्षेत्राधिकार से परे होना भी अभिवचित किया गया है।
उभय पक्ष के अभिवचन एवं उपलब्ध अभिलेखों पर विचार करते हुए जिला मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि कार की सर्विस के संदर्भ में परिवादीका अभिवचन स्वीकार किये जाने योग्य है और ऐसी स्थिति में जिला मंच द्वारा उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया, जिससे क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील योजित है।
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यहॉ इस बात का उल्लेख करना भी उचित प्रतीत होता है कि प्रश्नगत निर्णय दिनांक 16.7.2002 को पारित किया गया एवं वर्तमान अपील दिनांक 02.9.2002 को योजित की गई है, अत: प्रस्तुत अपील समय सीमा के अन्तर्गत प्रस्तुत नहीं की गई है और अपील का कालबाधित होना भी प्रथम दृष्टया स्पष्ट है।
इस संदर्भ में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि निर्णय की प्रतिलिपि दिनांक 03.8.2002 को प्राप्त हुई और उस तिथि से प्रश्नगत अपील कालबाधित नहीं है। इस संदर्भ में इतना ही कहना पर्याप्त है कि विपक्षी/अपीलार्थी जिला मंच के समक्ष उपस्थित थे और उनकी उपस्थिति में प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है, ऐसी स्थिति में निर्णय की तिथि से ही जानकारी का होना स्वीकार किये जाने योग्य है और यदि निर्णय की प्रतिलिपि बाद में प्राप्त की गई है, तो इसका कोई लाभ विपक्षी/अपीलार्थी को प्राप्त नहीं है, अत: प्रस्तुत अपील कालबाधित होने के कारण खण्डित किये जाने योग्य है।
प्रश्नगत कार की सर्विस इंजीनियर द्वारा परिवादी की उपस्थिति में क्षति का निर्धारण करने का आदेश दिया गया है और तद्नुसार सर्विस के बारे में अन्य अनुतोष प्रदान किया गया है। जिला मंच द्वारा सर्विस के संदर्भ में जो निष्कर्ष दिया गया है कि वाहन की सर्विस विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा की जाय, वह उचित है और इस संदर्भ में जिला मंच द्वारा दिये गये निष्कर्ष में किसी प्रकार की त्रुटि होना नहीं पायी जाती है। अत: प्रस्तुत अपील गुण-दोष के आधार पर भी खण्डित किये जाने योग्य है।
सम्पूर्ण विवेचना के आधार पर पीठ इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि प्रस्तुत अपील खण्डित किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खण्डित की जाती है।
(जे0एन0 सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2