(राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
सुरक्षित
अपील संख्या 2734/2003
(जिला मंच कानपुर द्वारा परिवाद सं0 656/2001 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 27/01/2003 के विरूद्ध)
कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा उपाध्यक्ष स्थित कार्यालय- कानपुर विकास प्राधिकरण, मोतीझील, कानुपर नगर।
…अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
सतीश कुमार निवासी- 82 जेड-1 हेमंत बिहार, बर्रा-2 कानपुर।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य ।
2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री एन0सी0 उपाध्याय।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री आर0डी0 क्रांति।
दिनांक:- 04/12/2015
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
परिवाद सं0 656/2001 सतीश कुमार बनाम कानपुर विकास प्राधिकरण में जिला मंच कानपुर नगर द्वारा दिनांक 27/01/2003 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया:-
‘’ वादी का यह उपभोक्ता वाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि विपक्षी वादी को उसके द्वारा जमा की गई धनराशि मु0 80,318/ रूपये पर जमा करने के दिनांक से 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज निर्णय के दो माह के अंदर भुगतान करें, 500/- रूपये वाद व्यय भी विपक्षी वादी को भुगतान करें। परिवादी निस्पादन कार्यवाही में रूपया 80,318/ रूपये विपक्षी के पास जमा करने की रसीदें शपथ पत्र के साथ सत्यापित करके भी जमा करेगा जिससे ब्याज की धनराशि ऑकलित की जा सके। यदि वादी धन जमा करने की सत्यापित रसीदें जमा नहीं करता है तो वह कोई भी ब्याज धनराशि पाने का अधिकारी नहीं होगा।‘’
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उक्त वर्णित निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा वर्तमान अपील प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि विपक्षी ने वर्ष 1991 में भवन/भूखण्ड स्थित बर्रा कानपुर नगर में बेचे जाने हेतु प्रकाशन कराया। प्रकाशन के अनुसार परिवादी द्वारा एम0आई0जी0 भूखण्ड रकबा 120 वर्गमीटर को क्रय करने हेतु रजिस्ट्रेशन शुल्क रूपया 7500/ रूपये अदा कर आवेदन पत्र के साथ दाखिल किया गया। आवेदन के अनुसार भवन/भूखण्ड को लाटरी द्वारा आवंटित करने व कब्जा देने का प्रस्ताव किया गया। विपक्षी द्वारा परिवादी को भूखण्ड सं0- ए/62एम.आई.जी.स्कीम यू.पी.यू.डी.पी. बर्रा कानपुर आवंटित हुआ। निर्धारित धनराशि परिवादी के द्वारा समय सीमा के अंदर जमा कर दी गई व समस्त किस्तों का भुगतान समय से किया गया। दिनांक 09/02/98 को मु0 80,318/ रूपये जमा किया जा चुका है और इसके बाद कभी उपरोक्त वर्णित भूखण्ड ए/62एम.आई.जी.स्कीम यू.पी.यू.डी.पी. बर्रा कानपुर नगर का कब्जा नहीं दिया गया। विपक्षी द्वारा परिवादी को सूचित किया गया कि भूखण्ड विवादित है जिस कारण से कब्जा नहीं दिया जा रहा है तथा वैकल्पिक भूखण्ड देने से भी मना कर दिया गया। परिवादी द्वारा दिये गये धनराशि मु0 80318/ रूपये बिना ब्याज के वापस कर दिया गया। जबकि परिवादी विपक्षी/अपीलार्थी से धनराशि पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज पाने के पात्र हैं।
विपक्षी को जिला मंच के माध्यम से नोटिस भेजी गई। नोटिस लौटकर जिला मंच के समक्ष नहीं आई। जिला मंच द्वारा विपक्षी पर तामिला पर्याप्त मानकर विपक्षी/अपीलार्थी के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एन0सी0 उपाध्याय उपस्थित है तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर0डी0 क्रांति उपस्थित हैं। उभय पक्ष की ओर से बहस सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का गंभीरता से परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि परिवादी पंजीकरण शुल्क 7500/ रूपये जमा किया। प्रत्यर्थी को 120 वर्ग मीटर का प्लाट एम.आई.जी. सं0 ए/62एम.आई.जी.स्कीम यू.पी.यू.डी.पी. बर्रा कानपुर नगर योजना में आवंटित किया गया था। परिवादी ने 80,318/ रूपये अपीलार्थी/विपक्षी के यहां जमा किया था। जिला फोरम के समक्ष परिवाद पत्र दस वर्ष के विलंब
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से दाखिल किया गया था जिसके कारण परिवाद पोषणीय नहीं था। जिला फोरम ने एकपक्षीय आदेश दिनांक 27/01/2003 को दिया है। विपक्षी/अपीलार्थी के पक्षों को सुना नहीं गया। जिला फोरम का निर्णय/आदेश खण्डित होने योग्य है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अपीलार्थी ने 80,318/ रूपये किस्तों द्वारा दिनांक 09/02/98 को जमा कर दिया था। अपीलार्थी द्वारा प्रत्यर्थी को कब्जा नहीं प्रदान किया गया। यह कहा गया कि आवंटित भूखण्ड विवादित है जिसके कारण जिला फोरम के समक्ष परिवाद दाखिल किया गया। जिला फोरम द्वारा निर्णय/आदेश का पालन करते हुए अपीलार्थी ने ब्याज सहित धनराशि का भुगतान कर दिया परन्तु परिवादी/प्रत्यर्थी को परेशान करने हेतु अपील दाखिल किया है। अपीलार्थी की अपील खण्डित होने योग्य है।
आधार अपील एवं संपूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया जिससे यह प्रतीत होता है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने विपक्षी/अपीलार्थी के योजना में कुल 80,318/ रूपये किस्तों के माध्यम से जमा किया था तथा उसे भूखण्ड आवंटन भी कर दिया गया था परन्तु आवंटित भूखण्ड विवादित होने के कारण कब्जा प्रदान नहीं कराया जा सका। जिसके कारण परिवादी/प्रत्यर्थी ने जिला फोरम ने समक्ष परिवाद दाखिल किया। जिला फोरम के समक्ष विपक्षी/अपीलार्थी ने उपस्थित नहीं हुआ जिसके कारण जिला फोरम ने एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए आदेश जारी किया। जिला फोरम के आदेश का अनुपालन अपीलार्थी/विपक्षी ने कर दिया है। यह अपील लगभग 08 माह के विलंब से दाखिल किया है। विलंब क्षमा प्रार्थना पत्र दिया गया है परन्तु विलंब का कोई कारण स्पष्ट रूप से नहीं दिया गया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि जिला फोरम का निर्णय/आदेश एकपक्षीय है जो खारिज होने योग्य है। यह तर्क स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है क्योंकि जिला फोरम का निर्णय/आदेश विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा जिला फोरम के समक्ष उपस्थित न होने के कारण साक्ष्य के आधार पर दिया गया है। परिवादी/प्रत्यर्थी ने अपने साक्ष्य से यह साबित कर दिया कि अपीलार्थी/विपक्षी की योजना में भूखण्ड आवंटन हेतु किस्तों के माध्यम से मु0 80,318/ रूपये जमा कर दिया गया था। आवंटित भूखण्ड पर कब्जा न दिलाये जाने की स्थिति में जिला फोरम ने विपक्षी/अपीलार्थी के खिलाफ निर्णय दिया है जो सही है। अपीलार्थी ने अपने लिखित बहस में यह कहा है कि प्रत्यर्थी/विपक्षी द्वारा मु0 80,318/ रूपये दिनांक 09/02/98 को जमा किया गया था। अपीलार्थी/विपक्षी के पास मु0 80,318/ रूपये जमा होना विवादित नहीं है। विपक्षी/अपीलार्थी जमा धनराशि ब्याज सहित परिवादी/प्रत्यर्थी को देने के
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लिए उत्तरदायी है। यह अपील गुणदोष एवं कालबाधित होने के आधार पर खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील गुणदोष एवं कालबाधित होने के आधार पर खारिज की जाती है।
(राम चरन चौधरी) (संजय कुमार)
पीठा0 सदस्य सदस्य
सुभाष आशु0 कोर्ट नं0 5