(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1772/1999
Ansal Housing Finance & Leasing Co.Ltd, Khazana Market, Sector K Aashiana Colony and two others.
अपीलार्थीगण
बनाम
Smt. Dayawati Yadav wife of Sri S S Yadav, 557/21 Ka/1/Om Nagar Alambag, Lucknow.
प्रत्यर्थी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से : श्री वी0एस0 बिसारिया, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : श्री आलोक रंजन, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 27.01.2021
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-157/1994, दयावती यादव बनाम अंसल हाउसिंग प्रा0लि0 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11.05.1999 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग ने विपक्षी/अपीलार्थी को निर्देशित किया है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी का मूल रूप से आवंटित भूखण्ड संख्या-1111 का कब्जा प्रदान करें तथा 30 दिन के अन्दर विक्रय पत्र निष्पादित करे। इस आदेश के अलावा अंकन 3,000/- रूपये प्रतिकर तथा 500/- रूपये वाद खर्च एवं 14 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज अदा करने का भी आदेश दिया है।
2. परिवाद पत्र के तथ्यों के अनुसार परिवादी को विपक्षी द्वारा अपनी आवासीय योजना के अन्तर्गत भूखण्ड संख्या 1111 आंवटित किया गया था, जिसे बाद में भूखण्ड संख्या-876 कर दिया गया। मूल भूखण्ड 30
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मीटर रोड पर स्थित था, जबकि नया भूखण्ड मात्र 9 मीटर रोड पर स्थित है।
3. विपक्षी का कथन है कि आवासीय योजना को लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा 70 एकड़ कम कर दिया गया था, इसलिए रकबा कम हो गया था और भूखण्डों की संख्या कम हो गई थी, इसीलिए परिवादी को भूखण्ड संख्या 876 आवंटित किया गया।
4. दोनों पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात् उपरोक्त वर्णित निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसे इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि यह निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध है, क्योंकि विपक्षी के स्तर से सेवा में कोई कमी नहीं हुई है। लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा आवासीय योजना का रकबा कम कर दिए जाने के कारण भूखण्ड संख्या 876 आवंटित किया गया।
5. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री वी0एस0 बिसारिया तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक रंजन उपस्थित आए। दोनों विद्वान अधिवक्तागण की मौखिक बहस सुनी गई तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
6. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता की बहस से यह अवगत होता है कि आवासीय योजना का रकबा सीमित कर देने के बावजूद योजना में भूखण्ड संख्या 1111 मौजूद है। बहस के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ है कि इस भूखण्ड का विक्रय पत्र किसी अन्य व्यक्ति के पक्ष में निष्पादित कर दिया गया है। अत: परिवाद पत्र में वर्णित भूखण्ड का कब्जा दिलाया जाना अब संभव नहीं रहा है। परिवादी भूखण्ड संख्या 876 का कब्जा प्राप्त करने के लिए सहमत है जैसा कि विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग द्वारा निर्देशित किया गया है। अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह बहस की गई है कि माननीय सवोच्च न्यायालय द्वारा एक निर्णय में,
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जिसकी प्रति इस पीठ के समक्ष प्रस्तुत नहीं की है, यह व्यवस्था दी गई है कि जब परिवर्तित भूखण्ड का कब्जा दिया जा रहा है तब ब्याज अदा करने की आवश्यकता नहीं है। यह सही है कि अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क को यदि सत्य मान लिया जाए और ब्याज अदा करने का आदेश न दिया जाए तब प्रस्तुत केस की स्थिति इस आधार पर भिन्न है कि परिवादी को पूर्व में 30 मीटर रोड पर भूखण्ड आवंटित करने का प्रस्ताव दिया था, जबकि यथार्थ में 9 मीटर चौड़ी रोड पर भूखण्ड आवंटित किया गया है। इन दोनों भूखण्डों की स्थानिक स्थिति में तथा तदनुसार भवन मूल्यांकन में बहुत बड़ा अंतर हो जाता है, इसलिए यथार्थ में विपक्षीगण द्वारा परिवादी के साथ सेवा में कमी कारित की गई है। अत: इस आधार पर विपक्षीगण परिवादी को क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए उत्तरदायी है। तदनुसार अपील इस सीमा तक स्वीकार होने योग्य है कि परिवादी को नए भूखण्ड के कब्जे के साथ इस भूखण्ड को 30 मीटर चौड़ी रोड पर आवंटित करने के बजाए 9 मीटर रोड पर आवंटित करने के लिए कुल मूल्य का 10 प्रतिशत यानी 5300/- रूपये भूखण्ड के उद्देश्य से तथा इस भूखण्ड पर बनने वाले भवन जिसकी लागत न्यूनतम 10 लाख रूपये हो सकती है, का 10 प्रतिशत यानी अंकन 1,00,000/- रूपये कुल 1,05,300/- रूपये पर 06 प्रतिशत ब्याज दिलाया जाना उचित होगा।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश इस रूप में परिवर्तित किया जाता है कि विपक्षीगण परिवादी को प्रश्नगत भूखण्ड संख्या-1111 के स्थान पर नया आवंटित भूखण्ड का कब्जा प्रदान करें, परन्तु उच्च श्रेणी की स्थानिकता बदलने के कारण उपरोक्त वर्णित प्रतिकर अंकन 1,05,300/- रूपये अदा करें तथा इस राशि पर नया भूखण्ड
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आवंटित करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधरण ब्याज भी अदा करे।
8. उभय पक्ष अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2