Uttar Pradesh

StateCommission

A/1996/1485

Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

Sanjay Kumar - Opp.Party(s)

Deepak Mehrotra

24 Jul 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1996/1485
( Date of Filing : 11 Oct 1996 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Allahabad Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Sanjay Kumar
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 24 Jul 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 1485/1996

                                   (सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद सं0- 487/1996 में पारित आदेश दि0 14.08.1996 के विरूद्ध)

Branch Manager, Allahabad bank, Robertsganj, Distt. Sonabhadra.

                                                                              ………Appellant

Versus

  1. Sanjay kumar S/o Jagarnath r/o Majhigaon hall, Railway fathak ke pass kasba Robertsganj, Distt. Sonbhadra.
  2. Branch Manager, Oriental insurance co., Branch Obra, Distt. Sonbhadra.
  3. Tehsildar, The Robertsganj, Distt. Sonbhadra.

                                                                     ………..Respondents  

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।   

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित                  : श्री दीपक मेहरोत्रा,

                                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित             : श्री इस्‍तेखार हसन,

                                             विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 और 3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक:- 04.09.2018

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                                 

निर्णय

          परिवाद सं0- 487/1996 संजय कुमार बनाम शाखा प्रबंधक ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी व अन्‍य में जिला फोरम, सोनभद्र द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 14.08.1996 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

          आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद  स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

          शिकायत उपरोक्‍त के अनुसार स्‍वीकार की जाती है। विपक्षी बैंक के सम्‍बन्धित शाखा प्रबंधक या अधिनस्‍थ सम्‍बन्धित दोषी कर्मचारी शिकायतकर्ता को मु0 15,000/-रू0 बीमा की राशि एक माह के अन्‍दर अदायगी करके सेवा की कमी को दूर करे। अन्‍यथा दफा-27 के अंतर्गत कार्यवाही योजित की जा सकती है।

          जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी  सं0- 2 शाखा प्रबंधक इलाहाबाद बैंक ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।   

          अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीपक मेहरोत्रा और प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री इस्‍तेखार हसन उपस्थित आये हैं। प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 और 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है।

          हमने अपीलार्थी और प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

          अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम, सोनभद्र के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने दो भैंस विपक्षी सं0- 2 शाखा प्रबंधक इलाहाबाद बैंक राबर्टसगंज, सोनभद्र से दि0 31.01.1992 को 15,000/-रू0 ऋण लेकर खरीदी थी जिसमें एक भैंस बीमारी से दि0 20.11.1994 को और दूसरी भैंस दि0 14.02.1995 को मर गई। दोनों ही भैंसे बीमारी से मरी हैं और दोनों ही भैंसों का पोस्‍टमार्टम कराया गया है।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद पत्र में कहा है कि उसकी दोनों भैंस का बीमा अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के द्वारा प्रत्‍यर्थी सं0- 2/शाखा प्रबंधक ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कं0लि0 से कराया गया था और दोनों भैंस का दो टैग नं0- एल0 081000/4041 तथा एन0आई0सी0 451104/01555 दिया गया था। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि दोनों भैंस की मृत्‍यु की सूचना उसने तुरंत दोनों विपक्षीगण अर्थात बैंक व बीमा कम्‍पनी को दिया, परन्‍तु बार-बार तकाजा व इंतजार करने के बाद भी क्‍लेम का भुगतान नहीं किया गया और इस बीच प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विरुद्ध आर0सी0 जारी कर दी गई। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षीगण ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की सेवा में कमी की है, अत: क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और 21,000/-रू0 क्षतिपूर्ति की मांग की है।

          जिला फोरम के निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम के समक्ष विपक्षी/ओरियण्‍टल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी ने कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल नहीं किया है और विपक्षी बैंक ने प्रतिवाद पत्र में कहा है कि क्‍लेम फार्म विपक्षी/इंश्‍योरेंस कं0लि0 को प्रेषित नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में विपक्षी/इंश्‍योरेंस कं0लि0 के विरुद्ध यह मामला चल नहीं सकता है और क्‍लेम काल बाधित हो चुका है। अपीलार्थी/बैंक ने लिखित कथन में यह भी कहा है कि दावा प्रपत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उपलब्‍ध कराया और पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट टैग आदि के साथ प्रस्‍तुत करने को कहा गया, परन्‍तु उसने प्रस्‍तुत नहीं किया।  

          जिला फोरम ने परिवाद पत्र एवं परिवाद के विपक्षी सं0- 2 शाखा प्रबंधक इलाहाबाद बैंक रा‍बर्टसगंज अर्थात अपीलकर्ता के लिखित कथन एवं उभयपक्ष की ओर से प्रस्‍तुत शपथ पत्रों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के फील्‍ड अफसर ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से उसकी दोनों मृतक भैंस के कागजात व टैग प्राप्‍त करने के बाद क्‍लेम की प्रोसेसिंग उचित रूप से नहीं की है और बैंक ने सेवा में कमी की है, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी दोनों भैंस की बीमित धनराशि पाने से वंचित हुआ है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी बैंक के शाखा प्रबंधक या अधीनस्‍थ सम्‍बन्धित दोषी कर्मचारी को 15,000/-रू0 बीमा की राशि एक मास के अन्‍दर प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अदा करने हेतु आदेशित किया है।

          अपीलार्थी/बैंक के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपना बीमा दावा बीमा कम्‍पनी के समक्ष स्‍वयं प्रस्‍तुत करना चाहिए था। अत: यह कहना उचित नहीं है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपनी भैंसों की बीमित धनराशि से अपीलार्थी शाखा प्रबंधक की सेवा में कमी के कारण वंचित हुआ है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्‍त कर परिवाद निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है।

          प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपनी दोनों मृतक भैंसों के कान के टैग, पोस्‍टमार्टम आख्‍या व अभिलेख अपीलार्थी/बैंक के फील्‍ड अफसर को क्‍लेम की प्रोसेसिंग हेतु दिया है, परन्‍तु बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का क्‍लेम बीमा कम्‍पनी को प्रेषित नहीं किया गया है। अत: बैंक की सेवा में त्रुटि रही है, जिससे प्रत्‍यर्थी बीमित धनराशि से वंचित हुआ है।

          हमने अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी/परिवादी के तर्क पर विचार किया है।

          जिला फोरम ने अपने निर्णय में स्‍पष्‍ट रूप से उल्‍लेख किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है। उसका कथन है कि उसने विपक्षी/बैंक के फील्‍ड अफसर को कागजात मय टैग के दे दिये थे, लेकिन बैंक के कर्मचारियों ने उसकी प्रोसेसिंग उचित रूप से नहीं किया। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि अपीलार्थी/बैंक के शाखा प्रबंधक ने शपथ पत्र व प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया है, परन्‍तु फील्‍ड अफसर का कोई शपथ पत्र नहीं आया है और इसी आधार पर जिला फोरम ने यह उल्‍लेख किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी की भैंस के कागजात व टैग अपीलार्थी/विपक्षी बैंक की फील्‍ड अफसर को दिये जाने का खण्‍डन फील्‍ड अफसर द्वारा न किये जाने के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा इस सम्‍बन्‍ध में किये गये कथन पर विश्‍वास न किया जाना उचित नहीं है। अत: जिला फोरम ने यह माना है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कागजात व टैग फील्‍ड अफसर को उपलब्‍ध कराने के बाद भी बैंक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के क्‍लेम की प्रो‍सेसिंग नहीं की है। अत: बैंक ने सेवा में कमी की है। जिला फोरम का यह निष्‍कर्ष साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल प्रतीत होता है।

          निर्विवाद रूप से अपीलार्थी/बैंक से ऋण प्राप्‍त कर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दोनों भैंस खरीदी थी। अत: ऐसी स्थिति में प्रत्‍यर्थी/परिवादी की दोनों भैंस मरने पर भैंसों की मृत्‍यु की सूचना कागजात व टैग के साथ बैंक के फील्‍ड अफसर को दिये जाने पर बैंक द्वारा क्‍लेम के प्रोसेसिंग हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को सुविधा प्रदान किया जाना बैंक का विधित दायित्‍व था, परन्‍तु बैंक ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी के बीमा क्‍लेम की प्रोसेसिंग हेतु आवश्‍यक कार्यवाही नहीं की और उसकी क्‍लेम को बीमा कम्‍पनी को प्रेषित नहीं किया, जब कि दोनों बीमित भैंसें अपीलार्थी/बैंक को ऋण एग्रीमेंट के अंतर्गत हाइपोथिकेटेड भी रही हैं।

          अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरांत हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/शाखा प्रबंधक इलाहाबाद बैंक राबर्टसगंज, सोनभद्र को या उनके अधीनस्‍थ कर्मचारी को सेवा में कमी हेतु दोषी माना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह विधि की दृष्टि से उचित है उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

          उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील बल रहित है और निरस्‍त किये जाने योग्‍य है। अत: अपील निरस्‍त की जाती है। अपीलार्थी/शाखा प्रबंधक इलाहाबाद बैंक राबर्टसगंज, सोनभद्र प्रत्‍यर्थी/परिवादी को इस अपील के व्‍यय के रूप में 10,000/-रू0 प्रदान करेंगे।

             

               

       (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)             (महेश चन्‍द)                                  

                             अध्‍यक्ष                         सदस्‍य            

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.