(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या- 117/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, बलरामपुर द्वारा परिवाद संख्या- 28/2017 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22-11-2018 के विरूद्ध)
टाटा ए०आई०जी० जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0, प्लाट नं० सी-001 यूनिट Nos. 810-816 8th floor, वर्ल्ड ट्रेड टावर, सेक्टर-16 नोएडा,-201301 रजिस्टर्ड आफिस एट 15th floor, टावर-ए पेनिन्सुला बिजनेस, पार्क गणपत राव, कदम मार्ग, आफिस सेनापति बापट मार्ग लोअर परेल मुम्बई 400013 द्वारा मैनेजर।
.अपीलार्थी
बनाम
1-सौरभ कुमार सिंह, पुत्र श्री राम चरन सिंह, निवासी- फ्लैट नं० बी-23 प्रोगरेसिव अपार्टमेंट, सेक्टर 55, गुड़गांव हरियाणां।
2- इन्द्र देव उपाध्याय पुत्र श्री राधेश्याम उपाध्याय, निवासी- ग्राम हदपुरा (धरमपुर) पोस्ट देवरिया, मुबारकपुर, परगना व तहसील अतरौला, जिला बलरामपुर।
3- महिन्द्रा इंश्योरेंश ब्रोकर्स लि0 लोटस टावर, फर्स्ट फ्लोर, कम्युनिटी सेन्टर, न्यू फ्रेंड्स कालोनी, न्यू दिल्ली-110025.
प्रत्यर्थीगण
समक्ष :-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य
उपस्थिति :
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री टी०जे०एस० मक्कड़
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- विद्वान अधिवक्ता श्री ए०के० पाण्डेय
दिनांक : 06-09-2022
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मा0 सदस्य श्री सुशील कुमार, द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी टाटा ए०आई०जी० जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 द्वारा विद्वान जिला आयोग बलरामपुर द्वारा परिवाद संख्या- 28/2017 सौरभ कुमार सिंह व एक अन्य बनाम टाटा ए०आई०जी० जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22-11-2018 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।
जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि परिवादी संख्या-1 के नाम बीमा पालिसी जारी की गयी थी। उनके द्वारा बीमित वाहन को विक्रय कर दिया गया है और इन्द्रदेव उपाध्याय परिवादी संख्या-2 द्वारा वाहन क्रय करने की सूचना नहीं दी गयी इसलिए वह भी बीमा क्लेम पाने का अधिकारी नहीं है। जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध है।
परिवाद-पत्र में यह तथ्य अंकित है कि परिवादी संख्या-1 द्वारा महिन्द्रा बोलेरो वाहन संख्या- एच.आर.26 B.W-1653 का बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी से कराया गया था। यह वाहन परिवादी संख्या-2 द्वारा क्रय कर लिया गया जिसका विक्रय पत्र लिखा गया था परन्तु पंजीयन कार्यालय से एन०ओ०सी० प्राप्त न होने के कारण परिवादी संख्या-2 के नाम पंजीयन नहीं हो पाया। बीमा अवधि के दौरान दिनांक 20-08-2016 को दोपहर 2.00 बजे ग्राम दुल्हिनपुर में रेंजरी के सामने उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस क्षति की पूर्ति के लिए बीमा क्लेम परिवादी संख्या-2 द्वारा प्रस्तुत किया गया। यद्यपि परिवादी संख्या-1 भी परिवाद के पक्षकार बने।
जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि परिवादी संख्या-2 वाहन में कारित क्षति की पूर्ति प्राप्त करने के लिए अधिकारी हैं, तदनुसार अंकन 3,20,000/-रू० की क्षति हेतु आदेश पारित किया गया है।
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अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि जब तक परिवादी संख्या-2 के नाम विक्रित वाहन का पंजीयन नहीं हो जाता तब तक क्रेता को बीमा क्लेम देय नहीं है और मूल वाहन स्वामी भी इस आधार पर अधिकारी नहीं है। प्रश्नगत वाहन हेतु कोई बीमित धनराशि बकाया नहीं है। अपने तर्क के समर्थन में अपीलार्थी द्वारा माननीय राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित नजीर श्रीराम जनरल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 बनाम मनोज कुमार खत्री ।।। (2018) सी०पी०जे० 603 (एन०सी०) प्रस्तुत की गयी है। इस नजीर में यह व्यवस्था दी गयी है कि यदि बीमित वाहन के स्वामी द्वारा वाहन विक्रय कर दिया जाता है परन्तु बीमा पालिसी क्रेता द्वारा अपना नाम अन्तरित कराने हेतु यदि कोई प्रयास नहीं किया जाता तब क्रेता/परिवादी के पक्ष में कोई बीमा क्लेम देय नहीं होगा। तब मूल वाहन स्वामी अपना हित स्वयं खो देता है। प्रस्तुत केस में भी यही स्थिति है। मूल वाहन स्वामी द्वारा अपना हित समाप्त कर दिया गया तथा क्रेता द्वारा अपने पक्ष में बीमा पालिसी अन्तरित कराने का प्रयास नहीं किया गया, इसलिए परिवादी संख्या-2 को बीमा क्लेम देय नहीं होगा।
एक अन्य नजीर मुश्ताक मोहम्मद व अन्य बनाम नेशनल इंश्योरेंश कम्पनी लि0 । (2013) सी०पी०जे० 64 (एन०सी०) प्रस्तुत की गयी है जिसमें व्यवस्था दी गयी है कि यदि परिवादी बीमा पालिसी अपने नाम अन्तरित कराने में विफल रहता है तब उसे बीमा क्लेम देय नहीं है। मूल वाहन स्वामी का वाहन विक्रय करने के बाद कोई बीमा हित नहीं रहता है।
उपरोक्त नजीरों के आलोक में यह कहा जा सकता है कि किसी भी परिवादी के पक्ष में बीमा क्लेम का अधिकारी होना निहित नहीं है।
परिवादी संख्या-2 के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह बहस की गयी कि यथार्थ में विक्रय पत्र अभी-भी निष्पादित नहीं हुआ है परन्तु यह तर्क इस आधार पर ग्राह्य नहीं है। स्वयं परिवाद पत्र में यह उल्लिखित है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन परिवादी संख्या-1 द्वारा परिवादी संख्या-2 के पक्ष में विक्रय कर दिया
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गया और विक्रयनामा लिखा गया। दस्तावेज संख्या-34 बीमित वाहन के विक्रय करने के सबूत के तौर पर लिखा हुआ विलेख है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि दिनांक 18-05-2016 को उपरोक्त वाहन संख्या- एच.आर.26 B.W-1653 महिन्द्रा बोलेरो परिवादी संख्या-2 इन्द्रदेव उपाध्याय को विक्रय कर दिया गया है।
उपरोक्त सम्पूर्ण विवेचना एवं निष्कर्ष के आधार पर हम इस मत के हैं कि विद्वान जिला आयोग द्वारा विधि विरूद्ध ढंग से निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है। किसी भी परिवादी के पक्ष में बीमा पालिसी के आधार पर बीमा हित सुरक्षित नहीं है न ही बीमा क्लेम देय है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है ओर विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्गनत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा,आशु0 कोर्ट न0-1 .