(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-589/2004
मारूति उद्योग लिमिटेड बनाम शैलेन्द्र कुमार वर्मा तथा एक अन्य
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
13.04.2023
परिवाद संख्या-183/2000, शैलेन्द्र कुमार वर्मा बनाम प्यारे लाल एण्ड संस (ई0पी0) लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, बिजनौर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 12.02.2004 के विरूद्ध मारूति उद्योग लिमिटेड द्वारा प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अंकित श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
विद्वान जिला आयोग ने परिवादी से वसूल की गई अतिरिक्त धनराशि रू0 17802.57 पैसे दिनांक 25.01.2000 से 09 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटाने का आदेश पारित किया है।
परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 28.12.1999 को एक वाहन क्रय करने के लिए कोटेशन ली गई। अंकन 1 लाख 70 हजार रूपये का ड्राफ्ट अपीलार्थी के यहां जमा कर दिया गया, इसके पश्चात वाहन की डिलीवरी देते समय अंकन रू0 17,802.57 पैसे अधिक वसूले गए। इसी राशि को वापस करने का आदेश विद्वान जिला आयोग ने पारित किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिस तिथि को वाहन की डिलीवरी दी गई, इसी तिथि को प्रचलित बाजार भाव के अनुसार ही कीमत प्राप्त की जाएगी। उनके द्वारा अपने तर्क के समर्थन में नजीर मारूति उद्योग लिमिटेड बनाम मैसर्स वनीता सपरा तथा अन्य प्रस्तुत की
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गई, इस केस के तथ्यो के अवलोकन से जाहिर होता है कि क्रेता द्वारा कीमत का मामूली भाग यानी अंकन 35 हजार रूपये अग्रिम प्रदान किए गए थे। अंकन 35 हजार रूपये अग्रिम अदा करते समय यह तय हुआ था कि वाहन का मूल्य उस समय, जिस समय डिलीवरी दी जाएगी विचार में लिया जाएगा। प्रस्तुत केस में परिवादी द्वारा विक्रय मूल्य का अधिकांश भाग वाहन की बुकिंग की तिथि को ही अदा कर दिया गया, इसलिए उपरोक्त केस में दी गई व्यवस्था परिवादी के केस के लिए लागू नहीं की जा सकती। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
अत: प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3