Uttar Pradesh

StateCommission

A/1060/2022

Hira Sri Hospital and Research Center - Complainant(s)

Versus

Smt. Suman Sharma and others - Opp.Party(s)

Sanjay Kumar Verma

08 May 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1060/2022
( Date of Filing : 11 Oct 2022 )
(Arisen out of Order Dated 26/08/2022 in Case No. Complaint Case No. C/2005/24 of District Agra-II)
 
1. Hira Sri Hospital and Research Center
Bhogipura Chauraha Shahganj Agra Dr. H.L. Rajpoot
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Suman Sharma and others
W/o Sri Murari Lal Sharma 6 F Awas Vikas Colony Sikandra Yojana Agra
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 May 2023
Final Order / Judgement

 

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या:1060/2022

 

हीरा श्री हास्पिटल एण्‍ड रिसर्च सेंटर व अन्‍य   

  •  

सुमन शर्मा व अन्‍य

दिनांक : 08-05-2023

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी हीरा श्री हास्पिटल एण्‍ड रिसर्च सेन्‍टर द्वारा परिवाद संख्‍या-24/2005 सुमन शर्मा बनाम हीरा श्री हास्पिटल एण्‍ड रिसर्च सेंटर व तीन अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्धितीय, आगरा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 26-08-2022 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गयी है।

    विद्धान जिला आयोग ने आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है :-

   ‘’परिवादिनी का परिवाद विपक्षी संख्‍या-1 के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्‍या-1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को अंकन 3,70,000/-रू० की धनराशि परिवाद योजित करने की तिथि दिनांक 19-01-2005 से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज के साथ 30 दिन के अंदर अदा करना सुनिश्चित करें। इसके अतिरिक्‍त 1,00,000/-रू0 की धनराशि भी विपक्षी संख्‍या-1 परिवादिनी को मानसिक शोषण की क्षतिपूर्ति हेतु आदेश के

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दिनांक से 30 दिन के अंदर अदा करना सुनिश्चित करें। वाद की परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्‍य में उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।‘’

     जिला आयोग द्वारा पारित उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी हीरा श्री हास्पिटल एण्‍ड रिसर्च सेन्‍टर की ओर से यह अपील योजित की गयी है।

    अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री संजय कुमार वर्मा उपस्थित। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री राघवेन्‍द्र प्रताप सिंह उपस्थित।

     वाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि दिनांक 07-05-2004 को परिवादिनी के पेट में दर्द होने पर डाक्‍टर एस० के० सिंह (एम०डी०) को उनके क्‍लीनिक पर दिखाया गया और उनकी सलाह पर स्‍पीड डायग्‍नोस्टिक सेंटर पर अल्‍ट्रासाउण्‍ड कराया गया। अल्‍ट्रासाउण्‍ड रिपोर्ट में पित्‍त की थैली में पथरी होने की पुष्टि डाक्‍टर द्वारा की गयी। परिवादिनी ने अपनी संतुष्टि हेतु विपक्षी संख्‍या-1 डाक्‍टर एच०एल० राजपूत के हास्पिटल में जाकर दिखाया तो उन्‍होंने अतिशीघ्र पित्‍त की थैली में पथरी का आपरेशन कराने का परामर्श दिया। दिनांक        09-05-2004 को विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा परिवादिनी की पित्‍त की थैली का आपरेशन किया गया तथा दिनांक 10-05-2004 को परिवादिनी को अस्‍पताल से डिस्‍चार्ज कर दिया गया।

   विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा परिवादिनी को पित्‍त की थैली की बायोप्‍सी विपक्षी संख्‍या-2 की लैब पर कराने की सलाह दी गयी। परिवादिनी द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 के परामर्श एवं विश्‍वास पर विपक्षी संख्‍या-2 की

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पैथोलॉजी पर पित्‍त की थैली की बायोप्‍सी करायी गयी। इस जॉंच हेतु विपक्षी द्वारा परिवादिनी से 1000/-रू० लिये गये तथा जॉंच रिपोर्ट में परिवादिनी को कैंसर होने की रिपोर्ट दी गयी। परिवादिनी व उसके परिजनों ने बेहद मानसिक कष्‍ट के साथ उक्‍त जॉंच रिपोर्ट विपक्षी संख्‍या-1 को दिखायी तो उन्‍होंने कहा कि जॉंच रिपोर्ट गंभीर है और यदि इसका उपचार नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं और जटिलताऍं भी बढ़ेंगी। परिवादिनी द्वारा विपक्षी संख्‍या-1 से किसी अन्‍य पैथोलोजी पर जॉंच कराने के लिए कहने पर विपक्षी सं०-1 द्वारा विपक्षी संख्‍या-2 की जॉंच रिपोर्ट के आधार पर परिवादिनी की कैंसर की थैरेपी की गयी जिसकी फीस 2,000/-रू० वसूल की गयी।

          परिवादिनी विपक्षी संख्‍या-2 की जॉंच रिपोर्ट से संतुष्‍ट नहीं थी तो दिनांक 16-05-2004 को विपक्षी संख्‍या-3 के यहॉं सीटी स्‍कैन टेस्‍ट कराया । विपक्षी संख्‍या-1 व 2 को परिवादिनी द्वारा विपक्षी संख्‍या-3 के यहॉं सीटी स्‍कैन कराने की जानकारी हो गयी। परिवादिनी को शंका हुई कि विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा भी परिवादिनी के साथ अन्‍याय व सेवा में कमी करते हुए विपक्षी संख्‍या-1 व 2 से साजिश करते हुए विपक्षी संख्‍या-1 व 2 के कृत्‍यों पर पर्दा डालते हुए कैंसर की रिपोर्ट की पुष्टि की गयी और कैंसर होने की रिपोर्ट दी गयी और परिवादिनी से उक्‍त रिपोर्ट हेतु 8,000/- रू० लिये गये।

      विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा भी कैंसर की पुष्टि किये जाने पर परिवादिनी और उसके परिजनों को बेहद मानसिक पीड़ा हुई और परिवादिनी पुन: विपक्षी संख्‍या-1 के अस्‍पताल गयी। विपक्षी संख्‍या-1 ने परिवादिनी तथा उसके परिजनों के दबाव डालने पर तथा कार्यवाही करने

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की धमकी देने पर साईन्‍टीफिक पैथोलोजी हरीपर्वत आगरा पर पुन: जांच कराने की सलाह दी जिस पर दिनांक 16-05-2004 को परिवादिनी द्वारा जॉंच करायी और जॉंच रिपोर्ट में कैंसर होने की पुष्टि नहीं की गयी। चूंकि विपक्षी संख्‍या-2 व 3 द्वारा कैंसर होने की पुष्टि की गयी थी इस कारण परिवादिनी अत्‍यन्‍त विचलित व भयभीत हो गयी। परिवादिनी ने कैंसर विशेषज्ञ डाक्‍टर अतुल गुप्‍ता को उनके नेहरू नगर आगरा स्थित क्‍लीनिक पर दिखाया। डाक्‍टर अतुल गुप्‍ता ने दो जॉंचे करायीं और उक्‍त दोनों जॉंचों में कैंसर के लक्षण नहीं पाये गये।

     विपक्षी संख्‍या-1, 2 व 3 द्वारा परिवादिनी को परेशान करने तथा धन ऐंठने के उद्देश्‍य से कैंसर होने की रिपोर्ट दी गयी तथा विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा कैंसर न होते हुए भी कैंसर की थैरेपी की गयी। विपक्षी सं०1 द्वारा यह कृत्‍य परिवादिनी व उसके परिवारीजनों से अवैधानिक रूप से धन ऐंठने की नियत से किया गया तथा विपक्षी संख्‍या-2 व 3 द्वारा भी विपक्षी संख्‍या-1 के प्रभाव में आकर इस तरह की जॉंच रिपोर्ट देकर परिवादिनी के जीवन के साथ खिलवाड़ किया तथा मानवीय संवेदना व मानव मूल्‍यों का घोर उल्‍लंघन किया। विपक्षी संख्‍या-1,2 व 3 के कृत्‍यों की वजह से परिवादिनी को बिना वजह गलत दवाईयों का सेवन करना पड़ा और परिवादिनी पर बेहद आर्थिक बोझ पड़ा और गलत दवाईयों के सेवन से परिवादिनी को कई प्रकार की समस्‍याओं का सामना करना पड़ा जो निश्‍चय ही विपक्षीगण द्वारा सेवा में की गयी घोर कमी को दर्शाता है।

      

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   जिला आयोग ने उभय-पक्ष को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का परिशीलन करने के उपरान्‍त विपक्षी संख्‍या-1 की सेवा में कमी पाते हुए उपरोक्‍त प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया है।

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा विधि विरूद्ध ढंग से निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, उनकी ओर से किसी प्रकार की चिकित्‍सीय लापरवाही नहीं बरती गयी है और न ही सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी की गयी है। परिवादिनी की पित्‍त की थैली का सफल आपरेशन किया गया था और परिवादिनी के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ होने के पश्‍चात ही उसे अस्‍पताल से डिस्‍चार्ज किया गया था।

   प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा सम्‍पूर्ण तथ्‍यों पर विचार करते हुए विधि  अनुसार निर्णय पारित किया है जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है, अत: अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

    पीठ द्वारा उभय-पक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण को विस्‍तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का गहनतापूर्वक विश्‍लेषण करने के पश्‍चात यह पाया गया कि चूंकि परिवादिनी के पेट में दर्द की शिकायत थी और उसने डा० एस० के० सिंह को उनके क्‍लीनिक पर दिखाया और परिवादिनी का अल्‍ट्रासाउण्‍ड कराया गया जिसमें पित्‍त  की थैली में पथरी की शिकायत की पुष्टि हुई और आपरेशन की सलाह दी गयी और परिवादिनी की सहमति से ही उसकी पित्‍त की थैली का सफल आपरेशन किया गया और स्‍वास्‍थ्‍य लाभ होने पर उसे अस्‍पताल से डिस्‍चार्ज किया गया। परिवादिनी का यह कथन कि डाक्‍टर की गलत

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सलाह पर पित्‍त की थैली की बायोप्‍सी विपक्षी संख्‍या-2 के लैब पर करायी गयी, उचित नहीं है। डाक्‍टर द्वारा बायोप्‍सी परिवादिनी का उचित ढंग से इलाज हो सके इसलिए कराए जाने की सलाह दी गयी।  पथरी के सफल आपरेशन के बाद परिवादिनी ठीक होकर घर चली गयी और बाद में यह कहना कि डाक्‍टर की गलत सलाह/रिपोर्ट से उसे अत्‍यधिक कष्‍ट एवं परेशानियों का सामना करना पड़ा, माने जाने योग्‍य नहीं है।

    अत: समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए पीठ इस मत की है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर गहनतापूर्वक विचार किये बिना ही विपक्षी संख्‍या-1 की सेवा में कमी पाते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है जो विधि विरूद्ध है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार करते हुए जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त  किये जाने योग्‍य है।

                                आदेश

     प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किया जाता है।

         अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

    अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को विधि अनुसार यथाशीघ्र वापस की जावे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     

        (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                     (सुधा उपाध्‍याय)

                      अध्‍यक्ष                                  सदस्‍य

            

       कृष्‍णा-आशु कोर्ट नं0 1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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