Uttar Pradesh

Chanduali

CC/46/2016

Sonu Kumar - Complainant(s)

Versus

SBI - Opp.Party(s)

Sanjay Sharma

22 Mar 2017

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Complaint Case No. CC/46/2016
 
1. Sonu Kumar
Vill&Post-Sikandarpur Thana- Chakia
Chandauli
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. SBI
Chakia Chandauli
Chandauli
UP
2. SBI
Chandauli
Chandauli
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 22 Mar 2017
Final Order / Judgement

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 46                              सन् 2016ई0
सोनू कुमार पुत्र घनश्याम निवासी ग्राम व पो0 सिकन्दरपुर थाना चकिया जिला चन्दौली।
                                        ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-शाखा प्रबन्धक स्टेट बैंक आफ इण्डिया शाखा चकिया जिला चन्दौली।
2-शाखा प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक आफ इण्डिया शाखा चन्दौली जिला चन्दौली।
                                             ............विपक्षीगण
उपस्थितिः-
 रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
 लक्ष्मण स्वरूप, सदस्य
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद विपक्षी संख्या 1 से चेक की धनराशि रू0 31215/- मय व्याज एवं मानसिक आर्थिक एवं शारीरिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 15000/- तथा खर्चा मुकदमा रू0 5000/- दिलाये  जाने हेतु प्रस्तुत किया है।
2-    परिवादी की ओर से परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी एक शिक्षित बेरोजगार युवक है इसलिए अपने जीविकोपार्जन हेतु ठीकेदारी का काम करता है। परिवादी चन्द्रप्रभा प्रखण्ड मुगलसराय जिला चन्दौली में कार्य किया था जिसका भुगतान अधिशासी अभियन्ता चन्द्रप्रभा प्रखण्ड द्वारा दिनांक 31-3-2016 को जारी स्टेट बैंक आफ इण्डिया चन्दौली के चेक संख्या 147310 रू0 31215/- के भुगतान की सीमा एक माह की थी। परिवादी ने उक्त चेक को विपक्षी संख्या 1 के बैंक शाखा में अपने बचत खाता संख्या 34175257885 में दिनांक 11-4-2016 को जमा किया। उक्त चेक की धनराशि एक माह बाद भी परिवादी के खाते में नहीं आयी तो परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 से सम्पर्क किया तो उनके द्वारा बताया गया कि चेक प्रासेस में लगा है शीघ्र ही भुगतान हो जायेगा। परिवादी पुनः 10 दिन बाद विपक्षी संख्या 1 के शाखा में गया तो विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी को डाटकर भगा दिया और कहा कि दोबारा चेक के बारे में पता करने के लिए शाखा पर मत आना और अन्ततः विपक्षी संख्या 1 द्वारा  दिनांकित 6-5-2016 के मेमो द्वारा चेक को आउट डेटेड बताकर भुगतान करने से मना कर दिया। विपक्षी संख्या 1 के कृत्य की शिकायत बैकिग लोकपाल के यहॉं पंजीकृत डाक द्वारा दो बार किया परन्तु परिवादी को कोई न्याय नहीं मिला और न ही पैसा ही मिला। परिवादी ने उक्त चेक को दिनांक 11-4-2016 को अपने उपरोक्त बचत खाते में जमा किया किन्तु विपक्षी संख्या 1 लापरवाही  से उक्त चेक अपने यहॉं बहुत दिन तक रखे रहे और काफी विलम्ब से दिनांक 26-4-2016 को अपने पास जमा होना दिखाया और क्लीयरेंस हेतु भेजा और बाद में चेक आउट डेटेड कहकर भुगतान करने से मना कर दिया और परिवादी को चेक वापस कर दिया। विपक्षी संख्या 1 के लापरवाही के कारण परिवादी को घोर मानसिक,शारीरिक,आर्थिक एवं सामाजिक क्षति हुई है क्योंकि परिवादी को दूसरा चेक काफी लम्बे समय बाद जब कभी बजट आयेगा, तब मिलने की सम्भावना है।  विपक्षी संख्या 2 को पक्षकार मुकदमा इसलिए
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 बनाया गया है कि चेक उनकी शाखा का था और उसका समाशोधन भी उसकी शाखा से होना था तथा आउट डेटेड का पृष्ठांकन उनकी ही शाखा से किया गया है।
3-    विपक्षी संख्या 1 ने जबाबदावा प्रस्तुत करके परिवादी के पैरा 8 में दिनांक 6-5-2016 को मेमो देना स्वीकार किया है तथा शेष अभिकथनों से इन्कार किया है तथा अतिरिक्त कथन में कहा है कि परिवादी ने असलियत को छिपाकर परिवाद दाखिल किया गया है जो खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी को चेक दिनांक 31-3-2016 को प्राप्त हुआ और उस चेक को समाशोध्न के लिए विलम्ब से दिनांक 11-4-2016 को प्रस्तुत किया। परिवादी यह जानता था कि चेक की वैलिडिटी केवल एक माह की थी और बैक में पब्लिक का बहुत कार्य होता है और चेक को समाशोधन के लिए विपक्षी संख्या 2 को भेजा गया परन्तु उक्त बैंक ने समय से समाशोधन नहीं करा पाया इसलिए समय समाप्त हो गया जो कि बैंक में कार्य की अधिकता के कारण ही विलम्ब की वजह से चेक राशि का भुगतान नहीं हो पाया चेक राशि की धनराशि बैंक में अभी प्राप्त नहीं हुई है और न तो उससे विपक्षी ने कोई लाभ कमाया है। परिवादी यदि उक्त चेक को पुनः रिवैलिडेट कराकर बैंक में समय से प्रस्तुत करता है तो उसका भुगतान करा दिया जायेगा और आर0बी0आई0 के द्वारा प्रस्तुत गाइड लाइन का पालन किया जायेगा। इस आधार पर परिवादी के परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
3-    विपक्षी संख्या 2 की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके परिवादी के परिवाद को पूर्णतया इन्कार करते हुए अतिरिक्त कथन में कहा है कि परिवादी का चेक समाशोधन के लिए बैंक में विलम्ब से प्राप्त हुआ जो समयाभाव के कारण समाशोधन के काबिल नही था और आउट डेटेड हो गया इसलिए उसे वापस कर दिया गया और पुनः उक्त चेक रिवैलिडेट होकर समय के अन्दर प्रस्तुत किया जाता है तो उसे अवश्य ही समाशोधन करा दिया जायेगा। चूंकि चेक भुगतान के लिए बहुत ही विलम्ब से प्रस्तुत किया गया और समयाभाव की वजह से आउटडेटेड हो गया इसमे विपक्षी संख्या 2 की कोई गलती नहीं है। इस आधार पर परिवादी के परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
4-    परिवादी की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया है तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में बैंक के मेमो की छायाप्रति,बैंक स्टेटमेन्ट की छायाप्रति,बैंक में जमा किये गये चेक की छायाप्रति,बैंकिग लोकपाल को दिये गये प्रार्थना पत्र की छायाप्रतियॉं 2 अदद् तथा मतदाता पहचान पत्र की छायाप्रति दाखिल किया गया है। विपक्षीगण की ओर से बसन्त लाल शाखा प्रबन्धक एवं ओ0पी0 मिश्रा मुख्य प्रबन्धक का शपथ पत्र दाखिल किया गया है।    
5-    पक्षकारों की ओर से लिखित तर्क दाखिल किया गया है तथा उनके अधिवक्तागण द्वारा मौखिक बहस भी सुनाई गयी है। पत्रावली का पूर्ण रूपेण परिशीलन किया गया।
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6-    परिवादी के अधिवक्ता द्वारा तर्क दिया गया कि परिवादी ने रू0 31275/- का एकाउण्ट पेई चेक जो भारतीय स्टेट बैंक चन्दौली द्वारा निर्गत था, को अपने खाते में भुगतान हेतु दिनांक 11-4-2016 को भारतीय स्टेट बैंक की शाखा चकिया में जमा किया किन्तु एक माह बाद भी चेक की धनराशि परिवादी के बैंक खाते में नहीं आयी तो उसने विपक्षी संख्या 1 से सम्पर्क किया तो पहले उन्होंने कहा कि चेक प्रासेस में लगा है,शीघ्र भुगतान हो जायेगा लेकिन जब परिवादी पुनः 10 दिन बाद उनसे मिला तो उन्होंने परिवादी को डाटकर भगा दिया और चेक को आउटडेटेड बताकर भुगतान करने से मना कर दिया। परिवादी के अधिवक्ता का तर्क है कि चेक दिनांक 31-3-2016 को निर्गत हुआ था जो एक माह तक के लिए वैध था और इस चेक को परिवादी ने दिनांक 11-4-2016 को ही भारतीय स्टेट बैंक की चकिया शाखा में भुगतान हेतु जमा कर दिया था लेकिन बैंक की लापरवाही के कारण चेक का भुगतान नहीं हो सका और गलत तौर से चेक को आउट डेटेड दिखाते हुए भुगतान करने से मना कर दिया गया जबकि परिवादी ने दिनांक 11-4-2016 अर्थात चेक जारी होने के मात्र 11 दिन बाद ही चेक बैंक में जमा कर दिया था इस प्रकार चेक विल्कुल समय से जमा किया गयाथा और स्वयं विपक्षीगण की लापरवाही एवं सेवा में कमी के कारण परिवादी को चेक की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया है। अतः परिवादी चेक की धनराशि मय व्याज तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षति हेतु क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय प्राप्त करने का अधिकारी है।
7-    इसके विपरीत विपक्षीगण की ओर से यह तर्क दिया गया है कि चेक को बैंक में बहुत विलम्ब से समाशोधन के लिए प्रस्तुत किया गया था चेक का भुगतान भारतीय स्टेट बैंक की शाखा चन्दौली से होना था अतः चेक को उक्त बैंक में भेजा गया और दिनांक 26-4-2016 को उक्त चेक चन्दौली शाखा को प्राप्त हुआ लेकिन उक्त शाखा द्वारा समय से उसका समाशोधन करके नहीं लौटाया गया इसलिए चेक का भुगतान नहीं किया जा सका। बैंक की ओर से यह तर्क दिया गया है कि यदि परिवादी चेक को पुनः रिवैलिडेट कराकर बैंक में जमा कर दे तो चेक की धनराशि का भुगतान परिवादी को कर दिया जायेगा। विपक्षी बैंक की ओर से तर्क दिया गया कि परिवादी ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाते हुए गलत अभिकथनों के आधार पर परिवाद दाखिल किया गया है जो निरस्त किये जाने योग्य है।
8-    उभय पक्ष के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी ने रू0 31215/- का एक चेक भारतीय स्टेट बैंक की शाखा चकिया में भुगतान हेतु जमा किया था। परिवादी का यह अभिकथन है कि उसने चेक दिनांक 11-4-2016 को चकिया बैंक में जमा किया था। यह स्वीकृत तथ्य है कि चेक दिनांक 31-3-2016 को जारी हुआ है और यह भी स्वीकृत तथ्य है कि चेक की मियाद एक महीने है। परिवादी के अभिकथन के मुताबिक चेक निर्गत होने के मात्र 11 दिन बाद ही उसने भुगतान हेतु इस चेक को विपक्षी संख्या 1 के यहॉं जमा कर दिया था। स्वयं विपक्षी संख्या 1
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 की ओर से जो जबाबदावा दाखिल किया गया है उसके पैरा-15 में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि परिवादी ने समाशोधन के लिए चेक दिनांक 11-4-2016 को प्रस्तुत किया था। इस प्रकार विपक्षी संख्या 1 ने अपने जबाबदावा में इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि परिवादी ने चेक दिनांक 11-4-2016 को ही विपक्षी संख्या 1 के यहॉं जमा कर दिया था। अतः इस चेक के आउटडेटेड होने का कोई प्रश्न नहीं रह जाता है। यहॉं यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि अपने लिखित तर्क में भी विपक्षी संख्या 1 अर्थात भारतीय स्टेट बैंक चकिया द्वारा यह कहा गया है कि भारतीय स्टेट बैंक चन्दौली शाखा को परिवादी का चेक दिनांक 26-4-2016 को प्राप्त हो गया था लेकिन उन्होंने समय से समाशोधन कराके चेक चकिया शाखा को नहीं लौटाया। विपक्षी के इस तर्क से भी यह बात भलीभांति सिद्ध हो जाती है कि परिवादी ने अपना चेक भुगतान के लिए चेक की समय सीमा जो एक महीने थी के अन्दर ही बैंक में प्रस्तुत कर दिया था और स्वयं विपक्षी संख्या 1 जिनके यहॉं चेक जमा किया गया था ने भी अपने जबाबदावा में स्पष्ट रूप से यह स्वीकार किया है कि परिवादी का चेक बैंक में दिनांक 11-4-2016 को प्राप्त हो गया था ऐसी स्थिति में इस चेक को आउटडेटेड होने का कोई प्रश्न नहीं है और विपक्षीगण द्वारा चेक का भुगतान न करके निश्चित रूप से सेवा में कमी की गयी है। अतः परिवादी चेक की धनराशि को व्याज सहित प्राप्त करने का अधिकारी है। इसी प्रकार परिवादी शारीरिक,मानसिक क्षति हेतु क्षतिपूर्ति तथा वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है और मुकदमें के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी के चेक की धनराशि पर 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से व्याज दिलाया जाना तथा शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 3000/- एवं वाद व्यय के रूप में रू02000/- भी दिलाया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है और इस प्रकार परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
                           आदेश
    परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-1 को आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी द्वारा चेक प्रस्तुत करने पर एक माह के अन्दर चेक की धनराशि को दिनांक 25-7-2016 (परिवाद दाखिल करने की तिथि) से पैसा अदा करने की तिथि तक 8 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज सहित परिवादी को अदा करें। विपक्षी संख्या-1 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे इसी अवधि में परिवादी को रू0 3000/-(तीन हजार)शारीरिक एवं मानसिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु तथा रू0 2000/-(दो हजार) बतौर वाद व्यय भी अदा करें।

(लक्ष्मण स्वरूप)                                   (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्य                                                अध्यक्ष
                                                 दिनांक-22-3-2017

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop]
MEMBER

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