(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :- 3303/1999
(जिला उपभोक्ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद सं0- 1287/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20/10/1999 के विरूद्ध)
Allahabad Development Authority 7th Floor, Indira Bhawan, Civil Lines, Allahabad. Through its Secretary, Allahabad Development Authority.
Anju Verma, R/O 51 M.I.G., Stanley Road Housing Scheme, Allahabad Development Authority Colony, Allahabad.
समक्ष
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री मनोज कुमार, अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं
दिनांक:-15.03.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, इलाहाबाद द्वारा परिवाद सं0- 1287/1995, अंजू वर्मा बनाम ए0डी0ए0 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20/10/1999 के विरूद्ध यह अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गयी है कि जिला उपभोक्ता मंच ने अवैधानिक निर्णय पारित किया है। आवण्टी पर शेष राशि बकाया है। इसी राशि को वसूलने के लिए मांग पत्र प्रेषित किया गया था। भवन के अंतिम मूल्य के अनुसार बकाया राशि की मांग की गयी है, इसलिए आवंटी इस राशि को अदा करने के लिए उत्तरदायी है।
- केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री मनोज कुमार को सुना। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
- पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि वर्ष 1988 में स्वावित्त पोषित योजना के अंतर्गत एक फ्लेट सं0 51 परिवादी के पति द्वारा आवंटित कराया गया और अंकन 1,32,000/- रूपये अदा कर दिया गया। अंतिम किश्त की अदायगी वर्ष 1990 में की गयी। दिनांक 19.11.1990 को कब्जा दे दिया गया। इसके पश्चात 29.05.1995 को 33,500/- रूपये की अतिरिक्त राशि की मांग की गयी। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि अंतिम मूल्य निर्धारित करने के बाद इस राशि की वसूली का नोटिस भेजा गया है, परंतु चूंकि स्वावित्त पोषित योजना के अंतर्गत फ्लेट आवंटित किया गया था। इस योजना के अंतर्गत आवंटित फ्लेट की कीमत का निर्धारण आवंटन के 07 वर्ष के पश्चात किया जाना विधिसम्मत नहीं है इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णयमें हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। अपील खारिज होने योग्य है।
अपील खारिज की जाती है।
अपील में उभय पक्ष वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना)(सुशील कुमार)
संदीप आशु0कोर्ट नं0 2