Uttar Pradesh

StateCommission

A/2195/2015

Anoop Hospital - Complainant(s)

Versus

Smt Geeta Devi - Opp.Party(s)

Umesh Kumar Srivastava

07 Sep 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2195/2015
(Arisen out of Order Dated 06/10/2015 in Case No. c/994/2009 of District Kanpur Nagar)
 
1. Anoop Hospital
Kanpur Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Geeta Devi
Kanpur Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 07 Sep 2017
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-2195/2015

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या 994/2009 में पारित आदेश दिनांक 06.10.2015 के विरूद्ध)

Anoop Hospital, 3, Mangala Vihar-II, Bai Para Road, Delhi Sujanpur, Kanpur Nagar through Managing Director Dr. Anoop Shanker Kushwaha.           

                               .................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

Smt. Geeta Devi, W/o Shri Uma Shanker Kushwaha, R/o Village-Kharauti, Tehsil and Distt.-Kanpur Nagar.

                               ................प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री माता प्रसाद यादव,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 24.10.2017

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-994/2009 श्रीमती गीता देवी बनाम अनूप हास्पिटल में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 06.10.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवादिनी का प्रस्‍तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से इस आशय से स्‍वीकार किया जाता है कि प्रस्‍तुत निर्णय  पारित

-2-

करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादिनी को                       रू0 2,00,000.00 समस्‍त हर्जाने के रूप में तथा रू0 5000.00 परिवाद व्‍यय अदा करे।''

     जिला फोरम के निर्णय व आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी अनूप हास्पिटल ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थी की  ओर  से  विद्वान  अधिवक्‍ता            श्री माता प्रसाद यादव उपस्थित आये हैं।

मैंने प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश एवं मेमो अपील और अभिलेख का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि पेट में दर्द होने पर दिनांक 13.01.2008 को वह अपीलार्थी/विपक्षी के अस्‍पताल में गयी तब आवश्‍यक जांच के बाद अपीलार्थी/विपक्षी ने बताया कि उसके पेट में गांठ हो गयी है आपरेशन करना होगा। अत: उसी दिन दिनांक 13.01.2008 को अपीलार्थी/विपक्षी ने उसे भर्ती कर लिया और आपरेशन किया तथा बताया कि गांठ निकाल ली गयी है। दिनांक 13.01.2008 को भर्ती होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी अपीलार्थी/विपक्षी के अस्‍पताल में             दिनांक 29.01.2008 तक भर्ती रही। इलाज में उसका कुल करीब एक लाख रूपया खर्च हुआ। दिनांक 29.01.2008 को घर जाकर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी अनेकों बार अपीलार्थी/विपक्षी  के  अस्‍पताल  में

 

-3-

चेकअप के लिये आयी, परन्‍तु उसके पेट के दर्द में आराम नहीं हुआ। तकलीफ बढ़ती गयी तब वह अंजली अस्‍पताल की डाक्‍टर अंजली के पास गयी तब उन्‍होंने अलट्रासाउंड कराया तब पता चला कि पेट में गांठ मौजूद है जब तक गांठ नहीं निकाली जायेगी तब तक आराम नहीं होगा। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी पुन: अपीलार्थी/विपक्षी के अस्‍पताल गयी और अपीलार्थी/विपक्षी अस्‍पताल द्वारा किये गये आपरेशन के बारे में पूछा तब अपीलार्थी/विपक्षी झगड़ा पर अमादा हो गया। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी वापस चली आयी और वह डाक्‍टर श्रीमती किरन पाण्‍डेय के पास गयी। उन्‍होंने भी जांच व अलट्रासाउंड के बाद बताया कि पेट में गांठ मौजूद है आपरेशन किया गया है, परन्‍तु गांठ को बाहर नहीं निकाला गया है। अत: आपरेशन कर गांठ निकालना होगा। उसके बाद डाक्‍टर श्रीमती किरन पाण्‍डेय ने आपरेशन किया और गांठ निकाला, जिसमें 50,000/-रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का खर्च हुआ।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के अनुसार उसके इलाज में अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा लापरवाही की गयी है। अत: उसने प्रतिकर की मांग की है।

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी                दिनांक 13.01.2008 को उसके अस्‍पताल में दो चिकित्‍सीय रिपोर्ट व प्रिस्क्रिप्‍सन स्लिप के साथ आयी। एक प्रिस्क्रिप्‍सन स्लिप डाक्‍टर हरनाम सिंह (प्रिया नर्सिंग होम) द्वारा और एक प्रिस्क्रिप्‍सन स्लिप डाक्‍टर चन्‍द्रलेखा सिंह साकेत नगर कानपुर द्वारा जारी थी, जिसमें  

                       -4-

लिखा था कि यदि तुरन्‍त बच्‍चेदानी नहीं निकाली गयी तो अत्‍यधिक रक्‍तस्राव से मरीज की मृत्‍यु हो सकती है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को अस्‍पताल में भर्ती होने की सलाह दी तब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपने को अपीलार्थी/विपक्षी के अस्‍पताल में भर्ती कराया और अपीलार्थी/विपक्षी ने आपरेशन कर बच्‍चेदानी को निकाल दिया तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का इलाज किया।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि उपरोक्‍त आपरेशन के अलावा उसने न तो प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कोई और आपरेशन किया है और न कोई और इलाज किया है। उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का जो इलाज किया है उसके सम्‍बन्‍ध में उसे कोई शिकायत नहीं है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने यह भी कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी उसकी रिस्‍तेदार है। उसने उसका इलाज मुफ्त में किया है। कोई धनराशि उससे नहीं ली है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के कथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार कर परिवाद अंशत: स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से निर्णय व आदेश पारित किया है।

मेमो अपील के आधार पर वर्तमान अपील में विचारणीय बिन्‍दु निम्‍न है:-

क्‍या जिला फोरम ने साक्ष्‍य की विवेचना सही ढंग से नहीं किया है और जिला फोरम का निर्णय त्रुटिपूर्ण है?’

 

-5-

अपीलार्थी/विपक्षी ने जो लिखित कथन सशपथ प्रस्‍तुत किया है, उसकी धारा-3 में स्‍पष्‍ट कथन किया है  कि  प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

दिनांक 13.01.2008 को अपीलार्थी/विपक्षी अस्‍पताल में दो रिपोर्ट और प्रिस्क्रिप्‍सन स्लिप के साथ आयी, जिसमें एक प्रिस्क्रिप्‍सन स्लिप डा0 हरनाम सिंह (प्रिया नर्सिंग होम) द्वारा और एक प्रिस्क्रिप्‍सन स्लिप डाक्‍टर चन्‍द्रलेखा सिंह साकेत नगर कानपुर द्वारा जारी थी, जिसमें लिखा था कि यदि तुरन्‍त बच्‍चेदानी नहीं निकाली गयी तो अत्‍यधिक रक्‍तस्राव से मरीज की मृत्‍यु हो सकती है। अत: अपीलार्थी/विपक्षी अस्‍पताल ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को भर्ती करने की सलाह दी और भर्ती कर उसका आपरेशन किया तथा बच्‍चेदानी निकाला। अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन में उल्लिखित दो रिपोर्ट, जिसे प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा साथ लाना बताया है, का विवरण नहीं दिया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन में उल्लिखित रिपोर्ट व चिकित्‍सीय प्रिस्क्रिप्‍सन प्रस्‍तुत नहीं किया है। अपीलार्थी/विपक्षी ने लिखित कथन में उल्लिखित उपरोक्‍त रिपोर्ट एवं चिकित्‍सीय प्रिस्क्रिप्‍सन अपील में भी प्रस्‍तुत नहीं किया है। अपील में अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की मीत अलट्रासाउंड एंड डाइग्‍नोस्टिक्‍स की रिपोर्ट दिनांक 11.01.2008 और श्री कृष्‍णा पैथालोजी लैब की ब्‍लड केमिस्‍ट्री रिपोर्ट और हैमाटालोजी रिपोर्ट दिनांक 11.01.2008 प्रस्‍तुत किया है। तीनों रिपोर्ट में रिफर्ड बाई डाक्‍टर आई0के0 कुशवाहा अंकित है। तीनों ही रिपोर्ट में लिखित कथन  में  उल्लिखित  डाक्टर  हरनाम  सिंह  व  डाक्टर

-6-

चन्‍द्रलेखा सिंह का Reference नहीं है। अत: यह तीनों रिपोर्ट प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा दिनांक 13.01.2008 को अपीलार्थी/विपक्षी के लिखित कथन में कथित रूप से लायी गयी रिपोर्ट नहीं हो सकती हैं। यदि यह रिपोर्ट प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी कथित रूप से अपने साथ लाती तो इन रिपोर्टों के डाइग्‍नोस्टिक्‍स सेन्‍टर अथवा तैयारकर्ता का भी स्‍पष्‍ट विवरण अपीलार्थी/विपक्षी अपने लिखित कथन में अवश्‍य देता। यह रिपोर्ट बाद में मात्र बचाव हेतु तैयार की गयी हैं। अपीलार्थी/विपक्षी के लिखित कथन से स्‍पष्‍ट है कि उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की बीमारी व समस्‍या को जानने के लिये आवश्‍यक जांच किये बिना उसका आपरेशन कर बच्‍चेदानी निकाला है और जिन अभिलेखों के आधार पर उसने तुरन्‍त बच्‍चेदानी निकालने का निर्णय लिया है वह अभिलेख उसने प्रस्‍तुत नहीं किया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का आवश्‍यक परीक्षण कराये बिना आपरेशन किया है। इतना ही नहीं उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के आपरेशन के बाद भी शिकायत कायम रहने पर उसका आवश्‍यक परीक्षण कराकर रोग के निदान का प्रयास नहीं किया है और उसे दौड़ाता रहा है।

पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों से स्‍पष्‍ट है कि जब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का अलट्रासाउंड डाक्‍टर अंजली ने कराया तब पेट में गांठ मौजूद पायी गयी। उसके बाद डाक्‍टर किरन पाण्‍डेय ने अलट्रासाउंड कराया तब भी प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पेट में गांठ पायी गयी। अन्‍त में डाक्‍टर किरन पाण्‍डेय ने आपरेशन कर गांठ निकाला तब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के रोग का निदान हो सका।  अत:  सम्‍पूर्ण

-7-

तथ्‍यों, साक्ष्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त निष्‍कर्ष यही निकलता है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के आपरेशन व इलाज में लापरवाही की है और जिला फोरम ने इस सन्‍दर्भ में जो निष्‍कर्ष निकाला है वह साक्ष्‍य की सही विवेचना पर आधारित है और उचित है।

जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को जो प्रतिकर व वाद व्‍यय दिलाया है वह भी उचित है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर जिला फोरम के निर्णय में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अपील बल रहित है। अत:             दस हजार रूपया वाद व्‍यय के साथ निरस्‍त की जाती है। यह वाद व्‍यय अपीलार्थी/विपक्षी, प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को देगा।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला‍ फोरम को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

 

 

    (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                           अध्‍यक्ष

 

जितेन्‍द्र आशु0                        

कोर्ट नं0-1            

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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