जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम कोरबा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांकः- CC/14/42
प्रस्तुति दिनांकः-10/06/2014
समक्षः- छबिलाल पटेल, अध्यक्ष
श्रीमती अंजू गबेल, सदस्य
श्री राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, सदस्य
राकेश कुमार गुप्ता, उम्र लगभग-46 वर्ष,
पिता स्व0श्री रामानंद गुप्ता, सहायक उपनिरीक्षक,
कोतवाली कोरबा, निवास-पीएमक्यू-5, नेहरू नगर, कुसमुण्डा,
तह0 व जिला-कोरबा (छ0ग0).......................................................................आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
01. श्रीमान् शाखा प्रबंधक,
दि ओरिऐंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड,
रामा ट्रेड सेन्टर, 1 फ्लोर, बस स्टेण्ड के पास राजीव प्लाजा,
बिलासपुर (छ0ग0)495001
02. श्री अरूण तिवारी (अभिकर्ता),
दि ओरिऐंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड,
बजरंग चैक, पेण्ड्रा, जिला-बिलासपुर (छ0ग0)
03. श्री सुशील अग्रवाल,
मेसर्स काम्पीटेन्ट मोटर्स प्रा.लि.,
साडा कॉलोनी के पीछे, जमनीपाली, थाना-दर्री,
तह.-कटघोरा जिला-कोरबा (छ0ग0)....................अनावेदकगण/विरोधीपक्षकारगण
आवेदक द्वारा श्री एस.व्ही. उपाध्याय अधिवक्ता।
अनावेदक क्रमांक 01 द्वारा श्री आर.एन. राठौर अधिवक्ता।
अनावेदक क्रमांक 02 अनुपस्थित।
अनावेदक क्रमांक 03 अनुपस्थित।
आदेश
(आज दिनांक 20/02/2015 को पारित)
01. परिवादी/आवेदक राकेश कुमार गुप्ता के द्वारा अपनी वाहन टाटा इंडिका डीएलएस कार क्रमांक सीजी-12 पी-0127 के संबंध में वाहन दुर्घटना के कारण क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा वाहन मरम्मत की राशि का भुगतान न कर सेवा में कमी किये जाने के आधार पर 1,93,708/-रू0 मरम्मत की राशि एवं 50,000/-रू0 शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति की राशि तथा वाद व्यय एवं ब्याज की राशि दिलाये जाने हेतु, यह परिवाद-पत्र धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रस्तुत किया गया है।
02. यह स्वीकृत तथ्य है कि आवेदक के स्वामित्व की वाहन टाटा इंडिका डीएलएस कार पंजीयन क्रमांक सीजी-12 पी-0127 का बीमा अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा दिनांक 31/10/2012 से दिनांक 30/10/2013 की अवधि के लिए किया जाकर बीमा पालिसी क्रमांक 193300/31/2013/9145 जारी किया गया था। आवेदक के द्वारा उक्त वाहन के संबंध में दिनांक 15/07/2013 को वाहन दुर्घटना में क्षति होने पर उसकी मरम्मत करने की राशि का भुगतान करने का दावापत्र को अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा दिनांक 24/02/2014 को पत्र प्रेषित कर अस्वीकार किये जाने की सूचना दी गयी थी। शेष बातें विवादित है।
03. परिवादी/आवेदक का परिवाद-पत्र संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक ने अपने स्वामित्व की वाहन टाटा इंडिका डीएलएस कार पंजीयन क्रमांक सीजी-12 पी-0127 का बीमा संपूर्ण जोखिम के लिए दिनांक 31/10/2012 को अनावेदक क्रमांक 01 बीमा कंपनी के पास अनावेदक क्रमांक 02 अरूण तिवारी (बीमा अभिकर्ता) के माध्यम से कराया था। जिसके संबंध में बीमा पालिसी क्रमांक 193300/31/2013/9145 जारी किया गया था। उसकी बीमा अवधि दिनांक 31/10/2012 से दिनांक 30/10/2013 तक के लिए थी। उपरोक्त वाहन दिनांक 15/07/2013 को कटघोरा पेट्रोल पंप के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गयी उसकी सूचना आवेदक के द्वारा अनावेदक क्रमांक 01 को दी गयी। आवेदक ने अपनी उक्त वाहन को सन् 2011 में क्रय किया था और आवेदक क्रमांक 01 से ही उसका बीमा भी कराया था, उसकी बीमा पालिसी क्रमांक 192404/31/2012/4020 जिसकी वैधता दिनांक 07/10/2011 से दिनांक 06/10/2012 तक थी। आवेदक के द्वारा दिनांक 15/05/2012 को उक्त बीमा अवधि के अंतर्गत वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर दावा राशि भी प्राप्त किया गया था। आवेदक की वाहन दिनांक 15/07/2013 को दुर्घटना हो जाने पर अनावेदक क्रमांक 03 टाटा मोटर्स सर्विस सेंटर द्वारा दुर्घटनाग्रस्त वाहन का मरम्मत का कार्य किया गया। उक्त वाहन का बीमा आगामी अवधि के लिए कराये जाने हेतु अनावेदक क्रमांक 03 के मार्फत अनावेदक क्रमांक 01 के बीमा अभिकर्ता अनावेदक क्रमांक 02 अरूण तिवारी के माध्यम से बीमा पालिसी दिनांक 31/10/2012 से दिनांक 30/10/2013 तक के लिए प्राप्त किया गया था। अनावेदक क्रमांक 01 के समक्ष प्रस्तुत आवेदक के बीमादावा को अवैधरूप से अस्वीकार कर दिया गया है और उसे अनावेदक क्रमांक 03 को अदा की गयी वाहन मरम्मत की राशि 1,93,708/-रू0 का भुगतान करने से इस आधार पर इंकार कर दिया गया कि आवेदक के उक्त वाहन के संबंध में पूर्व की बीमा अवधि के दौरान दावा राशि प्राप्त नही की गयी है। जिसके कारण नो क्लेम बोनस का लाभ आवेदक ने प्राप्त कर लिया है। अनावेदक क्रमांक 01 बीमा कंपनी के द्वारा इस प्रकार वाहन की मरम्मत के संबंध में बीमाधन राशि का भुगतान न कर सेवा में कमी की गयी है। जिसके कारण आवेदक को शारीरिक, मानसिक परेषानी भी हुई इसलिए क्षतिपूर्ति की राशि 50,000/-रू0 कुल 2,43,708/-रू0 अनावेदकगण से दिलायी जावे।
04. अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा प्रस्तुत जवाबदावा संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक के द्वारा अपने स्वामित्व की वाहन पंजीयन क्रमांक सीजी-12 पी-0127 का बीमा कराने के लिए पूर्व के बीमा प्रमाण-पत्र एवं दस्तावेजों एवं बीमा शुल्क की राशि को अनावेदक क्रमांक 03 के पास जमा किये जाने की जानकारी इस अनावेदक क्रमांक 01 को नहीं है। अनावेदक क्रमांक 03 के द्वारा आवेदक की उपरोक्त वाहन का बीमा कराने के लिए अनावेदक क्रमांक 02 को आवेदक के दस्तावेजों को सौंपकर अनावेदक क्रमांक 01 से बीमा कराने के लिए कहा गया इसकी भी जानकारी नहीं है। अनावेदक क्रमांक 01 के पास आवेदक की पुरानी बीमा पालिसी को प्रस्तुत नहीं किया गया था। आवेदक के द्वारा पूर्व बीमा पालिसी की अवधि में उपरोक्त वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर क्लेम की राशि प्राप्त हुई थी, इसकी जानकारी इस अनावेदक क्रमांक 01 को नहीं थी। आवेदक के द्वारा वर्तमान विवादित बीमा पालिसी की अवधि में वाहन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर 1,93,708/-रू0 की राशि खर्च कर मरम्मत कराने की बात गलत हैं उक्त राशि अनावेदक क्रमांक 01 से आवेदक प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। आवेदक को क्षतिपूर्ति की राशि न देना पड़े इसलिए अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा आवेदक के पक्ष में नो क्लेम बोनस का लाभ देते हुए बीमा पालिसी जारी किये जाने की बात गलत है। उक्त बीमा पालिसी तो आवेदक के द्वारा दिये गये जानकारी एवं विवरण के अनुसार इस अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा जारी किया गया था। बीमाकर्ता एवं बीमाधारक का संबंध परम विश्वास का होता हैं, आवेदक के द्वारा वर्तमान बीमा पालिसी प्राप्त करने के लिए पूर्व बीमा पालिसी के अंतर्गत कोई क्षतिपूर्ति दावा राशि प्राप्त नहीं किया जाना घोषित किया गया था। जबकि उसने पूर्व बीमा पालिसी के अंतर्गत अनावेदक क्रमांक 01 की शाखा कार्यालय कोरबा से 18,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति की राशि दिनांक 12/06/2012 को प्राप्त कर लिया था, और इस तथ्य को छिपाते हुए वर्तमान नो क्लेम बोनस बीमा पालिसी आवेदक ने मिथ्या व्यपदेश न कर प्राप्त कर लिया है। इस आवेदक दावा राशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। आवेदक ने दिनांक 15/07/2013 को विवादित वाहन को दुर्घटना के कारण क्षति पहुंचना बताते हुए दावा किया इसके संबंध में क्षति के आंकलन हेतु स्वतंत्र एवं सक्षम सर्वेयर अजय एस. लाम्बा की नियुक्ति उससे अंतिम सर्वे प्रतिवेदन दिनांक 12/10/2013 को प्राप्त किया गया था। जिसके अनुसार दुर्घटना में वाहन को कुल 1,33,922/-रू0 की क्षति होना बताया गया था। जिसमें साल्वेज के मद में 6,000/-रू0 की कटौती करते हुए बीमा पालिसी के शर्तो के अनुसार शेष राशि 1,27,922/-रू0 का भुगतान आवेदक को किया जा सकता था किंतु आवेदक बीमा पालिसी के शर्तो के उल्लंघन के कारण उक्त राशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। इसलिए उसके क्षतिपूर्ति के दावा को अस्वीकार करते हुए दिनांक 17/12/2013 एवं दिनांक 24/02/2014 के सूचना पत्र के माध्यम से सूचना दे दी गयी है। इस अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। इसलिए आवेदक से विषेष क्षतिपूर्ति की राशि 10,000/-रू0 दिलाते हुए परिवाद-पत्र को सव्यय निरस्त किया जावे।
05. अनावेदक क्रमांक 02 ने सूचना पत्र की विधिवत तामिली के बाद भी अनुपस्थित रहकर अपने विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवही होने दिया है। उसके द्वारा कोई जवाबदावा पेश नहीं किया गया है।
06. अनावेदक क्रमांक 03 के द्वारा प्रस्तुत जवाबदावा संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक की स्वामित्व की वाहन टाटा इंडिका डीएलएस कार क्रमांक सीजी-12 पी-0127 को वाहन दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने पर आवेदक के द्वारा सर्विसिंग हेतु इस अनावेदक क्रमांक 01 के व्यवसायिक संस्थान में सन् 2012 में प्रस्तुत किये जाने पर उक्त वाहन का मरम्मत कार्य किया गया था। उस समय उक्त वाहन की बीमा पालिसी दिनांक 06/10/2012 को समाप्त होने पर आवेदक के निवेदन पर अनावेदक क्रमांक 03 के द्वारा दिनांक 31/10/2012 को आवेदक की उक्त वाहन का बीमा कराये जाने के संबंध में वाहन के समस्त वैध दस्तावेजों की छायाप्रति तथा बीमा शुल्क की राशि प्राप्त की गयी थी और अनावेदक क्रमांक 03 के द्वारा अनावेदक क्रमांक 02 श्री अरूण तिवारी (बीमा अभिकर्ता) के माध्यम से आवेदक की उक्त वाहन का बीमा अगले 01 वर्ष के लिए कराया गया था। इस अनावेदक क्रमांक 03 को आवेदक के वाहन का पूर्व में क्षतिग्रस्त होने पर बीमा कंपनी से लगभग 3,000/-रू0 का भुगतान आवेदक को प्राप्त हो चुकी थी, इस बात का ज्ञान था। अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा दूसरी बीमा पालिसी जारी किये जाने के समय आवेदक की पुरानी बीमा पालिसी मूलरूप से प्राप्त कर लिया गया था। इस अनावेदक क्रमांक 03 के द्वारा आवेदक की विवादित वाहन के बाद में दुर्घटनाग्रस्त होने पर मरम्मत कार्य इस अनावेदक क्रमांक 03 के संस्थान में कराये जाने पर उसका बिल 1,93,708/-रू0 का हुआ था। यह अनावेदक क्रमांक 03 टाटा मोटर्स द्वारा निर्मित छोटा चार पहिया वाहनों की सर्विसिंग एवं रखरखाव हेतु अधिकृत है। इस अनावेदक ने आवेदक की सेवा में कोई कमी नहीं की है। उसे इस मामले में आवेदक के द्वारा अनावश्यक रूप से पक्षकार बना दिया गया है। इसलिए 10,000/-रू0 क्षतिपूर्ति की राशि आवेदक से दिलाते हुए परिवाद पत्र को इस अनावेदक क्रमांक 03 के विरूद्ध निरस्त किया जाये।
07. परिवादी/आवेदक की ओर से अपने परिवाद-पत्र के समर्थन में सूची अनुसार दस्तोवज तथा अपना शपथ-पत्र दिनांक 10/06/2014 का पेश किया गया है। अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा जवाबदावा के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेजो के साथ मंडल प्रबंधक, आर.सी. परतेती का शपथ-पत्र दिनांक 29/10/2014 का तथा सर्वेयर अजय एस. लाम्बा का शपथ-पत्र दिनांक 08/01/2015 का पेश किया गया है। अनावेदक क्रमांक 03 के द्वारा जवाबदावा के समर्थन में कोई शपथ-पत्र एवं दस्तावेज पेश नहीं किया गया है। उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन किया गया।
08. मुख्य विचारणीय प्रष्न है कि:-
क्या परिवादी/आवेदक द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद-पत्र स्वीकार किये जाने योग्य है ?
09. आवेदक के द्वारा इस परिवाद-पत्र से संबंधित एवं विवादित बीमा पालिसी की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक ए-1 का प्रस्तुत किया गया है, जिसके अनुसार वाहन क्रमांक सीजी 12 पी-0127 का बीमा अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा दिनांक 31/10/2012 से दिनांक 30/10/2013 की मध्य रात्रि तक के लिए किया गया था। अनावेदक क्रमांक 01 ने भी उक्त बीमा पालिसी की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक एनए-9 के रूप में प्रस्तुत किया है। जिसमें अनावेदक क्रमांक 01 के मंडल कार्यालय बिलासपुर के द्वारा जारी किये जाने का उल्लेख है एवं उक्त दस्तावेज में अनावेदक क्रमांक 02 अरूण तिवारी बीमा अभिकर्ता, बजरंग चैक पेण्ड्रा की सील भी लगी हुई है। इससे यह प्रमाणित होता है कि अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा उक्त वाहन के संबंध में बीमा पालिसी जारी किया गया था। आवेदक के दस्तावेज क्रमांक ए-1 में 25 प्रतिषत् नो क्लेम बोनस-जीआर27 के मद में 1885/-रू0 की छूट दिया जाना दर्शाया गया है।
10. आवेदक की ओर से उपरोक्त विवादित वाहन की बीमा अवधि के पूर्व अवधि हेतु अपनी वाहन की बीमा पालिसी दिनांक 07/10/2011 से दिनांक 06/10/2012 की मध्य रात्रि तक के लिए जारी होने के संबंध में बीमा पालिसी दस्तावेज की मूल प्रति दस्तावेज क्रमांक ए-2 का प्रस्तुत किया गया है, यह बीमा प्रमाण-पत्र अनावेदक क्रमांक 01 की शाखा कार्यालय टी.पी.नगर कोरबा के शाखा प्रबंधक के द्वारा दिनांक 05/10/2011 को जारी होना दर्शित है। इस प्रकार आवेदक की उपरोक्त वाहन की बीमा पालिसी अनावेदक क्रमांक 01 के शाखा कार्यालय कोरबा के द्वारा जारी किये जाने के तथ्य को अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा भी स्वीकार किया गया है।
11. आवेदक के द्वारा विवादित वाहन के संबंध में दिनांक 15/07/2013 को दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने पर मोटर दावा प्रपत्र अनावेदक क्रमांक 01 के पास प्रस्तुत किया गया था, उसकी प्रतिलिपि दस्तावेज क्रमांक ए-7 है, जो आवेदक ने सूचना के अधिकार के तहत अनावेदक बीमा कंपनी से प्राप्त किया था। आवेदक ने टाटा मोटर्स के अधिकृत सर्विस सेंटर जमनी पाली कोरबा स्थित अनावेदक क्रमांक 03 से अपने क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत कराये जाने के संबंध में इन्वाईस दस्तावेज क्रमांक ए-5 का प्रस्तुत किया है, जिसमें अनावेदक क्रमांक 03 के द्वारा 1,93,708/-रू0 वाहन मरम्मत की राशि होना दर्शित है। आवेदक के उपरोक्त वाहन मरम्मत की राशि को अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा भुगतान करने से इंकार कर दिया गया उसके संबंध में दावा की अंतिम अस्वीकृति पत्र दिनांक 24/02/2014 को दस्तावेज क्रमांक ए-4 का प्रेषित किया गया था, जिसमें यह दर्शाया गया है कि बीमा पालिसी प्राप्त करने के समय आवेदक के द्वारा झूठी घोषणा किया जाकर वर्तमान बीमा अवधि के संबंध में 25 प्रतिशत नो क्लेम बोनस राशि का लाभ जानबूझकर प्राप्त कर लिया गया। इसलिए आवेदक के द्वारा प्रस्तुत दावा पत्र को स्वीकार किये जाने योग्य नहीं पाते हुए अस्वीकार कर दिया गया है।
12. आवेदक की ओर से बताया गया है कि उसके द्वारा अनावेदक क्रमांक 03 के पास आये बीमा अभिकर्ता अनावेदक क्रमांक 02 के माध्यम से अपने वाहन की बीमा अनावेदक क्रमांक 01 से करवाया था। उसमें पूर्व बीमा अवधि में वाहन के क्षतिग्रस्त होने से दावा राशि 3,000/-रू0 का भुगतान प्राप्त किया है। इस बात की जानकारी अनावेदक क्रमांक 02 एवं 03 दोनो को रही है। आवेदक की ओर से यह भी बताया गया है कि उसके द्वारा पूर्व में अनावेदक क्रमांक 01 की ही शाखा कार्यालय कोरबा से ही अपने वाहन का बीमा दिनांक 07/02/2011 से दिनांक 06/10/2012 तक के लिए करवाया था। उक्त बीमा अवधि समाप्त हो जाने पर आगे के लिए वाहन की बीमा पालिसी लेने में विलम्ब हुआ और दिनांक 31/10/2012 से दिनांक 30/10/2013 तक के लिए वर्तमान बीमा पालिसी उसी बीमा कंपनी के मंडल कार्यालय बिलासपुर से करवाया गया है। आवेदक के अनुसार उसने अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज क्रमांक एनए-1 के प्रस्ताव पत्रक में हस्ताक्षर नही किये है। उक्त दस्तावेज बीमा अभिकर्ता के द्वारा अनावेदक क्रमांक 01 के पास प्रस्तुत किया गया है, जिसके आधार पर वर्तमान बीमा पालिसी 25 प्रतिश त् राशि के संबंध में नो क्लेम बोनस की छुट दिये जाने के संबंध में जारी किया गया है। ऐसी स्थिति में आवेदक के द्वारा कोई झूठी घोषणा नहीं की गयी है। अनावेदक क्रमांक 01 के बीमा अधिकर्ता अनावेदक क्रमांक 02 की त्रुटि के संबंध में आवेदक को वाहन मरम्मत की राशि प्राप्त करने के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।
13. आवेदक की ओर से अपने तर्क के समर्थन में माननीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग नई दिल्ली के द्वारा ’’विजय सोमानी विरूद्ध रिलायंस जनरल इष्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2014(3)सीपीजे 576 (एनसी)’’ का न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किया गया है। उपरोक्त न्याय दृष्टांत में भी नो क्लेम बोनस की राशि प्राप्त वाहन स्वामी के द्वारा पूर्व की बीमा अवधि में वाहन की क्षतिग्रस्त होने पर दावा राशि प्राप्त किये जाने के संबंध में कोई झूठी घोषणा नहीं की गयी थी किंतु बीमा अभिकर्ता के द्वारा वाहन स्वामी को नो क्लेम बोनस की छुट दिलायी गयी थीं उक्त मामले में आवेदक वाहन स्वामी के द्वारा झूठी घोषणा करते हुए बीमा पालिसी प्राप्त करने के तथ्य को प्रमाणित नहीं किया जाना पाया गया। इस प्रकार परिवादी वाहन स्वामी के दावा को बीमा कंपनी के द्वारा अस्वीकार किये जाने को अवैध होना एवं सेवा में कमी होना माना गया है।
14. आवेदक की ओर से यह भी तर्क किया गया है कि बीमा अभिकर्ता के गलती के लिए आवेदक को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है। इस तर्क के समर्थन में माननीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग नई दिल्ली के द्वारा ’’सहारा इंडिया लाईफ इष्योरेंस कंपनी लिमिटेड एवं एक अन्य विरूद्ध रायानी रामांजनेयुलु 2014(3)सीपीजे 582 (एनसी)’’ का न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किया गया है। जिसमें बीमा एजेंट के द्वारा बीमित के पूर्व में लिये गये बीमा पालिसी से संबंधित तथ्य का प्रकटन न करने को ’’तात्विक तथ्यों’’ को छिपा दिया जाना नहीं माना जा सकता बताया गया है। जिसके आधार पर बीमित के विधिक प्रतिनिधियों को बीमा कंपनी के एजेंट के कार्य से नुकसान उठाना पड़े।
15. वर्ममान मामले में अनावेदक क्रमांक 01 के बीमा अभिकर्ता अनावेदक क्रमांक 02 के द्वारा अनावेदक क्रमांक 01 को दिये गये पत्र की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक एनए-18 का प्रस्तुत किया जाना बताया गया है। उक्त पत्र दिनांक 04/03/2014 का होना स्पष्ट होता है। जिसमें अनावेदक क्रमांक 02 अरूण तिवारी के द्वारा अनावेदक क्रमांक 01 को सूचित किया गया है कि वाहन की बीमा नवीनीकरण करते समय दावा संबंधी जानकारी पूछने पर बतलाया गया कि नवीनीकरण पालिसी में जो किया जा रहा है दावा नहीं है। इस बाबत् एनसीबी (नो क्लेम बोनस) राशि 25 प्रतिशत प्रदाय कर पालिसी नवीनीकरण किया गया है। यह उल्लेखनीय है कि उक्त बीमा अभिकर्ता अरूण तिवारी का शपथ-पत्र उपरोक्त पत्र के संबंध में अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है।
16. यह उल्लेखनीय है कि उक्त अरूण तिवारी अनावेदक क्रमांक 02 ने इस जिला उपभोक्ता फोरम में अपना कोई जवाबदावा भी प्रस्तुत नहीं किया है, और अनुपस्थित रहकर अपने विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही होने दिया है, ऐसी स्थिति में उपरोक्त दस्तावेज क्रमांक एनए-18, दस्तावेज क्रमांक एनए-1 प्रस्ताव पत्रक जिसमें आवेदक के हस्ताक्षर होना प्रमाणित होना नहीं किया जा सका है, उसके आधार पर अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा आवेदक के दावा पत्र को अस्वीकार किये जाने को अवैध एवं त्रुटि पूर्ण होना पाया जाता है। इस प्रकार अनावेदक क्रमांक 01 एवं 02 के द्वारा सेवा में कमी किया जाना स्पष्ट रूप से प्रमाणित होता है।
17. अनावेदक क्रमांक 01 ने आवेदक के वाहन की दुर्घटना दिनांक 15/07/2013 को होने पर उक्त आवेदक के द्वारा थाना प्रभारी कटघोरा को सूचना पत्र दस्तावेज क्रमांक एनए-2 के अनुसार दिनांक 15/07/2013 को दिये जाने के संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत किया है। आवेदक के द्वारा उसी वाहन दुर्घटना के संबंध में दस्तावेज क्रमांक एनए-3 का पत्र दिनांक 22/07/2013 को अनावेदक क्रमांक 01 की कोरबा कार्यालय को प्रेषित किया जाना भी अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा बताया गया है। आवेदक ने अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा मांग किये जाने पर दस्तावेज क्रमांक ए-10 एवं ए-11 के पत्र के पालन में दस्तावेज पेश किये गये थे, अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा आवेदक के दावा को स्वीकार किये जाने हेतु पत्र भी दस्तावेज क्रमांक ए-3 का दिनांक 09/04/2014 का प्रेषित किया था जिसकी पावती दिनांक 05/05/2014 को अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा दिया गया है किंतु उसके बाद भी आवेदक को दावा राशि का भुगतान नहीं किया गया।
18. अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से नियुक्त सर्वेयर अजय एस. लाम्बा ने दस्तावेज क्रमांक ए-9 के अनुसार आवेदक के वाहन के क्षतिग्रस्त होने पर मरम्मत में होने वाली राशि की गणना करते हुए अंतिम सर्वे रिपोर्ट दिनांक 12/10/2013 को दिया है। उसी दिनांक 12/10/2013 को उक्त अजय एस.लाम्बा सर्वेयर के द्वारा वाहन मरम्मत के पष्चात् पुनः निरीक्षण सर्वे रिपोर्ट दस्तावेज क्रमांक ए-8 का जारी किया था। यह उल्लेखनीय है कि अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से भी अंतिम सर्वे रिपोर्ट की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक एनए-7 तथा पुनः निरीक्षण सर्वे रिपोर्ट दिनांक 12/10/2013 की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक एनए-8 वाहन के फोटोग्राफ्स सहित प्रस्तुत किये है। उपरोक्त सर्वे रिपोर्ट के अनुसार आवेदक के वाहन की मरम्मत के संबंध में बीमा शर्तो के अनुसार कटौती करते हुए 1,34,922/-रू0 का भुगतान किये जाने योग्य होना सर्वेयर के द्वारा अनुषंसा की गयी है। जिसमें अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से कंपलश री एक्सेस के मद में 3500/-रू0, साल्वेज के संबंध में 6422/-रू0 की कटौती कर 1,25,000/-रू0 की राशि भुगतान योग्य होना दर्शाया गया है। उक्त राशि आवेदक को बीमा पालिसी के शर्तो का उल्लंघन न होने पर दिया जा सकना अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा बताया गया है।
19. आवेदक ने अनावेदक क्रमांक 03 के द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन के मरम्मत हेतु इस्टीमेट दिया था, जिसकी फोटोप्रति अनावेदक क्रमांक 01 ने दस्तावेज क्रमांक एनए-5 तथा सप्लीमेंटरी इस्टीमेट दस्तावेज क्रमांक एनए-6 के रूप में पेश किया है। जिसमें क्रमश: 1,74,085/-रू0 एवं 27,764/-रू0 कुल 201849/-रू0 खर्च होने का अनुमान दर्शाया गया है। आवेदक ने अनावेदक क्रमांक 03 के द्वारा जारी किये गये वाहन मरम्मत का खर्च का इन्वाॅइस दस्तावेज क्रमांक ए-5 (टीप-अनावेदक क्रमांक 01 द्वारा पेश इसी की फोटोप्रति दस्तावेज क्रमांक एनए-12 है) के रूप में पेश किया है। जिसमें 1,93,708/-रू0 कुल खर्च होना व्यक्त किया है। अनावेदक क्रमांक 01 बीमा कंपनी ने आवेदक को उपरोक्त राशि भुगतान करने से दस्तावेज क्रमांक ए-4 के पत्र के द्वारा अस्वीकार कर दिया है। अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा आवेदक को दस्तावेज क्रमांक एनए-15 दिनांक 17/12/2013 के पत्र प्रेषित कर यह सूचित किया गया है कि उसे क्यों दावा राशि नहीं दिया जा सकता है? इस प्रकार आवेदक को दावा राशि प्राप्त करने हेतुयह परिवाद-पत्र प्रस्तुत करना पड़ा है।
20. आवेदक की ओर से यह तर्क किया गया है कि अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा नियुक्त सर्वेयर अजय एस. लाम्बा के द्वारा अंतिम सर्वे रिपोर्ट दस्तावेज क्रमांक ए-9 का दिया है, इसी की फोटोप्रति अनावेदक क्रमांक 01 के द्वारा दस्तावेज क्रमांक एनए-7 के रूप में प्रस्तुत किया गया है, उसमें मरम्मत खर्च के रूप में प्रस्तुत बिल की राशि में अनावष्यक रूप से कटौती कर दी गयी हैं और मात्र 1,25,000/-रू0 दिये जा सकने की स्थिति अनावेदक क्रमांक 01 की ओर से बताया गया है। आवेदक की ओर से यह भी तर्क किया गया है कि सर्वेयर की रिपोर्ट को अविश्वसनीय होने के कारण अनावेदक क्रमांक 03 द्वारा जारी इन्वॉईस दस्तावेज क्रमांक ए-5 के अनुसार 1,93,708/-रू0 की राशि मरम्मत खर्च के रूप में प्रदान किया जाये।
21. आवेदक की ओर से उपरोक्त तर्क के समर्थन में माननीय पंजाब राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग चंडीगढ़ के द्वारा ’’न्यु इंडिया इष्योरेंस कंपनी लिमिटेड विरूद्ध परमजीत कौर 2014(3) सीपीजे 230(पंजाब)’’ का न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किया गया है। जिमसें वाहन मरम्मत के संबंध में सर्वेयर के द्वारा दिये गये सर्वे रिपोर्ट को विश्व सनीय नहीं होने के आधार पर अधिक से अधिक क्षतिपूर्ति की राशि प्रदान किये जाने को उचित पाया गया। यह उल्लेखनीय है कि उक्त मामले में क्षतिग्रस्त ट्रक के रिपोर्ट के आधार पर 32,025/-रू0 बीमा कंपनी के द्वारा वाहन स्वामी को दिया जाना सूचित किया गया था। जिसे वाहन स्वामी के द्वारा लेने से इंकार किया गया, तब परिवाद प्रस्तुत करने पर जिला उपभोक्ता फोरम में 57,775/-रू0 की राशि वाहन स्वामी के द्वारा किये गये खर्च के संबंध में क्षतिपूर्ति धन देने का आदेश बीमा कंपनी को दिया गया था। जिसे माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग के द्वारा उचित माना गया और बीमा कंपनी के अपील को निरस्त किया गया।
22. वर्तमान मामले में आवेदक के क्षतिग्रस्त वाहन के संबंध में दिये गये अजय एस.लाम्बा सर्वेयर का अंतिम सर्वे रिपोर्ट उसके शपथ-पत्र से समर्थित है। उक्त सर्वे रिपोर्ट में बीमा शर्तो के तहत अवैधरूप से मरम्मत की राशि के संबंध में कटौती कर दी गयी हो ऐसा कोई तथ्य आवेदक की ओर से प्रस्तुत नहीं किया जा सका है। इसलिए उपरोक्त न्याय दृष्टांत के आधार पर इस मामले में पेश अंतिम सर्वे रिपोर्ट को अविश्वश्नीय नहीं माना जा सकता है।
23. आवेदक की ओर से माननीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग नई दिल्ली के द्वारा ’’सुरेश कुमार विरूद्ध नेश नल इष्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2013(1)एवं(3)सीएलसीसी 257 आदेश दिनांक 01/07/2013 ’’ का न्याय दृष्टांत प्रस्तुत किया गया है और तर्क किया गया कि उक्त न्याय दृष्टांत में वाहन चालक के पास चलाये जा रहे श्रेणी के वाहन के लिए वैध ड्रायविंग लायसेंस नहीं होने पर भी बीमित राशि के 75 प्रतिश त् तक बीमा कंपनी के द्वारा भुगतान करने का आदेश दिया गया है। इसलिए आवेदक की ओर से तर्क किया गया है कि इस मामले में भी उसे वाहन मरम्मत की पूरी राशि दिलायी जाये। यह उल्लेखनीय है कि उपरोक्त न्याय दृष्टांत अमानक दावा आधार पर बीमित का दावा निपटान करने के लिए निर्देषित किये जाने से संबंधित है। वर्तमान मामले में इस तरह की परिस्थितियॉं नहीं है।
24. इस प्रकार वर्तमान मामले में अनावेदक क्रमांक 01 एवं 02 के द्वारा आवेदक के वाहन मरम्मत की राशि का भुगतान सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर न करने के द्वारा निश्चित ही सेवा में कमी की गयी है। अतः आवेदक मरम्मत की क्षतिपूर्ति राशि सर्वे रिपोर्ट के आधार प्राप्त करने का अधिकारी होना पाया जाता है। आवेदक मानसिक परेषानी के संबंध में भी क्षतिपूर्ति की राशि प्राप्त करने योग्य होना पाया जाता है। अनावेदक क्रमांक 03 के द्वारा सेवा में कमी किये जाने का कोई तथ्य प्रमाणित नहीं है।
25. अतः मुख्य विचारणीय प्रष्न का निष्कर्ष ’’हॉं’’ में दिया जाता है।
26. तद्नुसार परिवादी राकेश कुमार गुप्ता की ओर से प्रस्तुत इस परिवाद-पत्र को धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत स्वीकार करते हुए उसके पक्ष में एवं अनावेदक क्रमांक 01 एवं 02 के विरूद्ध निम्नानुसार अनुतोष प्रदान किया जाता है और आदेश दिया जाता है किः-
अ. आवेदक को उसके क्षतिग्रस्त वाहन क्रमांक सीजी12-पी-0127 के मरम्मत की राशि अंतिम सर्वे रिपोर्ट के आधार पर 1,25,000/-रू0 का भुगतान अनावेदक क्रमांक 01 एवं 02 संयुक्त रूप से एवं पृथकतः आज से 02 माह के अंदर करें। उक्त राशि के संबंध में दावा प्रस्तुति दिनांक 10/06/2014 से 09 प्रतिश त् की दर से वार्षिक ब्याज भी आवेदक को प्रदान करें। उपरोक्त आदेश के पालन में त्रुटि किये जाने पर दावा प्रस्तुति दिनांक से 12 प्रतिश त की दर से वार्षिक ब्याज का भुगतान करना होगा।
ब. आवेदक को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 10,000/-रू0 (दस हजार रूपये) अनावेदक क्रमांक 01 एवं 02 प्रदान करें।
स. आवेदक को वाद व्यय के रूप में 2000/-रू0(दो हजार रूपये) अनावेदक क्रमांक 01 एवं 02 प्रदान करें।
द. अनावेदक क्रमांक 03 को दायित्व से मुक्त किया जाता है। आदेश दिया जाता है कि वह अपना वाद व्यय स्वयं वहन करें।
(छबिलाल पटेल) (श्रीमती अंजू गबेल) (राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय)
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