(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-479/2005
Oriental Insurance Company Ltd
Versus
Sehdeo Singh S/O Shree Chet Ram & other
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आशीष कुमार श्रीवास्तव, विद्धान
अधिवक्ता
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :25.11.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-522/2004, सहदेव सिंह बनाम दि ओरियण्टल बैंक आफ कामर्स व अन्य में विद्वान जिला आयोग, मेरठ द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 03.12.2004 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थीकी ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली एवं निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमित वाहन सं0 यू0पी0 15 एल 9800 दिनांक 24.01.2001 को चोरी होने पर बीमित राशि अदा करने का आदेश पारित किया है। बीमा कम्पनी को यह तथ्य स्वीकार है कि उपरोक्त वर्णित ट्रैक्टर का बीमा किया गया था, परंतु यह कथन किया गया है कि वाहन दिनांक 24.01.2001 को चोरी होना कहा गया, जबकि घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट 76 दिन पश्चात 13.05.2001 को लिखायी गयी है। इसी प्रकार बीमा कम्पनी को अत्यधिक देरी से सूचना दी गयी है, जिसका वर्णन यह हुआ है कि ट्रैक्टर खोजने का कोई प्रयास नहीं हो सका तथा चोरी की वास्तवकिता के बारे में कोई जांच नहीं की जा सकी।
- बीमा पॉलिसी की शर्त के अनुसार बीमित वाहन चोरी होने पर पुलिस को सूचना देना तुरंत आवश्यक है, यद्यपि बीमा कम्पनी को तुरंत सूचना न देने का कोई विपरीत परिणाम नहीं है, पंरतु पुलिस को सूचना देना इसलिए आवश्यक है कि बीमित वाहन को पुलिस द्वारा तलाश किया जा सके, यदि उपभोक्ता इस शर्त का उल्लंघन करता है तब बीमा कलेम नकारने का आधार वैधानिक रूप प्राप्त करता है।
- परिवाद के विवरण के अनुसार बीमित वाहन दिनांक 24.01.2001 को जब परिवादी का पुत्र ट्रैक्टर को लेकर ग्राम रानप थाना लोनी जिला गाजियाबाद गया था और अपने रिश्तेदार विनोद के कमरे के सामने खड़ा किया था तब सुबह ट्रैक्टर मौके पर मौजूद नहीं था, इसके बाद आवेदक का पुत्र दिनांक 25.02.2001 को लोनो थाना पर रिपोर्ट लिखाने के लिए गया, परंतु थाने वालों ने रिपोर्ट नहीं लिखी और ट्रैक्टर तलाश करने के लिए कहा गया। इसके बाद वादी के पुत्र ने दिनांक 26.02.2001 को घटना की रिपोर्ट लिखे जाने के लिए प्रार्थना पत्र पंजीकृत डाक से पुलिस अधीक्षक मेरठ को भेजा, इसके बाद वादी के पुत्र की हत्या दिनांक 08.04.2001 को हो गयी, पुलिस द्वारा दिनांक 26.02.2001 की शिकायत के पश्चात दिनांक 13.05.2001 को मुकदमा दर्ज किया गया, इस प्रकार परिवादी ने रिपोर्ट देरी से दर्ज होने की स्थिति को पूर्णता स्पष्ट किया है यदि पुलिस द्वारा रिपोर्ट देरी से दर्ज की जाती है तब इसमें परिवादी का कोई दोष नहीं है, जो भी देरी कारित हुई है वह पुलिस की अकर्मण्यता के कारण कारित हुई है। अत: जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2