राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
सुरक्षित।
अपील संख्या:-2484/1998
(जिला उपभोक्ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या-1069/1995 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनॉंक 31-07-1998 के विरूद्ध)
Secretary Allahabad Development Authority Indira Bhawan Civil Lines Allahabad.
……………..Appellant/Opp. Party.
Versus
Smt. Surya Gupta, Resident of 49 Jawahar Square Allahabad.
…………….Respondent/Complainant.
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी अधिवक्ता
श्री मनोज कुमार।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं।
दिनॉंक:-25-08-2021
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी द्वारा यह अपील जिला उपभोक्ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या-1069/1995 श्रीमती सूर्या गुप्ता बनाम सेक्रेटरी इलाबाद विकास प्राधिकरण में पारित निर्णय व आदेश दिनॉंक 31-07-1998 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
अपीलार्थी का संक्षेप में कथन है कि प्रश्नगत निर्णय व आदेश दिनॉक 31-07-1998 द्वारा तर्क और परिस्थितियों तथा तथ्यों की अज्ञानता में उदघोषित किया गया जो किसी साक्ष्य पर आधारित नहीं है। विद्वान जिला फोरम ने विपक्षी के इस कथन को नहीं देखा कि वह हमेशा कथित प्लाट का आधिपत्य दिये जाने को तैयार था। परिवादी ने विद्वान फोरम/आयोग में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं दिया कि उसने यथाशीघ्र आधिपत्य लेने के लिये कोई प्रयास किया है। परिवादी द्वारा कथित नोटिस जुलाई, 95 में परिवाद प्रस्तुत करने के कुछ माह पहले ही भेजा गया। परिवादी ने मार्च, 93 में धनराशि जमा कर दी और अन्य औपचारिकताऍं सितम्बर, 99 में पूरी की, लेकिन उसने विपक्षी से सम्पर्क करने का प्रयास नहीं किया। यदि परिवादी विपक्षी के पास भूखण्ड का आधिपत्य लेने के लिये पहुँचता तो विपक्षी उसे तुरन्त कब्जा प्रदान कर देता। भूखण्ड का विकास न करने का कथन परिवाद में नहीं कहा है। भूखण्ड का विकास शुरू हो चुका है और अब यह कब्जा देने के लिये तैयार है, तथा कई व्यक्त्यिों को कब्जा दिया जा चुका है। विद्वान जिला फोरम ने मई, 93 से ब्याज अदा करने का आदेश गलत दिया है, तथा मनमाने तरीके से 18 प्रतिशत का ब्याज जमा धनराशि पर देने का आदेश दिया है। विपक्षी ने न तो कोई सेवा में कमी की है और न ही कोई उपेक्षा दिखायी है।
अत: माननीय आयोग से अनुरोध है कि वह अपील स्वीकार करते हुए प्रश्नगत निर्णय व आदेश दिनॉंक 31-07-98 को अपास्त करे।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री दीपक मेहरोत्रा की ओर से उनके सहयोगी श्री मनोज कुमार को सुना। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
हमने प्रश्नगत निर्णय एवं पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया।
हमने प्रश्नगत निर्णय दिनॉंक 31-07-98 का अवलोकन किया। विद्वान जिला फोरम/आयोग ने लिखा है कि प्रतिवादी ने एकांकी कुंज हाउसिंग स्कीम में प्लाट संख्या बी-13 अपने पत्र दिनॉंक 17-11-92 द्वारा आवंटित किया और वादिनी ने उस पत्र के आधार पर मुबलिग 1,59,200/- रूपये एवं 2016/-रूपये ब्याज अर्थात सम्पूर्ण कीमत मार्च, 93 तक जमा कर दिया था। किन्तु प्रतिवादी ने अभी तक कब्जा नहीं दिया। विद्वान फोरम के समक्ष प्रतिवादी ने दिनॉंक 15-07-96 को जवाब प्रस्तुत किया और कहा कि वह हमेशा कब्जा देने के लिये तैयार है। विद्वान फोरम ने सभी तथ्यों पर विचार करते हुए यहकहा कि ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे यह सिद्ध हो कि प्रतिवादी ने विकसित प्लाट का कब्जा देने का आमंत्रण/सूचना वादिनी को दी हो और वादिनी सूचना मिलने पर कब्जा लेने न आयी हो। फोरम ने अपने निर्णय में लिखा कि प्रतिवादी को आदेशित किया जाता है कि आदेश मिलने के दो माह के अन्दर वादिनी को विकसित प्लाट बी-13 का कब्जा दें। वादिनी दिनॉंक 01-05-93 से कब्जा की तिथि पर वादिनी द्वारा जमा धनराशि 1,59,200/-रूपये पर 18 प्रतिशत ब्याज, वाद व्यय 500/-रूपये और भी दें।
वर्तमान मामले में मुख्य आपत्ति 18 प्रतिशत ब्याज पर की गयी और कहा गया कि ब्याज की राशि अत्यधिक है। विद्वान जिला फोरम/आयोग के निर्णय में कोई त्रुटि नहीं है। जहॉं तक 18 प्रतिशत ब्याज का संबंध है तो ब्याज की दर को 12 प्रतिशत किया जाना उचित होगा। यह ब्याज की दर 18 प्रतिशत से 12 प्रतिशत की जाती है। ऐसी निर्णय व आदेश दी गयी परिस्थितियों के अनुसार उचित है और उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय व आदेश दिनॉंक 31-07-1998 में ब्याज की दर 18 प्रतिशत से संशोधित करते हुए 12 प्रतिशत की जाती है, शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय पक्षकारों पर।
उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनॉंकित होकर उदघोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
प्रदीप कुमार, आशु0
कोर्ट नं0-3