जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नरावत।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 26.11.2013
मूल परिवाद संख्या:- 63/2013
श्री अर्जुन गिरी पुत्र श्री लालगिरी, जाति- गोस्वामी,
निवासी- षिवाजी काॅलोनी पोकरण तहसील पोकरण जिला जैसलमेर
............परिवादी।
बनाम
श्रीमान् शाखा प्रबन्धक, स्टैट बैक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर शाखा पोकरण, तहसील पोकरण जिला जैसलमेर।
.............अप्रार्थी
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री प्रतापपुरी, अधिवक्ता परिवादी की ओर से।
2. अप्रार्थी की ओर से श्री दानसिंह मेहता अधिवक्ता उपस्थित।
ः- निर्णय -ः दिनांक 14.10.2015
1. परिवादी का सक्षिप्त मे परिवाद इस प्रकार है कि परिवादी का खाता अप्रार्थी बैंक मे खाता सं. 51058879017 है तथा इसी खाते का एटीएम कार्ड जारी किया हुआ है। परिवादी सरकारी अध्यापक है तथा उसकी प्रति माह सैलेरी इसी खाते मे जमा होती है परिवादी द्वारा दिनांक 13.08.2013 को अप्रार्थी बैक के पोकरण चैराहा स्थित एटीएम से 3,000/- रू निकालने चाहे लेकिन गलती से 30,000/- रू लिख दिये परन्तु एटीएम से आहरण की राषि निकली न स्टैटमेंट की पची निकली थोडे इन्तजार के बाद पची नही निकली तो परिवादी एसबीआई बैक के एटीएम से 5,000/- रू की राषि आहरण की तो पची निकली तो पता चला कि अप्रार्थी बैक द्वारा मेरे खाते मे 30,000/- रू डेबिट कर दिये गये है। इसके पश्चात् अप्रार्थी बैक के मैनेजर से षिकायत की तो उन्होने आष्वस्त किया कि आपके पैसे वापस जमा हो जायेगे। पुनः 4-5 दिन बाद अप्रार्थी बैक से सम्पर्क किया तो कहा कि जाॅच चल रही है। दिनांक 31.08.2013 को पुनः लिखित प्रार्थना पत्र दिया परन्तु अप्रार्थी बैक द्वारा कोई सन्तोषपद् जवाब नही दिया गया जो अप्रार्थी की सेवाओं मे त्रृटि है। परिवादी ने 30,000/- रू मय ब्याज व मानसिक पेटे 10,000/- रू व परिवाद व्यय 5,000/- दिलाये जाने का निवेदन किया।
2. अप्रार्थी की तरफ से जवाब पेष कर प्रकट किया गया हैं कि दिनांक 13.08.2013 को प्रार्थी ने अप्रार्थी बैक एटीएम का उपयोग कर 30,000/- रू अपने खाते से जो टाॅजेक्षन नम्बर 1202 किया वह सफल हुआ तथा उसे 30,000/- रू की राषि प्राप्त हो चूकी है। जिसका रेस्पोंस कोड 000 है। तथा उसे 30,000 हजार रूपये सफलता पूर्वक प्राप्त हो चूके है। जो इजे लाॅक बुक से प्रमाणित है। तथा बैक के एटीएम मे उस रोज के उस रोज के बैलेंस मे भी अधिक राषि नही पाई गयी। जिससे यह साबित है परिवादी ने यह परिवाद असत्य आधारांे पर प्रेषित किया हैं जो परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किये जाने का निवेदन किया
3. हमने विद्वान अभिभाषक एवं पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया ।
4. विद्वान अभिभाषकगण पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
5.बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संम्पूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या परिवादी उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनीयम के प्रावधानों के तहत पोषाणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में अप्रार्थी बैक एस.बी.जे. ने तो स्वीकार किया है कि प्रार्थी का खाता सं. 51058879017 अप्रार्थी बैक मे है उसका एटीएम बैक से जारी किया हुआ है अतः अप्रार्थी परिवादी का उपभोक्ता है।इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आती है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है ।
6.बिन्दु संख्या 2:- जिसे भी साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादी पर है जिसके तहत कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान परिवादी अभिभाषक की मुख्य रूप से दलील है कि परिवादी द्वारा दिनांक 13.08.2013 को अप्रार्थी बैक के पोकरण स्थित एटीएम से रूपये निकालना चाहा तो आहरण की राषि नही निकली ओर न ही स्टेटमेंट पर्ची निकली जब वह एसबीआई बैक के एटीएम से आहरण किया तो उसकी एक पर्ची निकली जिससे ये पता लगा कि एसबीआई खाते मे 30,000 रू डेबिट कर दिये गये है। इसकी षिकायत अप्रार्थी बैक के मैनेजर को की तो उन्होने परिवादी को आष्वस्त किया कि उनके पैसे जमा हो जाएगे पुनः दिनांक 31.08.2013 को लिखित प्रार्थना-दिया लेकिन अप्रार्थी द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई बल्कि 30,000 रू की राषि आहरित होना बताया गया तथा ट्राॅजेक्षन की स्लीप भेजी गई। विद्वान परिवादी अभिभाषक की यह भी दलील है कि एटीएम की मषीन का रख-रखाव सही तरीके से नही था। ओर वह सही कार्य नही कर रही थी इस कारण भी अप्रार्थी बैक उसके लिए उतरदायी है। विद्वान परिवादी अभिभाषक की यह भी दलील है कि जो ट्राॅजेक्षन का म्ण्श्रण्स्वहे पेष किया गया है। ओर उसमे टी.एक्स.एन. नम्बर 1203 मिसींग है। टी.एक्स.एन नम्बर 1202 के बाद सीधा टी.एक्स.एन.नम्बर 1204 है इससे भी यह प्रकट है कि एटीएम मे कोई गलती थी इस कारण भी अप्रार्थी बैक उतरदायी है। उनकी यह भी दलील है कि सी.सी.टी.वी फुटेज की जो सीडी पेष की गई है। उसमे उक्त दिनांक के फुटेज गायब है। उनको अप्रार्थी बैक द्वारा गायब करके शेष फुटेज को सीडी मे दर्षाया गया है। अप्रार्थी ने फुटेज की वास्तविकता पेष नही कर वास्तविकता को छुपाया है इसलिए अप्रार्थी बैक उतरदायी है। उनकी यह भी दलील है कि 30,000 रू का ट्राॅजेक्षन एटीएम से एक ही बार मे नही हो सकता एटीएम की राषि जो निकलना बताया गया है वह गलत है। अतः परिवादी को उसकी राषि 30,000 रू एवम् उस पर ब्याज 18 प्रतिषत वार्षिक एवम् मानसिक आर्थिक परेषानी हेतु 10,000 रू एवम् परिवाद व्यय 5,000 रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
7. इसका प्रबल विरोध करते हुए अप्रार्थी विद्वान अभिभाषक की दलील है कि दिनांक 13.08.2013 को परिवादी ने अप्रार्थी बैक एटीएम से 30,000 रू टी.एक्स.एन नम्बर 1202 के जरिये आहरित किये जिसका ट्राॅजेक्षन सफल रहा जिसका रेस्पोन्स कोड़ 000 है। उक्त दिवस के म्ण्श्रण्स्वहे मे भी इस राषि का विडोल अंकित है अतः इससे साबित है कि परिवादी द्वारा यह राषि आहरित की गई है। उनकी यह भी दलील है कि यदि यह राषि परिवादी को प्राप्त नही होती तो बैक के एटीएम से उस रोज राषि अधिक पाई जाती उस रोज बैलेंस मे राषि अधिक नही पाई गई।
8. उनकी यह भी दलील है कि षिकायत पेष होने पर बैक द्वारा जाॅच कराई गई। जाॅच मे 30,000 रू आॅहरित होना पाया गया जिसकी सूचना बैक द्वारा परिवादी को दे दी गई ओर साथ ही म्ण्श्रण्स्वहे की प्रति भी उपलब्ध करा दी गई। अतः अप्रार्थी बैक द्वारा कोई सेवा दोष कारित नही किया गया है। उनकी यह भी दलील है कि बैक द्वारा जारी की गई निर्देषिका पुस्तिका मे एक दिन मे 40,000 रू निकासी का स्पष्ठ प्रावधान किया गया है। परिवादी का यह कथन कि एक साथ मे 30,000 रू नही निकाले जा सकतें जबकि एक साथ 30,000 रू पुस्तिका के अनुसार प्राप्त किये जा सकते है। उनकी यह भी दलील है कि परिवादी का मामला यह नही है कि किसी अन्य व्यक्ति ने धोखाधड़ी से एटीएम कार्ड लेकर पैसे निकाल लिए हो बल्कि परिवादी के कब्जे मे एटीएम कार्ड व पिन नम्बर थेे। अतः सीसीटीवी रिकाॅर्ड इस बाबत् पेष नही किया गया तो अप्रार्थी बैक के विरूद्व इसकी अवधारणा नही ली जा सकती उनकी यह भी दलील है कि बैक का म्ण्श्रण्स्वहे जो कि सिस्टम द्वारा आॅटोमेटिक रिकाॅर्ड प्रिटर द्वारा प्रिंट होता है। जिसमे टी.एक्स.एन नम्बर 1203 गायब बताया गया है वह जम्प किया गया है। इस बाबत् रिकाॅर्ड भी है। कोई राषि विड्रो नही हुई है इस कारण उसकी वितीय अहमियतता नही होने के कारण अंकित नही हुआ है। अतः परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया। अपने तर्को के समर्थन मे राजस्थान राज्य उपभोक्ता आयोग पंजाब का स्टैट बैक आॅफ इण्डिया बनाम दीवेन्द्र कुमार शर्मा वगैरा निर्णय दिनांक 31.10.2013 राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पष्चिमी बंगाल एस.बी.आई बनाम अषोक कुमार बक्सी निर्णय दिनांक 28.10.2013, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्ली, एसबीआई बनाम के.के.भल्ला निर्णय दिनांक 07.04.2011, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पष्चिमी बंगाल निर्णय दिनांक 27.11.2014, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष अयोग पंजाब निर्णय दिनांक 31.10.2013 के निनिष्चय पेष किये।
9. उभयपक्षों के तर्को पर मनन किया गया पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं दस्तावेजो पर हमारी राय इस प्रकार है कि परिवादी अपने परिवाद व साक्ष्य मे यह बताया है कि दिनांक 13.08.2013 को अप्रार्थी बैक के पोकरण चैराहा स्थित एटीएम से 3,000 रू निकालना चाहा परन्तु सेवन से 30,000 रू लिख दिये तब एटीएम से आहरण की राषि नही निकली न ही स्टेटमेंट की पर्ची निकली उसके बाद परिवादी के द्वारा एसबीआई बैक के एटीएम से 5,000 रू आहरण किये ओर पर्ची निकली तो पता चता कि अप्रार्थी बैक द्वारा 30,000 रू डेबिट कर दिये गये है। इस प्रकार अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी की राषि को डेबिट करना सेवा दोष है। परिवादी की साक्ष्य की खण्डन मे अप्रार्थी बैक द्वारा अपना जवाब एवम् साक्ष्य पेष किये है ओर मुख्य प्रबंधक एसबीबीजे पोकरण ने अपने सषपथ साक्ष्य मे बताया है कि दिनांक 13.08.2013 को अप्रार्थी बैक एटीएम से 30,000 रू ट्राॅजेक्षन नम्बर 1202 के जरिये परिवादी द्वारा आहरित किये गए है जिसका ट्राॅजेक्षन सफल रहा जिसका रेसपोंस कोड 000 है।
10. उनकी यह भी साक्ष्य है कि उक्त दिवस की म्ण्श्रण्स्वहे पेष की गई है। जिसमे 30,000 रू का विड्रो होना अंकित है। उस दिन परिवादी ने कुल 35,000 रू आॅहरित किये जो उसके खाते मे डेबिट किये गये। परिवादी की षिकायत पर बैक द्वारा जाॅच करवाई गई। जाॅच मे 30,000 आहरित होना पाया गया जिसकी सूचना परिवादी को दिनांक 02.09.2013 को दे दी गई ओर उसके साथ ही म्ण्श्रण्स्वहे की प्रति भी उपलब्ध करा दी गई। तथा परिवादी को यह भी बता दिया गया कि बैक द्वारा विस्तरित प्रकिया अपनाई जाती है। जिसमें ट्राॅजेक्षन सफल होने पर उसका रेस्पोंस कोड 000 आता है। तथा यह भी साक्ष्य है कि अगर उस दिन राषि परिवादी को प्राप्त नही होती है। तो बैक के एटीएम मे राषि अधिक पाई जाती है। जबकि उस रोज के बैलेंस मे राषि अधिक नही पाई गई। इस प्रकार अप्रार्थी बैक ने सेवा मे कोई कमी नही की है इस प्रकार खण्डनीय साक्ष्य मे अप्रार्थी ने अपनी मौखिक साक्ष्य को दस्तावेजी साक्ष्य से भी साबित किया है। अप्रार्थी बैक ने जो म्ण्श्रण्स्वहे पेष किया है। उससे यह प्रकट है कि दिनांक 13.08.2013 को 16ः41 बजे एटीएम आईडी नम्बर ै10।100173001 द्वारा उसके कार्ड नम्बर 6002061017300134590 द्वारा उसके खाता नम्बर 000000051058879017 से 30,000 रू ट्राॅजेक्षन संख्या 1202 द्वारा विडो करना बताया है जिसमे ट्राॅजेक्षन सफल होने का रेस्पोंस कोड 000 दर्षाया गया है। साथ ही अप्रार्थी द्वारा एटीएम स्वीच सेन्टर रिपोर्ट पेष की है। उसमे परिवादी द्वारा विड्रो की गई राषि 30,000 रू दर्षायी गई है। तथा एटीएम मे शेष रही राषि का भी हवाला दिया गया है कोई अधिक राषि एटीएम मे शेष पाई गई हो ऐसा भी नही है। अतः म्ण्श्रण्स्वहे की ताईद एटीएम स्वीच सेटर रिपोर्ट से भी होती है। अतः अप्रार्थी बैक की खण्डनीय साक्ष्य सेे परिवादी द्वारा दिनांक 13.08.2013 को अप्रार्थी बैक के एटीएम से 30,000 रू आहरित करना प्रमाणित है।
11. विद्वान परिवादी अभिभाषक की यह भी दलील है कि एटीएम मे एक दिन मे एक साथ 30,000 रू नही निकाले जा सकते लेकिन विद्वान परिवादी अभिभाषक की इस दलील मे हम बल नही पाते क्योकि अप्रार्थी बैक ने एटीएम मार्गदर्षिका डेबिट कार्ड पर उपलब्ध विषेष सुविधाओं मे एटीएम से दैनिक लेनदेन सीमा 40,000 रू बताई गई है। अतः इस डेबिट कार्ड मे भी दी गई सुविधाओं को नही मानने का कोई कारण हमारे समक्ष नही है।
12.. परिवादी विद्वान अभिभाषक की यह भी दलील है कि अप्रार्थी ने जो म्ण्श्रण्स्वहे पेष किया है। उसमे टी.एक्स.एन नम्बर 1202 के बाद टी.एक्स.एन नम्बर 1204 आया है। टी.एक्स.एन नम्बर 1203 का कोई अंकन नही है इस कारण म्ण्श्रण्स्वहे संदेहाप्रद है। लेकिन विद्वान परिवादी अभिभाषक की इस दलील मे हम बल नही पाते क्योकि अप्रार्थी बैक का जवाब यह है कि बैक द्वारा म्ण्श्रण्स्वहे रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। जो कि सिस्टम द्वारा आॅटोमेटिक प्रिटर द्वारा प्रिट होती है। जिसमे टी.एक्स.एन नम्बर 1203 जो जम्प किया गया है। उसकी कोई फाईनेषियल वैल्यू नही है। क्योकि उससे ट्राॅजेक्षन सफल नही हुआ तथा न ही धन राषि आहरित हुई इस कारण म्ण्श्रण्स्वहे मे उसको प्रिंट नही किया गया। अतः अप्रार्थी बैक द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण सही है।
13. विद्वान परिवादी अभिभाषक की यह भी दलील है कि उस दिन के सीसीटीवी फुटेज गायब कर दूसरे बताये गये लेकिन परिवादी का यह मामला नही है कि उसके एटीएम कार्ड को किसी अन्य व्यक्ति ने धोखा देकर या चुरा कर उपयोग किया हो । प्रष्नगत परिवाद मे परिवादी स्वयं द्वारा ही एटीएम कार्ड का उपयोग किया गया। वह उसके ही कब्जे मे था। माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पंजाब के निर्णय दिनांक 31.10.2013 के पैरा सं. 09 मे भ्वदष्इसम छंजपवदंस ब्वउउपेेपवद पद ं ेपउपसंत बंेम तमचवतजमक ंे श्ैजंजम ठंदा व िप्दकपें टध्े ज्ञण्ज्ञण्ठींससंश् प्प्;2011द्ध ब्च्श्र 106 ;छब्द्ध ींे ूंे ीमसक ंे नदकमतरू.
श्ॅम ंतम दवज बवदअपदबमक इल जीपे तमंेवदपदह व िमपजीमत जीम क्पेजतपबज थ्वतनउ वत जीम ैजंजम ब्वउउपेेपवदए चंतजपबनसंतसलए पद अपमू व िजीम ंिबज जींज उमतमसल इमबंनेम जीम ब्ब्ज्ट ूंे दवज ूवतापदह वद जीवेम कंजमे ंदक पजे विवजंहम ूंे जीने दवज ंअंपसंइसमए कवमे दवज उमंद जींज जीम उवदमल बवनसक इम ूपजीकतंूद तिंनकनसमदजसल ूपजीवनज नेपदह जीम ।ज्ड ब्ंतक ंदक जीम च्प्छ दनउइमतण् प्द बंेम जीम ।ज्ड ब्ंतक ींक इममद ेजवसमद वत जीम च्प्छ दनउइमत ींक इमबवउम ादवूद जव चमतेवदे वजीमत जींद ।ज्ड बंतक ीवसकमत जीमद जी ब्ब्ज्ट बवअमतंहम बवनसक ींअम समसचमक पद पकमदजपपिलपदह जीम चमतेवदे ूीव ींक तिंनकनसमदजसल नेमक जीम बंतकण् प्द जीम पदेजंदज बंेम पज पे दवज कपेचनजमक जींज जीम ।ज्ड ब्ंतक व च्प्छ तमउंपदमक पद जीम ेमस.िबनेजवकलणदवूसमहम व िजीम त्मेचवदकमदजण् प्द अपमू व िमसंइवतंजम चतवबमकनतम मअवसअमक इल जीम च्मजपजपवदमतध्ठंदा जव मदेनतम जींज ूपजीवनज जीम ।ज्ड ब्ंतक ंदक ादवूसमकहम व िजीम च्प्छ दनउइमतए पज पे दवज चवेेपइसम वित उवदमल जव इम ूपजीकतंूद इल ंद नदंनजीवतप्रमक चमतेवद तिवउ वद ।ज्ड ूम पिदक पज कपििपबनसज जव ंबबमचज जीम त्मेचवदकमदजष्े बवदजमदजपवदण् छव कवनइज जीमतम ींअम इममद बंेमक व ितिंनकनसमदज ूपजीकतंूंस ंे ेजंजमक इल जीम ैजंजम ब्वउउपेेपवद इनज जीम बपतबनउेजंदबमे व िजीवेम बंेमे उंल दवज इम जीम ेंउम ंे पद जीपे बंेम ंदक पद ंसस चतवइंइपसपजलए जीमेम तिंनकनसमदज ूपजीकतंूंसे वबबनततमक मपजीमत इमबंनेम जीम ।ज्ड ब्ंतक वत जीम च्प्छ दनउइमत मिसस पद ूतवदह ींदकेण्श् अतः सीसीटीवी कैमरे के फुटेज मे यदि स्पष्ट दर्षित नही हुआ तो भी उक्त प्रष्नगत मामले मे परिवादी को कोई मदद नही मिलती है।
अतः अप्रार्थी की खण्डनीय साक्ष्य को न मानने का कारण हमारे समक्ष नहीं हैं अतः अप्रार्थी ने कोई सेवा दोष कारित नहीं किया हैं । अतः बिन्दू सं. 2 अप्राथी के पक्ष मे निस्तारित किया जाता है।
14. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थी के पक्ष में निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है जो अस्वीकार कर खारीज किया जाता है ।
ः-ः आदेष:-ः
परिणामतः प्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व अस्वीकार किया जाकर खारीज किया जाता है । पक्षकारान अपना-अपना खर्चा स्वयं वहन करेंगें ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेष आज दिनांक 14.10.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।