Uttar Pradesh

StateCommission

A/1247/2018

Shitala Prasad Singh - Complainant(s)

Versus

Shakha Prabandhak Allahabad Bank - Opp.Party(s)

R.K. Mishra

06 Jul 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1247/2018
( Date of Filing : 02 Jul 2018 )
(Arisen out of Order Dated 18/05/2018 in Case No. C/70/2008 of District Mirzapur)
 
1. Shitala Prasad Singh
Mirzapur
...........Appellant(s)
Versus
1. Shakha Prabandhak Allahabad Bank
Mirzapur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Jul 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0, लखनऊ

 (सुरक्षित)

अपील सं0- 1247/2018

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग,  मीरजापुर द्वारा परिवाद सं0- 70/2008 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.05.2018 के विरुद्ध)                                                                                                                   

1. शीतला प्रसाद सिंह पुत्र रामसुन्‍दर ग्राम छतरी का पूरा, पो0 गौरा, जिला मीरजापुर।

2. अभय प्रताप सिंह। 

3. गजराज सिंह।

4. राज बहादुर सिंह।

5. विनोद कुमार सिंह।

  पुत्रगण स्‍व0 श्रीपति सिंह, ग्राम लखमापुर, पो0 अमोई, जिला मीरजापुर।

                                                   .......अपीलार्थीगण

                            बनाम

1. शाखा प्रबंधक, इलाहाबाद बैंक हरगढ़, पो0 हरगढ़, जिला मीरजापुर।

2. क्षेत्रीय प्रबंधक इलाहाबाद बैंक, जंगी रोड, मीरजापुर।

3. प्रोपाइटर सिंह आटो सेल्‍स, पीली कोठी, जिला मीरजापुर।

4. महाप्रबंधक, मेसर्स एच0एम0टी0 लिमिटेड, (ट्रैक्‍टर व्‍यापार समूह) बिजनौर-134101, जिला पंचकुला, हरियाणा।

                                                       ....प्रत्‍यर्थीगण

 

 

 

समक्ष:-

   माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित             : श्री आर0के0 मिश्रा,

                                        विद्वान अधिवक्‍ता।                           

प्रत्‍यर्थीगण सं0- 1 व 2 की ओर से उपस्थित : श्री साकेत श्रीवास्‍तव,

                                        विद्वान अधिवक्‍ता।  

प्रत्‍यर्थीगण सं0- 3 व 4 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।   

                             

दिनांक:- 11.08.2023

माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.          परिवाद सं0- 70/2008 शीतला प्रसाद सिंह व अन्‍य बनाम शाखा प्रबंधक, इलाहाबाद बैंक व तीन अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, मीरजापुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 18.05.2018 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.          अपीलार्थीगण/परिवादीगण ने यह परिवाद प्रत्‍यर्थी/विपक्षी बैंक तथा वाहन विक्रेता सिंह आटो सेल्‍स एवं वाहन निर्माता मेसर्स एच0एम0टी0 लि0 के विरुद्ध इन अनुतोषों के साथ योजित किया गया कि प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण ने अपीलार्थी/परिवादी को विक्रय किये गये ट्रैक्‍टर के कागजात नहीं दिये हैं जिस कारण उसे ट्रैक्‍टर न चला पाने के कारण प्रतिदिन 300/-रू0 की हानि हो रही है जिसकी वसूली ट्रैक्‍टर क्रय किये जाने के दिवस से अद्यतन दिलवाये जाने की प्रार्थना के साथ यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

3.          प्रत्‍यर्थीगण सं0- 1 व 2/विपक्षीगण सं0- 1 व 2 ने प्रस्‍तुत लिखित कथन में परिवाद पत्र के प्रस्‍तर 3 को स्‍वीकार किया है तथा शेष कथनों से इंकार किया है। अतिरिक्‍त कथन में कहा गया है कि अपीलार्थीगण/परिवादीगण ने प्रत्‍यर्थी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 बैंक में ट्रैक्‍टर क्रय करने हेतु ऋण प्राप्‍त करने के लिए आवेदन किया था जिसे प्रत्‍यर्थी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 द्वारा स्‍वीकृत कर अपीलार्थीगण/परिवादीगण को ट्रैक्‍टर क्रय करने हेतु ऋण प्रदान किया गया। ट्रैक्‍टर क्रय किये जाने हेतु अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी सं0- 3/विपक्षी सं0- 3 ट्रैक्‍टर एजेंसी का कोटेशन एवं बिल प्रस्‍तुत किया गया, उसी के आधार पर नियमानुसार ऋण स्‍वीकृत किया गया और अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा दिये गये उसी कोटेशन एवं बिल के अनुसार प्रत्‍यर्थी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 ने निर्धारित राशि का चेक प्रत्‍यर्थी सं0- 3/विपक्षी सं0- 3 के नाम दे दिया। ट्रैक्‍टर की धनराशि अदा कर अपीलार्थीगण/परिवादीगण ने ट्रैक्‍टर प्राप्‍त कर संतुष्टि पत्र भी प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को दे दिया। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 की जिम्‍मेदारी मात्र ऋण स्‍वीकृत करने की थी। ट्रैक्‍टर से सम्‍बन्धित कागजात जैसे सेल लेटर, रजिस्‍ट्रेशन आदि से प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से कोई वास्‍ता सरोकार नहीं है। अपीलार्थीगण/परिवादीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी सं0- 1/विपक्षी सं0- 1 को पत्र लिखा गया कि उसे सेल लेटर प्राप्‍त नहीं हुआ है। इस प्रकार आर0टी0ओ0 से रजिस्‍ट्रेशन न होने के कारण ट्रैक्‍टर को सड़क पर नहीं चलाया जा सकता। प्रत्‍यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 ने उक्‍त पत्र के जवाब में प्रत्‍यर्थी सं0- 3/विपक्षी सं0- 3 को एक पत्र लिखा जिसकी एक प्रति अपीलार्थीगण/परिवादीगण को प्रेषित की गई कि प्रत्‍यर्थी सं0- 3/विपक्षी सं0- 3 अविलम्‍ब सेल लेटर की प्रतिलिपि अपीलार्थीगण/परिवादीगण को उपलब्‍ध कराये। अत: प्रत्‍यर्थीगण सं0- 1 व 2/विपक्षीगण सं0- 1 व 2 के विरुद्ध परिवाद का कोई कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ और परिवाद काल बाधित भी है। तदनुसार परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

4.          प्रत्‍यर्थीगण सं0- 3 व 4/विपक्षीगण सं0- 3 व 4 की ओर से कोई लिखित उत्‍तर दाखिल नहीं किया गया, जिसके कारण उनके विरुद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय रूप से की गई।       

5.          हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री आर0के0 मिश्रा तथा प्रत्‍यर्थीगण सं0- 1 व 2 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री साकेत श्रीवास्‍तव को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थीगण सं0- 3 व 4 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

6.          विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद इस आधार पर खारिज किया गया कि परिवाद पत्र में ऐसा कोई कथन नहीं किया गया है कि ट्रैक्‍टर का पंजीकरण प्रमाण पत्र अथवा बीमा प्रमाण पत्र अपीलार्थी/परिवादी को न दिया गया हो। अपीलार्थी/परिवादी ने यह भी स्‍पष्‍ट नहीं किया कि वर्ष 2000 में ट्रैक्‍टर क्रय करने के उपरांत वर्ष 2008 में वाद यो‍जन की ति‍थि के मध्‍य अपीलार्थी/परिवादी ट्रैक्‍टर किस प्रकार प्रयोग करता रहा। यह अपीलार्थी/परिवादी ने स्‍पष्‍ट नहीं किया है। इसके अतिरिक्‍त अपीलार्थी/परिवादी ने इस तथ्‍य को भी स्‍पष्‍ट और साबित नहीं किया है कि पंजीकरण कराने और बीमा कराने का उत्‍तरदायित्‍व किस प्रकार प्रत्‍यर्थी/विपक्षी पर था। इन आधारों पर अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निरस्‍त किया गया।

7.          अपील मेमों का अवलोकन करने से यह स्‍पष्‍ट होता है कि अपीलार्थी/परिवादी ने मुख्‍य रूप से यह कथन किया है कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने दस वर्ष के उपरांत निर्णय दिया है और इस प्रकार उन्‍होंने  न्‍याय नहीं किया है। वर्ष 2008 से वर्ष 2016 तक केवल तारीख पड़ती रही। अपीलार्थी/परिवादी ने अपील के मेमों में यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है कि किस प्रकार गुण-दोष के आधार पर विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय 18.05.2018 को अविधिक अथवा अनियमित माना जाये।

8.          परिवाद पत्र में अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी से पंजीकरण प्रमाण पत्र की मुख्‍यत: मांग की है। धारा 40 मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार- “Registration, where to be made- Subject to the provisions of section 42, section 43 and section 60, every owner of a motor vehicle shall cause the vehicle to be registered by a registering authority in whose jurisdiction he has the residence or place of business where the vehicle is normally kept.”

9.          मोटर वाहन अधिनियम के उपरोक्‍त प्रावधान के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि अधिनियम में पंजीकरण का उत्‍तरदायित्‍व वाहन के स्‍वामी पर डाला गया है। इस प्रकार विधिक उत्‍तरदायित्‍व वाहन स्‍वामी का ही है।

10.         इसी प्रकार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 146 में यह दिया गया है कि कोई भी व्‍यक्ति किसी मोटर वाहन का सार्वजनिक स्‍थान पर बिना बीमा कराये प्रयोग नहीं करेगा। इस प्रकार धारा 146 मोटर वाहन अधिनियम में भी बिना बीमा के वाहन का प्रयोग करना वर्जित किया गया है जिससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि यह उत्‍तरदायित्‍व भी वाहन स्‍वामी का है कि वह वाहन को बिना बीमा के प्रयोग न करे। अपीलार्थी/परिवादी वाहन स्‍वामी ने ऐसा कोई साक्ष्‍य या प्रावधान प्रस्‍तुत नहीं किया है कि जिससे यह स्‍पष्‍ट हो सके कि क्रय किये गये वाहन का पंजीकरण अथवा बीमा कराये जाने का उत्‍तरदायित्‍व प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण में से किसी पर था।

11.         अपीलार्थी/परिवादी की ओर से यह साक्ष्‍य भी प्रस्‍तुत नहीं किया गया है कि उसके तथा प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण वाहन विक्रेता, ऋणदाता बैंक अथवा वाहन निर्माता से ऐसी कोई संविदा हुई हो कि इसमें से किसी के द्वारा अपीलार्थी/परिवादी क्रेता के वाहन का पंजीकरण अथवा बीमा कराया जायेगा। अपीलार्थी/परिवादी ने ऐसा भी कोई साक्ष्‍य नहीं दिया है कि जिससे स्‍पष्‍ट हो कि उपरोक्‍त प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण में से किसी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी से कोई शुल्‍क बीमा अथवा पंजीकरण कराये जाने के हेतुक से लिया गया हो। इस प्रकार प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण का कोई संविदा से उत्‍पन्‍न उत्‍तरदायित्‍व भी इन कागजातों के लिए स्‍पष्‍ट नहीं होता है। अत: अपीलार्थी/परिवादी का यह तर्क मानने योग्‍य नहीं है कि प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण का उत्‍तरदायित्‍व प्रश्‍नगत वाहन के कागजातों के दिलवाये जाने का था, जिनमें पंजीकरण प्रमाण पत्र एवं बीमा प्रमाण पत्र मुख्‍य हैं।

12.         अपीलार्थी/परिवादी द्वारा उचित साक्ष्‍य न दिये जाने के आधार पर विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उचित प्रकार से प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण का उत्‍तरदायित्‍व न मानते हुये अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निरस्‍त किया है। अत: प्रश्‍नगत निर्णय में कोई दोष अथवा अवैधता प्रतीत नहीं होती है, जिसके आधार पर प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश अपास्‍त किया जाये। तदनुसार प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश पुष्‍ट किये जाने योग्‍य एवं अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

                               आदेश 

13.         अपील निरस्‍त की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 18.05.2018 की पुष्टि की जाती है।

अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।     

 

       (विकास सक्‍सेना)                                 (राजेन्‍द्र सिंह)

           सदस्‍य                                         सदस्‍य

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

     (विकास सक्‍सेना)                                 (राजेन्‍द्र सिंह)

         सदस्‍य                                         सदस्‍य

     

शेर सिंह, आशु0,

कोर्ट नं0-2

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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