Uttar Pradesh

Allahabad

CC/577/2023

ASHOK KUMAR JAISWAL - Complainant(s)

Versus

SOOCHANA AAYUKT - Opp.Party(s)

BRIJESH KUMAR KESHARWANI

01 Dec 2023

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTE REDRESSAL COMMISSION
PRAYAGRAJ
 
Complaint Case No. CC/577/2023
 
ASHOK KUMAR JAISWAL
Vs.
SOOCHANA AAYUKT
 
BEFORE: 
 JUDGES MOHAMMAD IBRAHIM PRESIDENT
 Shri Prakash Chandra Tripathi MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Dec 2023
Order
01.12.2023
               परिवाद ई-मेल के माध्यम से प्राप्त हुआ है जिसका संज्ञान लेकर पत्रावली का अवलोकन किया गया।
प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सूचना आयुक्त-कार्यालय केन्द्रीय सूचना आयोग, बाबा गंग नाथ मार्ग मुनिरका नई दिल्ली पिन-110067 के विरूद्ध मांगी गयी सूचना न देने पर सेवा में कमी मानते हुये दाखिल किया गया है।
            परिवादी द्वारा सूचना आयुक्त के समक्ष एक आवेदन पत्र भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा-76 के अन्तर्गत दिया गया है। परिवादी के उक्त प्रार्थना पत्र में यह स्पष्टतः उल्लिखित है कि ‘‘ यह आवेदन सूचना के अधिकार अधिनियम से किसी भी प्रकार से सरोकार नहीं रखता है। लिहाजा आर.टी.आई. 2005 अधिनियम का कोई भी प्रावधान/संरक्षण इस आवेदन के बावत लागू नहीं होता है और इसके साथ आर.टी.आई. का कोई प्रकरण भी नहीं जोड़ सकते हंै और उक्त समस्त सूचनायें धारा-74 भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के तहत लोक दस्तावेज की परिभाषा में आती है लिहाजा एक लोक सेवक होने के नाते आवेदक को उपलब्ध करवाया जाना आपके लिये बाध्यकारी है ‘‘।
         परिवादी द्वारा विधिक व्यवस्थायें मा0 राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग द्वारा रिविजन सं0-4710/2010 CHANDRASENBATHAM VS M.P.GOVERNMENT  एवं Shri  prabhakar  vyankoba Aadone VS  Superintendent, civil court on 8 july,2002  का उल्लेख है परन्तु इनके तथ्य इस परिवाद के तथ्य से भिन्न है तथा इन आदेशों में कहीं पर भी सूचना के अधिकार अधिनियम अथवा उसके प्रावधानों का रंच मात्र भी उल्लेख नहीं है। अतएव यह विधिक व्यवस्थायें वर्तमान परिवाद में लागू नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह परिवाद सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 से संबंधित है।
यहाॅं यह उल्लेखनीय है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एक विशेष अधिनियम है तथा सूचना प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र भी इसी अधिनियम के अन्तर्गत दिये जाते हैं एवं इसी अधिनियम के अन्तर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुये ही सूचना आयुक्त कार्यवाही करने हेतु प्राधिकृत है जब कि प्रस्तुत परिवाद में परिवादी द्वारा दस्तावेजों की मांग भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के अन्तर्गत किया गया है तथा इसमें यह विशेष तौर से इंगित किया गया है कि यह आवेदन सूचना के अधिकार अधिनियम से किसी भी प्रकार से सरोकर नहीं रखता है। अतएव सूचना आयुक्त के द्वारा सेवा में कमी नही की गयी है, क्योंकि वह सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत ही कार्यवाही करने को प्राधिकृत है। यदि परिवादी चाहे तो साक्ष्य अधिनियम 1872 के अन्तर्गत आर.टी.आई. 2005 के अन्तर्गत प्रदत्त वैकल्पिक विधिक उपचार प्राप्त कर सकता है। 
         सूचना आयुक्त द्वारा सूचना न देने पर सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अन्तर्गत सक्षम अधिकारी के समक्ष अपील करने का प्राविधान है। 
परिवादी के पास अपील करने का वैकल्पिक उपचार उपलब्ध है। इस मामले में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-35 के अन्तर्गत प्रथमदृष्टया सेवा में कमी नहीं की गयी है एवं वैकल्पिक उपचार उपलब्ध होने के कारण यह वाद पोषणीय नहीं है। अतएव परिवाद क्षेत्राधिकार के अभाव में निरस्त किया जाता है।
 
  सदस्य                                                                                                                                                                      अध्यक्ष
    
 
 
[JUDGES MOHAMMAD IBRAHIM]
PRESIDENT
 
 
[ Shri Prakash Chandra Tripathi]
MEMBER

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