सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 271 सन 1997 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.02.2012 के विरूद्ध)
अपील संख्या 578 सन 2012
रामभवन सिंह दत्तक पुत्र श्रीमती सुरजा देवी पत्नी श्री राम नरेश सिंह निवासी ग्राम वीर शाहपुर (जंगलपुर) पो0 बंदनपुर जिला फैजाबाद ।.......अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
मै0 सोनी मशीनरी स्टोर टेलियागढ़ा पो0 गोसाईगंज, जिला फैजाबाद द्वारा प्रोपराइटर ओम प्रकाश सोनी एवं 3 अन्य । . .........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1 मा0 श्री महेश चन्द्र, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री सचेन्द्र द्विवेदी ।
प्रत्यर्थी सं02 की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री प्रदीप कुमार के सहयोगी श्री
अनिल कुमार ।
दिनांक - 23-06-2017
श्री गोवर्धन यादव, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, फैजाबाद द्वारा परिवाद संख्या 271 सन 1997 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 24.02.2012 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है ।
संक्षेप में, प्रकरण के आवश्यक तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादी ने दिनांक 21.12.1995 को एक डीजल इंजन पम्प सेट जिसका नम्बर 9512 एन0एन 0177 सी है, मु0 12,700.00 रू0 में विपक्षी संख्या-1 से क्रय किया। गांव में परिवादी के खेत पर लाकर विपक्षी के मिस्त्री ने जब इंजन की पेटी खोली तो उसमें इंजन के कुछ पार्ट्स टूटे हुए पाए गए । विपक्षी के मैकेनिक ने किसी तरह उक्त इंजन चालू कर दिया तथा इंजन के साथ निकले तीन फ्री कूपन में से एक पर परिवादी के हस्ताक्षर करा लिए तथा टूटे हुए पार्ट्स की लिस्ट बनाकर यह कहकर चला गया कि शीघ्र ही टूटे हुए पार्टस का क्लेम आपको दिला दिया जाएगा। परिवादी का कहना है कि विपक्षीगण ने अभी तक टूटे हुए पार्टस का कोई क्लेम कई बार शिकायत करने के बाद भी जब नहीं दिया तो उसने जिला मंच के समक्ष परिवाद दाखिल किया।
जिला मंच के समक्ष विपक्षीगण ने उपस्थित होकर अपना परिवाद का विरोध किया तथा परिवादी के कथन को असत्य बताया तथा अपने कथन के समर्थन मे साक्ष्य तथा शपथपत्र प्रस्तुत किए।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर परिवादी का परिवाद खारिज कर दिया जिससे क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील परिवादी द्वारा योजित की गयी है।
अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा तथ्यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्त किए जाने योग्य है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस विस्तार से सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक् अनुशीलन किया।
विद्वान अधिवक्ता परिवादी/अपीलार्थी का कथन है कि उसने दिनांक 21.12.1995 को एक डीजल इंजन पम्प सेट विपक्षी संख्या-1 से क्रय किया। गांव में परिवादी के खेत पर लाकर विपक्षी के मिस्त्री ने जब इंजन की पेटी खोली तो उसमें इंजन के कुछ पार्ट्स टूटे हुए पाए गए । विपक्षी के मैकेनिक ने किसी तरह उक्त इंजन चालू कर दिया तथा टूटे हुए पार्ट्स की लिस्ट बनाकर यह कहकर चला गया कि शीघ्र ही टूटे हुए पार्टस का क्लेम आपको दिला दिया जाएगा लेकिन अभी तक टूटे हुए पार्टस का कोई क्लेम नहीं दिया जबकि प्रत्यर्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है परिवादी का इंजन अवाध रूप से चल रहा है। परिवादी ने अनधिकृत लाभ पाने की लालसा से यह परिवाद योजित किया है। परिवादी की लापरवाही के कारण इंजन की फैन वेल्ट पानी से भीग कर उधड़ गयी थी जिसे उसकी शिकायत पर बदल दिया गया था। द्वितीय सर्विसिंग भी की गयी जिसमें इंजन में कोई खराबी नहीं पायी गयी लेकिन परिवादी ने सर्विस कूपन पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। परिवादी की शिकायत जब भी प्राप्त हुयी उसका निराकरण किया गया और इंजन में कभी भी कोई गम्भीर शिकायत नहीं मिली।
पत्रावली पर परिवादी के इंजन में कोई तकनीकी दोष होने का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। परिवादी ने इस संबंध में किसी विशेषज्ञ की आख्या भी प्रस्तुत नहीं की और न ही ऐसा कोई प्रमाणित साक्ष्य प्रस्तुत किया है जिससे विदित हो कि इंजन में दोष है और वह कार्य नहीं कर रहा है। अगर इंजन का कोई पार्ट टूटा हुआ था तो परिवादी को इंजन अपने खेत पर विपक्षी के मैकेनिक से चालू ही नहीं करवाना चाहिए था और यदि इंजन के पार्ट टूटे और खराब थे तो इंजन चालू कैसे हो गया और इतने दिनों तक कार्य कैसे करता रहा जैसा कि पत्रावली पर उपलब्ध गवाहों के वयानात एवं साक्ष्यों से स्पष्ट हो रहा है। पत्रावली में उपलब्ध शपथपत्र, साक्ष्य एवं समस्त प्रपत्रों का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद में विवेच्य निर्णय पारित किया है, जो कि विधिसम्मत है एवं उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
पक्षकारान अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(महेश चन्द्र) (गोवर्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट-5
(S.K.Srivastav,PA)