Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/727

Manager Massy Fargusan Tractor - Complainant(s)

Versus

Sheetla Prasad Pandey - Opp.Party(s)

Arun Tandon

09 Feb 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/727
( Date of Filing : 08 Apr 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Manager Massy Fargusan Tractor
17 Grems Road Chennai
...........Appellant(s)
Versus
1. Sheetla Prasad Pandey
Basti
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2013/234
( Date of Filing : 08 Feb 2013 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. United Tractor Sales
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Kashi Prasad Pandey
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 09 Feb 2021
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

संख्‍या:234/2013

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, बस्‍ती द्वारा परिवाद संख्‍या-170/2001 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19-01-2013 के विरूद्ध)

यूनाइटेड ट्रैक्‍टर सेल्‍स, 7 पार्क रोड़ गोरखपुरए द्वारा मैनेजर श्री राकेश रावत

                                                  .....Appellant

बनाम्

  1. काशी प्रसाद पाण्‍डेय (मृतक)

प्रतिस्‍थापित वारिसान:-

1/1 मालती देवी पत्‍नी              (मृतक)

                     (आदेश दि0 15.07.2021 के द्वारा)

1/2 अरविन्‍द कुमार पाण्‍डेय पुत्र

1/3 अरूण कुमार पाण्‍डेय पुत्र

सभी निवासी ग्राम सजहरा पोस्‍ट देईसांड तहसील व जिला बस्‍ती

  1. गिरिजा शंकर पाण्‍डेय, पुत्र स्‍व0 श्री शीतला प्रसाद पाण्‍डेय, ग्राम सहजरा पो0 दईसर, तहसील व जिला बस्‍ती तथा अन्‍य प्रत्‍यर्थीगण  

                                                              .......प्रत्‍यर्थीगण

अपील संख्‍या:727/2013

प्रबंधक मैसी फारगूशन ट्रैक्‍टर एण्‍ड फर्म इक्विपमेंटए सर्विसेज डिपार्टमेंट 17 ग्रीमस रोड़ चेन्‍नई

  •                                             

बनाम्

  1. शीतला प्रसाद पाण्‍डेय पुत्र श्री गुरूबक्‍स पाण्‍डेय ग्राम सजहरा पो0 दईसांड तहसील व जिला बस्‍ती

काशी प्रसाद पाण्‍डेय (मृतक)

 प्रतिस्‍थापित वारिसान:-

1/1 मालती देवी पत्‍नी       (मृतक) 

1/2 अरविन्‍द कुमार पाण्‍डेय पुत्र

1/3 अरूण कुमार पाण्‍डेय पुत्र

सभी निवासी ग्राम सजहरा पोस्‍ट देईसांड तहसील व जिला बस्‍ती

  1. गिरिजा शंकर पाण्‍डेय, पुत्र स्‍व0 श्री शीतला प्रसाद पाण्‍डेय, ग्राम सहजरा पो0 दईसर, तहसील व जिला बस्‍ती तथा अन्‍य प्रत्‍यर्थीगण 

 

                                                          .......प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष  :-

  1. मा0 श्री गोवर्धन यादव,                   सदस्‍य।
  2. मा0 श्री विकास सक्‍सेना,                 सदस्‍य।

उपस्थिति :

  अपीलार्थी(यूनाइटेड ट्रैक्‍टर) की ओर से उपस्थित-    श्री एच0के0 श्रीवास्‍तव

  अपीलार्थी (मैसी फारगुशन) की ओर से उपस्थित-   श्री अरूण टंडन  

  प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-                       श्री उमेश कुमार शर्मा

दिनांक : 16.08.2021

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उदघोषित निर्णय

  1. प्रस्‍तुत अपील जिला आयोग, बस्‍ती द्वारा परिवाद सं0 170/2001 शीतला प्रसाद पाण्‍डेय बनाम यूनाइटेड ट्रैक्‍टर तथा अन्‍य में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश 19.01.2013 के विरूद्ध योजित की गयी है। दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध योजित की गयी है। अत: दोनों अपीलें साथ-साथ निर्णीत की जा रही हैं।
  2. उपरोक्‍त परिवाद के अभिकथनों के अनुसार परिवादी ने विपक्षी सं0 1/ अपीलार्थी से एक ट्रैक्‍टर दिनांक 21.05.1999 को रूपये 2,84,279/- में क्रय किया था, ले जाने के उपरान्‍त उन्‍हे आभास हुआ कि ट्रैक्‍टर ढुलाई में लोड नहीं उठाता था और इंजन में सभी जगहों पर मोबिल लीक कर रहा था। वाटर पम्‍प भी लीक कर रहा था। शिकायत करने पर विपक्षी सं0 1 ने कहा कि अभी इंजन सेट नहीं हुये हैं और धीरे धीरे उपरोक्‍त कमियां दूर हो जायेंगी। सर्विसिंग के उपरान्‍त भी कमियां दूर नहीं हुई। परिवादी जब तेल भरवाने पेट्रोल पम्‍प पर गया तो परिवादी को पेट्रोल टंकी पर से एक कूपन प्राप्‍त हुआ था जिस पर लिखा था “Taffe Tractor Rejected’’ परिवादी ने इसकी सूचना अपीलार्थी के प्रबंधक को दी, जिन्‍होंने उक्‍त कूपन मांग लिया और बाद में वापस नहीं किया। परिवादी ने उक्‍त ट्रैक्‍टर की कमियां दूर करने को कहा किन्‍तु उसकी न सुनी गयी। परिवादी के अनुसार उसे डिफेक्टिव ट्रैक्‍टर बेचा गया है और इस प्रकार अपीलार्थी ने सेवाओं में त्रुटि की है। उक्‍त आधारों पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। अपीलार्थी तथा परिवाद के विपक्षी सं0 1 द्वारा परिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया है, जिसमें कथन किया गया है कि परिवादी ने ऋण प्राप्‍त करके उक्‍त ट्रैक्‍टर लिया था जिसका सेल्‍स लेटर दिनांक 10.01.2000 परिवादी के नाम से जारी किया गया और पंजीकरण परिवादी के नाम हुआ। ट्रैक्‍टर की सर्विस नियमानुसार की गयी और ट्रैक्‍टर में किसी भी प्रकार की खराबी नहीं पायी गयी। उत्‍पादन कम्‍पनी ट्रैक्‍टर की वारण्‍टी क्रय किये जाने की तिथि से 12 माह अथवा 1500 घंटे चलने तक देती है। परिवादी का यह कथन कि उसे कूपन टंकी से प्राप्‍त हुआ था। ट्रैक्‍टर डिफेक्‍ट या दोष है, नितांत सत्‍य है कि परिवादी के ट्रैक्‍टर की नियमानुसार बार बार सर्विसिंग की गयी। ट्रैक्‍टर में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं पायी गयी। परिवादी द्वारा यह नहीं बताया गया कि किसी प्रकार का उत्‍पादन दोष है परिवादी द्वारा यह भी कथन किया गया है कि यह ट्रैक्‍टर दिनांक 09.11.1998 को परिवादी को दे दिया गया था और परिवादी का यह कहना गलत है कि ट्रैक्‍टर दिनांक 21.05.1999 को प्रदान किया गया। सेल लेटर दिनांक 10.01.2000 को परिवादी के नाम जारी किया गया था।
  3. परिवाद के विपक्षी सं0 3 निर्माता सर्विस डिपार्टमेंट चेन्‍नई द्वारा भी परिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया, जिसमें कथन किया गया है कि उन्‍होंने अपने  ट्रैक्‍टरों के विक्रय के लिए डीलर नियुक्‍त कर रखे हैं। जब ट्रैक्‍टर डीलर को दिया गया था तब वह अच्‍छी कन्‍डीशन में था। उसमें कोई डिफेक्‍ट नहीं था। परिवादी का यह कथन गलत है कि इसकी पहली सर्विसिंग में मोबिल का रिसाव या वॉटर टेंक डिफेक्‍ट पाया गया। ट्रैक्‍टर को संतुष्टि पर परिवादी को दिया गया। विपक्षी सं0 2 द्वारा यह सूचित किया गया कि परिवादी ने ट्रैक्‍टर  का कीमत नहीं चुकाई और उन्‍होंने परिवादी से बची हुई धनराशि की मांग की, जिससे बचने के लिए यह झूठा परिवाद लाया गया है। ट्रैक्‍टर में दोष होने के आक्षेप लगाया गया है, किन्‍तु कोई विशेषज्ञ की आख्‍या उपलब्‍ध नहीं करायी गयी है। अत: ऐसी आख्‍या के अभाव में ट्रैक्‍टर को दोषपूर्ण नहीं माना जा सकता है। इन आधारों पर परिवाद निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
  4. उभय पक्ष को सुनकर विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध संयुक्‍त एवं पृथक-पृथक रूप से आज्ञप्ति किया। ट्रैक्‍टर की कीमत 2,84,279/- रूपये का भुगतान मय 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज लिये जाने के आदेश दिये, साथ में क्षतिपूर्ति हेतु रूपये 10,000/- दिये गये हैं। जिससे व्‍यथित होकर यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है। अपील में मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया है कि विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग का निर्णय बिल्‍कुल अवैध मनमाना एवं दोषपूर्ण है। विपक्षी/अपीलकर्ता के अभिवचनों को अनदेखा करते हुए निर्णय पारित किया गया है न ही किसी साक्ष्‍य का अवलोकन किया गया है। परिवादी द्वारा यह ट्रैक्‍टर दिनांक 09.11.1998 को कृषि एवं व्‍यवसायिक उद्देश्‍य के लिए लिया गया था तथा दिनांक 21.05.1999 को इसका विक्रय पत्र जारी हो गया था। विक्रय पत्र खत्‍म करने के बाद वर्तमान प्रत्‍यर्थीगण के पिता /परिवादी इस ट्रैक्‍टर को आज की तिथि तक प्रयोग कर रहे हैं। इस तथ्‍य को विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अनदेखा किया है एवं गलत तौर से रूपये 2,84,279/- मय ब्‍याज वापस करने के आदेश दिये गये हैं। इन आधारों पर अपील स्‍वीकार किये जाने और परिवाद निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गयी है प्रत्‍यर्थी सं0 1/1, 2/2 व 3/3 की ओर से अपील में मुख्‍य आपत्तियां प्रस्‍तुत की गयी है एवं कथन किया गया है कि निर्णय/आदेश एक दम सही है और इसमें हस्‍तक्षेप की कोई आवश्‍यकता नहीं है। अपील निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई की है।
  5. अपील सं0 727/2013 में मुख्य रूप से यह कथन किया गया है कि परिवादी एवं प्रत्‍यर्थी सं0 1 व 2 के पिता द्वारा दिनांक 01.08.2001 को कालबाधित परिवाद प्रस्‍तुत किया गया था, जिस तथ्‍य को विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अनदेखा किया है। जबकि अपीलकर्ता की ओर से इस संबंध में आपत्ति उठायी गयी थी कि परिवादी का यह कथन गलत है कि सर्विसिंग के समय प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर का मोबिल लीक कर रहा था। वास्‍तव में प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर में कोई दोष व डिफेक्‍ट नहीं था। अपीलकर्ता की ओर से यूनाइटेड डीलर सेल्‍स को अपना विक्रेता डीलर नियुक्‍त किया गया था। अपीलकर्ता के सभी डीलर संसाधनों से युक्‍त होते हैं और वे उचित सर्विस प्रदान करते हैं। अपीलकर्ता द्वारा निर्मित सभी  ट्रैक्‍टर कठिन टेस्‍ट से गुजरकर अत्‍यंत उचित स्‍तर एवं गुणवत्‍ता के होते हैं। अत: किसी भी ट्रैक्‍टर के दोषपूर्ण होने अथवा दोषपूर्ण रूप में  डीलर को प्रेषित किये जाने का कोई प्रश्‍न उत्‍पन्‍न नहीं होता है। प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर में भी कोई दोष नहीं था। परिवादी का यह कथन कि तेल के टैंक में “Taffe Tractor Rejected’’ का कोई पर्ची चिपकी हुई है, जो गड़ी हुई कहानी है।  जिसमें कोई सत्‍यता नहीं है और न ही कोई साक्ष्‍य है। वास्‍तव में परिवादी ने प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर का पूर्ण मूल्‍य नहीं दिया है। जिस कारण भुगतान से बचने के लिए यह झूठा वाद योजित किया गया है। ट्रैक्‍टर पर दी गयी वारण्‍टी एक साल की है। किन्‍तु यह परिवाद 2 साल 8 महिने 23 दिन बाद योजित किया गया है। अत: परिसीमा से बाधित है। इस कारण निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। यदि ट्रैक्‍टर में कोई दोष था तो विशेषज्ञ की आख्‍या प्रस्‍तुत की जानी चाहिए थी किन्‍तु ऐसी कोई आख्‍या प्राप्‍त नहीं हुई। केवल परिवादी, अपीलार्थी और डीलर के शपथ पत्र के आधार पर यह परिवाद निस्‍तारित किया गया है, जिसका कोई उचित आधार नहीं है। इन आधारों पर अपील स्‍वीकार किये जाने और परिवाद में पारित आदेश निरस्‍त किये जाने की प्रार्थना की है।
  6. उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्‍तागण की बहस को सुना व पत्रावली का अवलोकन किया। उपरोक्‍त आधार पर अपील में इस पीठ के निष्‍कर्ष निम्‍नलिखित प्रकार हैं:-     
  7. उपरोक्‍त अपील में यूनाइटेड ट्रैक्‍टर प्रतिवादसं0 1 व 2 परिवाद के प्रति विपक्षी सं0 3 मेसर्स ट्रैक्‍टर एवं फर्म इक्विपमेंट सर्विस चेन्‍नई के डीलर हैं। परिवादी ने प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर में निर्माण संबंधी दोष आक्षेपित करते हुए यह कथन किया है कि आरंभ से ही प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर में कमियां थी जो ट्रैक्‍टर वर्ष 1999 में क्रय किया गया एवं यह परिवाद वर्ष 2001 में योजित किया गया इस प्रकार एक वर्ष से अधिक समय तक ट्रैक्‍टर प्रयोग करने के उपरान्‍त यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। परिवाद में निर्माण संबंधी दोष दर्शाते हुए ट्रैक्‍टर को बदलवाकर नया ट्रैक्‍टर दिलवाये जाने अथवा रूपये 2,84,279/- उक्‍त्‍ ट्रैक्‍टर का मूल्‍य दिलवाये जाने की प्रार्थन की गयी है। उक्‍त परिवाद को स्‍वीकार किया जाने के लिए निर्माण संबंधी दोष साबित करने हेतु किसी विशेषज्ञ की आख्‍या अनावश्‍यक है जो तकनीकी परीक्षण के उपरान्‍त इसमें निर्माण संबंधी दोष बता सकता था किन्‍तु ऐसी कोई विशेषज्ञ रिपोर्ट परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत नहीं की गयी है एवं अन्‍य किसी साक्ष्‍य से निर्मित प्रश्‍नगत वाहन में निर्माण संबंधी दोष साबित नहीं किया गया है। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 13 (1) (सी) के अनुसार परिवादी यदि प्रश्‍नगत वस्‍तु में ऐसा दोष दर्शाता है जो उचित विश्‍लेषण के बिना साबित नहीं हो सकती है तो जिला उपभोक्‍ता आयोग के लिए यह आज्ञापक है कि वह इसकी जांच तथा विश्‍लेषण किसी विशेषज्ञ अथवा जानकार से करायी कि क्‍या वास्‍तव में प्रश्‍नगत वस्‍तु में इस प्रकार का कोई दोष है जो सतही तौर पर दर्शाया नहीं जा सकता है किन्‍तु इस प्रकार का कोई विशेषज्ञ आख्‍या जिला उपभोक्‍ता अयोग द्वारा प्राप्‍त नहीं की गयी है न ही परिवादी की ओर से प्रश्‍नगत वाहन में निर्माण संबंधी दोष के संबंध में कोई विशेषज्ञ आख्‍या था कोई साक्ष्‍य दिया गया है।
  8. इस संबंध में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय अमर कुमार सारस्‍वत प्रति फोक्‍स वैगन ग्रुप सेल्‍स इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड तथा अन्‍य प्रकाशित II (2020) CPJ पृष्‍ठ 71 (एनसी) इस संबंध में अत्‍यंत प्रासंगिक है। इस मामले के तथ्‍य भी प्रस्‍तुत मामले के तथ्‍य से मिलते जुलते हैं। इस मामले में परिवादी द्वारा वाहन खरीदा गया था। वाहन में निर्माण संबंधी दोष बताते हुए ऑयल चेंबर लीकेज, लो ऑयल लेवेल तथा इंजन के अन्‍य दोष दर्शाये गये। इस मामले में भी परिवादी द्वारा कोई किसी विशेषज्ञ की राय नहीं ली गयी। विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने बिना किसी विशेषज्ञ आख्‍या के उपरोक्‍त निर्माण संबंधी दोष को मानते हुए प्रश्‍नगत वाहन के बदले जाने का निर्देश दिया। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने उपरोक्‍त निर्णय के प्रस्‍तर 9 में यह निष्‍कर्ष दिया कि परिवादी ने किसी विशेषज्ञ की राय इस संबंध में नहीं मांगी है कि वह इस वाहन में कोई निर्माण संबंधी दोष् था। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के अनुसार परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत वाहन में दर्शाये गये दोष ऑयल चेंबर लीकेज, लो ऑयल लेवेल, इंजन में आवाज आदि सभी दोष इस प्रकार के थे जो रिपेयर के द्वारा ठीक हो सकते थे। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग की राय के अनुसार निर्माण संबंधी दोष नहीं माने जा सकते। इस मामले में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग ने प्रश्‍नगत वाहन के बदले जाने संबंधी जिला उपभोक्‍ता आयोग के निर्णय को अपास्‍त करके वाहन के रिपेयर का व्‍यय परिवादी को दिलवाये जाना उचित माना।
  9. इस संबंध में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा पारित एक अन्‍य निर्णय नीना अग्रवाल प्रति पेज 39 मोबाइल कम्‍यूनिकेशन एण्‍ड अदर्स प्रकाशित II (2020) CPJ पृष्‍ठ 352 (एनसी) भी इस निर्णय के संबंध में प्रासंगिक है। माननीय राष्‍ट्रीय के संबंध में मामले में परिवादी द्वारा एक मोबाइल सेट क्रय किया गया, जिसमें परिवादी ने निर्माण संबंधी दोष होने का आक्षेप किया और परिवाद दाखिल किया। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह आधारित किया गया है कि चूंकि परिवादी ने विपक्षी द्वारा बताये उपयुक्‍त आवश्‍यक पग में लिये हैं तथा उसके द्वारा निर्माण संबंधी होने के संबंध में कोई विशेषज्ञ आख्‍या अथवा कोई दस्‍तावेज साक्ष्य प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। अत: इस आधार पर परिवाद स्‍वीकार किया जाना उचित नहीं है कि उक्‍त उपक्रम में कोई निर्माण संबंधी दोष माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के उपयुक्‍त निर्णय भी इस मामले में सैद्धांतिक रूप से लागू होता है। इस मामले में भी परिवादी ने निर्माण संबंधी दोष आक्षेपित किया है किन्‍तु न तो कोई विशेषज्ञ आख्‍या प्रस्‍तुत की है और न ही ऐसा कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया है, जिससे यह साबित होता हो कि प्रश्‍नगत वाहन में कोई निर्माण संबंधी दोष था। अत: निर्माण संबंधी दोष मानते हुए वाहन की सम्‍पूर्ण धनराशि परिवादी का दिलाया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है।  
  10. प्रस्‍तुत मामले में उपरोक्‍त निर्णय पूर्णता लागू होता है इस मामले में भी परिवादी ने प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर में ऑयल लीकेज अर्थात तेल रिसाव संबंधी दोष को माना है जो स्‍वाभाविक रूप से एवं माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के उपरोक्‍त्‍ निर्णय के अनुसार वाहन का निर्माण संबंधी दोष नहीं माना जा सकता है। इसके अतिरिक्‍त परिवादी द्वारा कोई विशेषज्ञ आख्‍या नहीं मंगायी गयी है एवं इसके अतिरिक्‍त ऐसा कोई साक्ष्‍य नहीं दिया है, जिससे वाहन में निर्माण संबंधी दोष होना साबित नहीं माना जा सकता है।
  11. विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने भी निर्माण संबंधी दोष देखने के लिए धारा 13(1)(सी) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अनुसार किसी विशेषज्ञ अथवा तकनीकी रिपोर्ट नही मंगाई है। अत: विद्धान जिला उपभोक्‍ता आयोग का उपरोक्‍त्‍ निर्णय अपास्‍त किये जाने योग्‍य है। माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के उपरोक्‍त निर्णय से दिशा निर्देशन लेते हुए इस मामले में वाहन को बदले जाने अथवा वाहन का सम्‍पूर्ण मूल्‍य दिलाया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है क्‍योंकि वाहन में निर्माण संबंधी दोष साबित नहीं है। प्रस्‍तुत मामले में रिपेयर आदि दोष के लिए एवं वाहन की अनुपलब्‍धता के कारण होने वाली हानि तथा मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक हानि के लिए क्षतिपूर्ति दिलवाया जाना उचित प्रतीत होता है। उपरोक्‍त प्रकार से अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

 

  •  

 

अपील सं0 234/2013 तथा अपील सं0 727/2013 आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाता है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी सं0 1/2, 1/3 व 2 को रूपये 1,00,000/- वाहन की अनुपलब्‍धता के कारण होने वाली हानि रिपेयर व्‍यय तथा मानसिक आर्थिक एवं शारीरिक क्षतिपूर्ति के लिए कुल रूपये 1,00,000/- अपीलार्थीगण से संयुक्‍त व पृथक पृथक दिलवाया जाना उचित प्रतीत होता है। इस धनराशि पर विपक्षीगण वाद योजन की तिथि से अंतिम अदायगी तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी प्रदान करेंगे। यह आज्ञप्ति अपीलकर्तागण के विरूद्ध संयुक्‍त व पृथक पृथक रूप से रहेगी।

इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0 727/2013 में रखी जाये तथा प्रमाणित प्रतिलिपि अपील सं0 234/2013 में रखी जाये।

अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

    (गोवर्धन यादव)                                 (विकास सक्‍सेना)

       सदस्‍य                                          सदस्‍य

 

       संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.