राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-774/2019
चीफ मेडिकल आफिसर
बनाम
श्रीमती गीता, पत्नी श्री योगेन्द्र
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0के0 शुक्ला,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 16.12.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद संख्या-172/2013 श्रीमती गीता बनाम मुख्य चिकित्साधिकारी, जिला चिकित्सालय एटा में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 02.06.2018 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री एस0के0 शुक्ला को सुना गया तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी ने अपना नसबन्दी का आपरेशन दिनांक 02.01.2012 को केन्द्र पी0पी0सी0 पर कराया था, परन्तु आपरेशन कराने के पश्चात् भी परिवादिनी गर्भवती हो गयी। परिवादिनी द्वारा इस संबंध में विपक्षी को सूचना दिए जाने के बावजूद परिवादिनी को असफल नसबन्दी होने पर मिलने वाली आर्थिक सहायता का लाभ नहीं मिल सका। परिवादिनी का नसबन्दी आपरेशन विपक्षी के चिकित्सक द्वारा लापरवाहीपूर्वक
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करने के कारण असफल हुआ, जिससे परिवादिनी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से परेशानी हुई। अत: क्षुब्ध होकर परिवादिनी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विपक्षी पर नोटिस तामील होने के उपरान्त उनके द्वारा कोई जवाबदावा जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया गया।
परिवादिनी को सुनने तथा अभिलेखों का परीक्षण करने के उपरान्त जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्न आदेश पारित किया गया:-
''परिवादिनी का परिवादपत्र विरूद्ध विपक्षी आंशिक रूप से निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है।
विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को परिवादपत्र प्रस्तुत करने की दिनांक से 30,000/-रू0 (तीस हजार रूपये) वास्तविक रूप से वसूल होने तक मय 7% (सात प्रतिशत) वार्षिक ब्याज की दर से प्रदान करे।
विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को मानसिक व शारीरिक कष्ट के रूप में 1,000/-रू0 (एक हजार रूपये) तथा वाद व्यय के 5,00/-रू0 (पांच सौ रूपये) प्रदान करे।''
सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि प्रथम दृष्ट्या यह मामला उपभोक्ता विवाद की श्रेणी में नहीं आता है क्योंकि विपक्षी द्वारा की गयी कथित सेवा के विरूद्ध परिवादिनी से कोई प्रतिफल प्राप्त नहीं किया गया। अत: मेरे मतानुसार जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय
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एवं आदेश विधिसम्मत नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, एटा द्वारा परिवाद संख्या-172/2013 श्रीमती गीता बनाम मुख्य चिकित्साधिकारी, जिला चिकित्सालय एटा में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 02.06.2018 अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1