मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या 42/2003 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03.04.2006 के विरूद्ध)
अपील संख्या 1479 सन 2006
मै0 घाटमपुर सुगर कं0 लि0 द्वारा इक्जीक्यूटिव डाइरेक्टर मै0 घाटमपुर सुगर कं0 लि0, घाटमपुर जिला कानपुर नगर ।
.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
बाबूराम पुत्र श्री उज्जा निवासी ग्राम अकबरापुर पोस्ट खम्भौली तहसील सफीपुर जिला उन्नाव । . .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्रीमती सुचिता सिंह ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - कोई नहीं ।
दिनांक:- 02.02.2018
श्री उदय शंकर अवस्थ, पीठासीन सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या 42/2003 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03.04.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने 125 कुन्तल 53 कि0ग्रा0 गन्ना 70.00 रू0 प्रति कुन्तल के हिसाब से दिनांक 22.01.1996 को अपीलकर्ता मिल को बेंचा था जिसका मूल्य 8,787.10 रू0 अपीलकर्ता पर बकाया था। उक्त गन्ने के मूल्य के विषय में परिवादी ने उपभोक्ता मंच कानपुर देहात में परिवाद संख्या 12/2000 योजित किया था । उक्त परिवाद में परिवादी तथा अपीलकर्ता के मध्य आपसी सुलह दिनांक 21.06.2002 को दाखिल की गयी। समझौता पत्र के अनुपालन में अपीलकर्ता द्वारा उपरोक्त 8,787.00 की धनराशि का चेक जिला मंच में दाखिल किया गया था जिसे परिवादी ने दिनांक 04.07.2002 को प्राप्त किया । समझौता पत्र में परिवादी ने अपने ब्याज व हर्जाना पाने का अधिकार सुरक्षित रखा था केवल मूल धनराशि के भुगतान पर समझौता हो गया था। परिवादी को अपीलकर्ता द्वारा उपरोक्त धनराशि पर ब्याज तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी न किए जाने के कारण परिवादी ने अपीलकर्ता को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस ब्याज व हर्जाना की अदायगी हेतु प्रेषित किया । इसके बावजूद यह धनराशि अदा न किए जान पर प्रश्नगत परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया।
अपीलकर्ता के कथनानुसार अपीलकर्ता सुगर मिल में सीधे गन्ना उत्पादकों से गन्ना क्रय नहीं करता। परिवादी गन्ना उत्पादक है अपीलकर्ता गन्ना क्रय समितियों से गन्ना क्रय करती है और गन्ना क्रय समितियां उत्पादकों से गन्ना क्रय करके उसे बेंचती हैं। गन्ना क्रय समितियां ही गन्ना उत्पादकों को मूल्य अदा करती हैं। इस सम्बन्ध में परिवादी ने जिला मंच के समक्ष परिवाद संख्या 12/2000 योजित किया था । अपीलकर्ता ने मानवीय आधार पर संधिपत्र के माध्यम से मूलधन की अदायगी प्रत्यर्थी/परिवादी को कर दी थी। परिवादी द्वारा यह धनराशि प्राप्त कर ली गयी है। धनराशि प्राप्त करने के उपरांत परिवादी ने परिवाद समाप्त करवा लिया था। विद्वान जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा 8,787.100 रू0 पर 10 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज तथा 2000.00 रू0 क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय के रूप में 300.00 रू0 भुगतान हेतु अपीलकर्ता को निर्देशित किया है। इस निर्णय से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील योजित की गयी है।
अपीलकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्रीमती सुचिता सिंह उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी की ओर से पूर्व में विद्वान अधिवक्ता श्री विमल कुमार उपस्थित हो चुके हैं। अपील के विरूद्ध आपत्ति भी प्रस्तुत की जा चुकी है किंतु तर्क प्रस्तुत करने हेतु उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलकर्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि प्रस्तुत मामला उपभोक्ता विवाद नहीं है। परिवादी, अपीलकर्ता का उपभोक्ता नहीं है। ब्याज की अदायगी का विवाद उपभोक्ता विवाद नहीं माना जा सकता है।
पत्रावली का अवलोकन करने से यह विदित होता है कि यह तथ्य निर्विवाद है कि पक्षकारों के मध्य मूल विवाद कथित रूप से अपीलकर्ता को बेंचे गए गन्ने के भूल्य के भुगतान का है। सेवा में कमी का कोई विवाद पक्षकारों के मध्य नहीं है। स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी यह स्वीकार करता है कि बेंचे गए गन्ने का मूल्य उसे प्राप्त हो गया है। उक्त धनराशि पर ब्याज की अदायगी का विवाद है।
बिक्रय मूल्य पर देय ब्याज की अदायगी का विवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता विवाद नहीं माना जा सकता है। विद्वान जिला मंच ने इस विधिक स्थिति पर ध्यान न देते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है जो खण्डित करते हुए अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्या 42/2003 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 03.4.2006 खण्डित किया जाता है।
उभय पक्ष इस अपील का अपना अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-3
(S.K.Srivastav,PA)