जिला फोरम उपभोक्ता विवाद प्रतितोष, झुन्झुनू (राजस्थान)
परिवाद संख्या - 640/14
समक्ष:- 1. श्री सुखपाल बुन्देल, अध्यक्ष।
2. श्री अजय कुमार मिश्रा, सदस्य।
उम्मेद सिंह पुत्र बीरबल राम जाति जाट निवासी फतेहसरी तहसील नवलगढ जिला झुंझुनू (राज0) - परिवादी
बनाम
भारतीय स्टेट बैंक शाखा, झुंझुनू जरिये शाखा प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक शाखा, झुंझुनू
तहसील व जिला झुंझुनू (राज0) - विपक्षी
परिवाद पत्र अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
1. श्री महीपाल सिंह कपूरिया, अधिवक्ता - परिवादी की ओर से।
2. श्री भगवान सिंह शेखावत, अधिवक्ता - विपक्षी की ओर से।
- निर्णय - दिनांकः 21.06.2016
परिवादी ने यह परिवाद पत्र मंच के समक्ष पेष किया, जिसे दिनांक 18.12.2014 को संस्थित किया गया।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र में अंकित तथ्यों को उजागर करते हुये बहस के दौरान कथन किया है कि परिवादी ने विपक्षी के यहां खाता संख्या 30384629607 खुलवा रखा है, जिसमें लेन देन करता है। इसलिये परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता है।
विद्धान अधिवक्ता परिवादी ने बहस के दौरान यह भी कथन किया है कि परिवादी ने दिनांक 05.01.2014 को मोबाईल बैंकिंग (इन्टरनेट) के माध्यम से खाताधारक हेमन्त कुमार भारतीय स्टेट बैंक नया काटला ब्रांच दौसा का खाताधारक के खाता संख्या 30384630271 में 15,000/-रूपये और 5000/-रूपये कुल 20,000/- रूपये स्थानान्तरण किये थे। उक्त राषि हेमन्त कुमार के उपरोक्त खाता में न जाकर मोबाईल बैकिंग सस्पेन्स खाता संख्या 399725044301 में स्थानान्तरित हो गई। परिवादी ने विपक्षी से सम्पर्क किया तो विपक्षी ने बताया कि परिवादी की राषि 3 महिने में परिवादी के खाते में आ जावेगी। परिवादी के खाते में तीन महिने बाद भी उक्त राषि 20,000/-रूये नहीं आई तो परिवादी ने दिनांक 26.05.2014 को विपक्षी को लिखित प्रार्थना पत्र पेष किया, जिस पर तुरंत विपक्षी ने परिवादी के खाते में राषि भिजवाने हेतु कहा लेकिन विपक्षी द्वारा परिवादी के खाते में उक्त राषि जमा नहीं कराई जिस पर पुनः दिनांक 04.09.2014 को परिवादी ने विपक्षी को षिकायत की। विपक्षी ने परिवादी को आष्वासन दिया कि जल्दी ही उक्त राषि परिवादी के खाते में जमा करवादी जावेगी । विपक्षी द्वारा परिवादी को धोखे में रखा गया तथा आज तक उक्त राषि परिवादी के खाते में जमा नहीं कराई है। परिवादी ने विपक्षी को दिनांक 17.11.2014 को रजिस्टर्ड नोटिस दिलाया परन्तु उसका भी विपक्षी की ओर से कोई जवाब पेष नहीं किया गया । विपक्षी का उक्त कृत्य सेवा में कमी है।
अन्त में विद्धान् अधिवक्ता परिवादी ने परिवाद पत्र मय खर्चा स्वीकार किया जाकर मोबाईल बैंकिंग सस्पेन्स खाता संख्या 399725044301 से स्थानान्तरित कर मय ब्याज परिवादी के खाता संख्या 30384629607में जमा कराई जाने का निवेदन किया।
प्रकरण में विपक्षी को बार-बार जवाब पेष किये जाने हेतु अवसर दिये जाने के बावजूद जवाब पेष नहीं किया। इसलिये विपक्षी की जवाबदेही बंद की जाकर उभयपक्ष की बहस सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि परिवादी ने मोबाईल बैंकिंग इन्टरनेट के माध्यम से स्वंय के खाते में से अन्य खाताधारक हेमन्त कुमार के भारतीय स्टेट बैंक नया काटला, ब्रांच दौसा में खुले हुये खाता संख्या 30384630271 में 15000/-रूपये और 5000/-रूपये, कुल 20,000/-रूपये स्थानान्तरण किये थे। उक्त राषि हेमन्तकुमार के खाते में न जाकर मोबाईल बैकिंग सस्पेंन्स खाता संख्या 399725044301 में स्थानान्तरण हो गई। विपक्षी से बार-बार लिखित व मौखिक षिकायत करने के बावजूद उक्त राषि परिवादी के खाता संख्या 30384629607 में आज तक वापिस जमा नहीं की गई है, जो स्पष्ट रूप से विपक्षी बैंक की लापरवाही का द्योतक है।
अतः प्रकरण के तमाम तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान मे रखते हुए परिवादी का परिवाद पत्र विरूद्व विपक्षी बैंक स्वीकार किया जाकर विपक्षी बैंक को आदेष दिया जाता है कि यदि अभी तक परिवादी द्वारा स्वंय के खाता संख्या 30384629607 से खाताधारक हेमन्त कुमार के खाता संख्या 30384630271 भारतीय स्टेट बैंक नया काटला, ब्रांच दौसा के खाते में 15,000/-रूपये और 5000/-रूपये, कुल 20,000/-रूपये (अक्षरे रूपये बीस हजार) स्थानान्तरण की गई राषि, वापिस परिवादी के उपरोक्त खाते में जमा नहीं कराई है, तो उसे तुरंत प्रभाव से परिवादी के खाते में जमा करवाई जावे। उक्त आदेष की पालना एक माह में की जावे । यदि एक माह में उक्त राषि विपक्षी द्वारा परिवादी के खाते में जमा नहीं कराई गई तो परिवादी, विपक्षी से उक्त राषि पर संस्थित परिवाद पत्र दिनांक 18.12.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक दर से ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी होगा। इस प्रकार से प्रकरण का निस्तारण किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 21.06.2016 को लिखाया जाकर मंच द्धारा सुनाया गया।