तारीख
हुक्म
परिवाद संख्या 622/14
हुक्म या कार्यवाही मय इनिषियल्स जज
मंगलाराम बनाम 1. स्टेट बैंक आफ बीकानेर एण्ड जयपुर शाखा गुढागौड़जी
जरिये शाखा प्रबंधक।
2. आई डी बी आई बैंक, शाखा टोडी जिला झुंझुनू जरिये शाखा
प्रबंधक।
नम्बर व तारीख अहकाम जो इस हुक्म की तामिल में जारी हुए
09.08.2018
आदेश
उभयपक्ष के विद्वान् अधिवक्ता उपस्थित। परिवादी की ओर से दिनांक 27.11.2014 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,1986 की धारा 12 के अन्तर्गत परिवाद बाबत गत पेशी पर सुना जा चुका है।
परिवादी की व्यथा यह रही है कि उसने परिवाद के चरण संख्या 2 में वर्णित बचत खाता विपक्षी संख्या 2 के यहां खुलवा रखा है, जिस खाते से संबंधित ए टी एम, जो मशीन विपक्षी संख्या 1 की है, से दिनांक 31.01.2014 को 5000/-रूपये निकालने का प्रयास किया था। उसके पास 5000/-रूपये उसके खाते से कम होने का संदेश तो मोबाइल पर आ गया परन्तु पैसे नहीं निकले। इस बाबत उसने शिकायत की तब विपक्षी संख्या 1 द्वारा दिनांक 25.02.2014 को उसके खाते में 3500/-रूपये जमा करवा दिये लेकिन शेष 1500/-रूपये जमा नहीं कराये गये। इन तथ्यों के परिपेक्ष में परिवादी ने अपने खाते में 1500/-रूपये वापिस जमा कराने, तथाकथित मानसिक संताप पेटे 50,000/-रूपये व परिवाद खर्चा बाबत 2000/-रूपये विपक्षीगण से दिलाये जाने की प्रार्थना की है।
विपक्षी संख्या 1 की ओर से प्रस्तुत जवाब में यह अभिवाक किया गया है कि परिवादी की शिकायत पर ए टी एम के वेरिफिकेशन रिकोर्ड से 3500/-रूपये अधिक पाये गये, जो राशि उसके खाते में जमा कराई जा चुकी है। 1500/-रूपये परिवादी द्वारा ए टी एम से निकाल लिये गये थे। परिवादी का परिवाद झूंठा है, जो खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई है।
विपक्षी संख्या 2 की ओर से प्रस्तुत जवाब में यह अंकित किया गया है कि विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी के खाते में 3000/-रूपये (वास्तव में 3500 रूपये हैे, लेकिन टंकण त्रुटि के कारण मात्र 3000 रूपये अंकित किये गये हैं) जमा कराये हैं। शेष 1500/-रूपये परिवादी की शिकायत के अनुसार विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी के खाते में जमा कराये जाने चाहिये थे। विपक्षी संख्या 2 की सेवा में कोई त्रुटि नहीं है। परिवादी का परिवाद खारिज करने की प्रार्थना की गई है।
उभयपक्षों के तर्क वितर्को के परिपेक्ष में पक्षकारान के अभिवचनो, उनके शपथपत्र व उनकी ओर से प्रस्तुत प्रलेखों के परिशीलन से यह प्रकट है कि विपक्षी संख्या 1 के पत्र दिनांक 12.04.2014 के अनुसार संबंधित ए टी एम मशीन के वेरिफिकेशन से दिनांक 31.01.2014 को 3500/-रूपये अधिक पाये गये थे। परिवादी स्वंय ने यह स्वीकार किया है कि विपक्षी संख्या 1 ने विपक्षी संख्या 2 बैंक में स्थित उसके खाते में 3500/-रूपये जमा करा दिये हैं।
शेष विवादित राशि 1500/-रूपये के संबंध में परिवादी के विद्वान् अधिवक्ता का यह निवेदन रहा है कि विपक्षी संख्या 2 ने भी अपने जवाब में यह तथ्य अंकित किया है कि उक्त 1500/-रूपये विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी के खाते में जमा कराये जाने चाहिये थे, इस कारण उसका परिवाद सही तथ्यों पर आधारित हैै।
हमारे सुविचारित मत में विपक्षी संख्या 2 के जवाब में उक्त तथ्य के आधार पर परिवादी की ओर से प्रस्तुत तर्क के अनुसार विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता, क्योंकि विपक्षी संख्या 1 द्वारा दिनांक 31.01.2014 को संबंधित ए टी एम मशीन का दिनांक 31.01.2014 को कराये गये सत्यापन से केवल 3500/-रूपये ही अधिक पाये गये, जो राशि परिवादी के खाते में विपक्षी संख्या 1 द्वारा जमा कराई जा चुकी है। उक्त वेरिफिकेशन रिपोर्ट पर अविश्वास किये जाने का कोई कारण नहीं है।
अतः ऐसी स्थिति में हमारे सुविचारित मत में परिवादी का यह परिवाद सारहीन होने से खारिज किये जाने योग्य है, जो एतद्द्वारा खारिज किया जाता है।
आदेश आज दिनांक 09 अगस्त, 2018 को लिखाया जाकर सुनाया गया।
बाद पालना पत्रावली फैशल शुमार अंकित की जावे।
डा0 प्रदीप कुमार जोशी महेन्द्र शर्मा