Uttar Pradesh

StateCommission

A/1999/1998

Bank of Baroda - Complainant(s)

Versus

Smt Neera Rani - Opp.Party(s)

Hari Pd. Srivastava And Anil Kumar Mishra

10 Dec 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1999/1998
( Date of Filing : 07 Aug 1999 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Bank of Baroda
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Neera Rani
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 Dec 2020
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या:1998/1999  

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-200/1995 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.07.1999 के विरूद्ध)

  1. Bank of Baroda Branch Station Road, Distt-Moradabad Through Branch Manager.
  2. Bank of Baroda, Asaf Ali Road, Delhi through Branch manager.

                                                   ....Appellants

Versus

  1. Smt. Neera Rani Dubey wife of sri Devi Dutt Dubey, Resident of Mohalla Katghar Holi ka Maidan Distt-Moradabad.
  2. Moradabad District Co-operative Bank Limited district Moradabad branch Katghar through Branch Manager.
  3. Moradabad District Co-operative Bank Chief Branch District Moradabad through branch Manager.  
  4.                                                         
    1.  मा0 श्री सुशील कुमार,                  सदस्‍य।
    2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना,                सदस्‍य।

उपस्थिति :

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-       श्री हरी प्रसाद श्रीवास्‍तव         

   प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-        कोई नहीं

दिनांक : 23-03-2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

  1.  जिला उपभोक्‍ता मंच, मुरादाबाद के समक्ष प्रस्‍तुत किये गये परिवाद संख्‍या-200/1995, श्रीमती नीरा रानी दूबे बनाम मुरादाबाद जिला सहकारी बैंक लिमिटेड में पारित निर्णय व आदेश दिनां‍क 01.07.1999 के विरूद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है। जिला उपभोक्‍ता मंच ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया गया है:-
  2.          
  3.  इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि विपक्षी सं0 3 व 4/अपीलार्थी की विरूद्ध18,270/- रूपये 18 प्रतिशत ब्‍याज सहित अदा करने का आदेश भी विधि विरूद्ध है। परिवादी द्वारा बनायी गयी विलेख प्रत्‍यर्थी सं0 2 यानि मुरादाबाद डिस्ट्रिक्‍ट कॉपरेटिव  बैंक में भुगतान के लिए जमा कराया गया था, जिसमें ब्‍याज 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से देय होता है। यह विलेख एक बैंक से दूसरे बैंक भेजे जाने के दौरान गुम हो गयी। अपीलार्थी बैंक को विलेख में वर्णित धनराशि अभी तक प्राप्‍त नहीं हुई है इसलिए अपीलार्थी की ओर से सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं की गयी है। यह भी उल्‍लेख किया गया है कि ब्‍याज अत्‍यधिक उच्‍च दर से अदा करने का आदेश दिया गया है।
  4. केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया गया।
  5. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि उनके बैंक में कभी भी विलेख प्राप्‍त नहीं हुए इसलिए विलेख में वर्णित राशि को अदा करने का कोई उत्‍तरदायित्‍व अपीलार्थी को नहीं है। परिवाद पत्र के अनुसार तीस हजारी दिल्‍ली से प्राप्‍त रिफण्‍ड बाउचर 24.08.1992 को परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0 1 में संचालित खाते में जमा कराया था। विपक्षी सं0 1 ने विपक्षी सं0 2 को तथा विपक्षी सं0 2 ने विपक्षी सं0 3 के यहां समाशोधन के लिए भेजा। विपक्षी सं0 1 ने सूचित किया कि विपक्षी सं0 4 के द्वारा रिफण्‍ड बाउचर कहीं खो गया है।
  6. विपक्षी सं0 1 व 2 द्वारा यह स्‍वीकार किया गया है कि परिवादिनी ने 24.08.1992 को समाशोधन के लिए रिफण्‍ड बाउचर अपने खाते में जमा किया था, वहां से विपक्षी सं0 3 को और विपक्षी सं0 3 से विपक्षी सं0 4 को भेजा गया था इसलिए डुप्‍लीकेट रिफण्‍ड बाउचर लाने के लिए कहा गया था।
  7. विपक्षी सं0 3 एवं 4 का कथन है कि परिवादिनी से डुप्‍लीकेट रिफण्‍ड बाउचर बनाने के लिए कहा गया था किन्‍तु गलत तरीके से परिवाद प्रस्‍तुत कर दिया गया।

7. सभी पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच ने यह निष्‍कर्ष दिया कि विपक्षी सं0 3 एवं 4 की ओर से सेवा में कमी की गयी है, जिसके कारण परिवादिनी को रिफण्‍ड बाउचर का भुगतान नहीं हो सका है। यह सही है कि बैंक की लापरवाही के कारण रिफण्‍ड बाउचर गुम हो गये परंतु रिफण्‍ड बाउचर स्‍टाम्‍प कलेक्‍टर द्वारा जारी किये गये है इसलिए रिफण्‍ड बाउचर परिवादिनी द्वारा पुन: बनवाये जा सकते हैं इस आयोग द्वारा भी पूर्व में यह आदेश पारित किया गया है कि परिवादिनी स्‍टाम्‍प कलेक्‍टर 30 हजारी से पुन: रिफण्‍ड बाउचर प्राप्‍त कर बैंक मे जमा कराये। अत: जो विलेख डुप्‍लीकेट प्राप्‍त हो सकते हैं, उस विलेख के गुम हो जाने पर बैंक को विलेख में वर्णित समस्‍त राशि के लिए उत्‍तरदायित्‍व ठहराना विधिसम्‍मत नहीं है, इस विलेख के गुम होने के कारण बैंक केवल विलेख जमा करने और उसके भुगतान की तिथि तक ब्‍याज अदा करने के लिए उत्‍तरदायी है।

  •  

            अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादिनी द्वारा डुप्‍लीकेट बाउचर प्राप्‍त कर बैंक में प्रस्‍तुत करने की तिथि के तुरंत पश्‍चात भुगतान किया जाये तथा पूर्व में प्रस्‍तुत करने की ति‍थि से अंतिम भुगतान की तिथि तक रिफण्‍ड बाउचर की राशि पर 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्‍याज अदा किया जाये।

अपील में उभयपक्ष अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगें।

 

(विकास सक्‍सेना)                                   (सुशील कुमार)

    सदस्‍य                                           सदस्‍य

संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0-2      
 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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