
Jitendra Singh filed a consumer case on 16 Dec 2020 against SBI Dilari in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/3/2018 and the judgment uploaded on 18 Dec 2020.
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-03/2018
जितेन्द्र सिंह पुत्र श्री बाबूराम निवासी ग्राम-नंगला ताहर, तहसील-ठाकुरद्वारा, जिला मुरादाबाद। ….......परिवादी
बनाम
1-शाखा प्रबन्धक, भारतीय स्टेट बैंक, शाखा डिलारी, मुरादाबाद।
2-चेयरमैन, भारतीय स्टेट बैंक, स्टेट बैंक भवन, मैडम कामा मार्ग, मुम्बई। …........विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 22-12-2017 निर्णय तिथि: 16-12-2020
(श्रीमती अलका श्रीवास्तव, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
1-परिवादी ने यह परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध जमीन की बयाना राशि 40,000/-रूपये के तीन गुने 1,20,000/-रूपये मय 18 प्रतिशत ब्याज, सामाजिक व मानसिक नुकसान की भरपाई हेतु 2,00,000/-रूपये, वाद व्यय 5,000/-रूपये एवं अधिवक्ता फीस 11,000/-रूपये दिलाये जाने हेतु योजित किया है।
2-संक्षेप में परिवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि विपक्षी-1 बैंक में परिवादी का बचत खाता सं.-32261213196 है। परिवादी ने इस खाते का एक चेक सं.-035681 अंकन-1,10,000/-रूपये दिनांकित 24-01-2017 को अपने दूसरे खाता सं.-08081930003299 एचडीएफसी बैंक, शाखा रामनगर रोड, काशीपुर में दिनांक 06-02-2017 को एनईएफटी(नेफ्ट) हेतु लगाया किन्तु दिनांक 09-02-2017 को विपक्षी-1 द्वारा उपरोक्त चेक राशि अंकन-1,10,000/-रूपये के स्थान पर मात्र 11,000/-रूपये ही परिवादी के उक्त एचडीएफसी बैंक खाते में ट्रांसफर किये, जबकि परिवादी के एसबीआई खाते में नेफ्ट हेतु पर्याप्त धनराशि जमा थी। परिवादी ने सतपाल सिंह पुत्र श्री वेदपाल सिंह निवासी खड़गपुर देवीपुरा, काशीपुर से एक प्लॉट मुवलिग 5,00,000/-रूपये में तय किया था और बतौर बयाना दिनांक 09-02-2017 तक उसे देना था। परिवादी ने दिनांक 01-02-2017 को अंकन-40,000/-रूपये नकद सतपाल सिंह को दे दिये थे बाकि अंकन-1,10,000/-रूपये देने हेतु एक सेल्फ चेक उक्त एचडीएफसी बैंक काशीपुर का सतपाल सिंह को दे दिया था परन्तु एचडीएफसी बैंक खाते में पर्याप्त धन न होने के कारण परिवादी तय समय में उपरोक्त बयाने की रकम अदा नहीं कर पाया, जिस वजह से परिवादी के प्लॉट का सौदा रद्द हो गया और परिवादी के बयाने में दिये गये अंकन-40,000/-रूपये जब्त हो गये। उपरोक्तानुसार विपक्षी-1 स्टेट बैंक की लापरवाही के कारण परिवादी के प्लॉट का सौदा रद्द होकर उसकी बयाना राशि 40,000/-रूपये जब्त हुई है। परिवादी ने विपक्षीगण को नोटिस प्रेषित किया, जिसका कोई उत्तर विपक्षीगण ने नहीं दिया। विपक्षीगण बैंक ने सेवा में कमी की है। अतएव उक्त अनुतोष परिवादी को विपक्षीगण से दिलाया जावे।
3-विपक्षीगण ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें परिवाद के तथ्यों को अस्वीकार करते हुए कथन किया गया है कि परिवाद गलत व असत्य कथनों पर आधारित है। परिवादी द्वारा 1,10,000/-रूपये भारतीय स्टेट बैंक खाते से परिवादी के अन्य एचडीएफसी बैंक खाते में नेफ्ट हेतु किया गया आवेदन पत्र त्रुटिपूर्ण था परन्तु फिर भी ग्राहक/परिवादी ही प्राप्तकर्ता था, इसलिए धन अग्रेषण स्वीकार करते हुए धन अग्रसारित किया गया किन्तु इसके इलेक्ट्रोनिक संदेश में शून्य के अंक का लोप हो गया तथा 1,10,000/-रूपये के स्थान पर 11,000/-रूपये ही परिवादी के एचडीएफसी बैंक खाते में ट्रांसफर हो सके, जिसमें विपक्षीगण की कोई कमी या त्रुटि नहीं है। इस ट्रांजक्शन का इलेक्ट्रोनिक मैसेज परिवादी के मोबाइल नं.-9927073340 पर प्राप्त हुआ लेकिन परिवादी ने नेफ्ट संव्यवहार को पूर्ण कराने हेतु को प्रयास या चेष्टा तत्काल व समय रहते नहीं किया गया और परिवादी की उदासीनता के कारण संव्यवहार में सहयोगात्मक उपेक्षा के कारण नेफ्ट संव्यवहार को पूर्ण नहीं किया जा सका, जिसके लिए परिवादी स्वयं भी दोषी है। परिवादी ने कथित सतपाल सिंह को दिये गये एचडीएफसी बैंक के किसी चेक का विवरण परिवाद पत्र में नहीं दिया है, जिस कारण परिवादी का यह कथन अविश्वसनीय है। परिवादी द्वारा जमीन विक्रेता के पक्ष में सेल्फ का चेक निर्गत नहीं किया जा सकता था, जो परिवादी ने सतपाल सिंह को दे दिया जाना उल्लिखित किया है। परिवादी द्वारा निर्गत नोटिस भी गलत व असत्य कथनों पर आधारित थे। परिवादी को कोई सामाजिक, मानसिक व आर्थिक नुकसान नहीं हुआ है। विपक्षीगण ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त होने योग्य है।
4-परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में विपक्षीगण को प्रेषित नोटिस, डाक रसीद, भारतीय स्टेट बैंक का चेक सं.-035681 अंकन-1,10,000/-रूपये दिनांकित 24-12-2017, स्टेट बैंक खाते का स्टेटमेंट, एचडीएफसी बैंक खाते का स्टेटमेंट, निर्वाचन पहचान पत्र, रसीदी टिकट लगी रसीद, श्री सुन्दर सिंह पुत्र श्री बाबू सिंह व हरिराज सिंह पुत्र श्री बाबू सिंह के शपथपत्र एवं अपना शपथपत्रीय साक्ष्य प्रस्तुत किया है।
5-विपक्षी-1 ने अपने कथन के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में परिवादी द्वारा आरटीजीएस हेतु बैंक में भरा गया फार्म दिनांकित 06-02-2017 व अपने शाखा प्रबन्धक, श्री राजेश कुमार वरूण का साक्ष्य शपथपत्र प्रस्तुत किया है।
6-आयोग ने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी और पत्रावली का सम्यक् परिशीलन किया।
7-परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने अपनी बहस में परिवाद पत्र को दोहराते हुए मुख्य तर्क दिया है कि विपक्षी-1 बैंक ने परिवादी द्वारा किये गये आरटीजीएस अंकन-1,10,000/-रूपये के स्थान पर मात्र 11,000/-रूपये की राशि ही परिवादी के बचत खाते एचडीएफसी बैंक, काशीपुर में ट्रांसफर किये, जिसके कारण परिवादी के उक्त खाते में पर्याप्त धन नहीं रहने से जमीन खरीदने हेतु सतपाल सिंह को बतौर बयाने एचडीएफसी बैंक, काशीपुरी के दिये गये अंकन-1,10,000/-रूपये के चेक का भुगतान निर्धारित समय में सतपाल सिंह को नहीं हो सका और उक्त जमीन का सौदा निरस्त हो गया तथा परिवादी द्वारा सतपाल सिंह को नकद दी गई बयाने की राशि अंकन-40,000/-रूपये भी जब्त हो गई। अतएव विपक्षी-1 बैंक ने सेवा में कमी व लापरवाही की है, इसलिए विपक्षी-1 बैंक से उपरोक्त वांछित अनुतोष परिवादी को दिलाया जावे।
8-विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने उपरोक्त तर्कों के विरोध में अपने प्रतिवाद पत्र को दोहराते हुए मुख्य तर्क दिया है कि परिवादी द्वारा 1,10,000/-रूपये विपक्षी-1 भारतीय स्टेट बैंक स्थित खाते से परिवादी के ही बचत खाते एचडीएफसी बैंक, काशीपुर में नेफ्ट हेतु किया गया आवेदन पत्र त्रुटिपूर्ण था परन्तु इसमें परिवादी ही प्राप्तकर्ता था, इसलिए धन अग्रेषण स्वीकार करते हुए धन अग्रसारित किया गया किन्तु इसके इलेक्ट्रोनिक संदेश में शून्य के अंक का लोप हो गया तथा 1,10,000/-रूपये के स्थान पर 11,000/-रूपये ही परिवादी के एचडीएफसी बैंक खाते में ट्रांसफर हो सके, जिसमें विपक्षीगण की कोई कमी या त्रुटि नहीं है। इस ट्रांजक्शन का इलेक्ट्रोनिक मैसेज परिवादी के मोबाइल नं.-9927073340 पर प्राप्त हुआ लेकिन परिवादी ने नेफ्ट संव्यवहार को पूर्ण कराने हेतु कोई प्रयास या चेष्टा तत्काल व समय रहते नहीं किया गया और परिवादी की उदासीनता के कारण संव्यवहार में सयोगात्मक उपेक्षा के कारण नेफ्ट संव्यवहार को पूर्ण नहीं किया जा सका, जिसके लिए परिवादी स्वयं जिम्मेदार है। परिवादी ने कथित सतपाल सिंह को दिये गये एचडीएफसी बैंक के किसी चेक का विवरण परिवाद पत्र में नहीं दिया है, जिस कारण परिवादी का यह कथन अविश्वसनीय है कि उसने सतपाल सिंह को प्रश्नगत चेक दिया हो। परिवाद असत्य कथनों पर आधारित है। परिवादी कोई अनुतोष पाने का हकदार नहीं है। परिवाद सव्यय निरस्त किया जावे।
9- परिवादी ने पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है कि उसका जमीन खरीदने हेतु किया गया सौदा प्रश्नगत चेक की राशि अंकन-1,10,000/-रूपये उसके एचडीएफसी बैंक, काशीपुर के खाते में ट्रांसफर न होने के कारण निरस्त हो गया और परिवादी ने इस चेक को सतपाल सिंह को दिये जाने के संबंध में अपने परिवाद पत्र में भी कोई विवरण नहीं दिया है। परिवादी ने इसका भी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि कथित सतपाल सिंह ने उक्त चेक को भुगतान हेतु बैंक में क्यों नहीं लगाया बल्कि परिवादी का यह कथन है कि बैंक खाते में कम धनराशि जमा होने की जानकारी सतपाल सिंह को पहले ही हो गई थी, इसलिए सतपाल सिंह ने चेक भुगतान हेतु बैंक में प्रस्तुत नहीं किया लेकिन इसका कोई स्पष्ट कथन नहीं किया है कि सतपाल सिंह को परिवादी के खाते में कम राशि जमा होने की जानकारी भुगतान हेतु बिना चेक लगाये ही कैसे हो गई। सतपाल सिंह व परिवादी के बीच कोई संविदा अथवा एग्रीमेंट जमीन खरीदने के संबंध में है या नहीं इसकी कोई जानकारी परिवादी ने अपने दोनों बैंकों को नहीं दी थी और परिवादी ने इसका भी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया कि उसने 40,000/-रूपये की राशि सतपाल सिंह को नकद दी हो और वह सौदा निरस्त होने के कारण जब्त हो गई हो क्योंकि आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार मात्र 20,000/-रूपये तक की राशि ही किसी को नकद दी जा सकती है। इसलिए परिवादी की उक्त राशि जब्त होने का कोई दायित्व विपक्षी-1 का नहीं है। विपक्षी-1 का एक मात्र दायित्व बतौर उपभेक्ता परिवादी जिसके द्वारा विपक्षी बैंक ही सेवायें ली गई है, उन सेवाओं में कमी के कारण लापरवाही हेतु विपक्षी-1 को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। चूंकि दोनों एकाउन्ट परिवादी के ही थे और परिवादी द्वारा दिया गया चेक भुगतान हेतु सतपाल सिंह ने बैंक में प्रस्तुत ही नहीं किया गया, इसलिए यह नहीं माना जा सकता है कि सतपाल सिंह द्वारा कथित जमीन का सौदा उक्त धनराशि जो कि विपक्षी द्वारा एकाउन्ट में नहीं भेजी गई, के कारण ही निरस्त किया गया हो।
दौरान तर्क दोनों पक्षों की ओर से यह स्वीकार किया गया है कि नेफ्ट हेतु जो फार्म भरा गया था, वह त्रुटिपूर्ण था और उसको बैंक द्वारा सही कराया गया था। विपक्षी बैंक ने ही अपने शपथपत्र के साथ उक्त फार्म दिनांकित 06-02-2017 दाखिल किया है, जिसमें इनवैलिड(अवैध) अंकित है। इस फार्म की शर्तों के पैरा-4 में यह भी अंकित है कि चूंकि उपरोक्त आरटीजीएस इलेक्ट्रोनिक है, इसलिए उसमें संदेश के छपने अथवा उसमें कोई कमी छूट जाने अथवा उसके सही स्थान पर नहीं पहुंचने के संदर्भ में बैंक की जिम्मेदारी नहीं होगी। परिवादी ने रसीदी टिकट लगी एक रसीद कागज सं.-8/5 दाखिल की है और उसमें अंकित दोनों गवाहान हरिराज सिंह व सुन्दर सिंह के शपथपत्र भी प्रस्तुत किये हैं। रसीदी टिकट लगा कागज सं.-9/5 धनराशि प्राप्त करने की एक रसीद तो हो सकती है, यह किसी जमीन के सौदे के संबंध में एक एग्रीमेंट नहीं हो सकता क्योंकि एग्रीमेंट कम से कम 100/-रूपये के स्टाम्प पेपर पर लिखा होना या उसका पंजीकृत होना आवश्यक है किन्तु उक्त कागज सं.-9/5 को अचल संपत्ति के संदर्भ में इकरारनामा नहीं माना जा सकता है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया कि आयकर अधिनियम के नियम 269 के अन्तर्गत 20 हजार रूपये से अधिक की धनराशि किसी भी अचल संपत्ति के संदर्भ में जरिये चेक अदा करने का प्रावधान है, न कि नकद के रूप में। परिवादी का कथन सर्वथा सत्य व प्रमाणित होता यदि परिवादी द्वारा 1,10,000/-रूपये का चेक सतपाल सिंह के नाम से जारी किया गया होता व उसके पश्चात केवल 11,000/-रूपये बैंक में पहुंचने के कारण चेक अनादरित हुआ होता, अलावा इसके उपरोक्त रसीद में 09-02-2017 तक शेष 1,10,000/-रूपये बयाना के तौर पर दिया जाना अंकित है किन्तु परिवादी के ही अनुसार 1,10,000/-रूपये का चेक जो कि परिवादी द्वारा सतपाल सिंह के नाम दिया गया, उसे बैंक में प्रस्तुत ही नहीं किया गया। जिसके कारण परिवादी का यह कथन कि विपक्षी बैंक के द्वारा 1,10,000/-रूपये के चेक की राशि परिवादी के खाते में न भेजने के कारण उसकी बयाना राशि अदा नहीं हुई अथवा उसका सौदा निरस्त हुआ है, साबित नहीं होता है। किन्तु विपक्षी द्वारा जबकि सेवाओं के बदले में चार्ज वसूल किये जाते हैं, तब उक्त संदर्भ में उपरोक्त नेफ्ट की सेवा ठीक प्रकार से नहीं दी गई, जिस कारण बतौर क्षतिपूर्ति अंकन-5,000/-रूपये और परिवाद व्यय 2,500/-रूपये परिवादी को दिलाया जाना न्यायोचित होगा।
10-उपरोक्त विवेचन, समस्त तथ्यों व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर यही निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी उपरोक्तानुसार बतौर क्षतिपूर्ति अंकन-5,000/-रूपये एवं वाद व्यय हेतु अंकन-2,500/-रूपये विपक्षीगण से पाने का अधिकारी है। तद्नुसार परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि विपक्षीगण इस आदेश से एक माह के अंदर परिवादी को बतौर क्षतिपूर्ति अंकन-5,000(पांच हजार) रूपये एवं वाद व्यय हेतु 2,500/-रूपये अदा करें। निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने पर उक्त संपूर्ण धनराशि पर वाद दायरा तिथि ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देय होगा।
(रूचिका सारस्वत) (चन्द किरन सिंह) (अलका श्रीवास्तव)
सदस्य, सदस्य, अध्यक्ष,
आज यह निर्णय हमारे द्वारा हस्ताक्षरित एवं दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(रूचिका सारस्वत) (चन्द किरन सिंह) (अलका श्रीवास्तव)
सदस्य, सदस्य, अध्यक्ष,
दिनांक: 16-12-2020
आज इस परिवाद में निर्णय उद्घोषित किया गया। आदेश हुआ कि परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि विपक्षीगण इस आदेश से एक माह के अंदर परिवादी को बतौर क्षतिपूर्ति अंकन-5,000(पांच हजार) रूपये एवं वाद व्यय हेतु 2,500/-रूपये अदा करें। निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने पर उक्त संपूर्ण धनराशि पर वाद दायरा तिथि ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देय होगा।
पत्रावली आवश्यक कार्यवाही के पश्चात दाखिल दफ्तर की जावे।
(रूचिका सारस्वत) (चन्द किरन सिंह) (अलका श्रीवास्तव)
सदस्य, सदस्य, अध्यक्ष,
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