Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/2722

L I C - Complainant(s)

Versus

Sarad Agrwal - Opp.Party(s)

Arvind Tilahri

03 Apr 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/2721
( Date of Filing : 17 Dec 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. L I C
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Usha Agrwal
A
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2007/2722
( Date of Filing : 17 Nov 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. L I C
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Sarad Agrwal
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 03 Apr 2023
Final Order / Judgement

( सुरक्षित )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या: 2721/2007

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या- 221/2006  एवं 222/2006 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13-11-2007 के विरूद्ध)

 

  1. लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया, रीजनल आफिस 16/98 महत्‍मा गांधी मार्ग कानपुर द्वारा रीजनल मैनेजर।
  2. लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया द्वारा डिवीजनल मैनेजर, डिवीजनल आफिस, रामपुर गार्डेन थाना कोतवाली जिला बरेली।
  3. लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया, सर्विस ब्रांच 35-बी रामपुर गार्डेन बरेली, द्वारा ब्रांच मैनेजर।

 

  •  

                      बनाम

श्रीमती ऊषा अग्रवाल पत्‍नी श्री श्‍याम मनोहर गोयल, निवासी- 50 बी सन सिटी पिलीभीत रोड इज्‍जत नगर, बरेली।

                                                                                                               प्रत्‍यर्थी

                               अपील संख्‍या-2722/2007

 

1-लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया, रीजनल आफिस 16/98 महत्‍मा गांधी मार्ग कानपुर द्वारा रीजनल मैनेजर।

 2- लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया द्वारा डिवीजनल मैनेजर, डिवीजनल आफिस, रामपुर गार्डेन थाना कोतवाली जिला बरेली।

3- लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया, सर्विस ब्रांच 35-बी रामपुर गार्डेन बरेली, द्वारा ब्रांच मैनेजर।

 

  •                                               

                      बनाम

शरद अग्रवाल, पुत्र श्री अमर नाथ अग्रवाल निवासी- 50 बी सन सिटी एक्‍टेंशन बरेली।

                                                                                                    प्रत्‍यर्थी

 

2

 

समक्ष  :-

     माननीय श्री विकास सक्‍सेना सदस्‍य

      माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍या

    

      उपस्थिति :

     अपीलार्थी की ओर से उपस्थित – विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरविन्‍द तिलहरी

     प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित –   विद्वान अधिवक्‍ता श्री पाल सिंह यादव 

                                         के सहयोगी श्री आशीष कुमार सिंह

       दिनांक : 12-05-2023

 

माननीय सदस्‍या श्रीमती सुधा उपाध्‍याय द्वारा उदघोषित

  •  

प्रस्‍तुत अपील, संख्‍या- 2721/2007 एवं अपील संख्‍या- 2722/2007 अपीलार्थी लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया द्वारा विद्वान जिला आयोग, प्रथम बरेली द्वारा परिवाद संख्‍या- 221/2006  श्रीमती ऊषा अग्रवाल बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम व एक अन्‍य एवं अपील संख्‍या- 2722/2007 लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन आफ इण्डिया द्वारा परिवाद संख्‍या- 222/2006 शरद अग्रवाल बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनां‍क-         13-11-2007 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण 1986 के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।.

उपरोक्‍त दोनों ही अपीलें जिला आयोग द्वारा पारित एक ही निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध योजित की गयी हैं, अत: दोनों ही अपीलों का निस्‍तारण एक साथ एक ही निर्णय के द्वारा किया जा रहा है।

वाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि श्रीमती प्रियज्ञा अग्रवाल ने एक पालिसी संख्‍या- 222482542 मु० 50,000/-रू० की विपक्षीगण से

  1.  

 

ली थी जो दिनांक 15-04-2004 से दिनांक 15-04-2014 तक वैध थी जिसमें श्रीमती ऊषा अग्रवाल नामिनी थी। दूसरी पालिसी संख्‍या- 222238311 दिनांक 19-01-2004 को ली थी जो दिनांक 19-01-2004 से दिनांक 24-01-2015 तक वैध थी जिसमें वादी शरद अग्रवाल नामिनी हैं। दोनों वादों में प्रीमियम की धनराशि का भुगतान किया गया था। दिनांक 26-08-2005 को श्रीमती प्रियज्ञा अग्रवाल की मृत्‍यु हो गयी तदोपरान्‍त बीमा क्‍लेम बीमा कम्‍पनी के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया जिसे बीमा कम्‍पनी ने इस आधार पर निरस्‍त कर दिया कि बीमित मृतक ने बीमा कराते समय अपने स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों की जानकारी छिपायी थी। अत: विवश होकर परिवाद जिला आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

दोनों ही अपीलों में विपक्षीगण द्वारा उपरोक्‍त बीमा पालिसी किया जाना स्‍वीकार किया गया है तथा यह कथन किया गया है कि मृतक ने प्रपोजल फार्म में अपनी बीमारी से संबंधित सारवान तथ्‍यों को छिपाया था जिसके कारण संबंधित क्‍लेम अस्‍वीकार किया गया। बीमित की मृत्‍यु बीमा के मात्र एक वर्ष सात माह बाद हो गयी।सीजेरियन आपरेशन जो दिनांक 10-11-2003 को हुआ था उसके सम्‍बन्‍ध में प्रपोजल फार्म में नकारात्‍मक में उत्‍तर दिया था क्‍योंकि सीजेरियन के सम्‍बन्‍ध में बीमा पालिसी जारी नहीं की जाती है। यह तथ्‍य परिवादिनी द्वारा छिपाया गया है और इसी आधार पर बीमा क्‍लेम अस्‍वीकार किया गया है। विपक्षीगण द्वारा सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं की गयी है।

      

  1.  

जिला आयोग ने उभय-पक्ष के अभिकथन एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन करने के उपरान्‍त परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:

" उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर परिवाद संख्‍या- 221/2006 श्रीमती ऊषा अग्रवाल बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम एवं परिवाद संख्‍या-222/2006 शरद अग्रवाल बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम स्‍वीकार किया जाता है एवं विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह श्रीमती ऊषा अग्रवाल को दावा की राशि 50,000/-रू० एवं बीमा राशि 50,000/-रू० मय बोनस आदेश की तिथि से एक माह के अन्‍दर अदा करें। इसी प्रकार से शरद अग्रवाल को दावा की राशि 60,000/-रू० मय बोनस आदेश की तिथि से एक माह के भीतर अदा करें। नियत समय के भीतर धनराशि अदा न करने पर वादीगण 07 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज संबंधित धनराशि पर आदेश की तिथि से ताअदायगी प्राप्‍त करेंगे। इसके अलावा दोनों वादीगण 2000/-रू० एवं 2000/-रू० वाद व्‍यय के रूप में विपक्षीगण से प्राप्‍त करेंगे।"

जिला आयोग द्वारा पारित उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी लाइफ इंश्‍योरेंश कारपोरेशन की ओर से उपरोक्‍त उपरोक्‍त दोनों अपीलें प्रस्‍तुत की गयी हैं।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरविन्‍द तिलहरी उपस्थित हुए। प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री पाल सिंह यादव के सहयोगी श्री आशीष कुमार सिंह उपस्थित हुए।

    

  1.  

पीठ द्वारा उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को विस्‍तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का सम्‍यक परिशीलन किया गया। हमारे द्वारा विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भी अवलोकन किया गया।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि परिवादिनी श्रीमती प्रियज्ञा अग्रवाल ने दो  पालिसी विपक्षीगण से ली थी। पालिसी संख्‍या- 222482542 मु० 50,000/-रू० की जो दिनांक 15-04-2004 से दिनांक 15-04-2014 तक वैध थी जिसमें श्रीमती ऊषा अग्रवाल नामिनी थी। दूसरी पालिसी संख्‍या- 222238311  मु० 60,000/-रू० की थी जो दिनांक 19-01-2004 से दिनांक 24-01-2015 तक वैध थी जिसमें शरद अग्रवाल नामिनी थे। बीमित की मृत्‍यु दिनांक 26-08-2005 को हुयी। विपक्षीगण का कथन है कि बीमित का सीजेरियन आपरेशन दिनांक 10-11-2003 को हुआ जो उसने अपने क्‍लेम फार्म में अंकित नहीं किया।

विपक्षीगण ने बीमित की पालिसी अर्ली डेथ क्‍लेम के आधार पर रेप्‍युडिएट किया है तथा यह कथन किया है कि बीमित ने अपने सीजेरियन आपरेशन होने की बात अंकित नहीं किया है। इसी आधार पर क्‍लेम निरस्‍त किया गया है। वादीगण का कथन है कि बीमित की मृत्‍यु सीजेरियन आपरेशन के दौरान नहीं हुयी थी। उसकी मृत्‍यु सीजेरियन आपरेशन के एक वर्ष सात महीने के बाद हुयी जिसका कोई सम्‍बन्‍ध पालिसी से नहीं था।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा दिया गया यह तथ्‍य कि बीमित की मृत्‍यु सीजेरियन आपरेशन से हुयी थी, के विरूद्ध कोई संबंधित डाक्‍टर का

6

शपथ-पत्र दाखिल नहीं किया गया है न ही इससे संबंधित कोई सबल साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया गया है। अत: अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत तथ्‍यों में कोई बल नहीं है। अत: सदस्‍यगणों  द्वारा पारित किया गया निर्णय उचित प्रकार से तथ्‍यों को विश्‍लेषित करते हुए विधि अनुसार निर्णय दिया गया है, इसमें किसी हस्‍तक्षेप हेतु कोई उचित आधार नहीं हैं। 

उपरोक्‍त समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का भली-भांति परिशीलन करने के उपरान्‍त यह पीठ इस मत की है कि विपक्षीगण ने जिस आधार पर बीमित का बीमा क्‍लेम अस्‍वीकार किया है उससे संबंधित कोई भी प्रबल साक्ष्‍य पत्रावली पर प्रस्‍तुत नहीं किया है जिससे यह स्‍पष्‍ट हो सके कि बीमित की मृत्‍यु का कारण सीजेरियन आपरेशन ही था।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा प्रथम अपील संख्‍या– 456/2009 एल०आई०सी० आफ इण्डिया व अन्‍य बनाम मुरारी लाल चौधरी व अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश की प्रति प्रस्‍तुत की है जिसके तथ्‍य इस अपील के वाद के तथ्‍यों से मेल नहीं खाते हैं। अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत उपरोक्‍त निर्णय एल०आई०सी० आफ इण्डिया व अन्‍य बनाम मुरारी लाल चौधरी में दिये गये तथ्‍य इस अपील में दिये गये वाद के तथ्‍यों से भिन्‍न हैं। प्रस्‍तुत वाद में बीमित की मृत्‍यु 01 वर्ष 07 माह बाद हुयी है।

अत: अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा किये गये कथन स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं हैं, विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा क्‍लेम अस्‍वीकार किया जाना निश्चित रूप से उनके द्वारा सेवा में कमी की गयी कमी को प्रमाणित करता है। .

7

उपरोक्‍त सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए हम इस मत के हैं कि अपीलार्थी/विपक्षीगण बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रस्‍तुत उपरोक्‍त दोनों ही अपीलें निरस्‍त किये जाने योग्‍य हैं।

                      आदेश

उपरोक्‍त दोनों अपीलें निरस्‍त की जाती हैं। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

    प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

    आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।.

 

                                                      

            (विकास सक्‍सेना)                        (सुधा उपाध्‍याय)

               सदस्‍य                                 सदस्‍य

           

             कृष्‍णा–आशु0 कोर्ट नं0 3

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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