(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2047/2005
न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी, पी.ओ. नोयडा काम्प्लेक्स, जिला गौतम बुद्ध नगर, द्वारा चेयरमैन।
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
श्रीमती उमा मेहरा पत्नी श्री आर0के0 मेहरा, निवासिनी ए-53, सेक्टर 14, नोयडा।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री अशोक शुक्ला, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 11.08.2021
माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. यह अपील, अन्तर्गत धारा 15, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत परिवाद संख्या-291/2004, श्रीमती उमा मेहरा बनाम चेयरमैन, न्यू ओखला इण्डस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, गौतम बुद्ध नगर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.09.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है।
2. संक्षेप में अपील के आधार हैं कि प्रश्नगत निर्णय दिनांक 26.09.2005 विधि विरूद्ध, मनमाना है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग का यह निष्कर्ष कि प्रत्यर्थी द्वारा अपीलार्थी को कोई धनराशि अदा नहीं करनी है, गलत है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने लिपिकीय त्रुटि का गलत लाभ प्रत्यर्थी को दिया है। त्रिपक्षीय करार में अपीलार्थी का कोई भाग नहीं है। स्वीकृति देते समय लिपिकीय त्रुटि के कारण लीज रेंट 1 प्रतिशत
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के स्थान पर 0.1 प्रतिशत अर्थात् 607/- रूपये के स्थान पर 61/- रूपये अंकित हो गया था।
3. हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक शुक्ला तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा की बहस सुनी और प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का परिशीलन किया।
4. बहस के दौरान अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने अवगत कराया कि इस मामले में उसने लीज रेंट की बकाया धनराशि जमा करने के लिए नोटिस भेजी थी और यह धनराशि 23,294/- रूपये की थी। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता ने बताया कि उन्होंने इस मामलें में 25,126/- रूपये जमा कर दिए हैं। अत: उन्हें शेष धनराशि वापस की जाए। अपीलार्थी की ओर से तर्क दिया गया कि उसके द्वारा मांगी गई धनराशि पूर्व की है और अब अगर ब्याज जोड़ देंगे तो धनराशि अधिक हो जाएगी।
5. हम इस विचार के हैं कि चूंकि त्रुटि अपीलार्थी की ओर से हुई थी, इसलिए अपीलार्थी द्वारा बतायी गई धनराशि 23,294/- रूपये पर किसी प्रकार का कोई ब्याज देय नहीं होगा और प्रत्यर्थी ने इस संबंध में 25,126/- रूपये जमा कर दिए हैं तब जो धनराशि अधिक जमा की गई है, वह उसे वापस की जाए और साथ ही साथ अपीलार्थी 30 दिन के अन्दर प्रत्यर्थी को अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) भी निर्गत करे। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार हाने और प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 26.09.2005 संशोधित होने योग्य है।
आदेश
6. वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 26.09.2005 संशोधित किया जाता है। प्रत्यर्थी द्वारा जमा धनराशि 25,126/- रूपये में से अपीलार्थी अपने 23,294/- रूपये प्राप्त करने के पश्चात शेष धनराशि उसे 30 दिन के अन्दर वापस
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करे और साथ ही साथ इस संबंध में वह उपरोक्त अवधि के अन्दर अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) भी जारी करे। वाद व्यय का आदेश निरस्त किया जाता है।
पक्षकार अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3