राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-2379/1999
(जिला उपभोक्ता फोरम, इलाहाबाद द्वारा परिवाद संख्या-70/97 में पारित निर्णय दिनांक 05.07.1999 के विरूद्ध)
1.अंसल हाउसिंग एण्ड कान्स्ट्रक्शन लि0 28, सराजनी नायडु मार्ग
इलाहाबाद।
2.अंसल हाउसिंग एण्ड कान्स्ट्रक्शन लि0 15, यू.जी.एफ, इन्द्रप्रकाश,
21 बाराखंभा रोड, नई दिल्ली। ......अपीलार्थीगण@विपक्षीगण
बनाम
एन.के. सक्सेना (मृतक)
1.श्रीमती शैल बाला सक्सेना पत्नी स्व0 श्री एन.के. सक्सेना
2.ग्रुप कैप्टन शेखर सक्सेना पुत्र स्व0 श्री एन.के. सक्सेना
दोनों निवासीगण वाई-504, प्रयाग कुन्ज 3 स्ट्रैची रोड, इलाहाबाद
........प्रतिस्थापित विधिक वारिसान
.......प्रत्यर्थी/परिवादी/विधिक वारिसान
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0एस0 बिसारिया, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नही।
दिनांक 22.09.2021
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 70/97 एन0के0 सक्सेना बनाम मै0 अंसल हाउसिंग व एक अन्य में पारित निर्णय/आदेश दि. 05.07.99 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया गया है कि परिवादी द्वारा अंकन रू. 52170/- 45 दिन के अंदर 15 प्रतिशत ब्याज सहित अदा किया जाए। इसके पश्चात 18 प्रतिशत ब्याज देय होगा।
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2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि दिनांक 19.12.94 को फ्लैट नं0 वाई 504 प्रयाग कुन्ज स्ट्रैची रोड लखनऊ का आवंटन कोर आवंटी राजेश शर्मा से अंतरित कराया था। उस तिथि तक अंकन रू. 355366.50 पैसे का भुगतान विपक्षी को किया जा चुका था। दिनांक 19.12.94 को कुल कीमत से अधिक का भुगतान हो चुका था, परन्तु कब्जा देने से इंकार कर दिया गया। विपक्षीगण द्वारा अंकन रू. 52170/- अतिरिक्त मूल्य तथा रू. 19470/- विद्युत अधिभार के लिए मांगा गया, जबकि मूल्यवृद्धि का कोई प्रावधान नहीं है।
3. विपक्षीगण का कथन है कि फ्लैट का प्रारंभ में अनुमानित मूल्य है, निर्माण पश्चात वास्तविक खर्च निश्चित किया जाता है, इसलिए यह राशि परिवादी द्वारा देय है। कब्जा दिनांक 26.2.94 को दे दिया गया।
4. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया है कि मूल्य बढ़ाना उचितपूर्ण नहीं है, वादी से बढ़ी हुई धनराशि गलत ढंग से ली गई है, जिसको वापस किया जाना चाहिए था।
5. इस निर्णय व आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गई है कि जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय स्पष्ट रूप से विधि विरूद्ध तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत है, क्षेत्राधिकार विहीन है। एकतरफा निर्णय पारित किया गया है। परिवाद खारिज कर दिया गया था, इसके पश्चात दिनांक 29.01.98 को खारिज करने के लिए आदेश रिकाल कर लिया गया। सम्मन की तामील न होने के बावजूद एकतरफा सुनवाई का आदेश पारित कर दिया गया।
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6. केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि भवन के मूल्य में बढ़ोत्तरी के तथ्य को चुनौती नहीं दी जा सकती। अपने तर्क के समर्थन में नजीर मुकुन्द दामोदर रघुवीर बनाम सिडको लि0 3(2015)सीपीजे 29(एनसी) प्रस्तुत की गई है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि भवन मूल्य में बढ़ोत्तरी के विरूद्ध अनुच्छेद 226 के अंतर्गत रिट याचिका प्रस्तुत नहीं की जा सकती। इसी प्रकार एक अन्य नजीर कमिश्नर गुजरात हाउसिंग बोर्ड व अन्य बनाम ठक्कर सोमालाल 2(1996)सीपीजे90(एनसी) प्रस्तुत की गई है। उपरोक्त केस में परिवादी द्वारा पुनरीक्षित मूल्य जमा कर दिया गया, फ्लैट का कब्जा ले लिया गया, कब्जा लेने के पश्चात उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया। राष्ट्रीय उपभोक्ता मंच द्वारा निर्णय दिया गया है कि कब्जा लेने के पश्चात उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। प्रस्तुत केस की स्थिति यह है कि परिवादी द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर भवन निर्माता कंपनी से फ्लैट आवंटित नहीं कराया, अपितु अन्य किसी व्यक्ति से अपने नाम अंतरित कराया, इसलिए अंतरण शुल्क के रूप में अतिरिक्त मूल्य देय होता है जो परिवादी द्वारा अदा भी किया जा चुका है। परिवादी को कब्जा भी प्रदान किया जा चुका है, इसलिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग द्वारा दिया गया निर्णय प्रस्तुत केस के लिए सुसंगत है। तदनुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
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आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की
वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3