Uttar Pradesh

StateCommission

A/706/2017

Bank Of Baroda - Complainant(s)

Versus

Smt. Shakooran - Opp.Party(s)

Shailesh Kumar

02 Jan 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/706/2017
( Date of Filing : 20 Apr 2017 )
(Arisen out of Order Dated 08/03/2017 in Case No. C/51/2016 of District Bareilly-II)
 
1. Bank Of Baroda
Bareilly
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt. Shakooran
Bareilly
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 02 Jan 2020
Final Order / Judgement

                                                      सुरक्षि‍त

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                                                                  अपील संख्‍या- 706/2017

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्धितीय बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या- 51/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08-03-2017 के विरूद्ध)

 

बैंक आफ बड़ौदा द्वारा ब्रांच मैनेजर, रीजनल आफिस नियर गांधी उद्यान पुलिस स्‍टेशन, कोतवाली डिस्ट्रिक बरेली।

                                                                                                                              अपीलार्थी/विपक्षी सं०1

                              बनाम 

1- श्रीमती शकूरन, पत्‍नी स्‍व० साबिर कादरी, निवासी ग्राम महेशपुरा, पुलिस स्‍टेशन सी०बी० गंज, डिस्ट्रिक बरेली।

                                                                                                                                 प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

2- इण्डिया फर्स्‍ट लाइफ इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 द्वारा मैनेजर 301, बी विंग ई क्‍यूब इनफिनिटी पार्क डिन्‍डोसी फिल्‍म सिटी रोड, मलार्ड ईस्‍ट मुम्‍बई 400097

                                                                                                                                  प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं०2

मक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :   विद्वान अधिवक्‍ता श्री शैलेष कुमार

प्रत्‍यर्थी सं०1 की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री तारा गुप्‍ता

प्रत्‍यर्थी सं०2 की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्‍ता श्री अंग्रेज नाथ शुक्‍ला

 

दिनांक- 10-02-2020

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                   निर्णय

 

परिवाद संख्‍या– 51 सन् 2016 श्रीमती शकूरन बनाम बैंक आफ बड़ौदा द्वारा मैनेजर, क्षेत्रीय कार्यालय व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्धितीय बरेली द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक-      08-03-2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

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आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है।

" परिवाद इस प्रकार स्‍वीकार किया जाता है कि परिवादिनी प्रतिपक्षी सं०1 से क्षतिपूर्ति रू० 1,00,000/- प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है। इसके अतिरिक्‍त परिवादिनी मानसिक, शा‍रीरिक, आर्थिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में रू० 3000/- प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है। उक्‍त धनराशियों का एक माह के अन्‍तर्गत भुगतान न किये जाने पर परिवादिनी उक्‍त धनराशि पर परिवाद संस्थित किये जाने की तिथि से उक्‍त धनराशियों के भुगतान होने तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी प्राप्‍त करने की अधिकारिणी होगी। परिवादिनी प्रतिपक्षी से रू० 2000/- वाद व्‍यय के रूप में प्राप्‍त करने की अधिकारिणी होगी।

प्रतिपक्षी सं०1 को यह अधिकार होगा कि प्रीमियम धनराशि की कटौती में हुयी त्रुटि हेतु उत्‍तरदायी बैंक कर्मी (अधिकारी/कर्मचारी) के वेतन आदि से उक्‍त धनराशि वसूल करें। "

  जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी संख्‍या-1 बैंक आफ बड़ौदा ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

  अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री शैलेष कुमार और प्रत्‍यर्थी संख्‍या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता सुश्री तारा गुप्‍ता उपस्थित आयी हैं। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अंग्रेज नाथ शुक्‍ला उपस्थित आए हैं।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

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     मैंने अपीलार्थी की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क एवं प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की ओर से प्रस्‍तुत लिखित आपत्ति का भी अवलोकन किया है।

   अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसके पति स्‍व० साबिर कादरी का अपीलार्थी बैंक की शाखा परसाखेड़ा में खाता संख्‍या- 2424490100000343 था जिसमें उसकी नियोक्‍ता कम्‍पनी द्वारा वेतन भेजा जाता था।

  परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी का कथन है कि अपीलार्थी बैंक द्वारा खातेदारों का जीवन सुरक्षा योजना के अन्‍तर्गत प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 से बीमा करवाया जाता था जिसके नवीनीकरण हेतु खाते से स्‍वत: धनराशि काटकर प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 को भेजकर बीमा संचालित किया जाना था। प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी के पति के उपरोक्‍त खाते से वर्ष 2012 में 286/-रू० काटकर अपीलार्थी बैंक ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 से प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की बीमा पालिसी संख्‍या- 0000367 ए 087 कराया था और हर वर्ष के प्रथम माह में अपीलार्थी बैंक द्वारा ही अगली प्रीमियम धनराशि संदत्‍त करके पालिसी संचालित करायी जानी थी। दिनांक 05-07-2014 को प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी के पति की मृत्‍यु हो गयी तब प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी ने अपने पति की नियोजक कम्‍पनी बॉडी लाल प्रा०लि० से सम्‍पर्क किया तो दिनांक 05-01-2016 को उसके पति की उपरोक्‍त बीमा पालिसी तथा उसके प्रीमियम के भुगतान की जानकारी हुयी और उसे यह भी जानकारी हुयी कि बीमा पालिसी वर्ष 2013 में ही समाप्‍त हो गयी है फिर भी अपीलार्थी बैंक ने

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वर्ष 2015 में प्रीमियम की किश्‍त 291/-रू० भेजी थी जो मय ब्‍याज के वापस कर दी गयी है।

    परिवाद-पत्र के अनुसार अपीलार्थी बैंक ने वर्ष 2013 एवं वर्ष 2014 में प्रीमियम धनराशि 286/-रू० के स्‍थान पर 140/-रू० प्रीमियम धनराशि प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 को भेजा था।

    जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी बैंक ने प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर कथन किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी के पति स्‍व० साबिर कादरी के बीमा की प्रीमियम धनराशि अपीलार्थी बैंक में संचालित उसके खाते से सी०बी०एस० बैंकिंग में स्‍वत: हस्‍तांतरित होती थी जिसके लिए अलग से कोई कार्यवाही नहीं होती थी। प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की बीमा कम्‍पनी ने प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी का बीमा दावा गलत आधार पर खारिज किया है क्‍योंकि वर्ष 2013 में बीमा प्रीमियम 286/रू० के स्‍थान पर 140/-रू० प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 के सिस्‍टम द्वारा गलत उठायी गयी है। यह प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 की गलती है। लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2,ने अपीलार्थी बैंक या प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी के पति साबिर कादरी में से किसी को भी प्रीमियम की धनराशि कम प्राप्‍त होने के सम्‍बन्‍ध में कोई जानकारी नहीं दी थी।

  प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 जो परिवाद में विपक्षी संख्‍या-2 हैं ने भी लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी के पति साबिर कादरी का सदस्‍य संख्‍या- 78719 के रूप में इंडिया फर्स्‍ट ग्रुप टर्म लाइफ प्‍लान के अन्‍तर्गत वर्ष 2012 में एक लाख रूपये की धनराशि का बीमा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 द्वारा किया गया था। यह बीमा एक वर्ष के लिए था तथा वर्ष समाप्‍त होने पर पालिसी का नवीनीकरण कराया जाना आवश्‍यक था। प्रीमियम अनुग्रह अवधि 30 दिन के अन्‍तर्गत संदत्‍त न किये जाने पर

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पालिसी समाप्‍त हो जाती है। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने कहा है कि अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रीमियम के रूप में 140/-रू० जमा किये गये। यह धनराशि अपर्याप्‍त थी इस कारण वर्ष 2013 के लिए सदस्‍यता बीमा आच्‍छादन निर्गत नहीं किया गया। वर्ष 2014 हेतु पुन: अपीलार्थी बैंक द्वारा 140/-रू० प्रीमियम धनराशि के रूप में जमा किये गये जो अपर्याप्‍त थी। इस कारण बीमा पालिसी समाप्‍त हो गयी।

     लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने कहा है कि उसने दिनांक 16-03-2013 और दिनांक 12-08-2014 को अपीलार्थी/विपक्षी संख्‍या-1 को क्रमश: भुगतान आदेश  संख्‍या– 00495693 द्वारा 140/-रू0 और भुगतान आदेश संख्‍या-0064257 द्वारा 140/-रू० वापस कर दिया था। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 ने कहा है कि दिनांक 29-06-2015 को प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी के पति की दिनांक 05-07-2014 को मृत्‍यु होने के आधार पर बीमा दावा की सूचना प्राप्‍त हुयी जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी के पति की मृत्‍यु के पूर्व ही बीमा पालिसी समाप्‍त हो चुकी थी। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 बीमा पालिसी समाप्‍त होने जाने हेतु किसी भी प्रकार से उत्‍तरदायी नहीं है।

  जिला फोरम ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त अपीलार्थी बैंक जो परिवाद में विपक्षी संख्‍या-1 हैं की सेवा में त्रुटि के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की प्रश्‍नगत बीमा पालिसी लैप्‍स होना माना है। अत: जिला फोरम ने परिवाद अपीलार्थी जो परिवाद में विपक्षी संख्‍या-1 हैं, के विरूद्ध स्‍वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश उपरोक्‍त प्रकार से पारित किया है।

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  अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। अपीलार्थी बैंक की सेवा में कोई कमी नहीं है। सिस्‍टम की चूक से यदि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 बीमा कम्‍पनी को कम धनराशि प्राप्‍त हुयी थी तो उसे अपीलार्थी बैंक या प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति को सूचित करना चाहिए था। परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की बीमा कम्‍पनी ने अपीलार्थी बैंक अथवा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति को प्रीमियम धनराशि की कमी के सम्‍बन्‍ध में कोई सूचना नहीं दिया और प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की बीमा कम्‍पनी ने प्रीमियम धनराशि दिनांक 12-08-2014 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की मृत्‍यु के बाद वापस भेजा है। ऐसी स्थिति में बीमा पालिसी का प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की बीमा कम्‍पनी की सेवा में कमी के कारण नवीनीकरण नहीं कराया जा सका है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी बैंक की सेवा में कमी मानते हुए जो आदेश अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध पारित किया है वह उचित नहीं है। अपीलार्थी बैंक के विरूद्ध जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

    प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बीमा कम्‍पनी की सेवा में कोई कमी नहीं है। अपीलार्थी बैंक ने प्रीमियम धनराशि कम भेजा है इस कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की प्रश्‍नगत बीमा पालिसी का नवीनीकरण नहीं हो सका है। यह कहना उचित नहीं है कि प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी के पति की बीमा पालिसी का नवीनीकरण प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 की बीमा कम्‍पनी की सेवा में कमी के कारण नहीं हुआ है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की बीमा पालिसी का नवीनीकरण न होना

 

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अपीलार्थी बैंक एवं प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्‍या-2 दोनों की सेवा में कमी का परिणाम है।

 मैंने उभय-पक्ष के तर्क पर विचार किया है।.

 वर्ष 2013 की प्रीमियम धनराशि 286/-रू0 के स्‍थान पर अपीलार्थी बैंक ने 140/-रू0 प्रत्‍यर्थी संख्‍या-2 बीमा कम्‍पनी को भेजा है जिसे प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी ने दिनांक 16-03-2013 को अपीलार्थी बैंक को वापस कर दिया है। फिर वर्ष 2013 की प्रीमियम धनराशि अपीलार्थी बैंक ने प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी को नहीं भेजा है और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की पालिसी लैप्‍स हो गयी है। उसके बाद पुन: वर्ष 2014 में अपीलार्थी बैंक ने प्रीमियम धनराशि 286/-रू0 के स्‍थान पर 140/-रू0 प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी को भेजा है और पूर्ण प्रीमियम धनराशि 286/-रू0 का भुगतान कर बीमा पालिसी को पुनर्जीवित नहीं कराया है। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की प्रश्‍नगत पालिसी अपीलार्थी बैंक की त्र‍ुटि से लैप्‍स हुई है। इसमें प्रत्‍यर्थी बीमा कम्‍पनी का कोई दोष नहीं है। बीमा कम्‍पनी ने वर्ष 2013 में अपीलार्थी बैंक द्वारा प्रेषित धनराशि 140/-रू0 समय से बैंक को वापस किया है फिर भी बैंक नहीं जगा है और अपने सिस्‍टम की त्रुटि का निवारण नहीं किया है, न ही प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति की बीमा पालिसी का नवीनीकरण कराया है।

 सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं साक्ष्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि जिला फोरम ने अपीलार्थी बैंक की सेवा में कमी मानते हुए जो आदेश पारित किया है वह उचित है। किसी हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।

 

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उपरोक्‍त विवेचना एवं निष्‍कर्ष के आधार पर अपील निरस्‍त की जाती है।

अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

अपील में धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

   अन्‍तरिम आदेश के अनुपालन में जमा धनराशि व उस पर अर्जित ब्‍याज प्रत्‍यर्थी परिवादिनी को अवमुक्‍त किया जाये।

 

 

               (न्‍यामूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                       अध्‍यक्ष                                                             

         

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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