Uttar Pradesh

StateCommission

A/283/2016

Shankar Lal - Complainant(s)

Versus

Sangro Seeds Ltd - Opp.Party(s)

Subhash Bisaria

18 Apr 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/283/2016
( Date of Filing : 15 Feb 2016 )
(Arisen out of Order Dated 13/01/2016 in Case No. C/115/2014 of District Hapur)
 
1. Shankar Lal
Hapur
...........Appellant(s)
Versus
1. Sangro Seeds Ltd
New Delhi
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Apr 2019
Final Order / Judgement

                                                    (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील सं0- 283/2016

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, हापुड़ द्वारा परिवाद सं0- 115/2014 में पारित निर्णय व आदेश दि0 13.01.2016 के विरूद्ध)

  1. Shankar lal, son of Rajendra saini.
  2. Naresh Chandra sharma son of Late Kanti Prasad sharma both resident of  Village Harsinghpur, Pargana & Tehsil Hapur, District Hapur.                                                                                

                                                                        ……….Appellants

                                                         Versus

  1. Sangro seeds Ltd. Through Manager.
  2. Manager (Production) Sangro seeds Ltd.
  3. Manager (Packaging Sangro seeds Ltd.
  4. Manager (Marketing) Sangro seeds Ltd.

All residents of plot no. 1 Manish chamber, II, floor B.N. Block, Local shopping center Shalimar bagh, New Delhi-110088.

  1. Shri Balaji beej bhandar through proprietor/owner near petrol    

Pump Garh road, Hapur, District: Hapur.     

                                                                       …………Respondents

समक्ष:-                       

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष   

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित                   : श्री सुभाष बिसारिया,

                                                विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण सं0- 1 ता 4 की ओर से उपस्थित  : श्री अरविन्‍द प्रताप सिंह,

                                         विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं0- 5 की ओर से उपस्थित                   : कोई नहीं।   

दिनांक:- 06.06.2019

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

          परिवाद सं0- 115/2014 शंकर लाल व एक अन्‍य बनाम सैंग्रो सीड लि0 व चार अन्‍य में जिला फोरम, हापुड़ द्वारा पारित निर्णय व आदेश दि0 13.01.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

          आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद निरस्‍त कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर परिवाद के परिवादीगण ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।  

          अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुभाष बिसारिया उपस्थित आये हैं। प्रत्‍यर्थीगण सं0- 1 ता 4 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरविन्‍द प्रताप सिंह उपस्थित आये हैं। प्रत्‍यर्थी सं0- 5 की ओर से नोटिस तामीला के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है।  

          मैंने अपीलार्थीगण और प्रत्‍यर्थीगण सं0- 1 ता 4 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय व आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।  

          अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने उपरोक्‍त परिवाद प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के विरुद्ध जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 1 बीज उत्‍पादन कर किसानों को बिक्री करता है और प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 2 ता 4 प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 1 की ओर से बीज उत्‍पादन, पैकिंग व मार्केटिंग का प्रबंध कार्य करते हैं। परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादीगण का कथन है कि दि0 02.08.2013 को परिवादी सं0- 1 शंकर लाल ने विपक्षी सं0- 1 कम्‍पनी का बन्‍द गोभी बीज क्रमश: 55 पैकेट मार्का एस- 92 इम्‍प्रूव्‍ड और परिवादी सं0- 2 नरेश चन्‍द्र शर्मा ने 50 पैकेट मार्का एस-92 इम्‍प्रूव्‍ड क्रमश: 11,550/-रू0 व 10,500/-रू0 में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 की दुकान से क्रय किया और रसीद प्राप्‍त की। उसके बाद उन्‍होंने बीज अपने खेतों में समयानुसार समस्‍त नियमों और कायदों को अपनाते हुए लाभ कमाने के उद्देश्‍य से बो दिया, परन्‍तु कुछ समय बाद जब बीज पर फल आया तो परिवादीगण फल बन्‍द गोभी की बनावट को देखकर सकते में आ गये, क्‍योंकि फल बन्‍द गोभी शंकु आकार का आ रहा था। यदि बीज सही होता तो फल कभी भी शंकु आकार का नहीं होता। परिवाद पत्र के अनुसार करीब 60 प्रतिशत पौधों में बन्‍द गोभी शंकु आकार का उत्‍पन्‍न हुआ है। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 ने परिवादीगण को बीज विक्रय करते समय आश्‍वस्‍त किया था कि 70 दिन के अन्‍दर फल बंद गोभी गोल आकृति का आ जाता है, परन्‍तु 70 दिन के उपरांत मात्र 40 प्रतिशत बीज फल बन्‍द गोभी ही गोल आकृति का उत्‍पन्‍न हुआ। 60 प्रतिशत फल साढ़े तीन मास अर्थात 105 दिवस उपरांत भी पूर्ण रूप से गोल व विक्रय करने के लायक उत्‍पन्‍न नहीं हुआ, जिससे परिवादीगण को क्षति हुई है और फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

          परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादीगण का कथन है कि उन्‍होंने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 से शिकायत की तो प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 ने आश्‍वासन दिया कि कम्‍पनी अर्थात प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 से अपीलार्थी/परिवादीगण की शिकायत पहुंचायेगा और सर्वे कमेटी आयेगी तथा बीज से उत्‍पन्‍न अविकसित फल का मुआयना निरीक्षण करेगी, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 की ओर से कोई व्‍यक्ति या समूह परिवादीगण के खेतों पर अपूर्ण विकसित फल का निरीक्षण करने नहीं आया और प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा अपीलार्थी/परिवादीगण की शिकायत पर ध्‍यान नहीं दिया गया तब अपीलार्थी/परिवादीगण ने दि0 02.12.2013 को कृषि प्रसार विभाग के उप निदेशक हापुड़ व डी0एच0ओ0 को अपने खेतों की जांच कराकर क्षतिपूर्ति की भरपाई हेतु आवेदन पत्र दिया तब जिला कृषि अधिकारी हापुड़ व जिला उद्यान अधिकारी हापुड़ और भूमि संरक्षण अधिकारी हापुड़ ने अपीलार्थी/परिवादीगण के खेतों का मुआयना कर अपनी आख्‍या दि0 10.12.2013 में स्‍पष्‍ट किया कि अपीलार्थी/परिवादीगण को जो बीज प्रदान किया गया था उससे उत्‍पन्‍न 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक के पौधों में फल शंकु आकार के हैं जो बिक्री के लिए अनुपयोगी हैं। परिवाद पत्र के अनुसार अपीलार्थी/परिवादीगण को बीज खराब होने के कारण तीन-तीन लाख रूपये की क्षति हुई है। अत: उन्‍होंने प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को अलग-अलग नोटिस भेजा जिसका जवाब विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 ने गोल-मोल दिया, परन्‍तु नोटिस के जवाब में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 ने स्‍वीकार किया कि बीज उनकी कम्‍पनी का है और उनकी कम्‍पनी प्रमाणित है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 ने नोटिस का जवाब नहीं दिया। अंत में विवश होकर अपीलार्थी/परिवादीगण ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और क्षतिपूर्ति की मांग की है।

          प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 ने अपना लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 ने दोनों अपीलार्थी/परिवादीगण को अलग-अलग बन्‍द गोभी के सील्‍ड पैकेट की बिक्री की थी और दोनों को अलग-अलग रसीद जारी की गई थी। ऐसी स्थिति में दोनों द्वारा प्रस्‍तुत संयुक्‍त परिवाद प्रगतिशील नहीं है। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 ने कहा है कि प्रत्‍येक डीलर द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 1 की सील्‍ड पैकेट ग्राहकों को दिये जाते समय उसकी हिदायत व नियम से ग्राहक को अवगत कराया जाता है। डीलर के बिल पर भी अंकित सूचना से अपीलार्थी/परिवादीगण को लिखित रूप से अवगत करा दिया गया था कि नर्सरी के पौध लगाकर बोयें। इसके साथ ही प्रत्‍येक सील्‍ड पैकेट पर आवश्‍यक निर्देश अंकित था। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 ने कहा है कि अपीलार्थी/परिवादीगण द्वारा लालच में वशीभूत होकर नियम का पालन न करते हुए प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 से सील्‍ड पैकेट बन्‍द गोभी के बीज को क्रय कर माह अगस्‍त में ही बो दिया। बीज से  नर्सरी में पौध बनाकर नहीं रोपा। खेत में बीजों को सीधे बो दिया। लिखित कथन में कहा गया है कि नर्सरी में पौध तैयार करने पर बीजों के जमाव का पता चल गया होता तो रोपाई भी उसी क्रम में होती तथा पैदावार भी उसी क्रम में होती और बन्‍द गोभी भी एक सी ही आकृति की आती। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 ने कहा है कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने माह अगस्‍त में बन्‍द गोभी सीधे अपने खेतों में बोयी और जहां जमाव नहीं आया वहां उन्‍होंने किसी अन्‍य कम्‍पनी के बीज को बोया। इस कारण 15-20 प्रतिशत फसल अन्‍य दिखायी देती है। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 ने कहा है कि स्‍वयं अपीलार्थी/परिवादीगण के कथनानुसार दि0 02.12.2013 को की गई लिखित शिकायत से 20-25 दिन पूर्व फसल में अन्‍तर दिखायी दिया अर्थात उसकी फसल पर बन्‍द गोभी लगभग दि0 10.11.2013 से पूर्व आ चुका था। यदि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 1 की कम्‍पनी के दिशा निर्देश के अनुसार बीज बोया गया होता तो यह सम्‍भव नहीं था। लिखित कथन में कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादीगण प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 1 के निर्देशानुसार दि0 15.09.2013 के बाद बीज बोते तो बन्‍द गोभी दिसम्‍बर 2013 का आधा माह बीतने के पश्‍चात आती जिससे स्‍पष्‍ट है कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने बीज कम्‍पनी व प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 के दिशा निर्देशों के विपरीत बोया है।

          लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 1 द्वारा 70 प्रतिशत बीज के जमाव का आश्‍वासन दिया गया है जब कि अपीलार्थी/परिवादीगण के बीज का जमाव 70 प्रतिशत से अधिक हुआ है। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 की ओर से कहा गया है कि परिवादीगण द्वारा अपनी किसी भी शिकायत में ख्‍ासरा नम्‍बर आदि नहीं दिया गया है जिससे यह साबित नहीं होता है कि किस खेत में उन्‍होंने बीज बोया था।

          लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 ने कहा है कि उन्‍होंने अथवा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 ने मिलावटी बीज की बिक्री नहीं की है और न ही प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 1 के किसी बीज से कथित रूप से त्रिशंकु आकार का बन्‍द गोभी उत्‍पन्‍न हुआ है।

          प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 ने भी लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया है और वही कथन किया है जो प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 ने अपने लिखित कथन में किया है।

          जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि जिला कृषि अधिकारी हापुड़, जिला उद्यान अधिकारी हापुड़ एवं भूमि संरक्षण अधिकारी हापुड की संयुक्‍त आख्‍या की छायाप्रति अपीलार्थी/परिवादीगण ने प्रस्‍तुत की है जिसमें स्‍पष्‍ट रूप से यह उल्लिखित है कि निरीक्षण में पाया गया कि प्रक्षेत्र में बन्‍द गोभी में कर्ड ठीक प्रकार से नहीं बना हुआ है। लगभग 70 से 72 प्रतिशत जमाव का आंकलन किया है। इसी क्रम में जिला फोरम ने अपने निर्णय में आगे उल्‍लेख किया है कि तकनीकी रूप से पूर्ण जमाव न होने का कारण बीज को समय से पहले जब तापमान अधिक होता है तब सीधे खेते में बोना सम्‍भावित है।

          जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह माना है कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने बीज को अपने खेतों में नियत समय से पूर्व बोया है और बीज नर्सरी द्वारा तैयार करके खेतों में रोपने के बजाय सीधे बोया है, जिससे यह स्थिति उत्‍पन्‍न हुई है। अत: जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय के द्वारा परिवाद निरस्‍त कर दिया है।

          अपीलार्थी/परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि यह तथ्‍य निर्विवाद है कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने परिवाद पत्र में कथित बीज प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 से लिया था जो प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 द्वारा उत्‍पादित है। अपीलार्थी/परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि बन्‍द गोभी की फसल की उपज ठीक न होना यह तथ्‍य भी निर्विवादित है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी का यह कथन कि जिन पौधों में बन्‍द गोभी ठीक नहीं निकली है वे पौधे अपीलार्थी/परिवादीगण ने बाद में दूसरे बीज के लगाये थे, गलत है और मानने हेतु उचित आधार नहीं है।

          अपीलार्थी/परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि  उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर यह प्रमाणित है कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण से बीज लेकर बोया है, परन्‍तु बन्‍द गोभी की उपज 70 से 72 प्रतिशत ही हुई है। अत: प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा आपूर्ति किये गये बीज की कमी मानने हेतु उचित आधार है।

          अपीलार्थी/परिवादीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय व आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरुद्ध है। अत: जिला फोरम का निर्णय व आदेश अपास्‍त करते हुए परिवाद स्‍वीकार किया जाना और अपीलार्थी/परिवादीगण को क्षतिपूर्ति दिलाया जाना आवश्‍यक है।

          प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम का निर्णय व आदेश उचित और विधि सम्‍मत है। जिन पौधों में बन्‍द गोभी शंकु आकार की आयी है वे पौधे प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के बीज के नहीं हैं उन्‍हें अपीलार्थी/परिवादीगण ने अन्‍यत्र कहीं से बीज लेकर उगाया है। इसके साथ ही अपीलार्थी/परिवादीगण ने बन्‍द गोभी का बीज समय से पहले बोया है और बीज को पौधशाला में तैयार कर रोपाई न कर सीधे खेत में बोया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थीगण के बीज में कोई कमी नहीं रही है।

          मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

          उभय पक्ष के अभिकथन एवं उनकी ओर से प्रस्‍तुत शपथ पत्र के आधार पर यह तथ्‍य निर्विवाद है कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण सं0- 1 ता 4 द्वारा उत्‍पादित बीज प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0- 5 से क्रय कर अपने खेतों में बन्‍द गोभी बोया है, परन्‍तु बन्‍द गोभी की फसल मानक के अनुसार नहीं हुई है। जिला कृषि अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी और भूमि संरक्षण अधिकारी ने अपीलार्थी/परिवादीगण की शिकायत पर उनके खेत का निरीक्षण कर आख्‍या प्रस्‍तुत की है जिसका उल्‍लेख जिला फोरम ने अपने निर्णय में किया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में उल्‍लेख किया है कि निरीक्षण आख्‍या में अंकित है कि निरीक्षण में पाया गया कि प्रक्षेत्र में बंद गोभी के कर्ड ठीक प्रकार से नहीं बना हुआ है। लगभग 70-72 प्रतिशत तक जमाव का आंकलन किया गया है। तकनीकी रूप से पूर्ण जमाव न होने का कारण बीज को समय से पहले जब तापक्रम अधिक होता है तब सीधे खेत में बोना सम्‍भावित है।

          जिला फोरम के निर्णय में उल्लिखित जिला कृषि अधिकारी व अन्‍य अधिकारियों की निरीक्षण आख्‍या के आधार पर जिला फोरम ने माना है कि अपीलार्थी/परिवादीगण ने बीज की बुआई समय से पहले की है और पौधशाला में पौध तैयार कर रोपाई करने के बजाय बीज सीधा खेत में बोये गये हैं। अत: अपीलार्थी/परिवादीगण ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के निर्देश का पालन नहीं किया है। ऐसी स्थिति में बन्‍द गोभी मानक के अनुसार न होने का कारण बीज का दोष नहीं कहा जा सकता है। जिला फोरम का निर्णय साक्ष्‍य व विधि के विरुद्ध नहीं कहा जा सकता है। सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं साक्ष्‍यों पर विचार करने के पश्‍चात मैं इस मत का हूं कि जिला फोरम के निर्णय में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। अत: अपील निरस्‍त की जाती है।

          अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।  

 

 

               (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                               

                                     अध्‍यक्ष                                   

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

                                         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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