(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 107/1997
मेसर्स आशा गैस सर्विस सिविल लाइन देवरिया, द्वारा मैनेजर, आशा गैस सर्विस।
........अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1
बनाम
1. श्रीमती कल्पना मिश्रा पत्नी श्री कृष्ण गोपाल मिश्र निवासी मोहल्ला मोहन रोड, देवरिया जिला देवरिया।
2. कृष्ण गोपाल मिश्र पुत्र श्री दामोदर स्वरूप मिश्र निवासी मोहन रोड देवरिया, जिला देवरिया।
3. दामोदर स्वरूप मिश्र पुत्र स्व0 राम नरायन मिश्र निवासी मोहन रोड देवरिया, जिला देवरिया।
4. इंडियन आयल कार्पोरेशन पंजीकृत कार्यालय बी-9 अलीयावरगंज बान्द्रा बम्बई 40005 द्वारा चेयरमैन।
......प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से : श्री बी0के0 उपाध्याय,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण सं0- 1 ता 3 की ओर से : श्री एम0एच0 खान,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 4 की ओर से : श्री कुमार सम्भव,
विद्वान अधिवक्ता।
एवं
अपील सं0- 284/1997
इंडियन आयल कार्पोरेशन पंजीकृत कार्यालय बी-9 अलीयावरगंज बान्द्रा बम्बई 40005 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर बाबर रोड, नई दिल्ली द्वारा कांस्टीट्यूट एटार्नी।
........अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 2
बनाम
1. श्रीमती कल्पना मिश्रा पत्नी श्री कृष्ण गोपाल मिश्र निवासी मोहल्ला मोहन रोड देवरिया, जिला- देवरिया।
2. कृष्ण गोपाल मिश्र पुत्र श्री दामोदर स्वरूप मिश्र निवासी मोहन रोड देवरिया, जिला- देवरिया।
3. दामोदर स्वरूप मिश्र पुत्र राम नरायन मिश्र निवासी मोहन रोड देवरिया, जिला- देवरिया।
4. मेसर्स आशा गैस सर्विस सिविल लाइन देवरिया, द्वारा मैनेजर आशा गैस सर्विस।
......प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से : श्री कुमार सम्भव,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण सं0- 1 ता 3 की ओर से : श्री एम0एच0 खान,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 4 की ओर से : श्री बी0के0 उपाध्याय,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 07.12.2021
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 480/1993 श्रीमती कल्पना मिश्रा व दो अन्य बनाम मेसर्स आशा गैस सर्विस व एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, देवरिया द्वारा पारित निर्णय/आदेश दि0 08.01.1997 के विरुद्ध अपील सं0- 107/1997 मै0 आशा गैस सर्विस बनाम श्रीमती कल्पना मिश्रा व तीन अन्य परिवाद के विपक्षी सं0- 1 की ओर से तथा सम्बन्धित अपील सं0- 284।1997 इंडियन आयल कार्पोरेशन बनाम श्रीमती कल्पना मिश्रा व तीन अन्य परिवाद के विपक्षी सं0- 2 की ओर से धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत दोनों अपीलें प्रस्तुत की गई हैं।
संक्षेप में प्रस्तुत अपील के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादीगण द्वारा विपक्षी सं0- 1 सर्व श्री आशा गैस सर्विस से एक गैस कनेक्शन प्राप्त किया गया था जिसका कंज्यूमर/उपभोक्ता नं0- 3565 प्राप्त किया गया था जिस पर परिवादी सं0- 3 डॉ0 दामोदर स्वरूप मिश्र पुत्र स्व0 राम नरायन मिश्र निवासी मोहन रोड, देवरिया द्वारा 02 सिलेंडर की सुविधा प्राप्त होना बताया गया। विपक्षी सं0- 1 सर्व श्री आशा गैस सर्विस एवं परिवाद पत्र में वर्णित विपक्षी सं0- 2 सर्व श्री इंडियन आयल कार्पोरेशन का अधिकृत अभिकर्ता है। परिवादी सं0- 3 को 02 सिलेंडर की सुविधा इस हेतु प्राप्त करनी पड़ी, ताकि सिलेंडर में गैस खत्म होने पर दूसरे सिलेंडर का प्रयोग किया जा सके जिससे कि घर पर असुविधा न हो।
दि0 23.09.1992 को 1:00 बजे दिन में परिवादिनी सं0- 1 श्रीमती कल्पना मिश्रा पत्नी श्री कृष्ण गोपाल मिश्र निवासी मोहल्ला मोहन रोड मकान नं0 97, देवरिया अपने निवास पर खाना बना रही थी तभी सिलेंडर में गैस समाप्त हो गई तब परिवादिनी सं0- 1 द्वारा अपने घर पर दूसरा भरा सिलेंडर जो परिवादी सं0- 3 डॉ0 दामोदर स्वरूप मिश्र द्वारा अपना बताया गया को लगाने का प्रयास किया जा रहा था तब उसका सील कवर हटाते समय सिलेंडर में से तेज रफ्तार से गैस निकलने लगी जिससे परिवादिनी सं0- 1 के पश्चिम तरफ मकान से सटे विद्युत पोल पर बिजली की स्पार्किंग हो रही थी जिससे उसके गैस सिलेंडर में आग लग गई तथा परिवादिनी सं0- 1 बुरी तरह जल गई व उसके रसोई घर में रखे सामान को भी क्षति हुई। परिवाद पत्र में यह कथन किया गया कि किसी प्रकार का कोई स्टोव इत्यादि उसके मकान में प्रयोग नहीं किया जा रहा था जिससे कि आग लगने की घटना घटित हो। पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों के साथ जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख दायर परिवाद पत्र की प्रति उपलब्ध नहीं है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि परिवाद पत्र में परिवादीगण द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख क्या अनुतोष प्रदान किये जाने हेतु प्रार्थना की गई है, परन्तु विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश से यह स्पष्ट होता है कि जो आग गैस सिलेंडर में लगने की घटना का वर्णन एवं तथ्य बताया गया है उसमें विपक्षी सं0- 1 गैस एजेंसी द्वारा प्राप्त कराया गया है कि उसकी सील सही रूप से गैस सिलेंडर के मुंह पर नहीं स्थापित थी तथा यह कि उक्त घटना के पश्चात विपक्षीगण द्वारा समुचित जांच गैस सिलेंडर के रिसाव के सम्बन्ध में नहीं किया गया तथा विपक्षीगण द्वारा जानबूझकर उपरोक्त सिलेंडर की जांच न किये जाने से उसकी खराबी व घटना का घटित होना स्थापित नहीं प्रतीत हुआ। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के निर्णय/आदेश में इस तथ्य का उल्लेख पाया गया कि फायर बिग्रेड आफीसर का आवेदन दि0 23.09.1992 को समय 1:26 बजे परिवादीगण द्वारा दिया गया जिस पर आग बुझाने का कार्य फायर बिग्रेड द्वारा किया गया।
विपक्षी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि विद्युत पोल में स्पार्किंग से गैस सिलेंडर में आग लगने की घटना काल्पनिक प्रतीत होती है जिसमें किसी प्रकार की कोई सच्चाई नहीं दिखायी देती है तथा यह कि परिवादी सं0- 3 ने विपक्षी सं0- 1 से डबल सिलेंडर की सुविधा के साथ गैस कनेक्शन प्राप्त करने का जो कथन किया है उस सम्बन्ध में दूसरे गैस सिलेंडर से सम्बन्धित कनेक्शन कंज्यूमर नम्बर का कोई हवाला नहीं दिया जा सका तथा यह कि परिवादीगण द्वारा की गई त्रुटि से आग लगने की घटना घटित हुई। अतएव विपक्षी सं0- 1 के विरुद्ध जो अनुतोष मांगा गया तथा जो अनुतोष प्रदान किया गया वह पूर्णत: अनुचित है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवादीगण को क्षतिपूर्ति के रूप में कुल रू0 30,488/- विपक्षी सं0- 1 से प्राप्त करने का हकदार पाया गया तथा यह भी पाया गया कि गैस रिसाव से आग लगने की घटना हुई तथा विपक्षी सं0- 1 ने परिवादीगण की सेवा में त्रुटि की है, क्योंकि उससे यह विदित था परिवादिनी सं0- 1 को आग उस गैस सिलेंडर के गैस रिसाव से लगी थी जिसे प्रदान किया गया था। अतएव उसका दायित्व है कि वह परिवादीगण को क्षतिपूर्ति की रकम रू0 30,488/- का तीन चौथाई भाग विपक्षी सं0- 2 अर्थात इंडियन आयल कार्पोरेशन द्वारा देय होगा, शेष एक चौथाई भाग मु07,622/- विपक्षी सं0- 1 सर्व श्री आशा गैस सर्विस द्वारा परिवादीगण को देय होगा। साथ ही उपरोक्त धनराशि आदेश की तिथि से 01 माह की अवधि में प्रदान किये जाने का आदेश दिया गया तथा ऐसा न करने पर 18 प्रतिशत ब्याज आदेश की तिथि दि0 08.01.1997 से देय धनराशि की तिथि तक देय होगा।
मेरे द्वारा उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश दि0 08.01.1997 के विरुद्ध प्रस्तुत अपील में दि0 24.04.1997 को अंतरिम आदेश पारित किया गया जो आज दिनांक तक लागू है।
उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने के पश्चात तथा विद्वान अधिवक्तागण की सहमति से प्रस्तुत अपील जो विगत 24 वर्ष से लम्बित है को निम्न आदेश के अनुसार निस्तारित किया जाता है:-
यह कि प्रस्तुत अपील 107/1997 परिवाद में विपक्षी सं0- 1 मै0 आशा गैस सर्विस, सिविल लाइन, देवरिया द्वारा मैनेजर, आशा गैस सर्विस द्वारा दाखिल की गई है। परिवाद में विपक्षी सं0- 2 सर्व श्री इंडियन आयल कार्पोरेशन पंजीकृत कार्यालय बी-9 अलीयावरगंज बान्द्रा बम्बई 40005 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर बाबर रोड, नई दिल्ली द्वारा कांस्टीट्यूट एटार्नी द्वारा अपील सं0- 284/1997 योजित की गई है। दोनों अपीलें एक ही निर्णय/आदेश के विरुद्ध योजित की गई हैं। अतएव उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने के उपरांत दोनों अपीलें इस निर्णय द्वारा अन्तिम रूप से निस्तारित की जाती हैं।
आदेशित किया जाता है कि अपील सं0- 107/1997 मे0 आशा गैस सर्विस बनाम श्रीमती कल्पना मिश्रा व अन्य में अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को कुल धनराशि 5,000/-रू0 02 माह की अवधि में प्रदान करेगी साथ ही विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश के अनुपालन में देय ब्याज 18 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत की गणना से देय होगी। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है।
अपील सं0- 284/1997 इंडियन आयल कार्पोरेशन बनाम श्रीमती कल्पना मिश्रा व अन्य आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 3 इंडियन ऑयल कार्पोरेशन को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को कुल धनराशि 15,000/-रू0 02 माह की अवधि में प्रदान करेगा। साथ ही विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश के अनुपालन में देय ब्याज 18 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत की गणना से देय होगी। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय/आदेश की मूल प्रति अपील सं0- 107/1997 में रखी जाए एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्बन्धित अपील सं0- 284/1997 में रखी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0-1