(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-78/2009
Kanpur Development Authority
Versus
Shreepal aged major, S/O Late Raja ram & other
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री पियूष मणि त्रिपाठी, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित:- श्री आलोक सिन्हा, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :18.12.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-113/2006, श्रीपाल वयस्क व अन्य बनाम कानपुर विकास प्राधिकरण में विद्वान जिला आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 18.11.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया है कि परिवादी द्वारा नीलामी में क्रय किये गये प्लाट का आवंटन परिवादी के पक्ष में जारी किया जाए तथा विक्रय पत्र निष्पादित किया जाए।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 15.03.1994 को अंकन 25,000/-रू0 का पे आर्डर पंजाब नेशनल बैंक द्वारा जारी जमा किया था और नीलामी में भाग लिया था। एच.आई.जी. 906 भूखण्ड की उच्चतम बोली लगायी थी, जिसकी कुल कीमत अंकन 2,71,800/-रू0 थी। नीलामी अनुमोदन के पश्चात सूचना देने के लिए कहा गया, परंतु कोई सूचना नहीं दी गयी, इसलिए परिवादी अवशेष राशि जमा नहीं कर सका, परंतु परिवादी प्रश्नगत भूखण्ड कब्जे में है। यह कब्जा स्वयं प्राधिकरण द्वारा प्रदान किया गया है। इसी तथ्य को स्थापित मानते हुए जिला उपभोक्ता आयोगने उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी ने अवशेष राशि जमा नहीं की है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग का तत्समय प्रचलित बाजार भाव के आधार पर आवंटन करने का आदेश अनुचित है, जबकि परिवादी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि स्वयं प्राधिकरण ने उन्हें राशि जमा करने की सूचना प्रदान नहीं की, उनके द्वारा अंकन 25,000/-रू0 का एक ड्राफ्ट दिया गया था, जो प्राधिकरण के कर्मचारी द्वारा खो दिया गया, जिस पर जांच की गयी, इसी कारण आवंटन पत्र एवं धनराशि जमा करने का पत्र जारी नहीं हो सका। इसमें परिवादी के स्तर से किसी प्रकार की त्रुटि कारित नहीं हुई है।
- पत्रावली मे मौजूद अभिलेख से स्पष्ट है, स्वयं प्राधिकरण के अधिकारी द्वारा कर्मचारियों से प्राप्त ड्राफ्ट के संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की गयी है। अत: उपरोक्त वर्णित परिस्थितियों में परिवादी अवशेष धनराशि जमा नहीं कर पाया, परंतु चूंकि परिवादी प्रश्नगत भूखण्ड के कब्जे में है, इसलिए तत्समय प्रचलित भाव के आधार पर विक्रय पत्र निष्पादित करने का आदेश विधिसम्मत नहीं कहा जा सकता क्योंकि भूखण्ड के मूल्य की राशि परिवादी द्वारा ही प्रयोग की जा रही है। अत: यह आदेश इस प्रकार परिवर्तित होने योग्य है कि वर्तमान में प्रचलित बाजार भाव के अनुसार प्रश्नगत भूखण्ड परिवादी को आवंटित किया जाए।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि प्राधिकरण द्वारा वर्तमान बाजार दर के अनुसार परिवादी को भूखण्ड आवंटित किया जाये। शेष निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2