
View 1747 Cases Against Computer
Lakhan Lal Katakwar filed a consumer case on 27 Apr 2015 against Sanchalak Korba Computer Center in the Korba Consumer Court. The case no is CC/14/68 and the judgment uploaded on 05 May 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, कोरबा (छ0ग0)
प्रकरण क्रमांक:- CC/14/68
प्रस्तुति दिनांक:- 30/09/2014
समक्ष:- छबिलाल पटेल, अध्यक्ष,
श्रीमती अंजू गबेल, सदस्य,
श्री राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, सदस्य
लखन लाल कटकवार, उम्र-20 वर्ष,
आत्मज पिता श्री साहेब लाल,
साकिन- एमडी/974 दीपका
तहसील-कटघोरा, जिला–कोरबा (छ.ग.)...............................................आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
संचालक,
कोरबा कम्प्युटर सेंटर,
के.सी.सी. कैम्पस, घंटाघर चौक, कोरबा
तहसील व जिला-कोरबा (छ.ग.)…………….……..............................अनावेदक /विरोधीपक्षकार
आवेदक द्वारा श्री शरद कारके अधिवक्ता।
अनावेदक द्वारा श्री महेन्द्र कुमार अग्रवाल अधिवक्ता।
आदेश
(आज दिनांक 27/04/2015 को पारित)
01. परिवादी/आवेदक लखन लाल कटकवार के द्वारा अनावेदक के पास बीसीए प्रथम वर्ष की शिक्षा हेतु प्रवेश लेने के संबंध में जमा की गयी राशि को वापस न कर अनावेदक के द्वारा सेवा में कमी किये जाने के आधार पर उक्त जमा राशि 8,050/-रू0, मानसिक क्षतिपूर्ति 10,000/-रू0 तथा वाद व्यय की राशि दिलाये जाने हेतु, यह परिवाद पत्र धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्रस्तुत किया गया है।
02. यह स्वीकृत तथ्य है कि आवेदक के द्वारा अनावेदक के संस्थान में बीसीए प्रथम वर्ष की शिक्षा प्राप्त करने हेतु फार्म हेतु 50/-रू0, रजिट्रेशन हेतु 1,000/-रू0, लाईब्रेरी शुल्क के रूप 1,000/-रू0 तथा प्रवेश शुल्क के रूप में 6,000/-रू0 जमा किया गया था। शेष सभी बातें विवादित है।
03. परिवादी/आवेदक का परिवाद-पत्र संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदक के संस्थान में माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय की बीसीए प्रथम वर्ष की शिक्षा हेतु दिनांक 23/06/2014 को आवेदक ने फीस जमा किया उस समय अनावेदक के द्वारा यह कहा गया कि विद्यार्थी कम है, इसलिए बिलासपुर विश्व विद्यालय के माध्यम से बीसीए प्रथम वर्ष की अपनी पढ़ाई कीजिए, तब आवेदक ने अनावेदक से कहा कि प्रवेश देने के समय माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से परीक्षा दिलाये जाने का वादा किया गया था, इसलिए बिलासपुर विश्व विद्यालय से अब पढ़ाई नहीं करूंगा। इस पर अनावेदक के द्वारा आवेदक को जमा की गयी फीस लौटाने का वादा किया गया था, परंतु कई बार निवेदन करने के बाद भी परिवाद प्रस्तुति दिनांक तक फीस की राशि आवेदक को वापस नहीं किया गया। अनावेदक के उपरोक्त कार्य के कारण आवेदक को रायपुर जाकर पढ़ाई करना पड़ा, जिससे उसे आर्थिक तथा मानसिक क्षति हुई है। अत: आवेदक को अनावेदक के द्वारा सेवा में कमी किये जाने के कारण फीस की जमा राशि 8050/-रू0 तथा मानसिक क्षति की राशि 10,000/-रू0 तथा ब्याज की राशि सहित वाद व्यय भी दिलायी जावे।
04. अनावेदक द्वारा प्रस्तुत जवाबदावा स्वीकृत तथ्य के अलावा संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक ने बीसीए प्रथम वर्ष में माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनावेदक के संस्थान में प्रवेश लिया, तथा उसके द्वारा दिनांक 23/06/2014 को फीस भी जमा किया गया। इस अनावेदक के द्वारा आवेदक को बिलासपुर विश्व विद्यालय से बीसीए करने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया गया। अनावेदक एक प्रतिष्ठित संस्थान है, उसका बहुत बड़ा शिक्षण कैम्पस हैं, जिसमें काफी खर्च होता है।विद्यार्थियों के प्रवेश प्रक्रिया के दौरान स्टेशनरी खर्च भी लगता है, विद्यार्थियों के निरंतर विकास के लिए अच्छी लाईब्रेरी भी रखा गया है। आवेदक ने अनावेदक के संस्थान में शिक्षा प्राप्त करने हेतु प्रवेश लेने के पश्चात जानबूझकर अन्य शिक्षण संस्थान के बहकावे में आकर अनावेदक के संस्थान से पढ़ाई छोड़ दी, आवेदक के उक्त कार्य से अनावेदक के शिक्षण संस्थान की विश्वसनियता प्रभावित हुई है। आवेदक ने कुछ दिन तक अनावेदक के संस्थान में अध्ययन भी किया है, जिसमें उक्त अध्यापन कार्य के लिए शिक्षक भी रखे गये हैं। आवेदक के द्वारा अनावेदक के संस्थान से अवैधरूप से रकम वसूली हेतु गलत आधार पर यह परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया है। जिसे सव्यय निरस्त किया जावे।
05. परिवादी/आवेदक की ओर से अपने परिवाद-पत्र के समर्थन में सूची अनुसार दस्तावेज तथा स्वयं का शपथ-पत्र दिनांक 30/09/2014 का पेश किया गया हैं। अनावेदक द्वारा जवाबदावा के साथ सूची अनुसार दस्तावेज पेश किया गया है। उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन किया गया।
06. मुख्य विचारणीय प्रश्न है कि:-
क्या परिवादी/आवेदक द्वारा प्रस्तुत परिवाद-पत्र स्वीकार किये जाने योग्य है?
07. आवेदक के द्वारा अनावेदक के संस्थान में बीसीए प्रथम वर्ष की शिक्षा प्राप्ति हेतु प्रवेश फार्म के लिए 50/-रू0 जमा करने बाबत रसीद दिनांक 23/06/2014 का दस्तावेज क्रमांक ए/1, रजिस्ट्रेशन फीस के लिए 1,000/-रू0 जमा करने बाबत रसीद दिनांक 23/06/2014 का दस्तावेज क्रमांक ए/2, लाईब्रेरी फीस के लिए 1,000/-रू0 जमा करने बाबत रसीद दिनांक 16/07/2014 का दस्तावेज क्रमांक ए/3 तथा प्रवेश शुल्क के लिए 6,000/-रू0 जमा करने बाबत रसीद दिनांक 08/09/2014 का दस्तावेज क्रमांक ए/4 के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस तथ्य को अनावेदक की ओर से जवाबदावा में भी स्वीकार किया गया है।
08. आवेदक को माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय से संबंद्ध होने के आधार पर बीसीए की शिक्षा देने हेतु प्रथम वर्ष में भर्ती किया गया था। उक्त विश्वविद्यालय से अपनी संबंद्धता के संबंध में अनावेदक की ओर से उक्त विश्वविद्यालय से प्राप्त पत्र दिनांक 07/07/2000 की प्रति दस्तावेज क्रमांक डी/2 के रूप में पेश किया गया है। अनावेदक के द्वारा दस्तावेज क्रमांक डी/1 भी पेश किये गये है, जो उक्त विश्वविद्यालय के द्वारा जारी किया गया नवीनीकरण प्रमाण पत्र की फोटोप्रति है। इस प्रकार दिनांक 01/07/2014 से दिनांक 30/06/2015 की शिक्षा सत्र हेतु अनावेदक संस्थान उपरोक्त विश्वविद्यालय से संबंद्धता प्राप्त रहा है, यह स्पष्ट रूप से प्रमाणित होता है।
09. आवेदक को अनावेदक के द्वारा माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के द्वारा बीसीए प्रथम वर्ष की शिक्षा प्राप्ति हेतु प्रवेश देने के बाद भी उसे विद्यार्थियों की संख्या में कमी होने के आधार पर बिलासपुर विश्वविद्यालय से परीक्षा देने हेतु पढ़ाई करने के लिए दबाव दिया जाना बताया है, किंतु आवेदक के द्वारा इस तरह की लिखित में कोई दस्तावेज अनावेदक से प्राप्त नहीं किया गया है। आवेदक को यदि अनावेदक की ओर से बिलासपुर विश्वविद्यालय से परीक्षा देने हेतु दबाव डाला गया था, तो इसके संबंध में आवेदक के द्वारा उन्हें पत्र लिखकर उनसे जवाब लिया जा सकता था। किंतु ऐसा केाई पत्र आवेदक ने प्रस्तुत नहीं किया है। आवेदक ने परिवाद पत्र पेश करने के पूर्व अनावेदक के पास ऐसी कोई विधिक सूचना पत्र भी प्रेषित कर जवाब प्राप्त नहीं किया है। आवेदक ने ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि उसे प्रवेश देने के बाद अनावेदक के द्वारा माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के बीसीए प्रथम वर्ष की शिक्षा नहीं लेने दिया गया। ऐसी स्थिति में यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि अनावेदक के द्वारा मना करने के कारण आवेदक को रायपुर में शिक्षा प्राप्त करने हेतु प्रवेश लेना पड़ा।
10. उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य से यह स्पष्ट हो जाता है कि आवेदक को अनावेदक के संस्थान में बीसीए प्रथम वर्ष के शिक्षा प्राप्त करना था लेकिन उसके द्वारा शुल्क जमा करने के बाद अपनी इच्छा से उक्त संस्थान को छोड़कर अन्य किसी संस्थान में प्रवेश ले लिया गया। इस प्रकार अनावेदक के द्वारा सेवा में कमी किये जाने का कोई तथ्य प्रमाणित नहीं होना पाया जाता है। इसलिए आवेदक कोई भी क्षतिपूर्ति की राशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
11. तदनुसार मुख्य विचारणीय प्रश्न का निष्कर्ष ‘’नहीं’’ में दिया जाता है।
12. अत: आवेदक/परिवादी लखन लाल कटकवार की ओर से प्रस्तुत इस परिवाद को धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत स्वीकार किये जाने योग्य नहीं होना पाते हुए निरस्त किया जाता है। इस मामले की परिस्थिति को देखते हुए आदेश दिया जाता है, कि उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेगें।
(छबिलाल पटेल) (श्रीमती अंजू गबेल) (राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय)
अध्यक्ष सदस्य सदस्य
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.