Uttar Pradesh

Chanduali

CC/26/2013

Vijay Bahadur tiwari - Complainant(s)

Versus

SBI - Opp.Party(s)

Jay Prkash Singh

24 Aug 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Execution Application No. CC/26/2013
In
 
1. Vijay Bahadur tiwari
CDI
...........Appellant(s)
Versus
1. S.B.I.
CDI.
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Shashi Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 26                                सन् 2013ई0
विजय बहादुर तिवारी पुत्र स्व0 अलियार तिवारी उम्र 62 वर्ष ग्राम जेवरी पो0 जेवरी जिला चन्दौली।
                                      ...........परिवादी                                                                                                                                    बनाम
1-प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक शाखा चन्दौली।
2-प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक शाखा गोदवलिया वाराणसी।
3-आयुक्त भविष्य निधि,अशोक विहार कालोनी(प्रथम चरण) पहडिया वाराणसी।
                                            .............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
श्री रामजीत सिंह यादव, अध्यक्ष
श्रीमती शशी यादव, सदस्या
                               निर्णय
द्वारा श्री रामजीत सिंह यादव,अध्यक्ष
1-    परिवादी ने यह परिवाद अपने बकाया पेंशन की धनराशि रू0 9700/-मय ब्याज एवं रू020000/-शारीरिक क्षतिपूर्ति स्वरूप एवं रू0 25000/-मानसिक क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2-    परिवादी की ओर से परिवाद प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी पेंशनभोगी है। परिवादी का पी0पी0ओ0 नं0 यू.पी./वाराणसी/13251 है और  उसको दिनांक 1-7-2001 से रू0 388/-मासिक पेंशन मिल रही है। परिवादी के पेंशन का खाता संख्या 10852570523 विपक्षी संख्या 1 के शाखा चन्दौली में है जिसमे विपक्षी संख्या 3 द्वारा पेंशन की धनराशि भेजी जाती रही है। किन्तु विपक्षी संख्या 3 के द्वारा परिवादी के पेंशन की धनराशि गलत खाते में डालने से जनवरी 2006 से दिसम्बर 2011 तक  की धनराशि परिवादी के खाते में नहीं आयी। परिवादी ने खाता सुधारने के लिए विपक्षी संख्या 3 के कार्यालय में कई बार प्रार्थना पत्र दिया जिसके बाद माह दिसम्बर 2012 में परिवादी के खाते में पुनः पेंशन की धनराशि आने लगी। किन्तु उसके बकाया पेंशन की धनराशि अभीतक प्राप्त नहीं है, जिसके लिए परिवादी विपक्षीगण के कार्यालय में कई बार प्रार्थना पत्र दिया। विपक्षी संख्या 2 व 3 द्वारा परिवादी को अवगत कराया गया कि उसके बकाये पेंशन की धनराशि उसके खाते में भेज दी गयी है। परिवादी पुनः विपक्षी संख्या 1 के यहाॅं पेंशन भुगतान की बात कही तो विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादी के खाते में पेंशन की धनराशि न आने की बात कहकर वापस कर दिया। परिवादी ने अपने पेंशन के सम्बन्ध में कई बार विपक्षी संख्या 2 व 3 से सम्पर्क किया, लेकिन दिनांक 10-12-2012 को विपक्षी संख्या 1 ने पेंशन की धनराशि देने से इन्कार कर दिये तब परिवादी ने यह परिवाद दाखिल किया। मुकदमा के दौरान विपक्षी संख्या 3 द्वारा दिनांक 3-5-2013 को परिवादी के खाते में 47 माह का पेंशन रू0 18236/-भेज दिया गया। किन्तु शेष 25 माह का बकाया पेंशन रू0 9700/- आज तक खाते में नहीं भेजे। 

                                                                                      2
3-    विपक्षी संख्या 1 ने जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया है कि परिवादी ने परिवाद गलत बेबुनियाद दाखिल किया गया है जो खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी को जो पेंशन राशि खाता में प्राप्त होती है उसे परिवादी को प्रदान कर दी जाती है क्योंकि परिवादी को पेंशन वाराणसी से प्राप्त होती है। जैसे-जैसे परिवादी का पेंशन आता रहा, विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रदान करा दिया गया। अतः परिवादी के परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
4-    विपक्षी संख्या 2 द्वारा जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि माह अक्टूबर 2008 तक विपक्षी संख्या 3 द्वारा भेजे गये बी.आर.एस. किस्तो के आधार पर विपक्षी संख्या 1 द्वारा पेंशनरों के खाते में उनके पेंशन राशि जमा किया जाता रहा है एवं माह नवम्बर 2008 से विपक्षी संख्या 2 द्वारा सीधे कोर बैंकिग सेवा के माध्यम से पेंशनर्स के बचत खाते में जमा किया जाता रहा है। विपक्षी संख्या 3 के द्वारा परिवादी के पेंशन आदेश में परिवादी का पेंशन खाता गलत अंकित कर देने के कारण परिवादी के बचत खाता में विपक्षी संख्या 2 द्वारा भुगतान किया जाना सम्भव नहीं था। इसलिए विपक्षी संख्या 2 द्वारा परिवादी के पेंशन की धनराशि विपक्षी संख्या 3 के खाते में जमा कर दी जाती थी तथा उसकी सूचना प्रतिमाह नियमित रूप से विपक्षी संख्या 3 को लिखित रूप से दी जाती थी। परिवादी को जब-जब विपक्षी संख्या 3 द्वारा विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से जो भी पेंशन की धनराशि के भुगतान का आदेश दिया गया उसका अनुपालन विपक्षी संख्या 2 करता आ रहा है तथा किसी भी पेंशन की धनराशि विपक्षी संख्या 2 ने जानबूझकर अपने पास नहीं रखा है एवं न ही परिवादी के किसी भी पेंशन भुगतान आदेश की धनराशि रोकी नहीं गयी है। उपरोक्त आधार पर परिवादी के परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
5-    विपक्षी संख्या 3 की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन है कि परिवादी के जीवित प्रमाण पत्र के अभाव में जनवरी 2006 से दिसम्बर 2006 तक का लम्बित पेंशन माह दिसम्बर 2008 के बी.आर.एस. क्रमांक 41 पर रू0 5044/-सदस्य के दावा प्रपत्र में दिये गये बचत खाता संख्या 12016 में क्रेडिट हेतु एस.बी.आई. गोदवलिया वाराणसी के माध्यम से इस कार्यालय द्वारा भेजा गया है। जनवरी 2007 से दिसम्बर 2008 तक का पेंशन इस कार्यालय के बी.आर.एस. के माध्यम से नियमित बैंक को भेजी गयी है। जनवरी 2009,फरवरी2009,जून2009 से 12/2009 तक की पेंशन नियमित बी.आर.एस.के माध्यम से बैंक को प्रेषित किया गया है। पुनः परिवादी के जीवित प्रमाण पत्र के अभाव में 1/2010 से 12/2010 को बी.आर.एस. के माध्यम से बैंक को प्रेषित किया जा चुका है।  दिनांक 1/2011 से 12/2011 तक का परिवादी का पेंशन बी.आर.एस. से नियमित बैंक को भेजी गयी है। माह 3/2009,4/2009 व 5/2009 का पेंशन परिवादी के खाते में न जाने की जानकारी होने पर उक्त तीनों माह का पेेंशन रू0 1164/- माह मई 2013 में बी.आर.एस. के द्वारा भेजा जा रहा है।  परिवादी के आवेदन व बैंक पासबुक की छायाप्रति के आधार पर बचत खाता में सुधार करते हुए माह जनवरी 
                                                                                         3
2012 से परिवादी के सी.बी.एस. खाता संख्या 10852570523 में भेजी जा रही है। पूर्व अवधि के पेंशन भुगतान के सम्बन्ध में कार्यालय द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक 30-1-2012,28-8-2012,28-12-2012 एवं 19-3-2013 के द्वारा बैंक को जारी किया गया है। परिवादी के द्वारा प्रेषित प्रार्थना पत्र के प्रकाश में पेंशन के भुगतान हेतु बैंक को निर्देश पत्र जारी किया गया है। अतः उपरोक्त विवरण के अनुसार विपक्षी द्वारा परिवादी के पेंशन के भुगतान हेतु बैंक को भेजा गया है। अतः परिवादी किसी क्षतिपूर्ति/ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है और परिवादी के परिवाद को खारिज किये जाने की प्रार्थना की गयी है।
    विपक्षी संख्या 3 की ओर से अतिरिक्त जबाबदेही प्रस्तुत करके संक्षेप में कथन किया गया है कि परिवादी के द्वारा 72 माह का पेंशन प्राप्त न होने के कारण परिवाद प्रस्तुत किया है। जिसके सम्बन्ध में 47 माह का पेंशन रू0 18236/- दिनांक 3-5-2013  एवं 3 माह का पेंशन रू0 1164/- दिनांक 3-6-2013 एवं 22माह का पेंशन रू0 8536/-माह जुलाई 2015 के मासिक बी.आर.एस. के द्वारा भारतीय स्टेट बैंक सिटी शाखा वाराणसी को भेज दिया गया है। इस प्रकार परिवादी के उपरोक्त पूर्ण अवधि के पेंशन का भुगतान हो चुका है। अतः परिवादी का परिवाद खारिज करने की प्रार्थना की गयी है। 
6-    परिवादी की ओर से साक्ष्य के रूप में विपक्षीगण को भेजी गयी नोटिस की प्रति,रजिस्ट्री रसीद,बैंक के पासबुक की छायाप्रति, विपक्षी संख्या 3 को पेंशन के सम्बन्ध में दिये गये प्रार्थना पत्र की छायाप्रतियाॅं, भारतीय स्टेट बैंक के पत्र की छायाप्रति,कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के पत्र की छायाप्रतियाॅं,कर्मचारी पेंशन योजना 1995 की छायाप्रति आदि दाखिल किया गया है। विपक्षी संख्या 3 की ओर से परिवादी के पेंशन भुगतान की लिस्ट,भारतीय स्टेट बैंक चन्दौली का प्रमाण पत्र दाखिल किया गया है।
7-    हम लोगों ने परिवादी एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के बहस को सुना तथा पत्रावली का सूक्ष्मतापूर्वक अवलोकन किया है।
8-    प्रस्तुत मामले में विपक्षी संख्या 3 की ओर से अतिरिक्त जबाबदावा प्रस्तुत करते हुए यह अभिकथन किया गया है कि परिवादी का जो 72 महीने का पेंशन बाकी था वह उसे दिया जा चुका है अपने अभिकथन के समर्थन में विपक्षी की ओर से परिवादी के बैक एकाउन्ट की छायाप्रति भी दाखिल की गयी है जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादी को बैंक द्वारा 3 माह का पेंशन रू0 1164/- दिनांक 3-6-2013 को भुगतान किया गया है और इसी प्रकार वर्ष 2015 में भी रू0 8536/- जो 22 माह का पेंशन होता है परिवादी के खाते में एडजेस्ट हो चुका है। परिवादी ने अपने परिवाद में संशोधन करके यह स्वीकार किया है कि उसे 47 माह का पेंशन रू0 18236/-दिनांक 13-6-2013 को प्राप्त हो चुका है। इस प्रकार परिवादी ने जिस अवधि का पेंशन प्राप्त न होने के सम्बन्ध में यह परिवाद दाखिल किया है उस अवधि का सम्पूर्ण पेंशन परिवादी को प्राप्त हो चुका 
                                                                                             4
है। दौरान बहस परिवादी के अधिवक्ता ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है कि परिवादी को पूरा पेंशन मिल चुका है लेकिन जिस अवधि में पेंशन नहीं दिया गया है उस अवधि का पेंशन पर प्राप्त होने वाला ब्याज परिवादी को दिलाया जाय तथा शारीरिक व मानसिक क्षति तथा खर्चा मुकदमा के लिए प्रतिकर दिलाया जाय।
9-    विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि पेंशन पर ब्याज देने का कोई प्राविधान नहीं है किन्तु अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में उनके द्वारा न तो कोई विधि दिखायी गयी है और न ही कोई विधि व्यवस्था। पक्षकारों के अभिकथनों तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि विपक्षी संख्या 3 द्वारा गलत खाता संख्या में परिवादी का पेंशन भेजा गया जिसके कारण जनवरी 2006 से दिसम्बर सन् 2011 तक का पेंशन परिवादी को समय से प्राप्त नहीं हो सका। अतः फोरम की राय में जिस अवधि में परिवादी को समय से पेंशन नहीं दी गयी है और पेंशन बाद में दी गयी है। उतनी अवधि तक परिवादी प्राप्त होने वाले पेंशन पर ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है। मुकदमें के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए परिवादी को विपक्षी संख्या 3 से शारीरिक व मानसिक क्षति के रूप में रू0 2000/-(दो हजार) तथा खर्चा मुकदमा के रूप में रू0 500/-(पांच सौ) दिलाया जाना भी न्यायोचित प्रतीत होता है। इस प्रकार परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
                                                                                 आदेश
    परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 3 को आदेशित किया जाता है कि वह आज से 2 माह के अन्दर परिवादी को जिस अवधि में पेंशन समय से नहीं दिया गया है उस अवधि में परिवादी को प्राप्त होने वाले पेंशन पर 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक की दर से ब्याज अदा करे। इसी प्रकार विपक्षी संख्या 3 को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को हुई शारीरिक व मानसिक क्षति के एवज में रू0 2000/-(दो हजार) तथा खर्चा मुकदमा के रूप में रू0 500/-(पांच सौ) भी अदा करें।

(शशी यादव)                                       (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्या                                                 अध्यक्ष 
                                                दिनांक 24-8-2015 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Shashi Yadav]
MEMBER

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