Uttar Pradesh

StateCommission

A/245/2019

Shivshankar Gupta - Complainant(s)

Versus

Senior Supdt. of Post Office - Opp.Party(s)

Neelam Srivastava

01 Dec 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/245/2019
( Date of Filing : 21 Feb 2019 )
(Arisen out of Order Dated 16/01/2019 in Case No. C/64/2017 of District Agra-I)
 
1. Shivshankar Gupta
S/O Late Sri Chunnilal Gupta Niwasi 18/210 Purani Mandi Tajganj Agra
...........Appellant(s)
Versus
1. Senior Supdt. of Post Office
Bhartiya Dak Vibhag Agara Prikshetra Karyalay Pukhy Post Office Sanjay Place Agra
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Dec 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील सं0-२४५/२०१९

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-६४/२०१७ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १६-०१-२०१९ के विरूद्ध)

 

शिवशंकर गुप्‍ता पुत्र स्‍व0 श्री चुन्‍नीलाल गुप्‍ता निवासी – १८/२१०, पुरानी मण्‍डी, ताजगंज, आगरा।

                                               ................ अपीलार्थी/परिवादी।

 बनाम

वरिष्‍ठ पोस्‍ट अधीक्षक, भारतीय डाक विभाग आगरा, परिक्षेत्र कार्यालय मुख्‍य पोस्‍ट आफिस, संजय प्‍लेस, आगरा।

............ प्रत्‍यर्थी/विपक्षी। 

समक्ष :-

मा0 न्‍यामूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : डॉ0 उदय वीर सिंह विद्वान अधिवक्‍ता के सहायक    

                          अधिवक्‍ता श्री श्रीकृष्‍ण पाठक।  

 

दिनांक : ०१-१२-२०२२.

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित।

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी शिव शंकर गुप्‍ता द्वारा जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-६४/२०१७ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १६-०१-२०१९ के विरूद्ध योजित की गई है।  

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने दिनांक २०-०४-१९९८ को रजिस्‍टर्ड पार्सल यू0एस0ए0,  बी0एन0 पटेल को भेजा था जिसकी रसीद सं0-२७५७ थी। पार्सल में भेजे गए सामान की कीमत १५,८००/- रू० थी। उक्‍त पार्सल न तो  बी0एन0 पटेल को उनके पते पर प्राप्‍त हुआ और न ही परिवादी को वापस प्राप्‍त हुआ। परिवादी द्वारा इस सन्‍दर्भ में विपक्षी से १९९८ से ही शिकायतें की गईं लेकिन विपक्षी द्वारा उक्‍त

 

 

 

-२-

पार्सल के सम्‍बन्‍ध में परिवादी को कोई जानकारी नहीं दी गई। परिवादी द्वारा विपक्षी को दिनांक ०२-०१-२०१५ को विधिक नोटिस दिया गया जिसका जवाब विपक्षी द्वारा दिनांक ०२-०५-२०१५ को गलत व असत्‍य तथ्‍यों पर आधारित दिया गया।

विपक्षी/प्रत्‍यर्थी द्वारा प्रतिवाद पत्र में अभिकथित किया गया कि पार्सल द्वारा भेजे गए सामान का मूल्‍य किसी बिल अथवा इन्‍वाइस से समर्थित नहीं है। विभागीय नियमों के अनुसार किसी रजिस्‍टर्ड अथवा बीमाकृत वस्‍तु की क्षति की सूचना ०३ माह के अन्‍दर प्रस्‍तुत की जानी चाहिए। पार्सल की बुकिंग के ०४ माह बाद सूचना प्राप्‍त हुई इसलिए परिवाद विभागीय नियमों के अनुसार कालबाधित है। परिवाद में यूनियन आफ इण्डिया को पक्षकार नहीं बनाए जाने के कारण परिवाद पोषणीय नहीं है।

विद्वान जिला फोरम/आयोग ने उभय पक्षकारों द्वारा प्रस्‍तुत किए गए अभिकथनों एव प्रलेखीय साक्ष्‍यों/अभिलेखों पर विस्‍तार से विवेचन करते हुए, परिवादी का परिवाद धारा-६ भारतीय डाक अधिनियम १८९८ के प्रावधानों से पूर्णतया बाधित होना तथाकथित वाद कारण उत्‍पन्‍न होने के लगभग १७ वर्ष पश्‍चात् प्रस्‍तुत किए जाने के कारण पूर्णत: कालबाधित होना पाते हुए प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १६-०१-२०१९ द्वारा खारिज कर दिया गया।

उक्‍त निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवादी/अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई।

      अपीलार्थी की ओर से न तो अपीलार्थी स्‍वयं उपस्थित है और न ही उसकी अधिवक्‍ता सुश्री नीलम श्रीवास्‍तव उपस्थित हुईं। चूँकि अपील विगत लगभग ०४ वर्षों से लम्बित है अत्एव मेरे द्वारा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता डॉ0 उदय वीर सिंह के सहायक अधिवक्‍ता श्री श्रीकृष्‍ण पाठक को विस्‍तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों/अभिलेखों एवं प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश का सम्‍यक परिशीलन व परीक्षण किया गया।

      अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा दौरान् बहस मुख्‍य रूप से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत परिवाद वाद कारण उत्‍पन्‍न होने के १७ वर्ष पश्‍चात् योजित

 

 

 

 

-३-

किया गया था एवं परिवाद भारतीय डाक अधिनियम की धारा-६ के प्रावधानों से बाधित है, जिसे दृष्टिगत रखते हुए एवं परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए विद्वान जिला फोरम ने परिवाद सही रूप से विधि अनुसार निरस्‍त किया है। 

      निर्विवादित रूप से वाद का कारण वर्ष १९९८ में उत्‍पन्‍न हुआ और प्रश्‍नगत परिवाद अपीलार्थी/परिवादी द्वारा वर्ष २०१५ में योजित किया गया अत्एव स्‍पष्‍ट रूप से यह पाया जाता है कि परिवाद १७ वर्ष पश्‍चात् अत्‍यधिक विलम्‍ब से योजित किया गया जो उचित रूप से एवं विधि अनुसार विद्वान जिला फोरम द्वारा निरस्‍त किया गया।   

उपरोक्‍त तथ्‍यों एवं परिस्‍थतियों को दृष्टिगत रखते हुए मरे विचार से विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है और उसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                                            (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                  

                                                         अध्‍यक्ष                                                    प्रमोद कुमार,

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,

कोर्ट नं0-१.     

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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