Uttar Pradesh

StateCommission

A/847/2018

Tata AIG General Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Shyam Charan Upadhyay - Opp.Party(s)

Taranjeet Singh Makker

02 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/847/2018
( Date of Filing : 09 May 2018 )
(Arisen out of Order Dated 15/01/2018 in Case No. C/136/2013 of District Etah)
 
1. Tata AIG General Insurance Co. Ltd
Noida
...........Appellant(s)
Versus
1. Shyam Charan Upadhyay
Etah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 02 Nov 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 (मौखिक) 

अपील सं0- 847/2018

Tata A.I.G. General Insurance Company Ltd. Plot No. C-001, Unit Nos. 810-816, 8th Floor, World Trade Tower, Sector-16, Noida-201301, through its Manager and another.

                                        …………Appellants

V/s

Shyama Charan Upadhyaya Son of Nathuram Resident of 306, Rajshree Apartment, Nehru Enclave, Shmshabad Road, Agra Presently Residing at Shanti Nagar, Etah, Ps. Kotwali Nagar, District Etah and another.

                                       …….Respondents  

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित  : श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़,

                                विद्वान अधिवक्‍ता।               

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

                                                                 

दिनांक:- 02.11.2022

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 136/2013 श्‍यामाचरण उपाध्‍याय बनाम टाटा ए0आई0जी0 जनरल इं0कं0लि0 द्वारा डिवीजनल मैनेजर व दो अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, एटा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 15.01.2018 के विरुद्ध यह अपील योजित की गई है, जिसमें अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सं0- 1 व 2 बीमा कम्‍पनी के विरुद्ध रू0 77,898/- मय 07 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज व अन्‍य अनुतोषों के लिए परिवाद स्‍वीकार किया गया।

2.        प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा यह परिवाद इन अभिकथनों के साथ प्रस्‍तुत किया गया कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी ने अपने वाहन टाटा मैजिक डीजल का पंजीकरण सं0- यू0पी0 83टी-3701 का बीमा दि0 13.10.2011 से दि0 12.10.2012 तक की अवधि के लिए अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सं0- 1 व 2 से कराया था। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी का बीमित वाहन उसका चालक दि0 19.05.2012 को आगरा से फिरोजाबाद जा रहा था। टूण्‍डला पुल से उतरते समय अज्ञात वाहन से टकरा गया। प्रार्थी का चालक सुरेन्‍द्र सिंह पुत्र राज बहादुर वैध लाइसेंसधारक है जो वाहन चला रहा था। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी ने दि0 19.08.2012 को थाना टूण्‍डला जिला फिरोजाबाद में इसकी सूचना दी तथा विधिवत सूचना बीमा कम्‍पनी को दी एवं सभी कागजात, आर0सी0, फिटनेस परमिट, रोड टैक्‍स, बीमा पालिसी, ड्राइविंग लाइसेंस, मय क्‍लेम फार्म दि0 23.05.2012 को बीमा कम्‍पनी को दी तथा इस तिथि को क्रेन द्वारा वाहन ''अशोक आटो सेंटर, आगरा'' पहुंचा दिया गया। सर्वेयर द्वारा वाहन का सर्वे किया गया। सर्वेयर द्वारा संदेह होने पर दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन को रिपेयरिंग हेतु दि0 03.06.2012 सम्‍बन्धित कम्‍पनी को दे दिया गया। उपरोक्‍त औपचारिकतायें पूर्ण होने के उपरांत बीमा कम्‍पनी द्वारा बार-बार आश्‍वासन देने पर भी क्‍लेम नहीं दिया गया और अंत में इस आधार पर बीमे का क्‍लेम अस्‍वीकार किया गया कि चालक का नाम गलत बताया गया, जिससे व्‍यथित होकर यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया।

3.        अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सं0- 1 व 2 की ओर से उत्‍तर पत्र प्रस्‍तुत किया गया जिसमें मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया है कि उत्‍तरदाता अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सं0- 1 व 2 को सूचना देरी से दी गई है। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी के अनुसार दुर्घटना के दिन चालक सुरेन्‍द्र सिंह वाहन को आगरा से फिरोजाबाद ले जाना बताया गया था। उक्‍त चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। दुर्घटना के समय ड्राइवर का नाम शंकर बताया गया और सर्वेयर द्वारा सर्वे करने पर प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा ड्राइवर का नाम ''सुदेश पुत्र जयवीर सिंह'' बताया गया। अत: इस प्रकार प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी की ओर से बार-बार विभिन्‍न नाम बताये गए। इन आधारों पर प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी का क्‍लेम स्‍वीकार नहीं किया गया। क्‍लेम फार्म भरते समय प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा उसमें ड्राइवर के नाम के आगे खाली जगह छोड़ दी गई थी बाद में ड्राइवर के नाम अलग-अलग बताये गए।

4.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी का परिवाद इन आधारों पर स्‍वीकार किया गया कि सभी अभिलेखों से स्‍पष्‍ट है कि प्रश्‍नगत वाहन का चालक सुरेन्‍द्र सिंह पुत्र राज बहादुर ही था। थाना प्रभारी टूण्‍डला को सूचना में ड्राइवर का नाम सुरेन्‍द्र सिंह ही बताया गया। इस प्रकार प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी की ओर से ड्राइवर के नाम में कोई गलती नहीं की गई है एवं वाद आज्ञप्‍त किया गया, जिससे व्‍यथित होकर यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

5.        अपील मेमो में बीमा कम्‍पनी की ओर से मुख्‍य रूप से यह आधार लिए गए हैं कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी स्‍वच्‍छ हाथों के साथ न्‍यायालय के सामने नहीं आया है। उसने बीमा कम्‍पनी को एक व्‍यक्ति सुरेन्‍द्र सिंह पुत्र राज बहादुर के चालन अनुज्ञप्ति को दिखाकर बीमा कम्‍पनी को भ्रमित किया। क्‍लेम फार्म में ड्राइवर के नाम के स्‍थान पर खाली छोड़ा गया और चालन को ड्राइवर का नाम सुदेश पुत्र जयवीर बताया गया। इस प्रकार बीमित द्वारा भिन्‍न-भिन्‍न ड्राइवरों के नाम बताये गए हैं। अत: उचित प्रकार से बीमे का क्‍लेम निरस्‍त किया गया। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अनुचित प्रकार से बीमे के क्‍लेम को स्‍वीकार किया है। अत: अपील स्‍वीकार किए जाने एवं विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

6.        हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़ को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

7.        बीमे के क्‍लेम को अस्‍वीकार किए जाने के पत्र दिनांकित 21.08.2012 के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा ड्राइवर के नाम के सम्‍बन्‍ध में गलत सूचना दिए जाने के आधार पर बीमा कम्‍पनी द्वारा क्‍लेम नहीं दिया गया। ड्राइवरों का नाम प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी की ओर से निम्‍नलिखित प्रकार से गलत बताने का आक्षेप लगाया गया है। क्‍लेम नोटिफिकेशन में ड्राइवर का नाम शंकर, स्‍पॉट सर्वे रिपोर्ट के अनुसार श्री सुदेश पुत्र जयवीर, क्‍लेम फार्म में नाम रिक्‍त (BLANK), पुलिस की फाइनल रिपोर्ट में ड्राइवर का नाम श्री सुरेन्‍द्र सिंह पुत्र श्री राज बहादुर है।

8.        उपरोक्‍त विवरण से यह स्‍पष्‍ट होता है कि क्‍लेम नोटिफिकेशन जो बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी श्‍यामा चरण उपाध्‍याय को लिखा गया उसमें ड्राइवर का नाम शंकर लिखा गया है। स्‍वीकार्य रूप से यह पत्र अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सं0- 1 व 2 बीमा कम्‍पनी की ओर से लिखा गया है जिसको सही-सही लिखने का उत्‍तरदायित्‍व बीमा कम्‍पनी का है न कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी का। अत: इसमें यदि कोई त्रुटि हुई है तो उसके लिए बीमा कम्‍पनी उत्‍तरदायी है। स्‍पाट सर्वे रिपोर्ट में ड्राइवर का नाम सुदेश पुत्र जयवीर लिखे जाने का आधार बीमा कम्‍पनी द्वारा लिया गया है। यह दस्‍तावेज स्‍वयं प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी ने नहीं लिखा, बल्कि सर्वेयर ने लिखा जो तृतीय पक्ष है। यह भी सम्‍भव है कि जिनके सुनने ऐसा लिखने में कोई गलती हुई है। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा जहां भी ड्राइवर के नाम का उल्‍लेख किया गया वहां प्रत्‍येक दस्‍तावेज में ''श्री सुरेन्‍द्र सिंह पुत्र राज बहादुर'' ही नाम अंकित है। अत: अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सं0- 1 व 2 का यह तर्क उचित प्रतीत नहीं होता है कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी का नाम बार-बार गलत बताया जिसके पीछे दुर्भावना थी। यदि ड्राइवर का नाम विभिन्‍न दस्‍तावेजों में गलत है तो तृतीय पक्ष के लेखन हैं कि न कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा जानबूझकर गलत नाम दर्शाया गया है। क्‍लेम फार्म में अवश्‍य ड्राइवर के नाम के आगे स्‍थान रिक्‍त छोड़ दिया गया है। यह भी प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी की त्रुटिवश सम्‍भव है। इन कारणों से मात्र यह उपधारणा उचित नहीं है कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी ने जानबूझकर ड्राइवर का नाम भिन्‍न-भिन्‍न एवं गलत बताया गया। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा जो भी सूचना दी गई उन सभी में दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन का वाहन चालक का नाम दुर्घटना के समय ''सुरेन्‍द्र सिंह पुत्र राज बहादुर'' बताया गया। अत: क्‍लेम निरस्‍त किया जाना उचित नहीं है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने वाहन के बीमित क्‍लेम को उचित प्रकार से स्‍वीकार किया है।

9.        निर्विवादित रूप से वाहन का बीमा अपीलार्थीगण/विपक्षीगण सं0- 1 व 2 के साथ होने के सम्‍बन्‍ध में कोई विवाद नहीं है न ही दुर्घटना के समय बीमा पालिसी के प्रचलित होने के सम्‍बन्‍ध में कोई विवाद है। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी बीमे का क्‍लेम पाने का अधिकारी है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उचित प्रकार से समस्‍त तथ्‍यों पर विचार करते हुए धनराशि आज्ञप्‍त की है जिसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता एवं अवसर प्रतीत नहीं होता है। अत: विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पुष्‍ट होने योग्‍य तथा अपील निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।              

आदेश

10.       अपील निरस्‍त की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

          अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।   

          अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।   

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।          

 

   (विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

             सदस्‍य                                  सदस्‍य  

                                

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0- 2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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